झज्जर के गांव मातनहैल के पास से गुजरने वाली नहर के पास एक युवक का शव मिलने का मामला सामने आया है। शव मिलने की सूचना स्थानीय पुलिस को दी गई और सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस भी मौके पर पहुंची और मृतक के शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए झज्जर के नागरिक अस्पताल में भिजवाया गया। मृतक की पहचान 32 वर्षीय वजीर पुत्र देवाराम निवासी डावोला जिला जींद के रूप में की गई है। मृतक शादीशुदा था जिसकी एक बेटी है। वब करीब 8 साल से सिंचाई विभाग में कौशल रोजगार के तहत बेलदार के पद पर खाचरोली माइनर पर कार्यरत था। झज्जर के साल्हावास थाने से आए जांच अधिकारी एचसी राजपाल ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि मातनहैल गांव के पास से गुजरने वाली नहर के पास एक युवक का शव मिला है। इस सूचना पर पुलिस टीम मौके पर पहुंची और मृतक के शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए झज्जर के नागरिक अस्पताल में भिजवाया गया पुलिस जांच में सामने आए हैं कि मृतक सिंचाई विभाग में बेलदार के पद पर कार्यरत था। फिलहाल पुलिस ने इस मामले में मृतक के भाई सुन्हेरा के बयान पर इत्तेफाकिया कार्रवाई करते हुए मृतक का नागरिक अस्पताल में पोस्टमॉर्टम कराए जाने के बाद शव परिजनों के हवाले कर दिया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। झज्जर के गांव मातनहैल के पास से गुजरने वाली नहर के पास एक युवक का शव मिलने का मामला सामने आया है। शव मिलने की सूचना स्थानीय पुलिस को दी गई और सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस भी मौके पर पहुंची और मृतक के शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए झज्जर के नागरिक अस्पताल में भिजवाया गया। मृतक की पहचान 32 वर्षीय वजीर पुत्र देवाराम निवासी डावोला जिला जींद के रूप में की गई है। मृतक शादीशुदा था जिसकी एक बेटी है। वब करीब 8 साल से सिंचाई विभाग में कौशल रोजगार के तहत बेलदार के पद पर खाचरोली माइनर पर कार्यरत था। झज्जर के साल्हावास थाने से आए जांच अधिकारी एचसी राजपाल ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि मातनहैल गांव के पास से गुजरने वाली नहर के पास एक युवक का शव मिला है। इस सूचना पर पुलिस टीम मौके पर पहुंची और मृतक के शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए झज्जर के नागरिक अस्पताल में भिजवाया गया पुलिस जांच में सामने आए हैं कि मृतक सिंचाई विभाग में बेलदार के पद पर कार्यरत था। फिलहाल पुलिस ने इस मामले में मृतक के भाई सुन्हेरा के बयान पर इत्तेफाकिया कार्रवाई करते हुए मृतक का नागरिक अस्पताल में पोस्टमॉर्टम कराए जाने के बाद शव परिजनों के हवाले कर दिया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में इनेलो के ‘चश्मे’ पर JJP की नजर:दुष्यंत चौटाला बोले- इस बार भी 6% वोट नहीं मिले तो सिंबल फ्रीज होगा, हम दावा करेंगे
हरियाणा में इनेलो के ‘चश्मे’ पर JJP की नजर:दुष्यंत चौटाला बोले- इस बार भी 6% वोट नहीं मिले तो सिंबल फ्रीज होगा, हम दावा करेंगे हरियाणा में राजनीतिक दिग्गज चौटाला परिवार में इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) यानी इनेलो पर अधिकार की लड़ाई शुरू होने वाली है। इसके संकेत इनेलो से निकाले गए पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला ने दिए हैं। जो अभी जननायक जनता पार्टी (JJP) के वरिष्ठ नेता हैं। दुष्यंत ने कहा-” चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार 2 लोकसभा इलेक्शन में 6% से ज्यादा वोट शेयर की जरूरत होती है। मगर, इनेलो के 2019 लोकसभा चुनाव में 2 प्रतिशत के लगभग वोट आए थे। दुष्यंत ने कहा कि इस चुनाव में भी इनेलो के वोट शेयर 2 प्रतिशत तक ही रह सकते हैं। ऐसे में इनेलो का सिंबल छिन सकता है।” अगर अगर इनेलो का सिंबल चश्मा चुनाव आयोग छीनता है तो जजपा इस पर दावा ठोक सकती है। ऐसे समझें इनेलो से सिंबल छिनने के खतरे का गणित…
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार किसी भी पार्टी को लगातार 2 चुनाव (लोकसभा व विधानसभा) में निर्धारित वोट नहीं मिलते हैं तो स्टेट पार्टी का दर्जा छिन जाता है। लोकसभा चुनाव में 6% वोट और एक सीट या 8% वोट की जरूरत होती है। विधानसभा में 6% वोट और 2 सीटें होनी चाहिए। नियम के अनुसार, अगर लगातार 2 चुनाव (2 लोस व 2 विस) में ये सब नहीं होता है तो पार्टी का चुनाव चिह्न भी छिन सकता है। इनेलो ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 1.89% और विधानसभा चुनाव में 2.44% ही वोट हासिल किए थे। इसके अलावा 2019 के चुनाव भाजपा की लहर ने हरियाणा में सभी दलों का सूपड़ा साफ कर दिया। 10 की 10 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी विजयी हुए। इस चुनाव में इनेलो को एक भी सीट नहीं मिली। इसके बाद विधानसभा चुनाव हुआ। इस चुनाव में इनेलो के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन यहां भी निराशा हाथ लगी। अभय चौटाला के अलावा सभी प्रत्याशी हार गए। इस बार भी कम से कम 6% वोट और एक सीट या 8% वोट नहीं मिले तो स्टेट पार्टी का दर्जा व चश्मे का चुनाव निशान तक छिन सकता है। हरियाणा में मुश्किल में चौटाला परिवार की दोनों पार्टियां…. इनेलो के आगे अस्तित्व बचाने की लड़ाई कभी हरियाणा की राजनीति की दशा-दिशा तय करने वाली इनेलो के लिए अब अस्तित्व बचाने की चुनौती है। इनेलो के लिए चश्मा चुनाव चिन्ह बचाना ही मुश्किल हो रहा है। जिसके लिए उन्हें इस बार 6% मत हासिल करना इसलिए जरूरी है। 4 महीने बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में सिंबल छिन गया तो इनेलो के लिए मुश्किल हो सकती है। इसी वजह से अभय चौटाला खुद कुरूक्षेत्र से चुनाव लड़ रहे जबकि परिवार की दूसरी सदस्य सुनैना चौटाला को हिसार से चुनाव लड़ाया गया है। इनेलो ने 5 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें अंबाला, कुरुक्षेत्र, सिरसा, हिसार की सीटें शामिल हैं, जबकि करनाल में एनसीपी के वीरेंद्र मराठा को इनेलो ने अपना समर्थन दे रखा है सरकार से साथ टूटने पर बगावत से जूझती जजपा
वहीं दूसरी तरफ जजपा साढ़े 4 साल सत्ता का सुख लेने के बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अलग हो गई। इसके बाद जजपा में ही बगावत शुरू हो गई। जजपा के 10 में से 5 विधायक बागी हो गए।इनमें से विधायक जोगीराम सिहाग ने खुलकर भाजपा की समर्थन किया। रामकुमार गौतम ने देशहित के बहाने भाजपा के समर्थन की बात की। देवेंद्र बबली ने इशारों में कांग्रेस को समर्थन का ऐलान किया। बाकी बचे रामनिवास सुरजाखेड़ा और ईश्वर सिंह ने सीधे किसी का समर्थन नहीं किया लेकिन पार्टी के प्रति बागी तेवर बरकरार हैं। इनमें से विधायक सुरजाखेड़ा और सिहाग की तो विधानसभा सदस्यता भंग करने के लिए भी जजपा ने स्पीकर को चिट्ठी लिख दी है। जजपा नेतृत्व के साथ 5 विधायक, जिनमें खुद दुष्यंत चौटाला, उनकी मां नैना चौटाला, अनूप धानक, रामकरण काला और अमरजीत ढांडा हैं। इस बार जजपा प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। दुष्यंत की मां नैना चौटाला हिसार से उम्मीदवार है। कैसे मिलता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
