जम्मू-कश्मीर में 22 साल पहले परिवार से बिछड़ा बेटा मिला:9 साल की उम्र में अलग हुआ; पड़ोसी की मदद से परिवार का पता चला,भावुक कर देने वाली कहानी,

जम्मू-कश्मीर में 22 साल पहले परिवार से बिछड़ा बेटा मिला:9 साल की उम्र में अलग हुआ; पड़ोसी की मदद से परिवार का पता चला,भावुक कर देने वाली कहानी,

कहानी थोड़ा फिल्मी और भावुक कर देने वाली है। एक बेटा जो 22 साल पहले 9 साल की उम्र में जम्मू-कश्मीर जाते समय परिवार से बिछड़ गया था। भीड़ में गुम होकर अजनबियों के बीच बड़ा हुआ। कड़ी मेहनत की, संघर्ष किया, लेकिन परिवार की याद कभी नहीं भूली। फिर किस्मत ने ऐसा मोड़ लिया कि एक संयोग ने उसे अपने माता-पिता से मिला दिया। आँसुओं में डूबी इस मुलाकात ने हर किसी की आँखें नम कर दीं… आप भी पढ़िए… “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने माँ-बाप से दोबारा मिल पाऊँगा… 22 साल तक हर रोज़ उनकी याद आती थी, लेकिन नसीब ने आज मुझे उनके गले लगा दिया।”- छोटन
“26 मई 2003 की वह मनहूस रात मुझे आज भी याद है, जब मेरा 9 साल का बेटा मुझसे बिछड़ गया था। मैंने उसे हर जगह ढूंढा, थाने में रिपोर्ट लिखवाई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। आज 22 साल बाद मेरा बेटा वापस मेरे साथ है ।”- समीर अहमद, छोटन के पिता बरेली के नवाबगंज में रहता है परिवार यूपी के बरेली जिले के नवाबगंज कस्बे का रहने वाला छोटन जब सिर्फ 9 साल का था, तब वह अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ जम्मू-कश्मीर गया था। वहां पर परिवार के सदस्य ईंट-भट्ठे पर मजदूरी करने जा रहे थे। लेकिन दुर्भाग्य से, बस में चढ़ने के दौरान छोटन अपने परिवार से बिछड़ गया। अंधेरे में रास्ता भटकने के कारण वह अपने माता-पिता से दूर हो गया, और इसके बाद उसका जीवन पूरी तरह बदल गया। संघर्ष भरी जिंदगी, चाय की दुकान से राज मिस्त्री बनने तक परिवार से बिछड़ने के बाद छोटन को कोई सहारा नहीं मिला। अपना पेट भरने के लिए उसने छोटे-छोटे काम करने शुरू कर दिए। कभी चाय की दुकान पर काम किया, तो कभी दूसरों के छोटे-मोटे काम करके दो वक्त की रोटी जुटाई। इस बीच उसकी मुलाकात एक राज मिस्त्री, चांद मियां से हुई, जो उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के पूरनपुर इलाके का रहने वाला था। चांद मियां ने न सिर्फ छोटन को अपने साथ ले जाकर उसे सहारा दिया, बल्कि उसे अपना परिवार भी दिया। उन्होंने उसे अपने साथ रखा, पढ़ाया-लिखाया तो नहीं, लेकिन राज मिस्त्री का काम सिखा दिया। शादी और नया जीवन समय बीतता गया, और छोटन अब बड़ा हो चुका था। चांद मियां ने उसे अपने ही गांव भिखारीपुर की नसीम बेगम से शादी करवा दी। शादी के बाद छोटन की जिंदगी कुछ सामान्य हुई। अब वह राज मिस्त्री का काम करता और अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जिंदगी बसर करने लगा। शादी के नौ साल बाद आज छोटन के चार बेटे हैं- आयान (9 साल), अरसलान, अरमान और सुभान। नसीब ने फिर से मिलाया परिवार से छोटन का जीवन सामान्य चल रहा था, लेकिन उसे अपने परिवार की याद हमेशा सताती थी। फिर किस्मत का एक मोड़ आया। छोटन जयपुर काम करने चला गया, जहां वह अपने परिवार के साथ रहने लगा। वहीं, उसके पड़ोस में एक परिवार रहता था, जो नवाबगंज का ही था। बातचीत के दौरान छोटन ने उन्हें अपनी कहानी सुनाई और बताया कि वह भी नवाबगंज का रहने वाला है। पड़ोसी परिवार को छोटन की कहानी सुनकर झटका लगा। उन्होंने तुरंत नवाबगंज में उसके माता-पिता से संपर्क किया और उन्हें जानकारी दी कि उनका बेटा जिंदा है और जयपुर में रह रहा है। माँ-बाप से मिलते ही छलक पड़े आंसू जैसे ही छोटन के माता-पिता को यह खबर मिली, वे तुरंत जयपुर पहुंचे। वहां छोटन ने अपनी माँ-बाप को पहचान लिया और उनसे लिपटकर जोर-जोर से रोने लगा। 