मोहाली | श्री हनुमान मंदिर सुहाना में भाई घनैयाजी केयर सर्विस एंड वेलफेयर सोसायटी की ओर से संचालित केंद्र में प्रशिक्षण ले रही लड़कियों को ब्यूटी पार्लर का छह महीने का कोर्स पूरा करने के बाद आईएसओ द्वारा मान्यता दी गई है। सोसायटी के चेयरमैन केके सैनी ने बताया कि ब्यूटी पार्लर कोर्स पिछले छह माह से चल रहा था। कोर्स के अंत में बालिकाओं की थ्योरी वाइवा और प्रैक्टिकल फाइल देखने के बाद उत्तीर्ण बच्चों को प्रमाण पत्र दिए गए। उन्होंने कहा कि इस मौके पर बच्चों को बताया कि वे अपने घर से ही काम शुरू कर सकते हैं। सरकार की ओर से मुद्रा बैंक योजना के तहत भी लोन दिया जाता है। हनुमान मंदिर समिति के अध्यक्ष एडवोकेट सुशील अत्री, महासचिव जंग बहादुर और संजीव राबरा, वित्त सचिव नरेश वर्मा, कार्यकारिणी सदस्य पुरूषोत्तम, राजिंदर कुमार, सतीश सैनी, राम सहाय और शिक्षिका सिमरन, करेन, मेघा स्वयंसेवकों ने भाग लिया। मोहाली | श्री हनुमान मंदिर सुहाना में भाई घनैयाजी केयर सर्विस एंड वेलफेयर सोसायटी की ओर से संचालित केंद्र में प्रशिक्षण ले रही लड़कियों को ब्यूटी पार्लर का छह महीने का कोर्स पूरा करने के बाद आईएसओ द्वारा मान्यता दी गई है। सोसायटी के चेयरमैन केके सैनी ने बताया कि ब्यूटी पार्लर कोर्स पिछले छह माह से चल रहा था। कोर्स के अंत में बालिकाओं की थ्योरी वाइवा और प्रैक्टिकल फाइल देखने के बाद उत्तीर्ण बच्चों को प्रमाण पत्र दिए गए। उन्होंने कहा कि इस मौके पर बच्चों को बताया कि वे अपने घर से ही काम शुरू कर सकते हैं। सरकार की ओर से मुद्रा बैंक योजना के तहत भी लोन दिया जाता है। हनुमान मंदिर समिति के अध्यक्ष एडवोकेट सुशील अत्री, महासचिव जंग बहादुर और संजीव राबरा, वित्त सचिव नरेश वर्मा, कार्यकारिणी सदस्य पुरूषोत्तम, राजिंदर कुमार, सतीश सैनी, राम सहाय और शिक्षिका सिमरन, करेन, मेघा स्वयंसेवकों ने भाग लिया। पंजाब | दैनिक भास्कर
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शपथ ग्रहण से पहले मोदी ने बादल को किया:बोले- NDA में उनका बड़ा योगदान, किसान आंदोलन पर टूटा था गठबंधन नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले पंजाब के पांच बार के मुख्यमंत्री रहे स्व. प्रकाश सिंह बादल को याद किया है। उन्होंने एनडीए संसदीय दल की मीटिंग में कहा कि NDA में प्रकाश सिंह बादल का योगदान काफी अहम रहा है। हालांकि किसान आंदोलन की वजह से गठबंधन टूट गया था। इस बार अकेले लड़े थे चुनाव इस बार शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के मिलकर लाेकसभा चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी थी। दोनों दलों में मीटिंगों का दौर भी शुरू हो गया था। लेकिन चुनाव की तारीखें घोषित होने से पहले फिर से किसान आंदोलन शुरू हो गया था। इसके अलावा बंदी सिखों की रिहाई जैसे कई मुद्दे थे। जिस पर दोनों दलों में सहमति नहीं बन पाई थी। इसके बाद दोनों दलों ने अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया गया। दोनों दलों की तरफ से सभी 13 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार उतार गए। हालांकि इससे पहले साल 2022 विधानसभा चुनाव भी दोनों ने अकेले लड़ा था। साथ लड़ते तो 5 सीटें जीत सकते थे साल 2024 के लोकसभा चुनाव में गत वर्षों की तुलना में अकाली दल और बीजेपी का परिणाम बहुत ही खराब रहा है। भाजपा एक भी सीट राज्य में नहीं जीत पाई है। जबकि शिरोमणि अकाली दल अपनी बठिंडा सीट को बचाने में कामयाब रही है। यहां से पार्टी प्रधान सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर चौथी बार सांसद बनी है। हालांकि चुनाव नतीजों की तरफ देखे तो अगर यह दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ते थे, तो पांच सीटें जीते सकते थे। क्योंकि इन सीटों पर मिले वोटों की संख्या विजेता रहे उम्मीदवारों से काफी अधिक हैं। इन सीटों में गुरदासपुर, पटियाला, लुधियाना, फिरोजपुर व अमृतसर शामिल हैं। हालांकि शिरोमणि अकाली दल के नेता भी इस चीज को मान रहे हैं कि अलग चुनाव लड़ने का फैसला गलत था। अकाली नेता प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा का कहना है कि हमारी हालत तो नोटा जैसी हो गई है। गठजोड़ किया होता तो शायद जीते जाते। जबकि 2019 के चुनाव में चार सीटें दोनों दलों ने जीती थी। कौन थे प्रकाश सिंह बादल प्रकाश सिंह बादल ने साल 1947 में राजनीति शुरू की थी। उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। तब वे सबसे कम उम्र के सरपंच बने थे। 1957 में उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। 1969 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की। 1969-70 तक वे पंचायत राज, पशु पालन, डेयरी आदि मंत्रालयों के मंत्री रहे। इसके अलावा वे 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। वे 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने। मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते वे सांसद भी चुने गए। 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद वे सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार भी बने। हालांकि चुनाव में वह हार गए थे।
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