भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलिंपिक में अपने प्रदर्शन के बारे में खुलासा किया। नीरज चोपड़ा ने बताया कि कैसे तकनीकी और शारीरिक चुनौतियों के कारण वह पाकिस्तानी खिलाड़ी अरशद नदीम से पीछे रह गए। नीरज ने बताया कि उन्हें एक पल के लिए भी ऐसा नहीं लगा कि वह अच्छा थ्रो नहीं कर सकते, लेकिन कुछ कारणों से वह अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन नहीं कर पाए। नीरज ने स्पष्ट किया कि भाला फेंक में कुछ मीटर का अंतर भी बड़ी बात होती है। उन्होंने बताया कि कॉमनवेल्थ गेम्स में उनका थ्रो 89.94 मीटर था, जबकि अरशद नदीम का थ्रो 90.18 मीटर था। इस बार भी नदीम का थ्रो बेहतरीन था, लेकिन नीरज को भरोसा था कि उनका थ्रो भी उतना ही अच्छा हो सकता था। हालांकि, नीरज ने माना कि वह खुद को पूरी तरह से पूस नहीं कर पाए। मानसिक रूप से वह पूरी तरह से तैयार थे, लेकिन शारीरिक रूप से वह खुद को रोक रहे थे। रनवे पर जिस तरह का लेगवर्क किया जाना चाहिए था, वह उतना अच्छा नहीं था। मानसिक रूप से बहुत प्रयास किया नीरज ने बताया कि लाइन बचाने के प्रयास में वह पूरी ताकत नहीं लगा पाए। उनका दूसरा थ्रो भी नदीम के थ्रो के करीब था, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, शारीरिक बाधाएं बढ़ने लगीं। अपने प्रयासों के बारे में बात करते हुए नीरज ने कहा कि उन्होंने मानसिक रूप से बहुत प्रयास किया, लेकिन चाहे कितना भी प्रयास किया जाए, जब तक लेगवर्क और तकनीक सही न हो, सफलता नहीं मिलती। नीरज ने जोर देकर कहा कि एक पल के लिए भी उनके दिमाग में यह ख्याल नहीं आया कि वह अच्छा थ्रो नहीं कर सकते। लेकिन आखिरकार तकनीकी और शारीरिक चुनौतियों ने उनके प्रदर्शन को प्रभावित किया, जिसके कारण वह अरशद नदीम से पिछड़ गए। भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलिंपिक में अपने प्रदर्शन के बारे में खुलासा किया। नीरज चोपड़ा ने बताया कि कैसे तकनीकी और शारीरिक चुनौतियों के कारण वह पाकिस्तानी खिलाड़ी अरशद नदीम से पीछे रह गए। नीरज ने बताया कि उन्हें एक पल के लिए भी ऐसा नहीं लगा कि वह अच्छा थ्रो नहीं कर सकते, लेकिन कुछ कारणों से वह अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन नहीं कर पाए। नीरज ने स्पष्ट किया कि भाला फेंक में कुछ मीटर का अंतर भी बड़ी बात होती है। उन्होंने बताया कि कॉमनवेल्थ गेम्स में उनका थ्रो 89.94 मीटर था, जबकि अरशद नदीम का थ्रो 90.18 मीटर था। इस बार भी नदीम का थ्रो बेहतरीन था, लेकिन नीरज को भरोसा था कि उनका थ्रो भी उतना ही अच्छा हो सकता था। हालांकि, नीरज ने माना कि वह खुद को पूरी तरह से पूस नहीं कर पाए। मानसिक रूप से वह पूरी तरह से तैयार थे, लेकिन शारीरिक रूप से वह खुद को रोक रहे थे। रनवे पर जिस तरह का लेगवर्क किया जाना चाहिए था, वह उतना अच्छा नहीं था। मानसिक रूप से बहुत प्रयास किया नीरज ने बताया कि लाइन बचाने के प्रयास में वह पूरी ताकत नहीं लगा पाए। उनका दूसरा थ्रो भी नदीम के थ्रो के करीब था, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, शारीरिक बाधाएं बढ़ने लगीं। अपने प्रयासों के बारे में बात करते हुए नीरज ने कहा कि उन्होंने मानसिक रूप से बहुत प्रयास किया, लेकिन चाहे कितना भी प्रयास किया जाए, जब तक लेगवर्क और तकनीक सही न हो, सफलता नहीं मिलती। नीरज ने जोर देकर कहा कि एक पल के लिए भी उनके दिमाग में यह ख्याल नहीं आया कि वह अच्छा थ्रो नहीं कर सकते। लेकिन आखिरकार तकनीकी और शारीरिक चुनौतियों ने उनके प्रदर्शन को प्रभावित किया, जिसके कारण वह अरशद नदीम से पिछड़ गए। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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करनाल में व्यक्ति ने निगला जहर:इलाज के दौरान मौत, जीजा की मौत के बाद चल रहा था परेशान, 3 बच्चो का था पिता हरियाणा के करनाल के नगला मेघा गांव में एक व्यक्ति ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। मृतक के साले की एक माह पहले ही मौत हो गई थी। उसकी मौत के बाद से वह मानसिक रूप से परेशान था। जहरीला पदार्थ खाने के बाद परिजनों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया। जहां देर रात उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस ने आज शव का पोस्टमॉर्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया। मृतक के साले जसमेर ने बताया कि उसका साला महावीर दिहाड़ी मजदूरी करता था। कल 23 जून को महावीर (38) ने घर पर ही जहरीला पदार्थ निगल लिया। उसकी हालत बिगड़ने लगी तो उसे अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने उसका उपचार किया, लेकिन शाम को उसकी हालत और बिगड़ गई और देर रात उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। अपने साले की मौत से परेशान था महावीर मृतक के साले जसमेर ने बताया कि मैं झिझंडी गांव का रहने वाला हूं और मेरा भाई कृष्ण कुमार कर्ण मिल्क फूड कंपनी में काम करता था। महावीर की बहन की शादी उसके बड़े भाई कृष्ण कुमार से हुई थी। एक महीने पहले फूड कंपनी में हादसा हुआ था, जिसमें कृष्ण जल गया था और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। कृष्ण की मौत से महावीर को गहरा सदमा लगा और वह मानसिक रूप से परेशान हो गया। कंपनी वालों ने आश्वासन दिया था कि वह मुआवजा देंगे, लेकिन बाद में कंपनी ने मुआवजा देने से साफ इनकार कर दिया। जिससे महावीर और भी ज्यादा डिप्रेशन में चला गया। महावीर किसी से बात भी नहीं करता था, किसी को नहीं पता कि महावीर के दिमाग में क्या आया और उसने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। कंपनी केस बंद करना चाहती थी जसमेर का आरोप है कि कृष्ण की मौत के बाद परिवार कंपनी वालों से मिला, लेकिन उन्होंने कहा कि पहले केस पूरी तरह से बंद करवाओ, उसके बाद ही कुछ मुआवजा दिया जा सकता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब कंपनी वालों ने केस के दौरान ही कोई मुआवजा नहीं दिया तो केस खत्म होने के बाद मुआवजा कहां से देंगे। मृतक के 3 बच्चे, पूरा परिवार गमगीन महावीर के परिवार में तीन बेटे हैं। महावीर की मौत से पूरा परिवार गमगीन है। उसकी पत्नी और बच्चे रो-रोकर बेहाल हैं। महावीर परिवार का इकलौता कमाने वाला था। उसकी मौत के बाद परिवार गमगीन है। घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया। सदर थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है।
हरियाणा BJP को RSS की खरी-खरी:कहा- हमारा सुझाव मानते तो लोकसभा में 8 सीटें जीतते; नेता बोले- विधानसभा मिलकर लड़ेंगे
हरियाणा BJP को RSS की खरी-खरी:कहा- हमारा सुझाव मानते तो लोकसभा में 8 सीटें जीतते; नेता बोले- विधानसभा मिलकर लड़ेंगे हरियाणा के फरीदाबाद में 2 दिन तक चली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की समन्वय बैठक रविवार को संपन्न हो गई। इसमें RSS के नेताओं ने भाजपा को खूब खरी-खरी सुनाई हैं। कहा है कि हमारी बात मान लेते तो लोकसभा में कम से कम 8 सीटें जीत जाते। हालांकि, नेताओं ने यह भी कहा है कि पिछली गलतियों से सीखते हुए आगे सजगता से काम करना है। संघ ने कहा है कि हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा जाएगा। इसमें भाजपा के साथ संघ के कार्यकर्ता हर बूथ स्तर पर एक्टिव होंगे। फरीदाबाद में बैठक हुई
