हरियाणा के चर्चित INLD के पूर्व MLA नफे सिंह मर्डर केस में केंद्रीय जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पहली चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी है। इस चार्जशीट में बड़े-बड़े खुलासे किए गए हैं। हालांकि इस चार्जशीट में सीबीआई ने नफे सिंह राठी के मर्डर का मोटिव क्लीयर नहीं किया है। जिसके बाद इनेलो नेता के मर्डर का रहस्य और गहरा गया है। चार्जशीट में ब्रिटेन के एक गैंगस्टर का नाम शामिल किया गया है। सबसे अहम बात यह है कि हत्यारों ने नफे सिंह के मर्डर से पहले उनकी गाड़ी की लोकेशन जानने के लिए एक GPS सिस्टम भी लगाया था। 25 फरवरी को बहादुरगढ़ में बराही रेलवे क्रासिंग पर नफे सिंह की 10 गोलियां लगने से मौत हो गई थी। इस दौरान उनके सहयोगी जयकिशन दलाल की 4 गोलियां लगने से मौत हो गई थी। उन पर I-20 कार में सवार हमलावरों ने हमला किया था, जिन्होंने उनका पीछा किया और उनकी एसयूवी पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं थी। क्यों आया गैंगस्टर नंदू का नाम सीबीआई की जांच में यह बात भी सामने आई है कि 4 शूटर और ब्रिटेन में रहने वाले एक गैंगस्टर कपिल सांगवान उर्फ नंदू ने सिग्नल ऐप के जरिए बातचीत की थी। इसके साथ ही मर्डर के बाद ब्रिटेन स्थित ‘वांटेड’ गैंगस्टर कपिल सांगवान उर्फ नंदू ने आईएनएलडी प्रदेश अध्यक्ष नफे सिंह राठी की हत्या की जिम्मेदारी ली थी। कपिल सांगवान दिल्ली पुलिस की अपराधियों की सूची में वह मोस्ट वांटड अपराधी है। जीजा की हत्या का लिया बदला मर्डर के बाद कपिल गैंगस्टर के द्वारा की गई पोस्ट में लिखा था कि उसने ये मर्डर अपने जीजा और दोस्त की हत्या का बदला लेने के लिए किया है। हरियाणा पुलिस ने भी इस मामले में कोई सक्रियता नहीं दिखाई थी, तो उसे मजबूर होकर उनका मर्डर करना पड़ा। यहां पढ़िए मर्डर केस की जांच में अब तक क्या क्या हुआ… फॉर्च्यूनर से मिली 8 गोलियां हत्या के दो दिन बाद पुलिस फॉर्च्यूनर को सत्यम टोयोटा शोरूम ले गई, जहां जांच के दौरान उन्हें 8 गोलियां और 13 गोलियों के टुकड़े मिले। नई दिल्ली के द्वारका में ‘म्यूजिक कार’ शॉप से खरीदा गया एक जीपीएस ट्रैकर भी वाहन के पिछले हिस्से से जुड़ा हुआ पाया गया। हालांकि डिवाइस का खरीदार अज्ञात है, लेकिन CBI जांच से पता चला है कि कपिल सांगवान ने एसयूवी की लाइव लोकेशन को ट्रैक करने के लिए 8 फरवरी से 3 मार्च के बीच यूके से लॉगिन क्रेडेंशियल संचालित किए थे। सांगवान की चैट सामने आई फरवरी में धर्मेंद्र ने सांगवान के निर्देशानुसार शूटरों के लिए एक आई-20 कार का इंतजाम किया। शूटरों में से एक सचिन, जो तिहाड़ जेल में रहने के दौरान गुलिया से परिचित था, को गुलिया ने 17 फरवरी को फेसबुक मैसेंजर के जरिए सिग्नल ऐप इन्स्टॉल करने का निर्देश दिया था। इसके बाद सांगवान ने 18 फरवरी को सचिन से संपर्क किया और कहा, ‘अमित गुलिया ने तेरा नंबर दिया था। भई एक दुश्मन मारना है। 307 करनी है, बहादुरगढ़ में। चले जइयो।” मर्डर से पहले सांगवान को सेल्फी भेजी सचिन ने इस काम में मदद के लिए आशीष उर्फ बाबा को चुना। 23 फरवरी को वे नांगलोई से बहादुरगढ़ मेट्रो स्टेशन गए, जहां सचिन ने निर्देशानुसार सेल्फी ली और सांगवान को भेज दी। शूटरों के दूसरे समूह नकुल और अतुल को रोहतक से बहादुरगढ़ के लिए कैब लेते समय पकड़ा गया। वे i-20 कार लेकर सचिन और आशीष के साथ हो लिए।अतुल 4 पिस्तौल, 100 राउंड गोलियां और 2 लाख रुपए नकद लेकर आया था। उसने सचिन और आशीष को नफे सिंह की पहचान नहीं बताई। उसने उनके फोन जब्त कर लिए और उन्हें बंद कर दिया। नफे सिंह हत्यारों से कुछ कहना चाहते थे सीबीआई का चार्जशीट में कहना है कि नफे सिंह ने कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन लगातार गोलियों की आवाज के कारण वह कुछ नहीं कह पाया। संजीत बचाव में गोली नहीं चला सका। ड्राइवर राकेश ने गुस्से में संजीत से कहा, “चला ले ना। जब मार जाएंगे, तो क्या फायदा?” लेकिन वह इतना डरा हुआ था कि गोली नहीं चला सका और उसके हाथ कांपने लगे। चार्जशीट में सीबीआई का ये कहना है। यहां पढ़िए मर्डर से पहले की STORY मर्डर वाले दिन, हत्यारे नफे सिंह के कार्यालय के बाहर इंतजार कर रहे थे, तभी उन्हें पता चला कि वह करोर गांव में है। उन्होंने वहां उसका पीछा किया, लेकिन हमला करने का मौका नहीं मिला। अगले दिन, उन्होंने बहादुरगढ़ के आरआर फार्म तक उसका पीछा किया और फिर जटवाड़ा मोहल्ला में उसके घर के पास, क्योंकि उन्हें सांगवान से लाइव लोकेशन मिल रही थी। 25 फरवरी को उन्होंने नफे सिंह का बहादुरगढ़ के सेक्टर 7 से लेकर सराय गांव और फिर अशोधा गांव तक पीछा किया। अशोधा में एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद नफे सिंह अपने भतीजे राकेश, गनमैन संजीत और जयकिशन दलाल के साथ बराही के रास्ते बहादुरगढ़ के लिए रवाना हुए। शूटरों ने उनकी गाड़ी का पीछा किया। जैसे ही बराही रेलवे क्रॉसिंग बंद हुई, चारों शूटर अपनी गाड़ी से निकले और नफे सिंह की एसयूवी पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। हरियाणा के चर्चित INLD के पूर्व MLA नफे सिंह मर्डर केस में केंद्रीय जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पहली चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी है। इस चार्जशीट में बड़े-बड़े खुलासे किए गए हैं। हालांकि इस चार्जशीट में सीबीआई ने नफे सिंह राठी के मर्डर का मोटिव क्लीयर नहीं किया है। जिसके बाद इनेलो नेता के मर्डर का रहस्य और गहरा गया है। चार्जशीट में ब्रिटेन के एक गैंगस्टर का नाम शामिल किया गया है। सबसे अहम बात यह है कि हत्यारों ने नफे सिंह के मर्डर से पहले उनकी गाड़ी की लोकेशन जानने के लिए एक GPS सिस्टम भी लगाया था। 25 फरवरी को बहादुरगढ़ में बराही रेलवे क्रासिंग पर नफे सिंह की 10 गोलियां लगने से मौत हो गई थी। इस दौरान उनके सहयोगी जयकिशन दलाल की 4 गोलियां लगने से मौत हो गई थी। उन पर I-20 कार में सवार हमलावरों ने हमला किया था, जिन्होंने उनका पीछा किया और उनकी एसयूवी पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं थी। क्यों आया गैंगस्टर नंदू का नाम सीबीआई की जांच में यह बात भी सामने आई है कि 4 शूटर और ब्रिटेन में रहने वाले एक गैंगस्टर कपिल सांगवान उर्फ नंदू ने सिग्नल ऐप के जरिए बातचीत की थी। इसके साथ ही मर्डर के बाद ब्रिटेन स्थित ‘वांटेड’ गैंगस्टर कपिल सांगवान उर्फ नंदू ने आईएनएलडी प्रदेश अध्यक्ष नफे सिंह राठी की हत्या की जिम्मेदारी ली थी। कपिल सांगवान दिल्ली पुलिस की अपराधियों की सूची में वह मोस्ट वांटड अपराधी है। जीजा की हत्या का लिया बदला मर्डर के बाद कपिल गैंगस्टर के द्वारा की गई पोस्ट में लिखा था कि उसने ये मर्डर अपने जीजा और दोस्त की हत्या का बदला लेने के लिए किया है। हरियाणा पुलिस ने भी इस मामले में कोई सक्रियता नहीं दिखाई थी, तो उसे मजबूर होकर उनका मर्डर करना पड़ा। यहां पढ़िए मर्डर केस की जांच में अब तक क्या क्या हुआ… फॉर्च्यूनर से मिली 8 गोलियां हत्या के दो दिन बाद पुलिस फॉर्च्यूनर को सत्यम टोयोटा शोरूम ले गई, जहां जांच के दौरान उन्हें 8 गोलियां और 13 गोलियों के टुकड़े मिले। नई दिल्ली के द्वारका में ‘म्यूजिक कार’ शॉप से खरीदा गया एक जीपीएस ट्रैकर भी वाहन के पिछले हिस्से से जुड़ा हुआ पाया गया। हालांकि डिवाइस का खरीदार अज्ञात है, लेकिन CBI जांच से पता चला है कि कपिल सांगवान ने एसयूवी की लाइव लोकेशन को ट्रैक करने के लिए 8 फरवरी से 3 मार्च के बीच यूके से लॉगिन क्रेडेंशियल संचालित किए थे। सांगवान की चैट सामने आई फरवरी में धर्मेंद्र ने सांगवान के निर्देशानुसार शूटरों के लिए एक आई-20 कार का इंतजाम किया। शूटरों में से एक सचिन, जो तिहाड़ जेल में रहने के दौरान गुलिया से परिचित था, को गुलिया ने 17 फरवरी को फेसबुक मैसेंजर के जरिए सिग्नल ऐप इन्स्टॉल करने का निर्देश दिया था। इसके बाद सांगवान ने 18 फरवरी को सचिन से संपर्क किया और कहा, ‘अमित गुलिया ने तेरा नंबर दिया था। भई एक दुश्मन मारना है। 307 करनी है, बहादुरगढ़ में। चले जइयो।” मर्डर से पहले सांगवान को सेल्फी भेजी सचिन ने इस काम में मदद के लिए आशीष उर्फ बाबा को चुना। 23 फरवरी को वे नांगलोई से बहादुरगढ़ मेट्रो स्टेशन गए, जहां सचिन ने निर्देशानुसार सेल्फी ली और सांगवान को भेज दी। शूटरों के दूसरे समूह नकुल और अतुल को रोहतक से बहादुरगढ़ के लिए कैब लेते समय पकड़ा गया। वे i-20 कार लेकर सचिन और आशीष के साथ हो लिए।अतुल 4 पिस्तौल, 100 राउंड गोलियां और 2 लाख रुपए नकद लेकर आया था। उसने सचिन और आशीष को नफे सिंह की पहचान नहीं बताई। उसने उनके फोन जब्त कर लिए और उन्हें बंद कर दिया। नफे सिंह हत्यारों से कुछ कहना चाहते थे सीबीआई का चार्जशीट में कहना है कि नफे सिंह ने कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन लगातार गोलियों की आवाज के कारण वह कुछ नहीं कह पाया। संजीत बचाव में गोली नहीं चला सका। ड्राइवर राकेश ने गुस्से में संजीत से कहा, “चला ले ना। जब मार जाएंगे, तो क्या फायदा?” लेकिन वह इतना डरा हुआ था कि गोली नहीं चला सका और उसके हाथ कांपने लगे। चार्जशीट में सीबीआई का ये कहना है। यहां पढ़िए मर्डर से पहले की STORY मर्डर वाले दिन, हत्यारे नफे सिंह के कार्यालय के बाहर इंतजार कर रहे थे, तभी उन्हें पता चला कि वह करोर गांव में है। उन्होंने वहां उसका पीछा किया, लेकिन हमला करने का मौका नहीं मिला। अगले दिन, उन्होंने बहादुरगढ़ के आरआर फार्म तक उसका पीछा किया और फिर जटवाड़ा मोहल्ला में उसके घर के पास, क्योंकि उन्हें सांगवान से लाइव लोकेशन मिल रही थी। 25 फरवरी को उन्होंने नफे सिंह का बहादुरगढ़ के सेक्टर 7 से लेकर सराय गांव और फिर अशोधा गांव तक पीछा किया। अशोधा में एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद नफे सिंह अपने भतीजे राकेश, गनमैन संजीत और जयकिशन 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