दरअसल इसके लिए केंद्रीय चुनाव आयोग के नियम 1968 का पालन किया जाता है। जिसके मुताबिक किसी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए 4 या उससे ज्यादा राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव लड़ना होता है। इसके साथ ही इन चुनावों में उस पार्टी को कम से कम 6 प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं। परिवार में आपसी कलह से टूटी थी इनेलो
2018 में पारिवार में आपसी कलह के चलते इनेलो में बड़ी टूट हुई थी। अभय चौटाला के भाई अजय चौटाला ने अपने बेटों दुष्यंत और दिग्विजय के अलावा कई अन्य नेताओं के साथ पार्टी को अलविदा कह दिया। इसके बाद हरियाणा में जन नायक जनता पार्टी यानि जजपा का गठन हुआ। अब स्थिति ये है कि हरियाणा में न इनेलो का व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है और न ही जजपा का। जजपा और इनेलो में फूट का सबसे ज्यादा फायदा राष्ट्रीय पार्टी भाजपा और कांग्रेस को हुआ है। 2019 विधानसभा चुनाव में जजपा ने जीती थी 10 सीटें
इनेलो टूटने के बाद बनी जजपा ने पहली बार 2019 में विधानसभा लड़ा था। जजपा ने प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में जजपा ने 10 सीटें जीते थी। हिसार के सांसद रहे दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व में यह चुनाव लड़ा गया था। इस चुनाव में उचाना, बाढड़ा, टोहाना, बरवाला, नारनौंद, जुलाना, गुहला, उकलाना, नरवाना और शाहबाद विधानसभा सीटें जीते थीं। 10 विधायक चुने जाने के बाद जजपा ने भाजपा को समर्थन देकर हरियाणा में 2019 में नई सरकार का गठन किया था। नई सरकार में दुष्यंत चौटाला को भाजपा ने डिप्टी सीएम बनाया था।
नारनौल की बेटी ने IJSO में जीता गोल्ड:गांव पहुंचने पर हुआ स्वागत; रोमानिया में हुई प्रतियोगिता, 52 देशों के स्टूडेंट्स हुए शामिल
नारनौल की बेटी ने IJSO में जीता गोल्ड:गांव पहुंचने पर हुआ स्वागत; रोमानिया में हुई प्रतियोगिता, 52 देशों के स्टूडेंट्स हुए शामिल हरियाणा के नारनौल में मंडी अटेली की बेटी भव्या गुणवाल ने रोमानिया में आयोजित इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड (IJSO) में गोल्ड मेडल जीता है। गांव पहुंचे पर लोगों ने भव्या गुणवाल स्वागत किया। 15 वर्षीय भव्या गुणवाल ने विज्ञान और गणित में अपनी गहरी समझ और कठोर परिश्रम से यह बड़ी उपलब्धि हासिल की। डॉक्टर अनिल ने कहा कि भव्या ने बचपन से ही विज्ञान में रुचि दिखाई और अपनी लगन से यह मुकाम हासिल किया। उनकी मां डॉक्टर सुमन ने इस जीत को पूरे देश के लिए प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि भव्या की यह जीत केवल उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो बड़े सपने देखते हैं। 52 देशों के विद्यार्थियों ने लिया हिस्सा रोमानिया में आयोजित इस प्रतियोगिता में 52 देशों के 12-15 आयु वर्ग के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता में भारत से 6 विद्यार्थियों की टीम शामिल हुई। चीन को हराकर भारत ने यह जीत हासिल की है। IJSO में पहली बार भारतीय टीम ने चीन को हराकर गोल्ड पदक जीता है। यह न केवल भारतीय टीम की मेहनत का प्रमाण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत का शिक्षा और विज्ञान क्षेत्र कितनी तेजी से प्रगति कर रहा है। क्या है IJSO की महत्ता IJSO एक अंतरराष्ट्रीय मंच है, जहां छात्र विज्ञान, गणित और प्रौद्योगिकी में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करते हैं। इस बार प्रतियोगिता का आयोजन रोमानिया में हुआ। जिसमें भारतीय टीम ने न केवल भाग लिया, बल्कि अपनी प्रतिभा से सभी का दिल जीत लिया।
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