22 सालों से दबा हुआ दर्द एक ही पल में आंखों से बह निकला। माँ-बेटे के इस मिलन को देखकर वहां मौजूद हर कोई भावुक हो गया। पूरा परिवार अजमेर शरीफ पहुंचा, चादरपोशी कर मनाई खुशी अपने बिछड़े बेटे को वापस पाकर परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं था। इस मौके को खास बनाने के लिए छोटन और उसके परिवार ने अजमेर शरीफ दरगाह जाने का फैसला किया। वहां उन्होंने चादरपोशी कर अल्लाह का शुक्रिया अदा किया कि इतने सालों बाद उनके परिवार का बिछड़ा हुआ टुकड़ा फिर से उनके पास लौट आया। छोटन के पिता बोले- “वो मनहूस दिन आज भी याद है” छोटन के पिता समीर अहमद ने बताया कि 26 मई 2003 की वह मनहूस रात उन्हें आज भी याद है, जब उनका 9 साल का बेटा उनसे बिछड़ गया था। वे परिवार के साथ जम्मू-कश्मीर में ईंट-भट्ठे पर काम करने जा रहे थे। रात का समय था, बिजली चली गई थी, और इसी दौरान छोटन उनसे अलग हो गया। उन्होंने पूरी कोशिश की, थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। अब छोटन का परिवार फिर से पूरा हुआ 22 साल के लंबे इंतजार और संघर्ष के बाद, अब छोटन अपने असली परिवार के साथ वापस आ गया है। उसकी पत्नी, बच्चे, माँ-बाप और भाई-बहन सभी बेहद खुश हैं। छोटन का कहना है कि अब वह अपने माता-पिता और परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहता है और उन्हें कभी छोड़कर नहीं जाएगा। कहानी थोड़ा फिल्मी और भावुक कर देने वाली है। एक बेटा जो 22 साल पहले 9 साल की उम्र में जम्मू-कश्मीर जाते समय परिवार से बिछड़ गया था। भीड़ में गुम होकर अजनबियों के बीच बड़ा हुआ। कड़ी मेहनत की, संघर्ष किया, लेकिन परिवार की याद कभी नहीं भूली। फिर किस्मत ने ऐसा मोड़ लिया कि एक संयोग ने उसे अपने माता-पिता से मिला दिया। आँसुओं में डूबी इस मुलाकात ने हर किसी की आँखें नम कर दीं… आप भी पढ़िए… “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने माँ-बाप से दोबारा मिल पाऊँगा… 22 साल तक हर रोज़ उनकी याद आती थी, लेकिन नसीब ने आज मुझे उनके गले लगा दिया।”- छोटन
“26 मई 2003 की वह मनहूस रात मुझे आज भी याद है, जब मेरा 9 साल का बेटा मुझसे बिछड़ गया था। मैंने उसे हर जगह ढूंढा, थाने में रिपोर्ट लिखवाई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। आज 22 साल बाद मेरा बेटा वापस मेरे साथ है ।”- समीर अहमद, छोटन के पिता बरेली के नवाबगंज में रहता है परिवार यूपी के बरेली जिले के नवाबगंज कस्बे का रहने वाला छोटन जब सिर्फ 9 साल का था, तब वह अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ जम्मू-कश्मीर गया था। वहां पर परिवार के सदस्य ईंट-भट्ठे पर मजदूरी करने जा रहे थे। लेकिन दुर्भाग्य से, बस में चढ़ने के दौरान छोटन अपने परिवार से बिछड़ गया। अंधेरे में रास्ता भटकने के कारण वह अपने माता-पिता से दूर हो गया, और इसके बाद उसका जीवन पूरी तरह बदल गया। संघर्ष भरी जिंदगी, चाय की दुकान से राज मिस्त्री बनने तक परिवार से बिछड़ने के बाद छोटन को कोई सहारा नहीं मिला। अपना पेट भरने के लिए उसने छोटे-छोटे काम करने शुरू कर दिए। कभी चाय की दुकान पर काम किया, तो कभी दूसरों के छोटे-मोटे काम करके दो वक्त की रोटी जुटाई। इस बीच उसकी मुलाकात एक राज मिस्त्री, चांद मियां से हुई, जो उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के पूरनपुर इलाके का रहने वाला था। चांद मियां ने न सिर्फ छोटन को अपने साथ ले जाकर उसे सहारा दिया, बल्कि उसे अपना परिवार भी दिया। उन्होंने उसे अपने साथ रखा, पढ़ाया-लिखाया तो नहीं, लेकिन राज मिस्त्री का काम सिखा दिया। शादी और नया जीवन समय बीतता गया, और छोटन अब बड़ा हो चुका था। चांद मियां ने उसे अपने ही गांव भिखारीपुर की नसीम बेगम से शादी करवा दी। शादी के बाद छोटन की जिंदगी कुछ सामान्य हुई। अब वह राज मिस्त्री का काम करता और अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जिंदगी बसर करने लगा। शादी के नौ साल बाद आज छोटन के चार बेटे हैं- आयान (9 साल), अरसलान, अरमान और सुभान। नसीब ने फिर से मिलाया परिवार से छोटन का जीवन सामान्य चल रहा था, लेकिन उसे अपने परिवार की याद हमेशा सताती थी। फिर किस्मत का एक मोड़ आया। छोटन जयपुर काम करने चला गया, जहां वह अपने परिवार के साथ रहने लगा। वहीं, उसके पड़ोस में एक परिवार रहता था, जो नवाबगंज का ही था। बातचीत के दौरान छोटन ने उन्हें अपनी कहानी सुनाई और बताया कि वह भी नवाबगंज का रहने वाला है। पड़ोसी परिवार को छोटन की कहानी सुनकर झटका लगा। उन्होंने तुरंत नवाबगंज में उसके माता-पिता से संपर्क किया और उन्हें जानकारी दी कि उनका बेटा जिंदा है और जयपुर में रह रहा है। माँ-बाप से मिलते ही छलक पड़े आंसू जैसे ही छोटन के माता-पिता को यह खबर मिली, वे तुरंत जयपुर पहुंचे। वहां छोटन ने अपनी माँ-बाप को पहचान लिया और उनसे लिपटकर जोर-जोर से रोने लगा। 22 सालों से दबा हुआ दर्द एक ही पल में आंखों से बह निकला। माँ-बेटे के इस मिलन को देखकर वहां मौजूद हर कोई भावुक हो गया। पूरा परिवार अजमेर शरीफ पहुंचा, चादरपोशी कर मनाई खुशी अपने बिछड़े बेटे को वापस पाकर परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं था। इस मौके को खास बनाने के लिए छोटन और उसके परिवार ने अजमेर शरीफ दरगाह जाने का फैसला किया। वहां उन्होंने चादरपोशी कर अल्लाह का शुक्रिया अदा किया कि इतने सालों बाद उनके परिवार का बिछड़ा हुआ टुकड़ा फिर से उनके पास लौट आया। छोटन के पिता बोले- “वो मनहूस दिन आज भी याद है” छोटन के पिता समीर अहमद ने बताया कि 26 मई 2003 की वह मनहूस रात उन्हें आज भी याद है, जब उनका 9 साल का बेटा उनसे बिछड़ गया था। वे परिवार के साथ जम्मू-कश्मीर में ईंट-भट्ठे पर काम करने जा रहे थे। रात का समय था, बिजली चली गई थी, और इसी दौरान छोटन उनसे अलग हो गया। उन्होंने पूरी कोशिश की, थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। अब छोटन का परिवार फिर से पूरा हुआ 22 साल के लंबे इंतजार और संघर्ष के बाद, अब छोटन अपने असली परिवार के साथ वापस आ गया है। उसकी पत्नी, बच्चे, माँ-बाप और भाई-बहन सभी बेहद खुश हैं। छोटन का कहना है कि अब वह अपने माता-पिता और परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहता है और उन्हें कभी छोड़कर नहीं जाएगा।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर