हिसार | जिले में ग्लैंडर्स बीमारी से एक खच्चर पॉजिटिव मिलने पर पशुपालन विभाग ने अश्व प्रजाति के पशुओं में पाई जाने वाली जीवाणु जनित बीमारी ग्लैंडर्स को लेकर सतर्कता बढ़ा दी है। भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के डीएएचडी मत्स्य मंत्रालय द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार जिला हिसार को अश्व प्रजाति के पशुओं में ग्लैंडर्स बीमारी से बचाव, नियंत्रण के लिए नियंत्रित क्षेत्र घोषित किया गया है। साथ ही घोड़े, गधे, खच्चर व अश्व प्रजाति के पशुओं की जिले से अन्य स्थान पर आवाजाही को पूर्ण प्रतिबंधित किया गया है। पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपनिदेशक डॉ. सुभाष चंद्र जांगड़ा ने बताया कि अश्व जाति के पशुओं की दौड़, मेले, प्रदर्शनी, खेल आदि आयोजन तथा एकत्रित करने पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने बताया कि ग्लैंडर्स घोड़ों की प्रजातियों में एक जानलेवा संक्रामक रोग है। हिसार | जिले में ग्लैंडर्स बीमारी से एक खच्चर पॉजिटिव मिलने पर पशुपालन विभाग ने अश्व प्रजाति के पशुओं में पाई जाने वाली जीवाणु जनित बीमारी ग्लैंडर्स को लेकर सतर्कता बढ़ा दी है। भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के डीएएचडी मत्स्य मंत्रालय द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार जिला हिसार को अश्व प्रजाति के पशुओं में ग्लैंडर्स बीमारी से बचाव, नियंत्रण के लिए नियंत्रित क्षेत्र घोषित किया गया है। साथ ही घोड़े, गधे, खच्चर व अश्व प्रजाति के पशुओं की जिले से अन्य स्थान पर आवाजाही को पूर्ण प्रतिबंधित किया गया है। पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपनिदेशक डॉ. सुभाष चंद्र जांगड़ा ने बताया कि अश्व जाति के पशुओं की दौड़, मेले, प्रदर्शनी, खेल आदि आयोजन तथा एकत्रित करने पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने बताया कि ग्लैंडर्स घोड़ों की प्रजातियों में एक जानलेवा संक्रामक रोग है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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रोहतक में महिलाओं का मटका फोड़ प्रदर्शन:ग्रामीण बोले- पीने के पानी को तरस रहे, दुर्व्यवहार का आरोप, सड़क जाम की चेतावनी
रोहतक में महिलाओं का मटका फोड़ प्रदर्शन:ग्रामीण बोले- पीने के पानी को तरस रहे, दुर्व्यवहार का आरोप, सड़क जाम की चेतावनी रोहतक के गांव सुनारिया खुर्द के ग्रामीणों ने शुक्रवार को डीसी कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान महिलाओं ने मटका फोड़कर प्रदर्शन किया। साथ ही कहा कि उनकी समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाए, अन्यथा वह बड़ा धरना-प्रदर्शन या रोड जाम करने जैसे कदम उठाने को मजबूर होंगे। इसलिए ग्रामीणों को तुरंत पीने का पानी उपलब्ध करवाया जाए। सुनारिया खुर्द निवासी दलबीर ने बताया कि गांव में 10 दिन से पानी की सप्लाई नहीं आ रही है। समस्या के समाधान के लिए वह अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। जब जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मिले तो उन्होंने भी लोगों की सुनवाई नहीं की। उल्टा ग्रामीणों के साथ गलत व्यवहार किया। इसलिए वे डीसी से मिलने पहुंचे हैं। साथ ही चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी समस्या का जल्द से जल्द समाधान नहीं किया गया तो वे धरना प्रदर्शन व रोड जाम जैसे कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। पानी के लिए भटक रहे ग्रामीण
गांव सुनारिया निवासी सविता ने बताया कि गांव में पीने का पानी नहीं हैं। ना तो लोगों को पानी मिल रहा और ना ही पशुओं को। पानी की समस्या को लेकर जब ग्रामीण अधिकारियों से मिले तो अधिकारियों ने भी दुर्व्यवहार किया। पिछले करीब एक महीने से परेशानी उठा रहे हैं। इस तपती गर्मी में बिना पानी के कैसे रहा जा सकता है। इस दौरान ग्रामीणों ने अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अधिकारियों को सस्पेंड करने की मांग की।
