भास्कर न्यूज | झज्जर बीते 52 सालों में झज्जर सीट से यहां की जनता ने तीन महिलाओं को विधायक बनाकर चंडीगढ़ भेजा है। गीता भुक्कल लगातार तीन बार विधायक के रूप में उभर कर आईं हैं। इस बार भी 2024 के चुनाव में 12 प्रत्याशियों में से गीता भुक्कल को छोड़कर किसी भी महिला ने झज्जर सीट से नामांकन नहीं भरा है, जबकि एक महिला विधायक निर्दलीय के तौर पर झज्जर से चुनी गई है। झज्जर की सीट 1982 से आरक्षित घोषित हो गई थी तब से लेकर आज तक दलित समाज के विधायक बनते आए हैं जबकि 1972 और 1977 के विधानसभा चुनाव में यहां जाट जाति के विधायक चुने गए थे। 1972 में सबसे पहले मांगेराम नेशनल कांग्रेस की टिकट पर झज्जर के पहले विधायक बने थे इसके बाद मांगेराम 1977 में जनता पार्टी के विधायक बने। झज्जर सीट से कांग्रेस की ओर से 2009 से 2019 तक गीता भुक्कल यहां से िवजय रही। अब तक ये बने विधायक 1.2019 गीता भुक्कल कांग्रेस 2. 2014 गीता भुक्कल कांग्रेस 3. 2009 गीता भुक्कल कांग्रेस 4. 2005 हरिराम कांग्रेस 5. 2000 दरियाब सिंह निर्दलीय 6. 1996 रामप्रकाश दहिया हविपा 7.1996 कांता देवी हविपा 8.1991 दरियाव सिंह जनता पार्टी 9.1987 मेधावी कीर्ति निर्दलीय 10.1982 बनारसी दास लोकदल 11.1977 मांगेराम जनता पार्टी 12.1972 मनफूल सिंह नेशनल कांग्रेस पिता के निधन के बाद बेटी बनीं थीं झज्जर की विधायक झज्जर सीट चुने गए विधायक के निधन के बाद परिवार के सदस्य के बाई इलेक्शन में विधायक बनने की भी अपवाद के रूप में झज्जर सीट जानी जाती है। इस सीट से 1996 में हरियाणा विकास पार्टी की ओर से राम प्रकाश दहिया विधायक बने थे उन्हें 22286 वोट मिले। वे चंडीगढ़ में शपथ ग्रहण करने के लिए जा रहे थे कि रास्ते में एक्सीडेंट से उनकी मौत होने पर उनकी बेटी कांता देवी बाय इलेक्शन में झज्जर की विधायक बनी और हविपा की सरकार बनने पर पार्टी ने उनके पिता की मौत को शोक में मंत्री का पद भी दिया। झज्जर सीट से बीते 52 सालों में एकमात्र निर्दलीय विधायक 1987 में मेधावी कीर्ति निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनी गई। उन्हें 26518 वोट मिले थे। तब उस समय यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री और उप प्रधानमंत्री देवीलाल के प्रभाव वाली हुआ करती थी। एक नेता के द्वारा देवीलाल से बगावत करने से देवीलाल इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने बाबू जगजीवन राम की पोती को दिल्ली से रातों-रात बुलाकर टिकट दिया और चुनाव प्रचार किए बिना ही उन्हें जीत मिल गई उसके बाद से कोई भी महिला यहां निर्दलीय नहीं चुनी गई। भास्कर न्यूज | झज्जर बीते 52 सालों में झज्जर सीट से यहां की जनता ने तीन महिलाओं को विधायक बनाकर चंडीगढ़ भेजा है। गीता भुक्कल लगातार तीन बार विधायक के रूप में उभर कर आईं हैं। इस बार भी 2024 के चुनाव में 12 प्रत्याशियों में से गीता भुक्कल को छोड़कर किसी भी महिला ने झज्जर सीट से नामांकन नहीं भरा है, जबकि एक महिला विधायक निर्दलीय के तौर पर झज्जर से चुनी गई है। झज्जर की सीट 1982 से आरक्षित घोषित हो गई थी तब से लेकर आज तक दलित समाज के विधायक बनते आए हैं जबकि 1972 और 1977 के विधानसभा चुनाव में यहां जाट जाति के विधायक चुने गए थे। 1972 में सबसे पहले मांगेराम नेशनल कांग्रेस की टिकट पर झज्जर के पहले विधायक बने थे इसके बाद मांगेराम 1977 में जनता पार्टी के विधायक बने। झज्जर सीट से कांग्रेस की ओर से 2009 से 2019 तक गीता भुक्कल यहां से िवजय रही। अब तक ये बने विधायक 1.2019 गीता भुक्कल कांग्रेस 2. 2014 गीता भुक्कल कांग्रेस 3. 2009 गीता भुक्कल कांग्रेस 4. 2005 हरिराम कांग्रेस 5. 2000 दरियाब सिंह निर्दलीय 6. 