पंजाब सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी नोटिस पर डेरा प्रमुख राम रहीम की और प्रतिक्रिया आई है। डेरा प्रवक्ता की ओर से कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में डेरा अपना पक्ष रखेगा। पंजाब सरकार की याचिका पर सवाल उठाते हुए डेरा प्रवक्ता ने कहा कि इस याचिका में अधूरे तथ्यों को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया है। इसका हम कानूनी जवाब सुप्रीम कोर्ट में जल्द ही पूरे तथ्यों के साथ दायर करेंगे। हमने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के समक्ष जब सभी तथ्यों को रखा था तो हाईकोर्ट ने इन केसों पर रोक लगा दी थीI सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (18 अक्टूबर) को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें गुरमीत राम रहीम के खिलाफ 2015 में पवित्र ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों में ट्रायल पर रोक लगाई गई थी। इसलिए हाईकोर्ट गया था राम रहीम जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने पंजाब सरकार की उस याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें हाईकोर्ट द्वारा राम रहीम के ट्रायल पर रोक को चुनौती दी गई थी।दरअसल, 2021 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम ने जून और अक्टूबर 2015 के बीच श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की तीन अलग-अलग घटनाओं की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया। क्योंकि पंजाब सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने राम रहीम को आरोपी बनाया था। डेरा प्रमुख ने की थी सीबीआई जांच जारी रखने की मांग हाईकोर्ट में डेरा प्रमुख ने पंजाब सरकार की 6 सितंबर, 2018 की अधिसूचना को चुनौती दी थी। जिसमें सरकार ने जांच को सीबीआई को सौंपने की अपनी सहमति वापस ले ली थी। अपनी याचिका में डेरा प्रमुख ने मांग की थी कि सीबीआई को बेअदबी के मामलों की जांच जारी रखने का निर्देश दिया जाए। इस साल मार्च में हाईकोर्ट ने इस याचिका को बड़ी बेंच को भेज दिया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गई सहमति को बाद में वापस लिया जा सकता है या नहीं। इसके बाद कोर्ट ने आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। जिस पर पंजाब सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कल की सुनवाई में दी गईं ये दलीलें वहीं कल यानी 18 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा कि 6 सितंबर की अधिसूचना कानून की नजर में सही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे सही ठहराया है। दूसरी ओर, प्रतिवादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सोनिया माथुर ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने बस वही किया है जो पंजाब सरकार ने वैकल्पिक रूप से अनुरोध किया था। उन्होंने बताया कि यह मुद्दा दो तरह के मामलों से संबंधित है – पहला- पुलिस गोलीबारी की घटनाओं से संबंधित है, और दूसरा- बेअदबी से संबंधित है। इसके अलावा, इस मुद्दे पर अलग-अलग विचार लिए गए हैं, इसलिए हाईकोर्ट द्वारा बड़ी बेंच को रेफर किया गया। सीनियर वकील ने यह भी कहा कि मामला आज डिवीजन बेंच के समक्ष सूचीबद्ध है और अगर राज्य स्थगन नहीं ले रहा होता, तो अब तक इस पर फैसला हो चुका होता। माथुर की बात सुनते हुए जस्टिस गवई ने पूछा, “कैसे… समन्वय पीठ के आदेश की अनदेखी कर सकते हैं? “पंजाब के एजी ने भी माथुर की दलील का विरोध करते हुए कहा कि सभी मामले अधिसूचना का हिस्सा थे। आखिरकार, पीठ ने नोटिस जारी किया और विवादित आदेश पर रोक लगा दी। यहां जानिए पूरा विवाद… इस विवाद के केंद्र में पंजाब में अपवित्रीकरण की कई घटनाएं हैं, जो जून 2015 में फरीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में एक गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति की चोरी से शुरू हुई थी। इसके बाद, सितंबर में, फरीदकोट के जवाहर सिंह वाला और बरगाड़ी गांवों में पवित्र ग्रंथ के खिलाफ हाथ से लिए हुए अपवित्र पोस्टर लगाए गए। उसी वर्ष अक्टूबर में, बरगाड़ी में एक गुरुद्वारे के पास पवित्र ग्रंथ के कई फटे हुए अंग (पृष्ठ) बिखरे हुए मिले। बाद में स्थिति ये बन आई कि पंजाब में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। राज्य पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई। इस दौरान पंजाब में सामाजिक और राजनीतिक अशांति और बढ़ गई। गुरु ग्रंथ साहिब की प्रति की चोरी और अपवित्रता से संबंधित तीन परस्पर जुड़े मामलों में कुल 12 लोगों को नामजद किया गया था। शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की पिछली गठबंधन सरकार ने नवंबर में जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई के क्लोजर रिपोर्ट में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। जून 2019 में, सीबीआई ने एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की जिसमें कहा गया कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला, लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी शिरोमणि अकाली दल दोनों ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया। कुछ ही महीनों के भीतर, पंजाब सरकार ने सीबीआई को जांच करने की अनुमति देने वाली सहमति वापस ले ली और मामलों को राज्य पुलिस के एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंप दिया गया। तीनों मामलों में आरोप तय करने पर बहस के दौरान फरीदकोट अदालत में मुकदमा लंबित था। सीबीआई जांच के नतीजे से पूरी तरह अलग हटकर, एसआईटी ने कई डेरा अनुयायियों, तीन राष्ट्रीय समिति के सदस्यों और डेरा प्रमुख राम रहीम को बेअदबी के मामलों में आरोपी बनाया। पंजाब पुलिस ने विवादास्पद, गुरमीत राम रहीम सिंह को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामित किया। 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने बेअदबी के मामलों में राम रहीम और सात अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा पंजाब के फरीदकोट से चंडीगढ़ ट्रांसफर करने का निर्देश दिया था। पंजाब सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी नोटिस पर डेरा प्रमुख राम रहीम की और प्रतिक्रिया आई है। डेरा प्रवक्ता की ओर से कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में डेरा अपना पक्ष रखेगा। पंजाब सरकार की याचिका पर सवाल उठाते हुए डेरा प्रवक्ता ने कहा कि इस याचिका में अधूरे तथ्यों को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया है। इसका हम कानूनी जवाब सुप्रीम कोर्ट में जल्द ही पूरे तथ्यों के साथ दायर करेंगे। हमने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के समक्ष जब सभी तथ्यों को रखा था तो हाईकोर्ट ने इन केसों पर रोक लगा दी थीI सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (18 अक्टूबर) को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें गुरमीत राम रहीम के खिलाफ 2015 में पवित्र ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों में ट्रायल पर रोक लगाई गई थी। इसलिए हाईकोर्ट गया था राम रहीम जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने पंजाब सरकार की उस याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें हाईकोर्ट द्वारा राम रहीम के ट्रायल पर रोक को चुनौती दी गई थी।दरअसल, 2021 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम ने जून और अक्टूबर 2015 के बीच श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की तीन अलग-अलग घटनाओं की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया। क्योंकि पंजाब सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने राम रहीम को आरोपी बनाया था। डेरा प्रमुख ने की थी सीबीआई जांच जारी रखने की मांग हाईकोर्ट में डेरा प्रमुख ने पंजाब सरकार की 6 सितंबर, 2018 की अधिसूचना को चुनौती दी थी। जिसमें सरकार ने जांच को सीबीआई को सौंपने की अपनी सहमति वापस ले ली थी। अपनी याचिका में डेरा प्रमुख ने मांग की थी कि सीबीआई को बेअदबी के मामलों की जांच जारी रखने का निर्देश दिया जाए। इस साल मार्च में हाईकोर्ट ने इस याचिका को बड़ी बेंच को भेज दिया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गई सहमति को बाद में वापस लिया जा सकता है या नहीं। इसके बाद कोर्ट ने आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। जिस पर पंजाब सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कल की सुनवाई में दी गईं ये दलीलें वहीं कल यानी 18 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा कि 6 सितंबर की अधिसूचना कानून की नजर में सही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे सही ठहराया है। दूसरी ओर, प्रतिवादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सोनिया माथुर ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने बस वही किया है जो पंजाब सरकार ने वैकल्पिक रूप से अनुरोध किया था। उन्होंने बताया कि यह मुद्दा दो तरह के मामलों से संबंधित है – पहला- पुलिस गोलीबारी की घटनाओं से संबंधित है, और दूसरा- बेअदबी से संबंधित है। इसके अलावा, इस मुद्दे पर अलग-अलग विचार लिए गए हैं, इसलिए हाईकोर्ट द्वारा बड़ी बेंच को रेफर किया गया। सीनियर वकील ने यह भी कहा कि मामला आज डिवीजन बेंच के समक्ष सूचीबद्ध है और अगर राज्य स्थगन नहीं ले रहा होता, तो अब तक इस पर फैसला हो चुका होता। माथुर की बात सुनते हुए जस्टिस गवई ने पूछा, “कैसे… समन्वय पीठ के आदेश की अनदेखी कर सकते हैं? “पंजाब के एजी ने भी माथुर की दलील का विरोध करते हुए कहा कि सभी मामले अधिसूचना का हिस्सा थे। आखिरकार, पीठ ने नोटिस जारी किया और विवादित आदेश पर रोक लगा दी। यहां जानिए पूरा विवाद… इस विवाद के केंद्र में पंजाब में अपवित्रीकरण की कई घटनाएं हैं, जो जून 2015 में फरीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में एक गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति की चोरी से शुरू हुई थी। इसके बाद, सितंबर में, फरीदकोट के जवाहर सिंह वाला और बरगाड़ी गांवों में पवित्र ग्रंथ के खिलाफ हाथ से लिए हुए अपवित्र पोस्टर लगाए गए। उसी वर्ष अक्टूबर में, बरगाड़ी में एक गुरुद्वारे के पास पवित्र ग्रंथ के कई फटे हुए अंग (पृष्ठ) बिखरे हुए मिले। बाद में स्थिति ये बन आई कि पंजाब में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। राज्य पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई। इस दौरान पंजाब में सामाजिक और राजनीतिक अशांति और बढ़ गई। गुरु ग्रंथ साहिब की प्रति की चोरी और अपवित्रता से संबंधित तीन परस्पर जुड़े मामलों में कुल 12 लोगों को नामजद किया गया था। शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की पिछली गठबंधन सरकार ने नवंबर में जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई के क्लोजर रिपोर्ट में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। जून 2019 में, सीबीआई ने एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की जिसमें कहा गया कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला, लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी शिरोमणि अकाली दल दोनों ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया। कुछ ही महीनों के भीतर, पंजाब सरकार ने सीबीआई को जांच करने की अनुमति देने वाली सहमति वापस ले ली और मामलों को राज्य पुलिस के एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंप दिया गया। तीनों मामलों में आरोप तय करने पर बहस के दौरान फरीदकोट अदालत में मुकदमा लंबित था। सीबीआई जांच के नतीजे से पूरी तरह अलग हटकर, एसआईटी ने कई डेरा अनुयायियों, तीन राष्ट्रीय समिति के सदस्यों और डेरा प्रमुख राम रहीम को बेअदबी के मामलों में आरोपी बनाया। पंजाब पुलिस ने विवादास्पद, गुरमीत राम रहीम सिंह को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामित किया। 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने बेअदबी के मामलों में राम रहीम और सात अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा पंजाब के फरीदकोट से चंडीगढ़ ट्रांसफर करने का निर्देश दिया था। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
चंडीगढ़ में ASI का आज होगा पोस्टमार्टम:सल्फास खाकर की थी आत्महत्या, सीबीआई के चंगुल से बच निकला था
चंडीगढ़ में ASI का आज होगा पोस्टमार्टम:सल्फास खाकर की थी आत्महत्या, सीबीआई के चंगुल से बच निकला था चंडीगढ़ पुलिस के मृतक एएसआई बिजेंद्र का पोस्टमार्टम आज सेक्टर 16 के अस्पताल में होगा। उसने कल यानी मंगलवार सल्फास खाकर आत्महत्या कर ली थी। सतीश के परिजनों को पोस्टमार्टम के लिए सूचित कर दिया गया है। वे आज अस्पताल पहुंचेंगे। उनकी मौजूदगी में पोस्टमार्टम किया जाएगा। इसके बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा। बता दें कि ASI ने सेक्टर-26 थाने से सीबीआई के चंगुल से भाग निकला था। सीबीआई ने उसके एक साथी सतीश को 20 हजार रुपये की रिश्वत के साथ पकड़ा था। बिजेंद्र ने यह 20 हजार रुपये सतीश को दिए थे। कल दोपहर सीबीआई ने बिछाया था जाल कल दोपहर सीबीआई ने बिजेंद्र को रंगे हाथों पकड़ने के लिए जाल बिछाया था। लेकिन उसे पहले ही इसकी भनक लग गई थी। इसलिए वह तुरंत मौके से भाग निकला। बाद में सीबीआई ने एएसआई सतीश से पूछताछ की। इसके बाद बिजेंद्र के घर और अन्य ठिकानों पर छापेमारी भी की गई। लेकिन वह वहां नहीं मिला। शाम को सूचना मिली कि सेक्टर 40 में एक पुलिसकर्मी ने आत्महत्या कर ली है। पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला कि वह बिजेंद्र ही था जो सीबीआई के चंगुल से भाग निकला था। इस घटना के बाद सीबीआई की टीम भी मौके पर पहुंची। पुलिस और फोरेंसिक विभाग की टीम ने मौके की जांच की। उसकी कार की तलाशी ली गई। लेकिन कार में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। आरोपी को बचाने के लिए मांगी थी रिश्वत सीबीआई में शिकायत करने वाली युवती ने सीबीआई को बताया कि बिजेंदर ने कहा था कि वह भूरा (शिकायतकर्ता का भाई) की मदद करना चाहता है। वह चालान से भूरा का नाम निकलवा देगा। इसके लिए मेडिकल रिपोर्ट बनानी पड़ेगी। इसमें झगड़े में घायल युवक को कम चोट दिखा देंगे। इसके लिए 40,000 रुपए लगेंगे। जिसमें से कुछ डॉक्टर को भी देने होंगे। भूरा की बहन ने कहा कि इतने रुपए तो उसके पास नहीं है, फिर वह आखिर में 20,000 लेने पर राजी हो गया। जबकि सच्चाई यह थी कि पुलिस युवती के भाई के खिलाफ कुछ दिन पहले ही जिला अदालत में चालान पेश कर चुकी है।
रूपनगर में श्री भट्ठा साहिब गुरुद्वारा पहुंचे CM मान:प्रकाश पर्व पर दरबार में हुए नतमस्तक, बोले-गुरुओं ने हमारी कौम के लिए लड़ाई लड़ी
रूपनगर में श्री भट्ठा साहिब गुरुद्वारा पहुंचे CM मान:प्रकाश पर्व पर दरबार में हुए नतमस्तक, बोले-गुरुओं ने हमारी कौम के लिए लड़ाई लड़ी पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान आज अपनी पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर के साथ श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पावन प्रकाश पर्व के अवसर पर गुरुद्वारा श्री भट्ठा साहिब रूपनगर में नतमस्तक हुए। उन्होंने पहले गुरुद्वारा साहिब के दरबार में हाजरी लगाई। साथ ही गुरुद्वारे के इतिहास के बारे में जाना। कड़ी सुरक्षा के बीच सीएम मान अपने परिवार के साथ दरबार पहुंचे। करीब आधे घंटे तक गुरुद्वारे में रहने के बाद सीएम मान वहां से रवाना हो गए। सीएम मान बोले- सवा लाख से एक लड़ाऊं, तां गोबिंद सिंह नाम कहाऊं पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान ने कहा- आज मैं श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पावन प्रकाश पर्व पर गुरु द्वारा श्री भट्ठा साहिब रूपनगर में माथा टेकने पहुंचा हूं। प्रकाश उत्सव को देखते हुए आज मैं परिवार के साथ गुरुओं के दरबार पहुंचा हूं। हमारे गुरुओं ने हमारी कौम के लिए लड़ाई लड़ी है। सीएम मान ने आगे कह- लड़ाई भी कोई आम नहीं, बल्कि एक तरफ लाखों हमलावर होते थे और एक तरफ अकेले हमारे गुरु। ऐसी लड़ाइयां हमारे गुरुओं ने जीती हैं। इसलिए कहते हैं कि सवा लाख से एक लड़ाऊं, तां गोबिंद सिंह नाम कहाऊं। सीएम मान ने आगे कहा- जितना श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के बारे में पढ़ेंगे, उतना ही हम उसमें डूबते जाएंगे।
हरियाणा को जमीन देने पर पंजाब BJP प्रधान को ऐतराज:पीएम से फैसले पर दोबारा विचार की मांग, बोले-चंडीगढ़ भूमि का टुकड़ा नहीं-भावनाएं जुड़ी
हरियाणा को जमीन देने पर पंजाब BJP प्रधान को ऐतराज:पीएम से फैसले पर दोबारा विचार की मांग, बोले-चंडीगढ़ भूमि का टुकड़ा नहीं-भावनाएं जुड़ी चंडीगढ़ में हरियाणा के नए विधानसभा भवन के लिए जगह देने पर पंजाब का राजनीतिक माहौल गर्माया हुआ है। वहीं, इस मामले में पंजाब भाजपा के प्रधान सुनील जाखड़ ने सख्त ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ उनके लिए जमीन का टुकड़ा नहीं है। इससे लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि, पंजाब को अतीत में मिले घावों पर मरहम लगाने के प्रधानमंत्री ने कई प्रयास किए हैं। लेकिन हरियाणा को चंडीगढ़ में विधानसभा भवन के लिए अलग जगह अलॉट करने से लोगों को ठेस पहुंचेगी। उन्हें इस फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए। उन्होंने इस बारे में सोशल मीडिया अकाउंट X पर इस बारे में पोस्ट डालकर अपनी राय रखी है। वहीं, उन्होंने इस मामले में सीएम भगवंत मान को भी घेरा है। जाखड़ ने एक ही पोस्ट में दो मुद्दे उठाए पीएम व्यक्तिगत रूप में मामले में करें हस्तक्षेप अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर जाखड़ ने लिखा है कि पंजाब की राजधानी के रूप में चंडीगढ़ न केवल एक भूमि क्षेत्र है, बल्कि इसके साथ पंजाब के लोगों की गहरी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। पंजाब को अतीत में मिले घावों पर मरहम लगाने की कोशिश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाबियों के सामाजिक और धार्मिक उत्थान के लिए जो कदम उठाए हैं, उनके इन्हीं प्रयासों के तहत हरियाणा को चंडीगढ़ में अलग विधानसभा भवन के लिए 10 एकड़ जमीन दी गई है। पंजाब की आत्मीयता को ठेस पहुंचेगी। मेरा मानना है कि पंजाब और केंद्र के बीच मजबूत संबंध बनाए रखने के लिए इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए और मैं प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने और इस फैसले को रद्द करने की अपील करता हूं। सीएम पंजाब पर उठाया सवाल जिस मुद्दे पर पंजाब की सभी पार्टियां एकमत थीं, उस पर केंद्रीय गृह मंत्री के जयपुर में मौजूद रहने के दौरान आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री की समझदारी की कमी के कारण चंडीगढ़ और पंजाब का दावा कमजोर हो गया है। नॉर्थ जोनल काउंसिल हरियाणा ने विधानसभा के लिए यह जमीन जब मांगी थी तो पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसका विरोध करने की बजाय पंजाब विधानसभा के लिए जमीन मांग कर अपनी माग मुहर लगा दी। उन्होंने आखिर में लिखा है कि पंजाब के नौसिखिए मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा इस मुद्दे पर पंजाब विरोधी सजा पंजाब के लोगों को क्यों चुकानी चाहिए। — इससे पहले पंजाब की सभी राजनीतिक दलों ने इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया था AAP ने कहा कि इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ेंगे इस मामले में पूर्व मंत्री व विधायक अनमोल गगन मान ने कहा कि हमारी सरकार इस मामले में पीछे नहीं हटेगी। इस फैसले के खिलाफ हर तरह की लड़ाई लड़ेंगे। धरने प्रदर्शन तक किए जाएंगे। वहीं, पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार बाज नहीं आ रही है। जिस तरह की खबरें आ रही है कि चंडीगढ़ में हरियाणा को विधानसभा बनाने के लिए दस एकड़ जगह दी जा रही है। इसके बदले हरियाणा चंडीगढ़ प्रशासन को 12 एकड़ जगह पंचकूला में देगा। हरियाणा 12 एकड़ जगह चंडीगढ़ प्रशासन को देने की बजाय अपनी जगह पर विधानसभा बना ले। केंद्र की बीजेपी सरकार किसी न किसी तरीके से चंडीगढ़ पर पंजाब का हक कमजोर करने की कोशिश कर रही है। सभी जानते हैं कि जब चंडीगढ़ बना था तो वह पंजाब के गांवों को उजाड़कर बसाया गया था।वहीं, जब वह पंजाब और हरियाणा अलग हुए थे। रीआरगेनाइजेशन एक्ट बना था। उसमें साफ कहा गया था कि यह अस्थाई इंतजाम है। हरियाणा बाद में अपनी राजधानी अलग बनाएगा। भारत में जहां भी नए राज्य बने हैं। वहां पर ऐसा ही होता आया है। लेकिन केंद्र सरकार पंजाब काे हर तरीके से बर्बाद करना चाहती है। हम इस पर चुप नहीं बैठेंगे। चंडीगढ़ पर बुनियादी, सामाजिक, आर्थिक तौर पर पंजाब का हक है। इसके लिए हर तरह की लड़ाई लड़ेंगे। पंजाब के हक कमजोर करने की कोशिश कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि – ऐसा करके केंद्र सरकार चंडीगढ़ पर उनका हक कमजोर करने की कोशिश में लगी हुई है। कांग्रेस नेता राज कुमार वेरका ने कहा कि केंद्र सरकार हमेशा पंजाब के हकों को छीनने में लगी रहती है। लेकिन इस बार इस चीज को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस चीज का हम विरोध और निंदा करते हैं। चंडीगढ़ पर पंजाब का हक शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता अर्शदीप सिंह कलेर कहा कि केंद्र सरकार पंजाब के हकों पर यह बहुत बड़ा डाका है। हरियाणा चंडीगढ़ में एक अलग विधानसभा बनाने की तैयारी में है। चंडीगढ़ पंजाब का है। 22 गांवों को उजाड़कर चंडीगढ़ बना है। हरियाणा को हमने लीज पर अपनी इमारतें दी हुई है। केंद्र हरियाणा की स्थाई विधानसभा बनाकर चंडीगढ़ को यूटी बनाना चाहता है। इस चीज को हम होने नहीं देंगे। उन्होंने पंजाब सरकार को भी घेरा। कहा जब से भगवंत मान पंजाब के सीएम बने हैं, तब से केंद्र सरकार पंजाब के हकों का हनन कर रही है।