झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शिशु वार्ड (SNCU) में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई। एनआईसीयू वार्ड की खिड़की तोड़कर 37 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया, वहीं हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई। घटना के बाद मेडिकल कॉलेज में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। जिलाधिकारी समेत सभी प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। घटना रात करीब साढ़े 10 बजे की है। आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। सीएम योगी ने हादसे पर संज्ञान लिया। सीएम योगी ने कमिश्नर और DIG को 12 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने के आदेश दिए। यूपी के डिप्टी सीएम और हेल्थ मिनिस्टर ब्रजेश पाठक झांसी के लिए रवाना हो गए हैं। उनके साथ स्वास्थ्य सचिव भी मौजूद हैं। घटना की 4 तस्वीरें… डीएम ने कहा- अंदर फंसे बच्चों को नहीं बचाया जा सका
डीएम अविनाश कुमार ने कहा;- बाहर की तरफ जो बच्चे थे, वो बचा लिए गए हैं। अंदर की तरफ जो बच्चे थे, वो काफी झुलस गए हैं। 10 बच्चों की मौत हो गई है। शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। जितने बच्चे घायल हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। घटना 10.30 बजे से 10.45 के बीच की है। एक जांच टीम बना दी गई है। जो इसकी रिपोर्ट देगी। कमिश्नर बोले- अंदर की तरफ से लगी आग
कमिश्नर विमल दुबे ने बताया कि अधिकांश बच्चों को बचा लिया गया है। एनआईसीयू वार्ड की दो यूनिट हैं, एक अंदर और दूसरी बाहर की तरफ। आग अंदर की ओर से लगी है। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि सिलेंडर ब्लास्ट के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया। कुछ देर तक समझ नहीं आया कि क्या हुआ। लेकिन अस्पताल कर्मचारियों ने जब एसएनसीयू वार्ड से धुंआ निकलते देखा तो वहां अफरा-तफरी मच गई। अस्पताल के कर्मचारी शिशु वार्ड की तरफ भागे। रोते-बिलखते बच्चों के परिजन भी उनके पीछे-पीछे भागे। हालांकि, आग की लपटों और धुएं की वजह से कोई वार्ड में नहीं घुस पाया। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड और पुलिस टीम ने खिड़की का शीशा तोड़कर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। आग लगने के बाद भी नहीं बजा सेफ्टी अलार्म
दमकल कर्मी मुंह पर रुमाल बांधकर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे रहे। वार्ड में आग लगने के बावजूद सेफ्टी अलार्म नहीं बजा। अगर समय से सेफ्टी अलार्म बज जाता तो इतनी बड़ी घटना होने से रोकी जा सकती थी। झांसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) सचिन माहोर ने कहा, ‘NICU वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे, अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई, आग बुझाने की कोशिश की गई, लेकिन आग तुरंत फैल गई थी। 10 बच्चों की अभी तक मृत्यु हो गई है, बाकी बच्चों का इलाज चल रहा है।’ झांसी हादसे की 3 बड़ी लापरवाही परिजनों ने क्या कुछ बताया… परिजन बोले- डॉक्टर की कमी से बच्चे की मौत रोते-बिलखते एक बदहवास दंपती ने कहा- 9 तारीख से मेरा बच्चा भर्ती था, डॉक्टर की कमी से मेरे बच्चे की मौत हो गई। मेरा बच्चा यहीं जन्मा, जिसे ऑक्सीजन में रखा गया था। मेरा बच्चा नहीं मिला। कम से कम 50 बच्चे भर्ती थे, आधे बचे-आधे मर गए हैं। अचानक हल्ला मचा…बच्चा बचाओ, कोई कुछ बचा नहीं सका संतरा ने कहा- मेरे बेटे राज किशन सविता का बेटा हुआ था। वह वार्ड में भर्ती था। हम दवा लेने गए थे। तभी आग लग गई। हम उसे उठा नहीं पाए। सभी लोग चिल्लाने लगे आग लग गई, आग लग गई। हम अंदर नहीं जा पाए। हमारा बच्चा हमें नहीं मिल पाया है। डॉक्टर अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। आग लगने ही डॉक्टर भाग गए महोबा के परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल के डॉक्टर भाग गए। अगर ऐसा नहीं होता तो डॉक्टर या नर्स भी मरने चाहिए थे। 