यह बैठक फरीदाबाद के सेक्टर-16 स्थित किसान भवन में रखी गई थी। बैठक में हरियाणा के विधानसभा चुनावों पर विस्तार से चर्चा हुई। इसमें संघ की तरफ से सबसे बड़ा सुझाव हरियाणा में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने को लेकर दिया गया। लोकसभा में हारे बूथों पर वोट प्रतिशत बढ़ाने का तरीका बताया। कहा गया कि ज्यादा से ज्यादा समय लोगों के बीच बिताया जाए, ताकि पार्टी का लोगों पर भरोसा बने। संघ के सभी संगठन मिलकर भाजपा के लिए ग्राउंड पर वर्किंग करेंगे। भाजपा अपने बूथ पर सुनिश्चित करेगी कि हर घर में संपर्क करे। कार्यकर्ता प्रदेश के मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय मुद्दों पर बात करें। इस बैठक को RSS के सह सरकार्यवाहक अरूण कुमार ने कोऑर्डिनेट किया। वह हरियाणा प्रांत के प्रचारक रह चुके हैं। हालांकि, पहले दिन की बैठक के बाद अरूण कुमार चले गए, मगर वह हरियाणा को लेकर संघ की भूमिका और कैसे चुनाव को संगठन के बेहतर तालमेल से जीता जा सकता है, इस पर विस्तार से अपनी बात रखकर गए थे। भाजपा ने रखे बूथ स्तर के आंकड़े
हरियाणा में BJP ने लोकसभा चुनाव के बूथ स्तर के आंकड़े भी रखे। इसमें देखा गया कि भाजपा 49% बूथों पर हार गई। हरियाणा में लोकसभा चुनाव में 19812 बूथ थे। इन बूथों में से BJP 9740 बूथ जीत पाई है। बाकी बचे 10,072 बूथ पर कांग्रेस सहित अन्य दल जीते। जिन बूथों पर भाजपा हारी, वहां भाजपा की टीम भी थी और कार्यकर्ता भी, मगर संघ की रिपोर्ट में आया कि इन बूथों पर कार्यकर्ता ही घर से बाहर नहीं निकले। कार्यकर्ताओं के परिवार वालों ने ही शत प्रतिशत वोटिंग नहीं की। इसके अलावा शहरी वोटर, जो भाजपा का कोर वोटर भी है, वह वोट देने में सुस्त रहा। संघ का सुझाव मानते तो हरियाणा में 8 सीट जीतते
समन्वय बैठक में RSS के पदाधिकारियों ने कहा कि अगर संघ के दिए सुझाव पर अमल किया गया होता, तो हरियाणा में भाजपा 8 लोकसभा सीट जीत जाती। 5 सीट पर मार्जिन और बढ़ता और 3 सीट हिसार, अंबाला और सोनीपत भी भाजपा की झोली में होतीं। मगर यहां संघ के दिए सुझाव इंप्लीमेंट नहीं हो पाए। क्या थे संघ के सुझाव
लोकसभा चुनाव से पहले संघ ने मीटिंग कर कहा था कि भाजपा के कार्यकर्ता जमीनी स्तर से लोगों के साथ जुड़ें। वे लोगों के मुद्दों को सुनें और उनके समाधान के लिए काम करें। लेकिन, चुनाव प्रचार के दौरान अपने ही कार्यकर्ता काम करने नहीं निकले। इससे भाजपा के हाथ से 5 सीटें निकल गईं। बैठक में 2 दिन तक फोन बंद रखे गए
RSS-BJP की समन्वय बैठक को पूरी तरह से गुप्त रखा गया। यहां तक गेट पर बैठक में शामिल लोगों की लिस्ट पकड़ा दी गई। सिर्फ अंदर उन लोगों को ही जाने की इजाजत दी गई, जिनका लिस्ट में नाम था। बैठक में शामिल लोगों के गेट पर फोन बंद करवा लिए गए और 2 दिन बाद गेट से बाहर जाने के बाद ही फोन ऑन करने की इजाजत दी गई। ये पदाधिकारी रहे मौजूद
इस बैठक में हरियाणा के संघ नेताओं में क्षेत्रीय संघ चालक पवन जिंदल, क्षेत्रीय संपर्क प्रमुख श्रीकृष्ण सिंघल, क्षेत्रीय सर कार्यवाहक रोशन लाल, RSS के प्रचार विभाग से जुड़े लोग शामिल रहे। वहीं, भाजपा की ओर से प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली, प्रदेश प्रभारी डॉ. सतीश पूनिया, चुनाव सह प्रभारी बिप्लब कुमार देब, प्रदेश महामंत्री सुरेंद्र पूनिया, अर्चना गुप्ता, प्रदेश संगठन मंत्री फणिंद्र शर्मा उपस्थित रहे। इसके अलावा संघ से जुड़े संगठनों के पदाधिकारी भी शामिल हुए। इनमें स्वदेशी जागरण मंच, शिक्षण मंडल, सेवा भारती जैसे तमाम संगठन शामिल हैं। साल में 2 बार यह बैठक होती है। इस बार चुनाव को लेकर हुई बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में खट्टर का UPS का दांव:2.5 लाख सरकारी कर्मचारी; OPS को मुद्दा बना रही कांग्रेस, IAS खेमका साथ आए
हरियाणा विधानसभा चुनाव में खट्टर का UPS का दांव:2.5 लाख सरकारी कर्मचारी; OPS को मुद्दा बना रही कांग्रेस, IAS खेमका साथ आए हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर लगातार BJP नए दांव खेल रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर नाराज चल रहे कर्मचारियों को लेकर बड़ा दांव खेल दिया है। उन्होंने संकेत दे दिया कि यदि हरियाणा में BJP तीसरी बार सत्ता में आती है तो कर्मचारियों के हित में केंद्र की यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) स्कीम को लागू करेंगे। बीजेपी अपने मेनिफेस्टो में भी नई स्कीम को लागू करने का वादा करेगी। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस OPS को प्रदेश में लागू करने का वादा कर रही है। इस बीच केंद्र की UPS पर हरियाणा के एक सीनियर IAS अशोक खेमका ने भी अपना समर्थन दिया है। अब पढ़िए बीजेपी के ऐलान के पीछे की 3 वजह हरियाणा में ढाई लाख सरकारी कर्मचारी
हरियाणा में चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस दांव को चलने की खास वजह प्रदेश के ढाई लाख कर्मचारी हैं। ये कर्मचारी OPS को लेकर पिछले एक साल से आंदोलनरत हैं। इसके लिए कर्मचारियों के एक गुट ने OPS संघर्ष मोर्चा भी बनाया हुआ है। लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को कर्मचारियों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। खट्टर ने इस बड़े सरकारी कर्मचारी वर्ग को साधने के लिए ये दांव चला है। 40 हजार कर्मचारी केंद्र में कर रहे नौकरी
हरियाणा के 2.5 लाख कर्मचारियों में 40 हजार कर्मचारी केंद्र सरकार में काम कर रहे हैं। हालांकि ये हरियाणा के ही वोटर हैं, केंद्र की UPS का केंद्रीय कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलेगा। ये प्रदेश में चुनाव के दौरान यूपीएस के पक्ष में माहौल बनाने में पार्टी की अच्छी मदद कर सकते हैं। राज्य में 90 हजार कर्मचारी ऐसे हैं, जो 2004 के पहले से काम कर रहे हैं। हिमाचल में दिखा था OPS का असर
हिमाचल प्रदेश में 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ओपीएस के चक्कर में ही करारी हार का सामना करना पड़ा था। हिमाचल हरियाणा का सीमावर्ती स्टेट है, इसलिए भाजपा नहीं चाहती कि वहां का कोई भी मुद्दा हरियाणा में प्रभावी हो। यही वजह है कि खट्टर कर्मचारियों की नाराजगी को दूर करने में लगे हुए हैं। अब यहां समझिए UPS क्या है? कब से लागू होगी
दिसंबर 2003 तक सरकारी कर्मचारियों के लिए OPS लागू थी। जनवरी 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार इसे हटाकर न्यू पेंशन स्कीम यानी NPS लाई। NPS पर कई तरह के सवाल उठ रहे थे। मोदी सरकार ने अप्रैल 2023 में टीवी सोमनाथन की अगुआई में एक कमेटी बनाई। इस कमेटी ने हर राज्य के वित्तीय सचिव, नेताओं, सैकड़ों कर्मचारी यूनियन के साथ चर्चा की। उसके बाद कमेटी ने कैबिनेट को न्यू पेंशन स्कीम में बदलाव के लिए कुछ सिफारिशें कीं। 24 अगस्त 2024 को मोदी सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी UPS को मंजूरी दी है। इसे अगले वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा। यहां पढ़िए यूपीएस और ओपीएस में क्या हैं 3 बड़े अंतर… UPS-OPS में पेंशन कैलकुलेट करने का अलग तरीका यूपीएस और ओपीएस दोनों ही पेंशन स्कीमों में सरकारी कर्मचारियों को एश्योर्ड पेंशन देने का प्रावधान है। लेकिन पेंशन की गणना करने के तौर तरीकों में बड़ा अंतर है। ओपीएस में सरकारी कर्मचारी के रिटायरमेंट से ठीक पहले की आखिरी बेसिक सैलेरी और महंगाई भत्ता का 50% पेंशन के तौर पर दिया जाता है। जबकि यूनिफाइड पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट से पहले की 12 महीने की बेसिक सैलेरी और डीए का जो औसत बनेगा वही एश्योर्ड पेंशन के तौर पर दिया जाएगा। UPS में योगदान जरूरी, OPS में ये प्रावधान नहीं यूपीएस में कर्मचारियों को यूपीएस में अपने बेसिक पे और डीए का 10 फीसदी पेंशन फंड में देना होगा जैसे वे एनपीएस में करते आए हैं। सरकार, कर्मचारी के लिए पेंशन फंड में अपनी तरफ से 18.5% का योगदान करेगी जिसकी लिमिट एनपीएस में 14 फीसदी थी। ओपीएस में कर्मचारियों को अपनी ओर से पेंशन फंड में कोई योगदान नहीं करना पड़ता था। पेंशन पाने के लिए OPS में 20 साल, UPS में 25 साल जरूरी यूपीएस में कम से कम 25 वर्षों तक के सर्विस के बाद ही तय फॉर्मूले के तहत सरकारी कर्मचारी एश्योर्ड पेंशन पाने का हकदार होंगे। ओपीएस में नियम कुछ और था। ओल्ड पेंशन स्कीम में केंद्रीय कर्मचारी 20 साल की नौकरी के बाद ही पेंशन पाने का हकदार हो जाते थे। यानी यूनिफाइड पेंशन स्कीम में एश्योर्ड पेंशन के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम से 5 साल ज्यादा लंबे समय तक सर्विस करना होगा। यूपीएस पर हरियाणा में इन वजहों से फंस रहा पेंच 1. एक अप्रैल 2025 से लागू होने वाली यूपीएस के लिए 25 वर्ष की सेवा को अनिवार्य किया गया है। इससे पहले ओपीएस में सिर्फ 20 वर्ष की नौकरी का प्रावधान था। हरियाणा के कर्मचारियों को सरकार का यह बाध्यता ठीक नहीं लग रही है। 2. एक आंकड़े के तहत प्रदेश में काफी संख्या में लोग 40 वर्ष के बाद नौकरी में आते हैं। इस तरह से करीब आधे कर्मचारी इस योजना में शामिल ही नहीं हो सकते हैं। वहीं कर्मचारियों के वेतन से जो 10 फीसदी पैसा कटेगा उसे उसे सरकार अपने पास रखेगी। सेवानिवृत्त के बाद कर्मचारियों को इसमें से कुछ भी नहीं मिलेगा। 3. यूपीएस में मेडिकल व डीए की बात नहीं की गई है। कर्मचारियों को सेवानिवृत्त के समय महज 6 महीने का वेतन ही दिया जाएगा। हालांकि इसमें सरकार अपना शेयर 14 से 18.5 फीसदी करने जा रही है, लेकिन कर्मचारी इसमें अपना कोई लाभ नहीं देख रहे हैं। 4. हरियाणा के कर्मचारी संगठनों का कहना है कि पहले केंद्र सरकार एनपीएस में कमी नहीं मान रही थी। लेकिन जब उसे कमी महसूस हुई तो यूपीएस बनाने के लिए एक बार भी केंद्र सरकार ने उन्हें सुझाव के लिए नहीं बुलाया। पेंशन बहाली संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल ने कहा कि हमारी मांग ओपीएस बहाली की थी और ओपीएस बहाली तक ही आंदोलन जारी रहेगा। IAS अशोक खेमका समर्थन में आए हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. अशोक खेमका ने केंद्र सरकार की ओर से घोषित यूपीएस योजना का समर्थन किया है। सोशल प्लेटफार्म X पर लिखी पोस्ट में खेमका ने कहा कि 2004 के बाद के केंद्रीय कर्मचारियों को यूपीएस योजना की घोषणा से बड़ी राहत मिली है। मुझे आशा है कि जल्द ही राज्यों द्वारा बिना देरी किए इसे लागू किया लाएगा। वहीं प्रदेश के कई अन्य आईएएस अफसरों ने भी यूपीएस को एनपीएस से बेहतर बताया है।