पापा मेरे लिए रिश्ता देखने जाने वाले थे। उन्होंने कहा कि आज खेत में पानी लगा लेते हैं। उसके बाद रिश्ता देखने जाएंगे। वह खेत की सिंचाई कर रहे थे, भाई भी उनके साथ था, लेकिन वह शाम को घर आ गया। इसके बाद पापा को बाघ खा गया। जब हम लोग पहुंचे, तो देखा बाघ हमारे पापा को खा रहा था। लोगों ने शोर मचाया, तो बाघ तो भाग गया। लेकिन पापा की मौत हो चुकी थी। यह बताते हुए मृतक राम प्रसाद की बेटी रोने लगती है और रोत-रोते बेहोश हो जाती है। दैनिक भास्कर की टीम पीलीभीत से 60 किमी दूर चतीपुर गांव पहुंची। यहां बाघ के हमले से मारे गए राम प्रसाद के परिवार से बातचीत की। गांव के लोगों से हालचाल जाना। इसके बाद टीम पड़ोसी गांव नजीरगंज पहुंची, जहां 14 मई को एक और किसान हंसराज को बाघ ने मार डाला था। उनके परिवार से बातचीत की। दोनों गांवों में दहशत का माहौल है। लोग झुंड में खेत जाते हैं। मजदूर भी नहीं मिल रहे। जो मिलते हैं, वो ज्यादा पैसे मांगते हैं। अंधेरा होते ही लोग अपने घरों में कैद हो जाते हैं। खेतों की ओर नहीं जाते। 6 महीने से टाइगर गांव के आस-पास घूम रहा है। वन विभाग कुछ नहीं कर रहा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 18 मई, चतीपुर गांव भास्कर की टीम सबसे पहले राम प्रसाद के घर पहुंची। उनके परिवार से बातचीत की। पहले पढ़िए बेटी ने क्या कहा…
राम प्रसाद की बेटी क्रांति ने बताया- मेरी शादी के लिए रिश्ता देखने की तैयारी चल रही थी। मेरे पापा आज रिश्ता देखने जाने वाले थे। उसके पहले वह पानी लगाने खेत चले गए। वहां बाघ की आवाजाही थी। हम लोगों ने मना किया था, लेकिन वह नहीं माने। बड़े भाई अरुण भी उनके साथ गए थे। गांव से खेत 2 किमी दूर है। पूरे दिन अरुण उनके साथ रहा। शाम को कुछ काम से वह घर आ गया था। तभी खबर मिली कि बाघ का हमला हो गया है। हम लोग भागते हुए खेत पहुंचे, तो बाघ पापा को खा रहा था। लोगों ने शोर मचाया। बाघ तो भाग गया, लेकिन तब तक पापा की मौत हो चुकी थी। वन विभाग के अधिकारी सूचना देने के बाद भी 6 घंटे तक मौके पर नहीं आए। अगर समय रहते कोई ठोस कदम उठाया गया होता, तो शायद हमला न होता और मेरे पिता जिंदा होते। यह कहते-कहते क्रांति बदहवास हो गई। भतीजे ने कहा- अचानक सुनाई दी चीखें
मृतक राम प्रसाद के भतीजे रामनिवास ने बताया- मैं अपने चाचा के साथ 18 मई को खेत में पानी लगा रहा था। गांव से करीब 2 किलोमीटर दूर हमारे खेत हैं। यह जंगल से करीब 1 किलोमीटर दूर है। इस दौरान अचानक चाचा के चीखने की आवाज सुनाई दी। जब हम उनकी ओर दौड़े तो देखा कि बाघ उन्हें खींचकर झाड़ियों में ले जा रहा था। मैंने शोर मचाना शुरू किया तो आसपास के लोग भी आ गए। इस दौरान कुछ लोग ट्रैक्टर लेकर आए। बाघ का पीछा किया तो वह डेडबॉडी को छोड़कर भाग गया। गांव के बाहर स्थित नहर पर करीब 6 महीने से टाइगर की मौजूदगी है। शाहजहांपुर जनपद की खुटार वन रेंज घटनास्थल पर लगती है। वन विभाग के अधिकारियों को कई बार मामले की सूचना दी गई, लेकिन कोई देखने नहीं आया। चाचा की मौत के बाद भी अभी तक मौके पर बाघ को पकड़ने या ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए। साढ़ू ने कहा- वन विभाग नहीं करता कोई इंतजाम
