जिंदा रह सकूं, बस उतना ही खाना मिलता था:हाथ-पैर बांधे, हथकड़ी-बेड़ी लगाकर अमेरिका से भारत भेजा; यूपी के 3 युवकों की कहानी

जिंदा रह सकूं, बस उतना ही खाना मिलता था:हाथ-पैर बांधे, हथकड़ी-बेड़ी लगाकर अमेरिका से भारत भेजा; यूपी के 3 युवकों की कहानी

‘माफिया ने मुझे 15 फीट ऊंची दीवार पार करवा कर अमेरिका में एंट्री दिलाई। इसके बाद अमेरिकी सेना ने मुझे पकड़ लिया। जिस कैंप में हमें रखा गया था, वहां बेहद खराब स्थिति है। खाने के लिए केवल उतना ही दिया जाता है, जिससे जिंदा रहा जा सके। ठंड में केवल एक कपड़े में रहना पड़ा। पूछताछ के बाद मेरे हाथ-पैरों में बेड़ियां डालकर डिपोर्ट कर दिया गया। बुधवार को मुझे अमृतसर हवाईअड्डे पर लाया गया।’ यह दर्द है अमेरिका से इंडिया डिपोर्ट किए गए 104 भारतीय नागरिकों में शामिल देवेंद्र सिंह का। देवेंद्र मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं। उनके अलावा पीलीभीत के गुरप्रीत और मुजफ्फरनगर के रक्षित को भी अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है। इंडिया लौटने के बाद रक्षित और देवेंद्र तो अपने घर पहुंच गए हैं, लेकिन गुरप्रीत को दिल्ली पुलिस ने डिटेन कर रखा है। उससे पूछताछ की जा रही है। घर वालों की उनसे बात नहीं हो पा रही। गुरप्रीत पीलीभीत के पूरनपुर कस्बे के बंजरिया गांव का रहने वाले हैं। वहीं, मुजफ्फरनगर के रक्षित बालियान शाहपुर थाना क्षेत्र के रसूलपुर जाटान गांव के रहने वाले हैं। जिले के देवेंद्र सिंह पुरकाजी थाना क्षेत्र के मारकपुर गांव निवासी हैं। दैनिक भास्कर की टीमें तीनों युवकों के गांव पहुंचीं। उनके घर वालों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… कहानी-1: मुजफ्फरनगर के देवेंद्र की जुबानी… दैनिक भास्कर की टीम मुजफ्फरनगर जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर देवेंद्र सिंह के गांव मारकपुर पहुंची। यहां हमारी मुलाकात देवेंद्र सिंह से हुई। वह कुछ डरे हुए दिखाई दिए। पहले तो देवेंद्र कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे। लेकिन, कुछ देर बाद खुद को संभालते हुए वह हमसे बात करने को तैयार हुए। अमेरिका की आपबीती सुनाते हुए उनकी आंखें नम हो गईं। मेक्सिको के रास्ते अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचे
देवेंद्र ने बताया- मैं 29 नवंबर, 2024 को भारत से थाईलैंड गया। फिर वियतनाम और चीन होते हुए साल्वाडोर पहुंचा। वहां से मेक्सिको के रास्ते अवैध तरीके से अमेरिका में एंट्री की। इस सफर में मुझे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। माफिया ने हमें अपने घरों में रखा। वे लोग धीरे-धीरे पैसे मांगते रहे। माफिया ने 40 लाख रुपए की फिरौती लेकर मुझे छोड़ा। ये रुपए मेरे घर वालों ने हरियाणा के करनाल में बैठे एजेंट को भेजे। यहां से रुपए माफिया तक पहुंचाए गए। अब कभी वापस नहीं जाना चाहते
देवेंद्र ने बताया- मेरा सपना अमेरिका में नौकरी कर ट्रक चलाने का था। लेकिन, अब कभी वहां वापस नहीं जाना चाहता। पहले अमेरिका में लोगों को बुलाया जाता था, लेकिन अब उन्हें वहां से भगाया जा रहा है। यह सब अवैध तरीके से ही होता है, क्योंकि कानूनी तरीके से वहां पहुंचना बहुत मुश्किल है। कहानी-2: मुजफ्फरनगर के रक्षित के पिता की जुबानी… कहा- आज सुबह मेरा बेटा घर लौटा है
रक्षित का गांव रसूलपुर जाटान मुजफ्फरनगर जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर है। दैनिक भास्कर की टीम जब रक्षित (20) के घर पहुंची, तो हमारी मुलाकात उनके पिता सुधीर बालियान से हुई। वह आर्मी से रिटायर्ड हैं। वर्तमान में बिजली विभाग में संविदा कर्मचारी हैं। उन्होंने ज्यादा कुछ कहने से इनकार कर दिया। सिर्फ इतना बताया- मेरा बेटा अक्टूबर, 2024 में टूरिस्ट वीजा पर अमेरिका गया था। आज सुबह 4 बजे घर लौटा है। रक्षित 12वीं पास है। हमारे परिवार के पास कृषि भूमि है। हम लोग खेती भी करते हैं। इतना कहने के बाद वे रोने लगे। कहते हैं कि मेरे बेटे ने बहुत तकलीफ झेली है। मुझमें अब कुछ बोलने की हिम्मत नहीं है। कहानी-3: पीलीभीत के गुरप्रीत की मां की जुबानी… गुरप्रीत 2022 में पहले इंग्लैंड गया, फिर अमेरिका
पीलीभीत जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर जब हमारी टीम बंजरिया गांव पहुंची, तो वहां चहल-पहल कम थी। गांव के रास्ते में कुछ लोग मिले, लेकिन उन्होंने गुरप्रीत के बारे में बात करने से साफ मना कर दिया। उनका कहना था कि आप गुरप्रीत के परिवार वालों से बात करें, तो बेहतर होगा। हमारी रिक्वेस्ट पर उन्होंने हमें गुरप्रीत के पास तक पहुंचा दिया। इशारे से गुरप्रीत का घर बताकर वे चले गए। वहां हमारी मुलाकात गुरप्रीत की मां जसविंदर कौर से हुई। जसविंदर कौर ने बताया- गुरप्रीत सितंबर, 2022 में पहले इंग्लैंड गया था। यहां से उसने डंकी रूट के जरिए अमेरिका जाने की कोशिश की। डेढ़ महीने पहले मेरे बेटे ने अमेरिका पहुंचने की सूचना दी थी। इसके बाद उससे संपर्क टूट गया था। गुरप्रीत मेरे तीन बेटों में सबसे छोटा है। वह परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए विदेश गया था। मेरा बड़ा बेटा गुरदेव सिंह उर्फ गुरजीत भारतीय सेना में है। परिवार ने 25 लाख रुपए खर्च कर लंदन भेजा
मां ने बताया- स्थानीय एजेंट की मदद से 20-25 लाख रुपए खर्च कर गुरप्रीत को लंदन भेजा था। वहां वह फैक्ट्री और कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहा था। वहां उसे काम में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। इसके बाद एक एजेंट ने बेटे को अमेरिका में बेहतर अवसर का लालच देकर मोटी रकम वसूली। फिर अवैध तरीके से अमेरिका भेज दिया। 13 जनवरी को अमेरिकी बॉर्डर कंट्रोल ने उसे सीमा पार करते हुए पकड़ लिया। गुरप्रीत के इंडिया में लैंड होने के बाद दिल्ली पुलिस ने पूछताछ की। घर वाले उससे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। 3 तस्वीरों में देखिए अमेरिका से डिपोर्ट किए गए लोगों की हालत अवैध अप्रवासियों को क्यों निकाल रहे ट्रम्प
ट्रम्प ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन करके अवैध अप्रवासियों की एंट्री बैन करने का ऐलान किया था। ट्रम्प ने चुनाव कैंपेन में भी अवैध अप्रवासियों को देश से निकालने का वादा किया था। उन्होंने अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा डिपोर्टेशन करने को कहा था। ट्रम्प का मानना है कि दूसरे देशों से लोग अमेरिका में अवैध तरीके से घुसकर अपराध करते हैं। यहां नौकरियों के बड़े हिस्से पर अप्रवासियों का कब्जा है, इससे अमेरिकी लोगों को नौकरी नहीं मिलती। ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले कानून ‘लैकेन रिले एक्ट’ पर साइन किए। इस कानून के तहत फेडरल अधिकारियों को उन अवैध अप्रवासियों को हिरासत में लेकर डिपोर्ट करने का अधिकार है, जो किसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं। पीएम मोदी 12 फरवरी को अमेरिका जाएंगे
अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम इन्फोर्समेंट के अनुसार 19 हजार अवैध प्रवासी भारतीय डिपोर्ट होंगे। ट्रम्प ने ये कार्रवाई ऐसे समय की है, जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को दो दिन की यात्रा पर अमेरिका जाने वाले हैं। 13 फरवरी को पीएम की ट्रम्प के साथ वार्ता प्रस्तावित है। ———————— यह खबर भी पढ़ें… हाथरस में 80 साल की बुजुर्ग महिला की हत्या, नग्न अवस्था में मिला शव, धारदार हथियार से वार के निशान; रेप की आशंका हाथरस में 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला की निर्मम हत्या कर दी गई, जिनका शव नग्न अवस्था में मिला। घटना की जानकारी सुबह तब हुई जब परिवार के सदस्यों ने महिला का रक्तरंजित शव देखा। मृतका के कोई संतान नहीं थी और उसने अपने भतीजे को गोद ले रखा था। घटना हसायन कोतवाली क्षेत्र के कान्हापुर गांव की है। यहां पढ़ें पूरी खबर ‘माफिया ने मुझे 15 फीट ऊंची दीवार पार करवा कर अमेरिका में एंट्री दिलाई। इसके बाद अमेरिकी सेना ने मुझे पकड़ लिया। जिस कैंप में हमें रखा गया था, वहां बेहद खराब स्थिति है। खाने के लिए केवल उतना ही दिया जाता है, जिससे जिंदा रहा जा सके। ठंड में केवल एक कपड़े में रहना पड़ा। पूछताछ के बाद मेरे हाथ-पैरों में बेड़ियां डालकर डिपोर्ट कर दिया गया। बुधवार को मुझे अमृतसर हवाईअड्डे पर लाया गया।’ यह दर्द है अमेरिका से इंडिया डिपोर्ट किए गए 104 भारतीय नागरिकों में शामिल देवेंद्र सिंह का। देवेंद्र मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं। उनके अलावा पीलीभीत के गुरप्रीत और मुजफ्फरनगर के रक्षित को भी अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है। इंडिया लौटने के बाद रक्षित और देवेंद्र तो अपने घर पहुंच गए हैं, लेकिन गुरप्रीत को दिल्ली पुलिस ने डिटेन कर रखा है। उससे पूछताछ की जा रही है। घर वालों की उनसे बात नहीं हो पा रही। गुरप्रीत पीलीभीत के पूरनपुर कस्बे के बंजरिया गांव का रहने वाले हैं। वहीं, मुजफ्फरनगर के रक्षित बालियान शाहपुर थाना क्षेत्र के रसूलपुर जाटान गांव के रहने वाले हैं। जिले के देवेंद्र सिंह पुरकाजी थाना क्षेत्र के मारकपुर गांव निवासी हैं। दैनिक भास्कर की टीमें तीनों युवकों के गांव पहुंचीं। उनके घर वालों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… कहानी-1: मुजफ्फरनगर के देवेंद्र की जुबानी… दैनिक भास्कर की टीम मुजफ्फरनगर जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर देवेंद्र सिंह के गांव मारकपुर पहुंची। यहां हमारी मुलाकात देवेंद्र सिंह से हुई। वह कुछ डरे हुए दिखाई दिए। पहले तो देवेंद्र कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे। लेकिन, कुछ देर बाद खुद को संभालते हुए वह हमसे बात करने को तैयार हुए। अमेरिका की आपबीती सुनाते हुए उनकी आंखें नम हो गईं। मेक्सिको के रास्ते अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचे
देवेंद्र ने बताया- मैं 29 नवंबर, 2024 को भारत से थाईलैंड गया। फिर वियतनाम और चीन होते हुए साल्वाडोर पहुंचा। वहां से मेक्सिको के रास्ते अवैध तरीके से अमेरिका में एंट्री की। इस सफर में मुझे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। माफिया ने हमें अपने घरों में रखा। वे लोग धीरे-धीरे पैसे मांगते रहे। माफिया ने 40 लाख रुपए की फिरौती लेकर मुझे छोड़ा। ये रुपए मेरे घर वालों ने हरियाणा के करनाल में बैठे एजेंट को भेजे। यहां से रुपए माफिया तक पहुंचाए गए। अब कभी वापस नहीं जाना चाहते
देवेंद्र ने बताया- मेरा सपना अमेरिका में नौकरी कर ट्रक चलाने का था। लेकिन, अब कभी वहां वापस नहीं जाना चाहता। पहले अमेरिका में लोगों को बुलाया जाता था, लेकिन अब उन्हें वहां से भगाया जा रहा है। यह सब अवैध तरीके से ही होता है, क्योंकि कानूनी तरीके से वहां पहुंचना बहुत मुश्किल है। कहानी-2: मुजफ्फरनगर के रक्षित के पिता की जुबानी… कहा- आज सुबह मेरा बेटा घर लौटा है
रक्षित का गांव रसूलपुर जाटान मुजफ्फरनगर जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर है। दैनिक भास्कर की टीम जब रक्षित (20) के घर पहुंची, तो हमारी मुलाकात उनके पिता सुधीर बालियान से हुई। वह आर्मी से रिटायर्ड हैं। वर्तमान में बिजली विभाग में संविदा कर्मचारी हैं। उन्होंने ज्यादा कुछ कहने से इनकार कर दिया। सिर्फ इतना बताया- मेरा बेटा अक्टूबर, 2024 में टूरिस्ट वीजा पर अमेरिका गया था। आज सुबह 4 बजे घर लौटा है। रक्षित 12वीं पास है। हमारे परिवार के पास कृषि भूमि है। हम लोग खेती भी करते हैं। इतना कहने के बाद वे रोने लगे। कहते हैं कि मेरे बेटे ने बहुत तकलीफ झेली है। मुझमें अब कुछ बोलने की हिम्मत नहीं है। कहानी-3: पीलीभीत के गुरप्रीत की मां की जुबानी… गुरप्रीत 2022 में पहले इंग्लैंड गया, फिर अमेरिका