1996 रामप्रकाश दहिया हविपा 7.1996 कांता देवी हविपा 8.1991 दरियाव सिंह जनता पार्टी 9.1987 मेधावी कीर्ति निर्दलीय 10.1982 बनारसी दास लोकदल 11.1977 मांगेराम जनता पार्टी 12.1972 मनफूल सिंह नेशनल कांग्रेस पिता के निधन के बाद बेटी बनीं थीं झज्जर की विधायक झज्जर सीट चुने गए विधायक के निधन के बाद परिवार के सदस्य के बाई इलेक्शन में विधायक बनने की भी अपवाद के रूप में झज्जर सीट जानी जाती है। इस सीट से 1996 में हरियाणा विकास पार्टी की ओर से राम प्रकाश दहिया विधायक बने थे उन्हें 22286 वोट मिले। वे चंडीगढ़ में शपथ ग्रहण करने के लिए जा रहे थे कि रास्ते में एक्सीडेंट से उनकी मौत होने पर उनकी बेटी कांता देवी बाय इलेक्शन में झज्जर की विधायक बनी और हविपा की सरकार बनने पर पार्टी ने उनके पिता की मौत को शोक में मंत्री का पद भी दिया। झज्जर सीट से बीते 52 सालों में एकमात्र निर्दलीय विधायक 1987 में मेधावी कीर्ति निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनी गई। उन्हें 26518 वोट मिले थे। तब उस समय यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री और उप प्रधानमंत्री देवीलाल के प्रभाव वाली हुआ करती थी। एक नेता के द्वारा देवीलाल से बगावत करने से देवीलाल इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने बाबू जगजीवन राम की पोती को दिल्ली से रातों-रात बुलाकर टिकट दिया और चुनाव प्रचार किए बिना ही उन्हें जीत मिल गई उसके बाद से कोई भी महिला यहां निर्दलीय नहीं चुनी गई। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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रेवाड़ी के शिव मंदिर में चोरी:खेत में पड़ा मिला टूटा हुआ दानपात्र, 40 हजार रुपए से अधिक नकदी गायब
रेवाड़ी के शिव मंदिर में चोरी:खेत में पड़ा मिला टूटा हुआ दानपात्र, 40 हजार रुपए से अधिक नकदी गायब हरियाणा के रेवाड़ी जिले के गांव गढ़ी अलावलपुर स्थित शिव मंदिर में चोरी हो गई। चोर मंदिर का दानपात्र चुरा ले गए, जिसमें करीब 40 हजार रुपये नकद थे। सुबह जब ग्रामीणों को चोरी का पता चला तो उन्होंने आसपास तलाश की। इस दौरान खेत से टूटा हुआ दानपात्र बरामद हुआ। प्राप्त जानकारी के अनुसार गांव गढ़ी अलावलपुर निवासी आजाद सिंह ने सेक्टर-6 थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। वह अपने गांव के शिव मंदिर की कमेटी में कैशियर का काम करता है। बीती रात उसके मंदिर में चोरी हो गई। सुबह जब श्रद्धालु पूजा करने मंदिर पहुंचे तो दानपात्र गायब मिला। खेत में पड़ा मिला दानपात्र इसकी सूचना तुरंत मंदिर कमेटी को दी गई। सूचना के बाद कमेटी सदस्यों के अलावा ग्रामीण भी मंदिर में एकत्रित हो गए। आसपास के क्षेत्र में तलाश की गई। तभी एक खेत में खाली टूटा हुआ दानपात्र पड़ा मिला। इससे आशंका जताई जा रही है कि चोर दानपात्र चुराकर यहां से नकदी निकाल ले गए। आजाद सिंह के अनुसार वह हर साल जन्माष्टमी पर दानपात्र खोलते हैं। चोरी का मामला दर्ज इस तरह करीब 40 हजार रुपये नकद मिले। दानपात्र में अभी भी करीब 40 हजार रुपये नकद थे। सूचना के बाद सेक्टर-6 थाना पुलिस मौके पर पहुंची और चोरी का मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

हरियाणा में सो रहे परिवार पर छत गिरी:5 लोग घायल; पड़ोसियों ने अस्पताल पहुंचाया, बेटी की शादी में मरम्मत कराई थी
हरियाणा में सो रहे परिवार पर छत गिरी:5 लोग घायल; पड़ोसियों ने अस्पताल पहुंचाया, बेटी की शादी में मरम्मत कराई थी हरियाणा के पानीपत में एक घर में सो रहे परिवार पर छत गिर गई। इसके नीचे 5 लोग दब गए। छत गिरने की आवाज सुनकर स्थानीय लोग भी जाग गए। छत के मलबे के नीचे दबे सदस्यों ने चीखना-चिल्लाना शुरू कर दिया। लोगों ने बचाव कार्य शुरू किया और समय रहते सभी को मलबे के नीचे से बाहर निकाला। घायलों को तुरंत सिविल अस्पताल ले जाया गया। जहां उनका इलाज चल रहा है। एक महीने पहले मेरी बेटी की शादी हुई थी। जिसके लिए घर की मरम्मत करवाई गई थी। घायलों की पहचान सुषमा (45), सुमन (38), नीरज (19), स्वाति (21) के रूप में हुई है और हादसे में मौसेरी बहन की बेटी माफी (13) भी घायल हो गई। जो अपने रिश्तेदारों से मिलने आए थी। मां-बेटे को चार-चार टांके लगे
हादसे में दौरान सुषमा के सिर में चोट आई। उसे चार टांके लगे। नीरज के सिर में चोट आई। उसे भी चार टांके लगे। सुमन के सिर में अंदरूनी चोट आई। माफ़ी के पैर में चोट आई। स्वाति भी घायल हो गई। मकान करीब 40 साल पुराना
परिवार के सदस्य सुरजीत ने बताया कि यह मकान करीब 40 साल पुराना है। मकान मालिक संजय पेशे से किसान है। बीती रात हुए हादसे की वजह छत पर लगा लोहे का गाटर दीवार में अपनी जगह से बाहर निकल आना था। संजय की साली की बेटी माफ़ी (13) सर्दियों की छुट्टियों में कैथल से घर आई हुई है। वह 10वीं की छात्रा है। शादी में न हो हादसा, इसलिए पहले करवाई थी रिपेयरिंग
घर के बुजुर्ग महाबीर ने बताया कि बेटा नीरज, उसकी मां और उसकी तीन बहनें कमरे में सो रही थीं। अचानक छत गिर गई। पड़ोसियों ने आकर परिवार के सदस्यों को बाहर निकालने में मदद की। जैसे ही सभी को बाहर निकाला गया, तुरंत सभी को सिविल अस्पताल ले जाया गया। महाबीर ने बताया कि एक महीने पहले घर में उनकी बेटी की शादी थी। उस दौरान इस छत समेत घर के कई हिस्सों की मरम्मत करवाई गई थी। शादी के दौरान छत या घर का कोई हिस्सा गिरने की आशंका के चलते मरम्मत करवाई गई थी। लेकिन इस बात का अहसास नहीं हुआ कि छत की पूरी तरह से मरम्मत नहीं हुई थी। दोबारा उसी मकान में सोने को मजबूर
मकान मालिक संजय ने बताया कि उसकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है। घर में 6 सदस्य हैं। वह अपनी खेतीबाड़ी से उनका भरण-पोषण कर रहा है। अब भले ही घर की छत गिर गई हो, लेकिन हालत ऐसी है कि वह फिर से उसी घर में सोने को मजबूर है। क्योंकि उसने हाल ही में अपनी बेटी की शादी की है, इसलिए हालत ऐसी नहीं है कि वह अपना घर दोबारा बना सके। संजय ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि उसकी और उसके परिवार की मदद की जाए।

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कैथल में तीन युवकों की सड़क हादसे में मौत:फौजी दोस्त को छोड़ने जा रहे थे चंडीगढ़, स्कॉर्पियो गाड़ी की ट्रक से टक्कर हरियाणा के कैथल जिला में अपने गांव सतनाली जिला महेंद्रगढ़ से अपने दोस्त फौजी परमिंद्र को चंडीगढ़ छोड़ने जा रहे थे, तभी रात करीब 2 बजे कैथल के गांव करोड़ा के पास निकल रहे नेशनल हाईवे 152-डी पर उनकी स्कार्पियो गाड़ी की ट्रक के साथ टक्कर लगी और तीनों के मौके पर ही मौत होगी। मरने वालों में 35 वर्षीय कृष्ण, 25 वर्षीय सुदीप और 32 वर्षीय परविंद्र फौजी है। बारिश में धीरे-धीरे चल रहा था ट्रक जांच अधिकारी रामवीर शर्मा ने बताया कि परविंदर युवक भारतीय सेवा में लगा हुआ था, जो अपने घर छुट्टी पर आया हुआ था। वीरवार देर रात अपने दोस्तों के साथ स्कार्पियो गाड़ी में चंडीगढ़ की तरफ जा रहे थे। तेज बारिश के कारण रास्ते में एक ट्रक धीरे-धीरे चल रहा था, तभी अचानक उनकी गाड़ी की टक्कर हाईवे पर चल रहे ट्रक से हो गई और मौके पर ही तीनों युवकों को मौत हो गई। फिलहाल तीनों युवकों के शव को जिला नागरिक अस्पताल लाया गया है। वहीं मामले की जानकारी पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को सूचित करते हुए अपनी आगामी कार्रवाई को शुरू कर दिया है। (देखिये घटना से संबंधित कुछ फोटो)