राम प्रसाद के साढ़ू दाताराम ने बताया- लंबे समय से गांव में बाघ की दहशत बनी है, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसके चलते मेरे साढ़ू को अपनी जान देकर एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। जंगल की तार फेंसिंग कराई जाए। उन्होंने कहा- मौके पर बाघ को पकड़ने के लिए ऑपरेशन शुरू किया जाए। रविवार को देर रात करीब 12 तक हम लोग राम प्रसाद की डेडबॉडी को खेत में ही रख रहे, लेकिन वन विभाग के अधिकारी नहीं आए। जबकि अगर कोई व्यक्ति जंगल से एक छोटी-सी लकड़ी भी ले आए, तो उसके घर पर कई अधिकारी पहुंच जाते हैं। गांव के सर्वेश ने कहा- 4 साल पहले भी हुआ था हमला
चतीपुर गांव के रहने वाले सर्वेश ने कहा- करीब 4 साल पहले हमारे गांव में बाघ का आतंक हुआ करता था। तब राजेश नाम के व्यक्ति पर टाइगर ने हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया था। 4 साल बाद एक बार फिर गांव में दहशत हो गई है। लोग खेतों पर जाने से भी डरते हैं। मजदूर खेत पर जाने के लिए दोगनी मजदूरी मांगते हैं। कुछ लोग खेतों पर काम करते हैं, तो कुछ लोग हाथ में लाठी-डंडे लेकर खेत के चारों ओर घूमते रहते हैं, ताकि बाघ खेतों की तरफ न आ जाए। अब पढ़िए कैसे हुआ हमला चतीपुर गांव जंगल से सटा है। गांव में रहने वाले राम प्रसाद खेती-किसानी करते थे। घर से 2 किलोमीटर की दूरी पर हरिपुर किशनपुर गांव के किनारे उनके खेत हैं। राम प्रसाद रविवार शाम खेत में पानी लगा रहे थे। शाम 6 बजे के आसपास बाघ पास के खेत से निकला। उसने राम प्रसाद पर हमला कर दिया। बचने के लिए उन्होंने शोर मचाया। चीखने की आवाज सुनकर आसपास के मौजूद लोग उनकी ओर दौड़े। टाइगर करीब 500 मीटर तक उनको खींचकर ले गया। इस दौरान बाघ ने उनकी गर्दन पर हमला कर दिया। इसके बाद पीठ और पेट पर भी हमला किया। तब तक स्थानीय लोग मौके पर आ गए। लोगों ने शोर मचाकर बाघ को भगाया। लेकिन, तब तक रामप्रसाद की मौत हो गई थी। मृतक किसान की पत्नी गंगा देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। किसान राम प्रसाद के 4 बच्चे हैं। बेटा अरुण, करुण और बेटी क्रांति। एक बेटी गुड्डी की शादी हो गई है। 14 मई, नजीरगंज गांव, जहां किसान हंसराज को बाघ ने मार डाला राम प्रसाद के घर से निकलकर हम मृतक हंसराज के घर पहुंचे। उनके परिवार से बातचीत की। गांववालों से हाल जाना। गांव में क्या माहौल है, इसके बारे में जानकारी दी। पढ़िए मृतक के बेटे ने क्या कहा
मृतक हंसराज के बेटे महेश कुमार ने बताया- मेरे पिता के साथ जो हुआ, वह किसी के साथ न हो। 14 मई को खेत पर काम करते समय पिता पर बाघ ने हमला कर दिया था। इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली। दूसरी तरफ बाघ को पकड़ने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। रोते हुए महेश कहता है कि उनके पिता परिवार के इकलौते कमाने वाले थे। पिता की मौत के बाद 4 भाइयों का कंधा टूट गया है। पत्नी ने कहा- वन विभाग एक्शन नहीं लेता
मृतक हंसराज की पत्नी राजकुमारी ने बताया- मेरे पति हमेशा की तरह खेत पर पानी लगाने गए थे। इस दौरान उन पर बाघ ने हमला कर दिया। उनके 4 बच्चे हैं, जिनका इकलौता सहारा उनके पिता ही थे। गांव में करीब 2 महीने से टाइगर घूम रहा है। कई बार वन विभाग के अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई गई। टाइगर को पकड़ने की बात कहीं गई, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। अगर समय रहते वन विभाग कोई एक्शन लेता, तो शायद उनके पति की जान बच जाती। अंधेरा होते ही घर से नहीं निकलते लोग
हंसराज के पड़ोसी रघुवर दयाल ने बताया- गांव में यह कोई पहली बार नहीं है कि टाइगर की दहशत कायम हुई हो। आसपास के 6 से अधिक गांव लगातार बाघ की दहशत में जी रहे हैं। खेतों पर काम करने के लिए लेबर नहीं मिलते, जो लोग काम करने जाते भी हैं वो ज्यादा पैसे मांगते हैं। गांव में भी टाइगर की दहशत इस तरह कायम है कि लोग अंधेरा होते ही घर में बैठ जाते हैं। खेतों की ओर नहीं जाते। उन्हें डर सताता है कि कहीं बाघ उन पर हमला न कर दें। कैसे हुआ था हंसराज पर हमला 14 मई को चतीपुर गांव के पास के नजीरगंज में बाघ का हमला हुआ था। यहां रहने वाले हंसराज (50) अपने बेटे अजय और 4 किसानों के साथ शाम 7 बजे खेत पर पानी देने गए थे। खेत गांव से करीब 400 मीटर दूर है।
शाम 7 बजे सभी लोग खाना खाने के लिए घर लौट आए। रात 10 बजे हंसराज फिर खेत में चले गए। उन्होंने खेत में पानी लगाया। वहां से लौटते वक्त टाइगर ने उन पर हमला कर दिया। रात होने के चलते आसपास कोई सुनने वाले वाला नहीं था। काफी देर तक हंसराज घर नहीं पहुंचे, तो बेटों ने आसपास के कुछ लोगों बुलाया। वह उन्हें तलाशते हुए खेत पहुंचे। वहां आवाज लगाई तो कुछ पता नहीं चल पाया। थोड़ी दूर में हंसराज की टॉर्च और खून से सना रुमाल मिला।
इसके बाद गांव में फोन करके और लोगों को बुलाया गया। लोग आसपास तलाश करने लगे। खेत में थोड़ी दूर पर बाघ शव को खा रहा था। ग्रामीणों ने शोर मचाकर बाघ को वहां से भगाया। गांवों में दहशत, देखिए 2 तस्वीरें इन गांवों में बाघ की मूवमेंट
पीटीआर और खुटार रेंज की खुली सीमा के कारण वन्यजीव खेतों और गांवों के नजदीक आ रहे हैं। पूरनपुर तहसील क्षेत्र के हरिपुर किशनपुर, नजीरगंज और चतीपुर जैसे गांव जंगल से सटे हुए हैं। इस इलाके में जंगल का क्षेत्र हरीपुर रेंज और आबादी वाला इलाका खुटार रेंज के अंतर्गत आता है। एक साल में 6 पर हमले, 5 की मौत
पीलीभीत में टाइगर के पिछले में एक साल में हमले के 6 मामले सामने आ चुके हैं। इसमें 5 लोगों की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग सिर्फ कागजों में सक्रिय है। गांवों के पास बाघ खुलेआम घूमते हैं, लेकिन कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए जाते। लगातार हो रहे हमले की बड़ी वजह पांच टीमों को लगाया गया
खुटार रेंज के डीएफओ सुशील कुमार ने बताया- मौके पर पांच टीमों को निगरानी के लिए तैनात किया गया है। इसके साथ ही बाघ को पकड़ने के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है। —————————- ये खबर भी पढ़ें… पीलीभीत में बाघ ने किसान को मार डाला:गर्दन-पीठ और पेट को नोचा; बेटा पिता के सीने पर सिर रखकर रोया, 4 दिन में दूसरी घटना पीलीभीत में बाघ ने एक किसान को मार डाला। वह खेत पर काम कर रहा था। तभी झाड़ियों में छिपे बाघ ने किसान की गर्दन पर हमला कर दिया। चीख सुनकर आसपास खेतों में काम कर रहे किसान दौड़े। बाघ किसान को करीब 500 मीटर खींच ले गया। जब तक भीड़ मौके पर पहुंची, किसान की मौत हो चुकी थी। मृतक की गर्दन, पीठ और पेट पर गहरे जख्म मिले। पढ़ें पूरी खबर… पापा मेरे लिए रिश्ता देखने जाने वाले थे। उन्होंने कहा कि आज खेत में पानी लगा लेते हैं। उसके बाद रिश्ता देखने जाएंगे। वह खेत की सिंचाई कर रहे थे, भाई भी उनके साथ था, लेकिन वह शाम को घर आ गया। इसके बाद पापा को बाघ खा गया। जब हम लोग पहुंचे, तो देखा बाघ हमारे पापा को खा रहा था। लोगों ने शोर मचाया, तो बाघ तो भाग गया। लेकिन पापा की मौत हो चुकी थी। यह बताते हुए मृतक राम प्रसाद की बेटी रोने लगती है और रोत-रोते बेहोश हो जाती है। दैनिक भास्कर की टीम पीलीभीत से 60 किमी दूर चतीपुर गांव पहुंची। यहां बाघ के हमले से मारे गए राम प्रसाद के परिवार से बातचीत की। गांव के लोगों से हालचाल जाना। इसके बाद टीम पड़ोसी गांव नजीरगंज पहुंची, जहां 14 मई को एक और किसान हंसराज को बाघ ने मार डाला था। उनके परिवार से बातचीत की। दोनों गांवों में दहशत का माहौल है। लोग झुंड में खेत जाते हैं। मजदूर भी नहीं मिल रहे। जो मिलते हैं, वो ज्यादा पैसे मांगते हैं। अंधेरा होते ही लोग अपने घरों में कैद हो जाते हैं। खेतों की ओर नहीं जाते। 6 महीने से टाइगर गांव के आस-पास घूम रहा है। वन विभाग कुछ नहीं कर रहा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 18 मई, चतीपुर गांव भास्कर की टीम सबसे पहले राम प्रसाद के घर पहुंची। उनके परिवार से बातचीत की। पहले पढ़िए बेटी ने क्या कहा…
राम प्रसाद की बेटी क्रांति ने बताया- मेरी शादी के लिए रिश्ता देखने की तैयारी चल रही थी। मेरे पापा आज रिश्ता देखने जाने वाले थे। उसके पहले वह पानी लगाने खेत चले गए। वहां बाघ की आवाजाही थी। हम लोगों ने मना किया था, लेकिन वह नहीं माने। बड़े भाई अरुण भी उनके साथ गए थे। गांव से खेत 2 किमी दूर है। पूरे दिन अरुण उनके साथ रहा। शाम को कुछ काम से वह घर आ गया था। तभी खबर मिली कि बाघ का हमला हो गया है। हम लोग भागते हुए खेत पहुंचे, तो बाघ पापा को खा रहा था। लोगों ने शोर मचाया। बाघ तो भाग गया, लेकिन तब तक पापा की मौत हो चुकी थी। वन विभाग के अधिकारी सूचना देने के बाद भी 6 घंटे तक मौके पर नहीं आए। अगर समय रहते कोई ठोस कदम उठाया गया होता, तो शायद हमला न होता और मेरे पिता जिंदा होते। यह कहते-कहते क्रांति बदहवास हो गई। भतीजे ने कहा- अचानक सुनाई दी चीखें
मृतक राम प्रसाद के भतीजे रामनिवास ने बताया- मैं अपने चाचा के साथ 18 मई को खेत में पानी लगा रहा था। गांव से करीब 2 किलोमीटर दूर हमारे खेत हैं। यह जंगल से करीब 1 किलोमीटर दूर है। इस दौरान अचानक चाचा के चीखने की आवाज सुनाई दी। जब हम उनकी ओर दौड़े तो देखा कि बाघ उन्हें खींचकर झाड़ियों में ले जा रहा था। मैंने शोर मचाना शुरू किया तो आसपास के लोग भी आ गए। इस दौरान कुछ लोग ट्रैक्टर लेकर आए। बाघ का पीछा किया तो वह डेडबॉडी को छोड़कर भाग गया। गांव के बाहर स्थित नहर पर करीब 6 महीने से टाइगर की मौजूदगी है। शाहजहांपुर जनपद की खुटार वन रेंज घटनास्थल पर लगती है। वन विभाग के अधिकारियों को कई बार मामले की सूचना दी गई, लेकिन कोई देखने नहीं आया। चाचा की मौत के बाद भी अभी तक मौके पर बाघ को पकड़ने या ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए। साढ़ू ने कहा- वन विभाग नहीं करता कोई इंतजाम
राम प्रसाद के साढ़ू दाताराम ने बताया- लंबे समय से गांव में बाघ की दहशत बनी है, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसके चलते मेरे साढ़ू को अपनी जान देकर एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। जंगल की तार फेंसिंग कराई जाए। उन्होंने कहा- मौके पर बाघ को पकड़ने के लिए ऑपरेशन शुरू किया जाए। रविवार को देर रात करीब 12 तक हम लोग राम प्रसाद की डेडबॉडी को खेत में ही रख रहे, लेकिन वन विभाग के अधिकारी नहीं आए। जबकि अगर कोई व्यक्ति जंगल से एक छोटी-सी लकड़ी भी ले आए, तो उसके घर पर कई अधिकारी पहुंच जाते हैं। गांव के सर्वेश ने कहा- 4 साल पहले भी हुआ था हमला
चतीपुर गांव के रहने वाले सर्वेश ने कहा- करीब 4 साल पहले हमारे गांव में बाघ का आतंक हुआ करता था। तब राजेश नाम के व्यक्ति पर टाइगर ने हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया था। 4 साल बाद एक बार फिर गांव में दहशत हो गई है। लोग खेतों पर जाने से भी डरते हैं। मजदूर खेत पर जाने के लिए दोगनी मजदूरी मांगते हैं। कुछ लोग खेतों पर काम करते हैं, तो कुछ लोग हाथ में लाठी-डंडे लेकर खेत के चारों ओर घूमते रहते हैं, ताकि बाघ खेतों की तरफ न आ जाए। अब पढ़िए कैसे हुआ हमला चतीपुर गांव जंगल से सटा है। गांव में रहने वाले राम प्रसाद खेती-किसानी करते थे। घर से 2 किलोमीटर की दूरी पर हरिपुर किशनपुर गांव के किनारे उनके खेत हैं। राम प्रसाद रविवार शाम खेत में पानी लगा रहे थे। शाम 6 बजे के आसपास बाघ पास के खेत से निकला। उसने राम प्रसाद पर हमला कर दिया। बचने के लिए उन्होंने शोर मचाया। चीखने की आवाज सुनकर आसपास के मौजूद लोग उनकी ओर दौड़े। टाइगर करीब 500 मीटर तक उनको खींचकर ले गया। इस दौरान बाघ ने उनकी गर्दन पर हमला कर दिया। इसके बाद पीठ और पेट पर भी हमला किया। तब तक स्थानीय लोग मौके पर आ गए। लोगों ने शोर मचाकर बाघ को भगाया। लेकिन, तब तक रामप्रसाद की मौत हो गई थी। मृतक किसान की पत्नी गंगा देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। किसान राम प्रसाद के 4 बच्चे हैं। बेटा अरुण, करुण और बेटी क्रांति। एक बेटी गुड्डी की शादी हो गई है। 14 मई, नजीरगंज गांव, जहां किसान हंसराज को बाघ ने मार डाला राम प्रसाद के घर से निकलकर हम मृतक हंसराज के घर पहुंचे। उनके परिवार से बातचीत की। गांववालों से हाल जाना। गांव में क्या माहौल है, इसके बारे में जानकारी दी। पढ़िए मृतक के बेटे ने क्या कहा
मृतक हंसराज के बेटे महेश कुमार ने बताया- मेरे पिता के साथ जो हुआ, वह किसी के साथ न हो। 14 मई को खेत पर काम करते समय पिता पर बाघ ने हमला कर दिया था। इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली। दूसरी तरफ बाघ को पकड़ने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। रोते हुए महेश कहता है कि उनके पिता परिवार के इकलौते कमाने वाले थे। पिता की मौत के बाद 4 भाइयों का कंधा टूट गया है। पत्नी ने कहा- वन विभाग एक्शन नहीं लेता
मृतक हंसराज की पत्नी राजकुमारी ने बताया- मेरे पति हमेशा की तरह खेत पर पानी लगाने गए थे। इस दौरान उन पर बाघ ने हमला कर दिया। उनके 4 बच्चे हैं, जिनका इकलौता सहारा उनके पिता ही थे। गांव में करीब 2 महीने से टाइगर घूम रहा है। कई बार वन विभाग के अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई गई। टाइगर को पकड़ने की बात कहीं गई, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। अगर समय रहते वन विभाग कोई एक्शन लेता, तो शायद उनके पति की जान बच जाती। अंधेरा होते ही घर से नहीं निकलते लोग