10-12 बच्चे हमें खुद जले हुए देखे। हम तो अस्पताल के ही बाहर थे, धुआं देखकर आग का पता चला। ये आग कैसे लगी, ये हमें नहीं पता। ————————- हादसे से जुड़ी ये भी एक खबर पढ़ें: मऊ में हादसे के बाद बवाल और लाठीचार्ज:भीड़ ने अस्पताल पर पथराव किया, पुलिस जीप तोड़ी; सीओ-कोतवाल घायल मऊ के घोसी में शुक्रवार देर शाम बवाल हो गया। दो बाइकों की आपस में भिड़ंत हो गई। हादसे के बाद दोनों बाइक सवार युवक एक-दूसरे को पीटने लगे। चाकू से हमला करते हुए एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन गए। पुलिस ने बीच-बचाव कराते हुए दोनों घायलों को अस्पताल पहुंचाया…(पढ़ें पूरी खबर) झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शिशु वार्ड (SNCU) में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई। एनआईसीयू वार्ड की खिड़की तोड़कर 37 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया, वहीं हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई। घटना के बाद मेडिकल कॉलेज में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। जिलाधिकारी समेत सभी प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। घटना रात करीब साढ़े 10 बजे की है। आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। सीएम योगी ने हादसे पर संज्ञान लिया। सीएम योगी ने कमिश्नर और DIG को 12 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने के आदेश दिए। यूपी के डिप्टी सीएम और हेल्थ मिनिस्टर ब्रजेश पाठक झांसी के लिए रवाना हो गए हैं। उनके साथ स्वास्थ्य सचिव भी मौजूद हैं। घटना की 4 तस्वीरें… डीएम ने कहा- अंदर फंसे बच्चों को नहीं बचाया जा सका
डीएम अविनाश कुमार ने कहा;- बाहर की तरफ जो बच्चे थे, वो बचा लिए गए हैं। अंदर की तरफ जो बच्चे थे, वो काफी झुलस गए हैं। 10 बच्चों की मौत हो गई है। शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। जितने बच्चे घायल हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। घटना 10.30 बजे से 10.45 के बीच की है। एक जांच टीम बना दी गई है। जो इसकी रिपोर्ट देगी। कमिश्नर बोले- अंदर की तरफ से लगी आग
कमिश्नर विमल दुबे ने बताया कि अधिकांश बच्चों को बचा लिया गया है। एनआईसीयू वार्ड की दो यूनिट हैं, एक अंदर और दूसरी बाहर की तरफ। आग अंदर की ओर से लगी है। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि सिलेंडर ब्लास्ट के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया। कुछ देर तक समझ नहीं आया कि क्या हुआ। लेकिन अस्पताल कर्मचारियों ने जब एसएनसीयू वार्ड से धुंआ निकलते देखा तो वहां अफरा-तफरी मच गई। अस्पताल के कर्मचारी शिशु वार्ड की तरफ भागे। रोते-बिलखते बच्चों के परिजन भी उनके पीछे-पीछे भागे। हालांकि, आग की लपटों और धुएं की वजह से कोई वार्ड में नहीं घुस पाया। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड और पुलिस टीम ने खिड़की का शीशा तोड़कर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। आग लगने के बाद भी नहीं बजा सेफ्टी अलार्म
दमकल कर्मी मुंह पर रुमाल बांधकर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे रहे। वार्ड में आग लगने के बावजूद सेफ्टी अलार्म नहीं बजा। अगर समय से सेफ्टी अलार्म बज जाता तो इतनी बड़ी घटना होने से रोकी जा सकती थी। झांसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) सचिन माहोर ने कहा, ‘NICU वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे, अचानक से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई, आग बुझाने की कोशिश की गई, लेकिन आग तुरंत फैल गई थी। 10 बच्चों की अभी तक मृत्यु हो गई है, बाकी बच्चों का इलाज चल रहा है।’ झांसी हादसे की 3 बड़ी लापरवाही परिजनों ने क्या कुछ बताया… परिजन बोले- डॉक्टर की कमी से बच्चे की मौत रोते-बिलखते एक बदहवास दंपती ने कहा- 9 तारीख से मेरा बच्चा भर्ती था, डॉक्टर की कमी से मेरे बच्चे की मौत हो गई। मेरा बच्चा यहीं जन्मा, जिसे ऑक्सीजन में रखा गया था। मेरा बच्चा नहीं मिला। कम से कम 50 बच्चे भर्ती थे, आधे बचे-आधे मर गए हैं। अचानक हल्ला मचा…बच्चा बचाओ, कोई कुछ बचा नहीं सका संतरा ने कहा- मेरे बेटे राज किशन सविता का बेटा हुआ था। वह वार्ड में भर्ती था। हम दवा लेने गए थे। तभी आग लग गई। हम उसे उठा नहीं पाए। सभी लोग चिल्लाने लगे आग लग गई, आग लग गई। हम अंदर नहीं जा पाए। हमारा बच्चा हमें नहीं मिल पाया है। डॉक्टर अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। आग लगने ही डॉक्टर भाग गए महोबा के परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल के डॉक्टर भाग गए। अगर ऐसा नहीं होता तो डॉक्टर या नर्स भी मरने चाहिए थे। 10-12 बच्चे हमें खुद जले हुए देखे। हम तो अस्पताल के ही बाहर थे, धुआं देखकर आग का पता चला। ये आग कैसे लगी, ये हमें नहीं पता। ————————- हादसे से जुड़ी ये भी एक खबर पढ़ें: मऊ में हादसे के बाद बवाल और लाठीचार्ज:भीड़ ने अस्पताल पर पथराव किया, पुलिस जीप तोड़ी; सीओ-कोतवाल घायल मऊ के घोसी में शुक्रवार देर शाम बवाल हो गया। दो बाइकों की आपस में भिड़ंत हो गई। हादसे के बाद दोनों बाइक सवार युवक एक-दूसरे को पीटने लगे। चाकू से हमला करते हुए एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन गए। पुलिस ने बीच-बचाव कराते हुए दोनों घायलों को अस्पताल पहुंचाया…(पढ़ें पूरी खबर) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर