सियाचिन में शहीद हुए देवरिया के कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। कैप्टन अंशुमान के बलिदान की गाथा सुनाई गई तो मां मंजू और पत्नी स्मृति की आंखें डबडबा गईं। दोनों ने खुद को संभाले रखा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कीर्ति चक्र अपने हाथों में लिया। उस वक्त आंखें नम थीं, लेकिन चेहरे पर गर्व के भाव नजर आए। अंशुमान की पत्नी नोएडा में एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती हैं। शहादत के 6 महीने पहले 10 फरवरी 2023 को उनकी शादी हुई थी। पत्नी स्मृति सिंह पठानकोट की रहने वाली हैं। 19 जुलाई 2023 को सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना के टेंट में आग लग गई थी। कई जवान आग में फंस गए। अपनों को आग से घिरा देख रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह खुद को नहीं रोक सके। उन्हें बचाने की कोशिश में कैप्टन अंशुमान शहीद हो गए। वे 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे। लखनऊ वाले घर में हुई थी शादी और रिसेप्शन
कैप्टन अंशुमान का लखनऊ में मोहान रोड स्थित पारा कॉलोनी में घर है। यहां कैप्टन का परिवार 2022 में शिफ्ट हुआ था। इसी घर में उनकी और स्मृति की शादी हुई थी। 20 जुलाई सुबह सेना की मेडिकल कोर और कमांड अस्पताल के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी अचानक घर पहुंचे। उनके पिता रवि प्रताप सिंह को अंशुमान के शहीद होने की खबर दी। पिता ने खुद को संभाला। अब उनके सामने धर्मसंकट था कि जिस बहू स्मृति को ससुराल आए 6 महीने नहीं हुए, उसे कैसे बताऊं कि उसका सुहाग अब जिंदा नहीं है। माता-पिता और बहन तान्या सिंह, भाई घनश्याम सिंह ने काफी देर तक शहादत की जानकारी छिपाए रखी। लेकिन, आंखों से आंसू कितनी देर तक छिपते। स्मृति को सच्चाई बतानी पड़ी। AFMC किया था क्वालीफाई
पढ़ाई के बाद अंशुमान का चयन आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज पुणे में हुआ था। वहां से MBBS करने के बाद कैप्टन अंशुमान सिंह सेना के मेडिकल कोर में शामिल हुए थे। पत्नी स्मृति पेशे से इंजीनियर हैं और उनके माता-पिता स्कूल के प्रधानाचार्य हैं। आगरा मिलिट्री हॉस्पिटल में ट्रेनिंग के बाद वहीं अंशुमान की तैनाती हो गई थी। कश्मीर के पुंछ सेक्टर में तैनात एक बटालियन के वह मेडिकल आफिसर बने। वहां से 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे। उनके पिता रवि प्रताप सिंह सेना में JCO थे। मां मंजू सिंह के अलावा भाई घनश्याम सिंह और बहन तान्या सिंह हैं। बहन-भाई दोनों ही नोएडा में डॉक्टर हैं। यूपी सरकार ने दिया था 50 लाख का मुआवजा
CM योगी आदित्यनाथ ने शहीद अंशुमान सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की थी। उन्होंने शहीद के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने, जिले की एक सड़क का नामकरण शहीद अंशुमान सिंह के नाम पर करने की भी घोषणा की थी। क्षेत्रीय लोगों ने शहादत पर जताया गर्व
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र मिलने पर जिला पंचायत अध्यक्ष गिरीश चंद्र तिवारी, पूर्व सांसद रविंदर कुशवाहा, राज्य मंत्री विजय लक्ष्मी गौतम, ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि अमित सिंह बबलू, धनंजय सिंह बघेल समेत कई नेताओं ने इसे गर्व का पल बताया। ये भी पढ़ें… शादी के 5 महीने बाद कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद: ग्लेशियर में टेंट में आग लगने से गई जान, 15 दिन पहले ही गए थे सियाचिन सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना के कई टेंट में आग लग गई। हादसे में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए। अंशुमान सिंह की 5 महीने पहले 10 फरवरी को शादी हुई थी। कैप्टन अंशुमान 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे। अंशुमान मूल रूप से देवरिया के रहने वाले थे। पूरी खबर पढ़ें… सियाचिन में शहीद हुए देवरिया के कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। कैप्टन अंशुमान के बलिदान की गाथा सुनाई गई तो मां मंजू और पत्नी स्मृति की आंखें डबडबा गईं। दोनों ने खुद को संभाले रखा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कीर्ति चक्र अपने हाथों में लिया। उस वक्त आंखें नम थीं, लेकिन चेहरे पर गर्व के भाव नजर आए। अंशुमान की पत्नी नोएडा में एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती हैं। शहादत के 6 महीने पहले 10 फरवरी 2023 को उनकी शादी हुई थी। पत्नी स्मृति सिंह पठानकोट की रहने वाली हैं। 19 जुलाई 2023 को सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना के टेंट में आग लग गई थी। कई जवान आग में फंस गए। अपनों को आग से घिरा देख रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह खुद को नहीं रोक सके। उन्हें बचाने की कोशिश में कैप्टन अंशुमान शहीद हो गए। वे 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे। लखनऊ वाले घर में हुई थी शादी और रिसेप्शन
कैप्टन अंशुमान का लखनऊ में मोहान रोड स्थित पारा कॉलोनी में घर है। यहां कैप्टन का परिवार 2022 में शिफ्ट हुआ था। इसी घर में उनकी और स्मृति की शादी हुई थी। 20 जुलाई सुबह सेना की मेडिकल कोर और कमांड अस्पताल के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी अचानक घर पहुंचे। उनके पिता रवि प्रताप सिंह को अंशुमान के शहीद होने की खबर दी। पिता ने खुद को संभाला। अब उनके सामने धर्मसंकट था कि जिस बहू स्मृति को ससुराल आए 6 महीने नहीं हुए, उसे कैसे बताऊं कि उसका सुहाग अब जिंदा नहीं है। माता-पिता और बहन तान्या सिंह, भाई घनश्याम सिंह ने काफी देर तक शहादत की जानकारी छिपाए रखी। लेकिन, आंखों से आंसू कितनी देर तक छिपते। स्मृति को सच्चाई बतानी पड़ी। AFMC किया था क्वालीफाई
पढ़ाई के बाद अंशुमान का चयन आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज पुणे में हुआ था। वहां से MBBS करने के बाद कैप्टन अंशुमान सिंह सेना के मेडिकल कोर में शामिल हुए थे। पत्नी स्मृति पेशे से इंजीनियर हैं और उनके माता-पिता स्कूल के प्रधानाचार्य हैं। आगरा मिलिट्री हॉस्पिटल में ट्रेनिंग के बाद वहीं अंशुमान की तैनाती हो गई थी। कश्मीर के पुंछ सेक्टर में तैनात एक बटालियन के वह मेडिकल आफिसर बने। वहां से 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे। उनके पिता रवि प्रताप सिंह सेना में JCO थे। मां मंजू सिंह के अलावा भाई घनश्याम सिंह और बहन तान्या सिंह हैं। बहन-भाई दोनों ही नोएडा में डॉक्टर हैं। यूपी सरकार ने दिया था 50 लाख का मुआवजा
CM योगी आदित्यनाथ ने शहीद अंशुमान सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की थी। उन्होंने शहीद के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने, जिले की एक सड़क का नामकरण शहीद अंशुमान सिंह के नाम पर करने की भी घोषणा की थी। क्षेत्रीय लोगों ने शहादत पर जताया गर्व
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र मिलने पर जिला पंचायत अध्यक्ष गिरीश चंद्र तिवारी, पूर्व सांसद रविंदर कुशवाहा, राज्य मंत्री विजय लक्ष्मी गौतम, ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि अमित सिंह बबलू, धनंजय सिंह बघेल समेत कई नेताओं ने इसे गर्व का पल बताया। ये भी पढ़ें… शादी के 5 महीने बाद कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद: ग्लेशियर में टेंट में आग लगने से गई जान, 15 दिन पहले ही गए थे सियाचिन सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना के कई टेंट में आग लग गई। हादसे में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए। अंशुमान सिंह की 5 महीने पहले 10 फरवरी को शादी हुई थी। कैप्टन अंशुमान 15 दिन पहले ही सियाचिन गए थे। अंशुमान मूल रूप से देवरिया के रहने वाले थे। पूरी खबर पढ़ें… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर