पंजाब सीएम ही होना चाहिए यूनिवर्सिटी का चांसलर:मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति द्वारा वापस भेजे बिल पर रखी राय, जल्दी करेंगे मीटिंग

पंजाब सीएम ही होना चाहिए यूनिवर्सिटी का चांसलर:मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति द्वारा वापस भेजे बिल पर रखी राय, जल्दी करेंगे मीटिंग

पंजाब सरकार द्वारा पास किए गए पंजाब यूनिवर्सिटी कानून संशोधन बिल 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा वापस किए जाने के बाद राजनीति गर्मा गई है। सीएम भगवंत मान का कहना है कि चुना हुआ मुख्यमंत्री ही यूनिवर्सिटी का चांसलर होना चाहिए। हम चाहते हैं कि चांसलर को चुनने का हक सिलेक्टेड को नहीं इलेक्टेड होना चाहिए। उन्होंने आखिर में कहा कि जब गवर्नर ने बिल पास नहीं करना होता है तो इस वह इस तरह ही करते हैं। वह बिल राष्ट्रपति को भेजते हैं, उसके बाद राष्ट्रपति कुछ समय के लिए अपने पास रखकर वापस भेजे देते हैं। जो बिल पास नहीं करना होता, उसे वापस करते हैं पंजाब के सीएम ने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी और केरल ने भी इस तरह का बिल पास किया था। उनकी दलील थी यूनिवर्सिटी का चांसलर चुना हुआ मुख्यमंत्री को होना चाहिए। राष्ट्रपति ने उन्हें बिल वापस कर दिया। उन्होंने कहा अगर हमें पंजाबी यूनिवर्सिटी का वीसी बनाना है, तो तीन नाम गवर्नर साहब को देंगे । वह उनमें से एक नाम को चुनेंगे। ऐसे में चुनाव किसने किया सिलेक्टेड ने या फिर इलेक्टेड ने । हमने एसजीपीसी का बिल भी पास कर भेजा था, लेकिन उसका भी कुछ नहीं हुआ है। इसका मतलब यह होता है कि गवर्नर ने जो बिल पास नहीं करना होता है वह उसे राष्ट्रपति के पास भेज देते हैं। वह चार पांच महीने के बाद उसे वापस भेज देते है। इस मामले को लेकर मीटिंग करेंगे। पंजाब सरकार द्वारा पास किए गए पंजाब यूनिवर्सिटी कानून संशोधन बिल 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा वापस किए जाने के बाद राजनीति गर्मा गई है। सीएम भगवंत मान का कहना है कि चुना हुआ मुख्यमंत्री ही यूनिवर्सिटी का चांसलर होना चाहिए। हम चाहते हैं कि चांसलर को चुनने का हक सिलेक्टेड को नहीं इलेक्टेड होना चाहिए। उन्होंने आखिर में कहा कि जब गवर्नर ने बिल पास नहीं करना होता है तो इस वह इस तरह ही करते हैं। वह बिल राष्ट्रपति को भेजते हैं, उसके बाद राष्ट्रपति कुछ समय के लिए अपने पास रखकर वापस भेजे देते हैं। जो बिल पास नहीं करना होता, उसे वापस करते हैं पंजाब के सीएम ने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी और केरल ने भी इस तरह का बिल पास किया था। उनकी दलील थी यूनिवर्सिटी का चांसलर चुना हुआ मुख्यमंत्री को होना चाहिए। राष्ट्रपति ने उन्हें बिल वापस कर दिया। उन्होंने कहा अगर हमें पंजाबी यूनिवर्सिटी का वीसी बनाना है, तो तीन नाम गवर्नर साहब को देंगे । वह उनमें से एक नाम को चुनेंगे। ऐसे में चुनाव किसने किया सिलेक्टेड ने या फिर इलेक्टेड ने । हमने एसजीपीसी का बिल भी पास कर भेजा था, लेकिन उसका भी कुछ नहीं हुआ है। इसका मतलब यह होता है कि गवर्नर ने जो बिल पास नहीं करना होता है वह उसे राष्ट्रपति के पास भेज देते हैं। वह चार पांच महीने के बाद उसे वापस भेज देते है। इस मामले को लेकर मीटिंग करेंगे।   पंजाब | दैनिक भास्कर