बेटी की लाश गोद में लेकर भटकता रहा पिता:हरियाणा के सरकारी अस्पताल ने नहीं दी फ्री एंबुलेंस की जानकारी, ऑटो वाले भी पीछे हटे
बेटी की लाश गोद में लेकर भटकता रहा पिता:हरियाणा के सरकारी अस्पताल ने नहीं दी फ्री एंबुलेंस की जानकारी, ऑटो वाले भी पीछे हटे हरियाणा के फरीदाबाद में सरकारी अस्पताल में एक पिता अपनी 7 साल की बच्ची के शव को गोद में लेकर भटकता रहा। वह अस्पताल के गेट पर शव लेकर खड़ा रहा, लेकिन किसी भी स्टाफ सदस्य ने उसे ये नहीं बताया कि अस्पताल से शव को ले जाने के लिए वहां फ्री एंबुलेंस उपलब्ध है। यही नहीं कोई भी ऑटो वाला बच्ची के शव को ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। व्यक्ति बेटी के शव को उठाए इधर-उधर घूमता रहा। बाद में जानकार के ऑटो में शव काे घर ले गया। पीड़ित पंकज मंडल ने बताया कि वह मूल रूप से झारखंड के गोडा जिले का रहने वाला है। एक साल से फरीदाबाद के पटेल चौक के पास किराए के मकान में अपनी पत्नी और चार बच्चों एक बेटी और 3 बेटों के साथ रह रहा है। बुधवार सुबह 3 बजे बेटी शबनम को उल्टी दस्त की शिकायत हुई। इसके बाद वह पास के ही एक बंगाली डॉक्टर के पास उसे इलाज करने के लिए ले गए थे। खाली पेट इंजेक्शन लगाने के बाद तबीयत बिगड़ी
वहां डॉक्टर ने उनकी बेटी को इंजेक्शन और दवाई दी, लेकिन दवाइयों से उनकी बेटी को बिल्कुल आराम नहीं हुआ। पंकज ने बताया की बंगाली डॉक्टर ने उनकी बेटी को खाली पेट ही इंजेक्शन लगाया था। इसके चलते उनकी बेटी की तबीयत बिगड़ने लगी थी। शाम होते-होते उनकी बेटी शबनम की हालत और खराब होती चली गई। अस्पताल में बेटी को डॉक्टरों ने मृत घोषित किया
इसके बाद शबनम को वह शाम को लगभग 7:30 बजे फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल में इलाज के लिए लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने उनकी बेटी को देखते ही मृत घोषित कर दिया। हालांकि इस दौरान अस्पताल स्टाफ ने उनकी बेटी की मृत्यु के बाद एक फॉर्म भरकर उन्हें दिया, लेकिन किसी ने उन्हें जानकारी नहीं दी कि अस्पताल से उन्हें शव ले जाने के लिए घर तक फ्री में एंबुलेंस मुहैया कराई जाती है। ऑटो वाले भी शव ले जाने में राजी नहीं हुए
उन्होंने अपने एक परिचित ऑटो चालक को फोन कर अस्पताल आने के लिए कहा, लेकिन काफी देर होने के बाद वह अपनी बेटी के शव को दूसरे ऑटो में ले जाने के लिए अस्पताल के बाहर लेकर आ गए। कोई भी ऑटो वाला बेटी के शव को लेकर जाने को तैयार नहीं हुआ। पंकज ने बताया कि यदि अस्पताल स्टाफ ने उन्हें जानकारी दी होती तो वह अपनी बेटी के शव को इस प्रकार से अस्पताल के बाहर नहीं लाते। डॉक्टर बोले- उचित कार्रवाई करेंगे
अस्पताल के पीएमओ का पदभार संभाल रहे डॉक्टर विकास गोयल से बात की गई तो उन्होंने भी माना कि अस्पताल के स्टाफ को मृतक बच्ची के परिजनों को फ्री शव वाहन (एम्बुलेंस) मिलने की जानकारी दी जानी चाहिए थी। वह इस मामले में जानकारी लेकर उचित कार्रवाई करेंगे।
हरियाणा में एडमिशन घोटाले में 4 नई FIR:सीबीआई ने की कार्रवाई, हिसार समेत 6 जिलों में मिली भारी अनियमितताएं
हरियाणा में एडमिशन घोटाले में 4 नई FIR:सीबीआई ने की कार्रवाई, हिसार समेत 6 जिलों में मिली भारी अनियमितताएं हरियाणा में एडमिशन में घोटाले में CBI ने शिकंजा और कस दिया है। हरियाणा के सरकारी स्कूलों में दाखिले के नाम पर हुए फर्जीवाड़ा हुआ था। हरियाणा में फर्जी एडमिशन दिखाकर सरकारी धन का गबन किया गया। यह फर्जीवाड़ा साल 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में शुरू हुआ था जो सत्ता परिवर्तन के बाद भी वर्ष 2016 तक भाजपा सरकार में जारी रहा। इस मामले में हाई कोर्ट के आदेश पर CBI जांच शुरू हुई और 3 FIR रजिस्टर्ड की गई थी। अब एक बार फिर CBI ने इस मामले में 4 नई एफआईआर दर्ज की गई है। सीबीआई ने धारा 120-B, 167, 218, 409, 418, 420, 477-A के तहत केस दर्ज किया गया है। यह मामला हिसार, सोनीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, करनाल, झज्जर, रोहतक से जुड़ा हुआ है। 4 लाख बच्चों के दाखिले फर्जी
अक्टूबर 2014 में भाजपा की सरकार आने के बाद जून 2015 में शिक्षा विभाग ने 719 गेस्ट टीचरों को हटाने का नोटिस जारी किया था। इसके विरोध में गेस्ट टीचर हाई कोर्ट पहुंच गए। हाईकोर्ट ने 6 जुलाई 2015 को याचिका खारिज कर दी तो सितंबर 2015 में मामला डबल बेंच में पहुंच गया, फिर सरकार को नोटिस जारी हुआ। वहां जवाब में सरकार ने बताया कि सरकारी स्कूलों में छात्र घट गए हैं। कोर्ट ने रिकॉर्ड मांगा तो सामने आया कि 22 लाख बच्चों में 4 लाख बच्चों के दाखिले फर्जी हैं। कोर्ट ने पाया कि 2014-15 में सरकारी स्कूलों में 22 लाख छात्र थे। जबकि 2015-16 में इनकी संख्या घटकर मात्र 18 लाख रह गई। 2018 में दर्ज हुई थी 7 एफआइआर
कोर्ट ने सरकारी धन की हेराफेरी की आशंका जताते हुए जांच कराने को कहा, जो उस वक्त नहीं कराई गई। कोर्ट ने शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को बुलाया। ब्लाक व जिला स्तर पर जांच हुई, कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ तो मामले की जांच विजिलेंस को सौंप दी गई। गुरुग्राम विजिलेंस के एसपी हामिद अख्तर, विजिलेंस ब्यूरो पंचकूला मुख्यालय की IG चारू बाली ने जांच की। फिर इस मामले में एक SIT का गठन किया गया। जांच के बाद मार्च-अप्रैल 2018 में 7 FIR भी दर्ज की गई। मार्च 2019 में नए सिरे से SIT बनाने की अनुमति मांगी गई, फिर 200 विजिलेंस कर्मियों ने 12 हजार 924 स्कूलों में प्रोफार्मा के जरिये डेटा मिलान किया। करनाल, पानीपत व जींद में 50 हजार 687 बच्चे नहीं मिले। करनाल में हुए 50 हजार फर्जी दाखिले
हरियाणा के प्राइमरी स्कूलों में 4 लाख फर्जी दाखिलों के मामले में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर CBI ने तीन FIR दर्ज की हैं। हरियाणा के विभिन्न जिलों के स्कूलों में फर्जी दाखिले दिखाकर सरकारी योजनाओं में करोड़ों का गबन किया जा रहा था। ये पूरा खेल “ड्रॉप आउट” या लंबे समय से गैर हाजिर छात्रों के नाम पर चल रहा था। विभिन्न जिलों में लाखों छात्र लंबे समय से स्कूल नहीं आ रहे थे। उनके नाम काट दिए गए और रिकार्ड गायब कर दिया गया। उनके नाम पर सरकारी लाभ लिए जा रहे थे। CBI से पहले हरियाणा राज्य विजिलेंस ब्यूरो ने मामले की जांच की थी। अकेले करनाल में ही 50 हजार से ज्यादा फर्जी एडमिशन पाए गए थे। गुरुग्राम, फरीदाबाद और हिसार में 9500 फर्जी दाखिले
वहीं गुरुग्राम, फरीदाबाद और हिसार जैसे जिलों में एक ही सत्र में 9500 के करीब फर्जी दाखिले हुए। जब विभाग के खिलाफ जांच हुई तो अफसरों ने इन छात्रों को ड्राप आउट (पढ़ाई छोड़ चुके छात्र) दिखाने की कोशिश की। इन जिलों में इस तरह मिली गड़बड़ी
गुरुग्राम: SIT ने गुरुग्राम, रेवाड़ी, मेवात व नारनौल के सरकारी मिडिल स्कूलों की जांच की। सत्र 2014-15 में 5298 छात्रों ने दाखिला लिया, लेकिन फाइनल परीक्षा देने 4232 ही पहुंचे। यहां 1066 को ड्रॉप आउट दिखाया गया। सत्र 2015-16 में इन्हीं 10 स्कूलों में 4812 छात्रों का दाखिला हुआ, जबकि फाइनल परीक्षा देने 3941 ही पहुंचे। 871 ड्रॉप आउट रहे। फरीदाबाद: 2014-15 में 2777 और 2015-16 में 2063 छात्र ड्रॉप आउट पाए गए। इनमें से विभाग के पास केवल 701 छात्रों का ही रिकार्ड सही मिला। करनाल: करनाल के साथ-साथ पानीपत और जींद के भी स्कूलों की जांच हुई। यहां वर्ष 2014 से 2016 के बीच 50687 ड्रॉप आउट छात्र पाए गए। अंबाला: यहां 16 स्कूलों की जांच हुई। छह स्कूलों में कोई छात्र ड्रॉप आउट नहीं मिला, लेकिन 10 स्कूलों में 48 छात्रों को ड्रॉप आउट दिखाया गया। मगर इसका रिकार्ड फर्जी पाया गया। कुरूक्षेत्र: यहां 52 स्कूलों की जांच हुई। इनमें 17 स्कूलों में कोई बच्चा ड्रॉप आउट नहीं था। 35 स्कूलों में 302 बच्चे लंबे समय से गैर हाजिर पाए गए। हिसार: हिसार के साथ-साथ सिरसा, फतेहाबाद और भिवानी के विभिन्न स्कूलों में 5735 छात्र ड्रॉप आउट पाए गए।