दक्षिणी हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन की जड़ें मजबूत करने के लिए गुरनाम सिंह चढूनी प्रयास कर रहे हैं। जिसके लिए उन्होंने 20 मार्च को रेवाड़ी में बैठक बुलाई है। बैठक में दक्षिणी हरियाणा के पदाधिकारियों के नामों पर चर्चा होगी। रेवाड़ी अनाज मंडी स्थित किसान भवन में भाकियू चढूनी गुट की बैठक होगी। बैठक में संगठन को दक्षिणी हरियाणा के किसानों से कैसे जोड़ा जाए पर चर्चा होगी। दक्षिणी हरियाणा के किसानों में अभी किसी भी किसान संगठन की खासी पैठ नहीं हैं। जिसके चलते यहां के किसानों का सहयोग संगठनों को मिल नहीं पाता है। वहीं किसानों को भी अपने हकों की खातिर लड़ने में दिक्कत आती है। किसान आंदोलन में भी फीका रहा योगदान दक्षिणी हरियाणा के किसानों का 3 कृषि बिलों के खिलाफ आंदोलन में भी योगदान फीका रहा था। शाहजहापुर बॉर्डर पर पूरी तरह से किसान रास्ता अवरूद्ध नहीं कर पाए थे। कुछ दिन तक यहां सड़क पर एक तरफ किसानों का धरना चला था। ऐसे में किसान संगठनों के लिए चिंता का विषय है कि आखिर यहां के किसान क्यों किसी आंदोलन में सक्रिय नहीं होते हैं। जिस पर बैठक में भी मंथन होगा। ओलावृष्टि पर भी हो सकता है आंदोलन रेवाड़ी में एक माह के दौरान 3 बार ओलावृष्टि हो चुकी है। प्रदेश सरकार की ओर से गिरदावरी भी करवा दी गई है। लेकिन किसान प्रशासन की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में 20 को जब चढूनी आएंगे तो उनके सामने यहां के किसान मुद्दा उठाएंगे। उसके बाद प्रशासन व प्रदेश सरकार को अल्टीमेटम देकर आंदोलन की घोषणा हो सकती है। दक्षिणी हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन की जड़ें मजबूत करने के लिए गुरनाम सिंह चढूनी प्रयास कर रहे हैं। जिसके लिए उन्होंने 20 मार्च को रेवाड़ी में बैठक बुलाई है। बैठक में दक्षिणी हरियाणा के पदाधिकारियों के नामों पर चर्चा होगी। रेवाड़ी अनाज मंडी स्थित किसान भवन में भाकियू चढूनी गुट की बैठक होगी। बैठक में संगठन को दक्षिणी हरियाणा के किसानों से कैसे जोड़ा जाए पर चर्चा होगी। दक्षिणी हरियाणा के किसानों में अभी किसी भी किसान संगठन की खासी पैठ नहीं हैं। जिसके चलते यहां के किसानों का सहयोग संगठनों को मिल नहीं पाता है। वहीं किसानों को भी अपने हकों की खातिर लड़ने में दिक्कत आती है। किसान आंदोलन में भी फीका रहा योगदान दक्षिणी हरियाणा के किसानों का 3 कृषि बिलों के खिलाफ आंदोलन में भी योगदान फीका रहा था। शाहजहापुर बॉर्डर पर पूरी तरह से किसान रास्ता अवरूद्ध नहीं कर पाए थे। कुछ दिन तक यहां सड़क पर एक तरफ किसानों का धरना चला था। ऐसे में किसान संगठनों के लिए चिंता का विषय है कि आखिर यहां के किसान क्यों किसी आंदोलन में सक्रिय नहीं होते हैं। जिस पर बैठक में भी मंथन होगा। ओलावृष्टि पर भी हो सकता है आंदोलन रेवाड़ी में एक माह के दौरान 3 बार ओलावृष्टि हो चुकी है। प्रदेश सरकार की ओर से गिरदावरी भी करवा दी गई है। लेकिन किसान प्रशासन की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में 20 को जब चढूनी आएंगे तो उनके सामने यहां के किसान मुद्दा उठाएंगे। उसके बाद प्रशासन व प्रदेश सरकार को अल्टीमेटम देकर आंदोलन की घोषणा हो सकती है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