पीलीभीत जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर जब हमारी टीम बंजरिया गांव पहुंची, तो वहां चहल-पहल कम थी। गांव के रास्ते में कुछ लोग मिले, लेकिन उन्होंने गुरप्रीत के बारे में बात करने से साफ मना कर दिया। उनका कहना था कि आप गुरप्रीत के परिवार वालों से बात करें, तो बेहतर होगा। हमारी रिक्वेस्ट पर उन्होंने हमें गुरप्रीत के पास तक पहुंचा दिया। इशारे से गुरप्रीत का घर बताकर वे चले गए। वहां हमारी मुलाकात गुरप्रीत की मां जसविंदर कौर से हुई। जसविंदर कौर ने बताया- गुरप्रीत सितंबर, 2022 में पहले इंग्लैंड गया था। यहां से उसने डंकी रूट के जरिए अमेरिका जाने की कोशिश की। डेढ़ महीने पहले मेरे बेटे ने अमेरिका पहुंचने की सूचना दी थी। इसके बाद उससे संपर्क टूट गया था। गुरप्रीत मेरे तीन बेटों में सबसे छोटा है। वह परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए विदेश गया था। मेरा बड़ा बेटा गुरदेव सिंह उर्फ गुरजीत भारतीय सेना में है। परिवार ने 25 लाख रुपए खर्च कर लंदन भेजा
मां ने बताया- स्थानीय एजेंट की मदद से 20-25 लाख रुपए खर्च कर गुरप्रीत को लंदन भेजा था। वहां वह फैक्ट्री और कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहा था। वहां उसे काम में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। इसके बाद एक एजेंट ने बेटे को अमेरिका में बेहतर अवसर का लालच देकर मोटी रकम वसूली। फिर अवैध तरीके से अमेरिका भेज दिया। 13 जनवरी को अमेरिकी बॉर्डर कंट्रोल ने उसे सीमा पार करते हुए पकड़ लिया। गुरप्रीत के इंडिया में लैंड होने के बाद दिल्ली पुलिस ने पूछताछ की। घर वाले उससे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। 3 तस्वीरों में देखिए अमेरिका से डिपोर्ट किए गए लोगों की हालत अवैध अप्रवासियों को क्यों निकाल रहे ट्रम्प
ट्रम्प ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन करके अवैध अप्रवासियों की एंट्री बैन करने का ऐलान किया था। ट्रम्प ने चुनाव कैंपेन में भी अवैध अप्रवासियों को देश से निकालने का वादा किया था। उन्होंने अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा डिपोर्टेशन करने को कहा था। ट्रम्प का मानना है कि दूसरे देशों से लोग अमेरिका में अवैध तरीके से घुसकर अपराध करते हैं। यहां नौकरियों के बड़े हिस्से पर अप्रवासियों का कब्जा है, इससे अमेरिकी लोगों को नौकरी नहीं मिलती। ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले कानून ‘लैकेन रिले एक्ट’ पर साइन किए। इस कानून के तहत फेडरल अधिकारियों को उन अवैध अप्रवासियों को हिरासत में लेकर डिपोर्ट करने का अधिकार है, जो किसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं। पीएम मोदी 12 फरवरी को अमेरिका जाएंगे
अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम इन्फोर्समेंट के अनुसार 19 हजार अवैध प्रवासी भारतीय डिपोर्ट होंगे। ट्रम्प ने ये कार्रवाई ऐसे समय की है, जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को दो दिन की यात्रा पर अमेरिका जाने वाले हैं। 13 फरवरी को पीएम की ट्रम्प के साथ वार्ता प्रस्तावित है। ———————— यह खबर भी पढ़ें… हाथरस में 80 साल की बुजुर्ग महिला की हत्या, नग्न अवस्था में मिला शव, धारदार हथियार से वार के निशान; रेप की आशंका हाथरस में 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला की निर्मम हत्या कर दी गई, जिनका शव नग्न अवस्था में मिला। घटना की जानकारी सुबह तब हुई जब परिवार के सदस्यों ने महिला का रक्तरंजित शव देखा। मृतका के कोई संतान नहीं थी और उसने अपने भतीजे को गोद ले रखा था। घटना हसायन कोतवाली क्षेत्र के कान्हापुर गांव की है। यहां पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर