पंजाब में पैदा हुई DAP फर्टिलाइजर की दिक्कत को लेकर स्पेशल चीफ सेक्रेटरी केएपी सिन्हा ने आज (शुक्रवार) केंद्रीय फर्टिलाइजर मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात की है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते DAP के स्टॉक को पूरा नहीं किया तो पंजाब में गेहूं की पैदावार में भारी कमी आ सकती है। जिससे आर्थिक नुकसान होगा। इससे पहले इस मामले में पंजाब सीएम भगवंत ने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखा था। अभी तक ऐसे मुहैया करवाई गई DAP पंजाब में रबी के सीजन में 35 लाख हेक्टेयर पर गेहूं की फसल की बुआई के लिए 5.5 लाख मीट्रिक टन DAP की फर्टिलाइजर की आवश्यकता होती है। एक जुलाई तक सिर्फ 40 हजार मीट्रिक टन DAP केंद्र द्वारा उपलब्ध करवाया गया। जो कि 5.1 लाख मीट्रिक टन कम है। सितंबर के दूसरे हिस्से में पहले आलू की बुआई फिर अक्तूबर में गेहूं की बुआई के लिए DAP जरूरी है। एक लाख मीट्रिक टन की स्टोरेज खेतीबाड़ी विभाग की माने तो राज्य में इस बार 35 लाख हेक्टेयर रकबे पर गेहूं की बिजाई होनी होनी है। ऐसे में खाद की जरूरत है। हालांकि विभाग की तरफ से एक लाख मीट्रिक टन का भंडार रखा हुआ है। जबकि बाकी कुछ रैक आने वाले दिनों में आने की उम्मीद है। कोशिश यही है कि किसानों को किसी तरह की दिक्कत न उठानी पड़े। पहले केंद्र के समक्ष यह मामला उठाया था इससे पहले पंजाब ने एफसीआई के पास चावल की डिलीवरी के लिए कवर स्टोरेज स्पेस (भंडारण की जगह) की कमी के मुद्दे को उठाया था। इसी मामले में कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक ने केंद्रीय उपभोक्ता खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी से कुछ दिन पहले मुलाकात की थी। इस मौके मंत्री लाल चंद ने कहा कि राज्य में चावल के भंडारण के लिए जगह की भारी कमी है। पिछले 5 महीनों से (24 अप्रैल से) राज्य से केवल 3-4 लाख मीट्रिक टन चावल की सीमित आवाजाही के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है। ऐसे में विशेष ट्रेन लगवाकर इस बारे में कदम उठाए जाए। पंजाब में पैदा हुई DAP फर्टिलाइजर की दिक्कत को लेकर स्पेशल चीफ सेक्रेटरी केएपी सिन्हा ने आज (शुक्रवार) केंद्रीय फर्टिलाइजर मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात की है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते DAP के स्टॉक को पूरा नहीं किया तो पंजाब में गेहूं की पैदावार में भारी कमी आ सकती है। जिससे आर्थिक नुकसान होगा। इससे पहले इस मामले में पंजाब सीएम भगवंत ने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखा था। अभी तक ऐसे मुहैया करवाई गई DAP पंजाब में रबी के सीजन में 35 लाख हेक्टेयर पर गेहूं की फसल की बुआई के लिए 5.5 लाख मीट्रिक टन DAP की फर्टिलाइजर की आवश्यकता होती है। एक जुलाई तक सिर्फ 40 हजार मीट्रिक टन DAP केंद्र द्वारा उपलब्ध करवाया गया। जो कि 5.1 लाख मीट्रिक टन कम है। सितंबर के दूसरे हिस्से में पहले आलू की बुआई फिर अक्तूबर में गेहूं की बुआई के लिए DAP जरूरी है। एक लाख मीट्रिक टन की स्टोरेज खेतीबाड़ी विभाग की माने तो राज्य में इस बार 35 लाख हेक्टेयर रकबे पर गेहूं की बिजाई होनी होनी है। ऐसे में खाद की जरूरत है। हालांकि विभाग की तरफ से एक लाख मीट्रिक टन का भंडार रखा हुआ है। जबकि बाकी कुछ रैक आने