नूंह में फिरोजपुर झिरका के गांव बसई मेव में अवैध खनन को लेकर सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी (सीईसी) की रिपोर्ट के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने बड़ी कार्रवाई की है। एसीबी ने वन विभाग, खनन एवं भूविज्ञान विभाग और राजस्व के चकबंदी विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ-साथ गांव के निवर्तमान सरपंच और खनन माफिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। मामले में जांच जारी है। जानकारी के अनुसार, अवैध खनन के इस केस में FIR एसीबी ने डीएसपी अशोक कुमार की शिकायत पर दर्ज की है। इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली पहाड़ियों में अवैध खनन संबंधी गतिविधियों की निगरानी के लिए गठित सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी (सीईसी) की 15 अप्रैल को पेश की गई निरीक्षण रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। ये सिफारिशें रिपोर्ट के पैरा नंबर 17 में वर्णित हैं। इसमें बताया गया है कि राजस्थान बॉर्डर के साथ लगते गांव बसई मेव में ऐसे रास्तों का निर्माण कर दिया गया जो गैर जरूरी और स्थानीय किसानों के लिए अहितकर थे। इन रास्तों का सीधा उद्देश्य अवैध खनन को बढ़ावा देना और राजस्थान सीमा के गांवों से आने वाली खनन सामग्री को अवैध तरीके से हरियाणा की सीमा में प्रवेश देना है। अधिकारियों और गांव के सरपंच की मिलीभगत मिली कमेटी ने अपनी सिफारिश में साफ आरोप लगाया है कि इन रास्तों का निर्माण वन विभाग, राजस्व विभाग, चकबंदी विभाग, खनन एवं भूविज्ञान विभाग के अधिकारियों ने बसई मेव गांव के सरपंच तथा खनन माफिया के साथ गठजोड़ करके करवाया है। आरोप ये भी हैं कि सरकारी विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के ने खनन माफिया के साथ जुगलबंदी करके अवैध धन अर्जित करने की नीयत से कानून की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध रास्तें बनवाए हैं। सीईसी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर भी हैरत जताई कि स्थानीय किसानों को न तो रास्तों के निर्माण की कोई सूचना पहले दी और न ही इसके बदले में कोई मुआवजा दिया गया। रास्तों के निर्माण में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना रास्तों के निर्माण से 7 मई 1992 के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना तो हुई ही, पंजाब भू संरक्षण कानून 1900 की भी धज्जियां उड़ाई गई। नियम के बावजूद इन रास्तों के निर्माण से पहले वन विभाग की मंजूरी भी नहीं ली गई। गौरतलब है कि सरपंच हनीफ उर्फ हन्नान को पहले ही इस मामले में सस्पेंड किया जा चुका है। सीईसी की सिफारिश पर इस मामले की जांच एसीबी को 90 दिन में पूरी कर रिपोर्ट भी पेश करनी है। प्राथमिक तौर पर एफआईआर में बसई मेव के सरपंच हनीफ उर्फ हन्नान का ही नाम है। एसीबी के अधिकारियों का कहना है कि जांच शुरू कर दी गई है। जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। नियमानुसार आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। नूंह में फिरोजपुर झिरका के गांव बसई मेव में अवैध खनन को लेकर सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी (सीईसी) की रिपोर्ट के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने बड़ी कार्रवाई की है। एसीबी ने वन विभाग, खनन एवं भूविज्ञान विभाग और राजस्व के चकबंदी विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ-साथ गांव के निवर्तमान सरपंच और खनन माफिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। मामले में जांच जारी है। जानकारी के अनुसार, अवैध खनन के इस केस में FIR एसीबी ने डीएसपी अशोक कुमार की शिकायत पर दर्ज की है। इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली पहाड़ियों में अवैध खनन संबंधी गतिविधियों की निगरानी के लिए गठित सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी (सीईसी) की 15 अप्रैल को पेश की गई निरीक्षण रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। ये सिफारिशें रिपोर्ट के पैरा नंबर 17 में वर्णित हैं। इसमें बताया गया है कि राजस्थान बॉर्डर के साथ लगते गांव बसई मेव में ऐसे रास्तों का निर्माण कर दिया गया जो गैर जरूरी और स्थानीय किसानों के लिए अहितकर थे। इन रास्तों का सीधा उद्देश्य अवैध खनन को बढ़ावा देना और राजस्थान सीमा के गांवों से आने वाली खनन सामग्री को अवैध तरीके से हरियाणा की सीमा में प्रवेश देना है। अधिकारियों और गांव के सरपंच की मिलीभगत मिली कमेटी ने अपनी सिफारिश में साफ आरोप लगाया है कि इन रास्तों का निर्माण वन विभाग, राजस्व विभाग, चकबंदी विभाग, खनन एवं भूविज्ञान विभाग के अधिकारियों ने बसई मेव गांव के सरपंच तथा खनन माफिया के साथ गठजोड़ करके करवाया है। आरोप ये भी हैं कि सरकारी विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के ने खनन माफिया के साथ जुगलबंदी करके अवैध धन अर्जित करने की नीयत से कानून की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध रास्तें बनवाए हैं। सीईसी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर भी हैरत जताई कि स्थानीय किसानों को न तो रास्तों के निर्माण की कोई सूचना पहले दी और न ही इसके बदले में कोई मुआवजा दिया गया। रास्तों के निर्माण में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना रास्तों के निर्माण से 7 मई 1992 के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उल्लंघना तो हुई ही, पंजाब भू संरक्षण कानून 1900 की भी धज्जियां उड़ाई गई। नियम के बावजूद इन रास्तों के निर्माण से पहले वन विभाग की मंजूरी भी नहीं ली गई। गौरतलब है कि सरपंच हनीफ उर्फ हन्नान को पहले ही इस मामले में सस्पेंड किया जा चुका है। सीईसी की सिफारिश पर इस मामले की जांच एसीबी को 90 दिन में पूरी कर रिपोर्ट भी पेश करनी है। प्राथमिक तौर पर एफआईआर में बसई मेव के सरपंच हनीफ उर्फ हन्नान का ही नाम है। एसीबी के अधिकारियों का कहना है कि जांच शुरू कर दी गई है। जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। नियमानुसार आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