हंसराज के पड़ोसी रघुवर दयाल ने बताया- गांव में यह कोई पहली बार नहीं है कि टाइगर की दहशत कायम हुई हो। आसपास के 6 से अधिक गांव लगातार बाघ की दहशत में जी रहे हैं। खेतों पर काम करने के लिए लेबर नहीं मिलते, जो लोग काम करने जाते भी हैं वो ज्यादा पैसे मांगते हैं। गांव में भी टाइगर की दहशत इस तरह कायम है कि लोग अंधेरा होते ही घर में बैठ जाते हैं। खेतों की ओर नहीं जाते। उन्हें डर सताता है कि कहीं बाघ उन पर हमला न कर दें। कैसे हुआ था हंसराज पर हमला 14 मई को चतीपुर गांव के पास के नजीरगंज में बाघ का हमला हुआ था। यहां रहने वाले हंसराज (50) अपने बेटे अजय और 4 किसानों के साथ शाम 7 बजे खेत पर पानी देने गए थे। खेत गांव से करीब 400 मीटर दूर है।
शाम 7 बजे सभी लोग खाना खाने के लिए घर लौट आए। रात 10 बजे हंसराज फिर खेत में चले गए। उन्होंने खेत में पानी लगाया। वहां से लौटते वक्त टाइगर ने उन पर हमला कर दिया। रात होने के चलते आसपास कोई सुनने वाले वाला नहीं था। काफी देर तक हंसराज घर नहीं पहुंचे, तो बेटों ने आसपास के कुछ लोगों बुलाया। वह उन्हें तलाशते हुए खेत पहुंचे। वहां आवाज लगाई तो कुछ पता नहीं चल पाया। थोड़ी दूर में हंसराज की टॉर्च और खून से सना रुमाल मिला।
इसके बाद गांव में फोन करके और लोगों को बुलाया गया। लोग आसपास तलाश करने लगे। खेत में थोड़ी दूर पर बाघ शव को खा रहा था। ग्रामीणों ने शोर मचाकर बाघ को वहां से भगाया। गांवों में दहशत, देखिए 2 तस्वीरें इन गांवों में बाघ की मूवमेंट
पीटीआर और खुटार रेंज की खुली सीमा के कारण वन्यजीव खेतों और गांवों के नजदीक आ रहे हैं। पूरनपुर तहसील क्षेत्र के हरिपुर किशनपुर, नजीरगंज और चतीपुर जैसे गांव जंगल से सटे हुए हैं। इस इलाके में जंगल का क्षेत्र हरीपुर रेंज और आबादी वाला इलाका खुटार रेंज के अंतर्गत आता है। एक साल में 6 पर हमले, 5 की मौत
पीलीभीत में टाइगर के पिछले में एक साल में हमले के 6 मामले सामने आ चुके हैं। इसमें 5 लोगों की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग सिर्फ कागजों में सक्रिय है। गांवों के पास बाघ खुलेआम घूमते हैं, लेकिन कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए जाते। लगातार हो रहे हमले की बड़ी वजह पांच टीमों को लगाया गया
खुटार रेंज के डीएफओ सुशील कुमार ने बताया- मौके पर पांच टीमों को निगरानी के लिए तैनात किया गया है। इसके साथ ही बाघ को पकड़ने के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है। —————————- ये खबर भी पढ़ें… पीलीभीत में बाघ ने किसान को मार डाला:गर्दन-पीठ और पेट को नोचा; बेटा पिता के सीने पर सिर रखकर रोया, 4 दिन में दूसरी घटना पीलीभीत में बाघ ने एक किसान को मार डाला। वह खेत पर काम कर रहा था। तभी झाड़ियों में छिपे बाघ ने किसान की गर्दन पर हमला कर दिया। चीख सुनकर आसपास खेतों में काम कर रहे किसान दौड़े। बाघ किसान को करीब 500 मीटर खींच ले गया। जब तक भीड़ मौके पर पहुंची, किसान की मौत हो चुकी थी। मृतक की गर्दन, पीठ और पेट पर गहरे जख्म मिले। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
टाइगर 5 दिन में 2 किसानों को खा गया:पीलीभीत में लोग घरों में कैद; बेटी बोली- पापा रिश्ता देखने जाने वाले थे