वाले दिनों में आने की उम्मीद है। कोशिश यही है कि किसानों को किसी तरह की दिक्कत न उठानी पड़े। पहले केंद्र के समक्ष यह मामला उठाया था इससे पहले पंजाब ने एफसीआई के पास चावल की डिलीवरी के लिए कवर स्टोरेज स्पेस (भंडारण की जगह) की कमी के मुद्दे को उठाया था। इसी मामले में कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक ने केंद्रीय उपभोक्ता खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी से कुछ दिन पहले मुलाकात की थी। इस मौके मंत्री लाल चंद ने कहा कि राज्य में चावल के भंडारण के लिए जगह की भारी कमी है। पिछले 5 महीनों से (24 अप्रैल से) राज्य से केवल 3-4 लाख मीट्रिक टन चावल की सीमित आवाजाही के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है। ऐसे में विशेष ट्रेन लगवाकर इस बारे में कदम उठाए जाए। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब को बढ़ानी पड़ेगी सुखना इको जोन की सीमा:SC केस में सख्त, बनाई जा रही है स्ट्रेटजी, सितंबर में है सुनवाई पंजाब सरकार अपने एरिया में सुखना इको सेंसिटिव जोन की सीमा को बढ़ाने के लिए नए सिरे से विचार कर रही है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को आदेश दिया है कि सितंबर माह तक इसकी सीमा तय की जाए। मामले की 18 सितंबर को सुनवाई है। वहीं, इसके बाद संबंधित विभाग स्ट्रेटजी तैयारी करने में जुट गया है। माना जा रहा है इस संबंधी प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट मीटिंग में लाया जाएगा। अगर यह एरिया बढ़ता है तो कई रसूखदार लोग मुश्किल में आ सकते हैं। क्योंकि उस एरिया में कई लोगों ने अपने फार्म हाउस तक बनाए हुए हैं। जबकि कुछ तो उनका काॅमर्शियल प्रयोग तक कर रहे हैं। इसके चलते कुछ मालिकों को नोटिस तक जारी हुआ था। एरिया बढ़ा तो यह लोग हो सकते हैं प्रभावित इस मामले में पंजाब चाहता है कि यह एरिया केवल 100 मीटर का हो। क्योंकि इस एरिया में कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। लेकिन चंडीगढ़ को भी इस पर आपत्ति था। जिसके बाद अब कई चीजों पर मंथन हो रहा है। सूत्रों की माने तो इस एरिया में को अगर 10 किलोमीटर तक बढ़ाया जाता है, तो करीब 46 फार्म हाउस प्रभावित होंगे। वहीं, एक किलोमीटर तक सीमा बढ़ाई जाती है तो 17 फार्म हाउस प्रभावित होंगे। अगर एरिया ढाई से पांच किलोमीटर तक बढ़ाया जाता है तो 9 फार्म हाउस प्रभावित होंगे। जो कि स्यूंक, पडछ और माजरी में स्थित है। जबकि एरिया पांच से 10 किलोमीटर तक होने पर पड़ौल, छोटी बौर बड़ी नंगल के करीब नौ फार्म इस एरिया में आएंगे। वहीं, आने वाले समय में गमाडा को अपने प्रोजेक्ट लांच करने से पहले नए सिरे से रणनीति बनानी होगी चंडीगढ़ अपना एरिया पहले घोषित कर चुका है सूत्रों की माने तो इको सेंसिटिव जोन की सीमा बढ़ाने में यदि प्रशासन ने काेई ढील वरती तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा खुद इसका घेरा बढ़ाया जाएगा। सुखना का कुल 26 वर्ग किमी है। चंडीगढ़ प्रशासन ने 2 किमी से 2.75 किमी तक के क्षेत्र को इको जोन घोषित किया हुआ है। उसने इसी तर्ज पर पंजाब व हरियाणा से भी इको जोन घोषित करने की मांग रखी थी। क्येांकि 90 फीसद एरिया पंजाब व हरियाणा में पड़ता है। हरियाणा ने भी अपना एरिया घोषित किया जा चुका है।
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