एसएसटी नगर इलाके में रहने वाले एक कारोबारी व उसके बेटे को बेहोश कर लूटने की साजिश रचने वाली नौकरानी का प्लान उस समय फेल हो गया जब तबीयत बिगड़ते ही रिश्तेदार को बुला लिया। रिश्तेदार के पहुंचते ही नौकरानी अपना बैग लेकर साथियों के साथ फरार हो गई। इस नौकरानी का आईडी प्रूफ परिवार के पास था, जिसके आधार पर लाहौरी गेट पुलिस ने एफआईआर रजिस्टर कर ली है। 15 जुलाई की रात को खाना खाने के बाद बेहोश हुए पिता पुत्र को 16 जुलाई बाद दोपहर को होश आया। होश में आते ही भूपिंदर सिंह के बेटे शुभकरण सिंह ने अपनी स्टेटमेंट दर्ज करवा दी, जिसके बाद नौकरानी अरपिता गांव रोल्पा नेपाल व एक अनजान साथी के खिलाफ एफआईआर रजिस्टर कर ली है। सीसीटीवी कैमरे में सामने आई सच्चाई एफआईआर के अनुसार भूपिंदर सिंह ने अपने किसी दोस्त के जरिए आरोपी लड़की को घर पर नौकरानी रखा था। तीन हफ्ते पहले ही काम पर लगी इस नौकरानी ने 15 जुलाई की रात को खाने में बेहोशी की दवा मिला दी थी। घटना के समय भूपिंदर सिंह की पत्नी व बड़ी बेटी किसी काम से शहर से बाहर गई हुई थी, इस दौरान घर पर पिता व पुत्र अकेले थे। खाने खाते ही शुभकरन को चक्कर आए तो उसने घर के पास रहने वाले चाचा के बेटे को बुला लिया। चचेरा भाई घर पहुंचा तो उसने दोनों को अस्पताल में दाखिल करवाया। इसके बाद सीसीटीवी कैमरे चेक किए तो देखा कि रसोई में नौकरानी सब्जी में कुछ मिला रही थी। इसके बाद पिता पुत्र के बेहोश होने से पहले रिश्तेदार के आते ही नौकरानी घर से अपना सामान लेकर साथियों के साथ फरार हो गई। आरोपी युवती की तलाश जारी है- एसएचओ थाना लाहौरी गेट के एसएचओ गगनदीप सिंह ने कहा कि आरोपी युवती 25 साल की थी, जो अंबाला में किसी रिश्तेदार के जरिए लगी थी। पूरे मामले की वेरीफिकेशन की जा रही है और लड़की की तलाश जारी है। एसएसटी नगर इलाके में रहने वाले एक कारोबारी व उसके बेटे को बेहोश कर लूटने की साजिश रचने वाली नौकरानी का प्लान उस समय फेल हो गया जब तबीयत बिगड़ते ही रिश्तेदार को बुला लिया। रिश्तेदार के पहुंचते ही नौकरानी अपना बैग लेकर साथियों के साथ फरार हो गई। इस नौकरानी का आईडी प्रूफ परिवार के पास था, जिसके आधार पर लाहौरी गेट पुलिस ने एफआईआर रजिस्टर कर ली है। 15 जुलाई की रात को खाना खाने के बाद बेहोश हुए पिता पुत्र को 16 जुलाई बाद दोपहर को होश आया। होश में आते ही भूपिंदर सिंह के बेटे शुभकरण सिंह ने अपनी स्टेटमेंट दर्ज करवा दी, जिसके बाद नौकरानी अरपिता गांव रोल्पा नेपाल व एक अनजान साथी के खिलाफ एफआईआर रजिस्टर कर ली है। सीसीटीवी कैमरे में सामने आई सच्चाई एफआईआर के अनुसार भूपिंदर सिंह ने अपने किसी दोस्त के जरिए आरोपी लड़की को घर पर नौकरानी रखा था। तीन हफ्ते पहले ही काम पर लगी इस नौकरानी ने 15 जुलाई की रात को खाने में बेहोशी की दवा मिला दी थी। घटना के समय भूपिंदर सिंह की पत्नी व बड़ी बेटी किसी काम से शहर से बाहर गई हुई थी, इस दौरान घर पर पिता व पुत्र अकेले थे। खाने खाते ही शुभकरन को चक्कर आए तो उसने घर के पास रहने वाले चाचा के बेटे को बुला लिया। चचेरा भाई घर पहुंचा तो उसने दोनों को अस्पताल में दाखिल करवाया। इसके बाद सीसीटीवी कैमरे चेक किए तो देखा कि रसोई में नौकरानी सब्जी में कुछ मिला रही थी। इसके बाद पिता पुत्र के बेहोश होने से पहले रिश्तेदार के आते ही नौकरानी घर से अपना सामान लेकर साथियों के साथ फरार हो गई। आरोपी युवती की तलाश जारी है- एसएचओ थाना लाहौरी गेट के एसएचओ गगनदीप सिंह ने कहा कि आरोपी युवती 25 साल की थी, जो अंबाला में किसी रिश्तेदार के जरिए लगी थी। पूरे मामले की वेरीफिकेशन की जा रही है और लड़की की तलाश जारी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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किसान नेता की 96 घंटे कस्टडी की कहानी:केबिन तोड़ घुसे पुलिसवाले, अस्पताल में अकेले रख दबाव बनाया, डॉक्टरों ने चेकअप पर झूठ बोला
किसान नेता की 96 घंटे कस्टडी की कहानी:केबिन तोड़ घुसे पुलिसवाले, अस्पताल में अकेले रख दबाव बनाया, डॉक्टरों ने चेकअप पर झूठ बोला पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को 26 नवंबर की सुबह पंजाब पुलिस ने खनौरी बॉर्डर से हिरासत में ले लिया था। वह करीब 96 घंटे पुलिस की हिरासत में लुधियाना के DMC अस्पताल में रहे। दैनिक भास्कर ने खनौरी बॉर्डर पहुंचकर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से बातचीत कर जाना कि उनके ये 96 घंटे कैसे गुजरे। हिरासत में लेने से लेकर अस्पताल में उनके साथ क्या-क्या हुआ? डल्लेवाल ने दावा किया जब उन्हें पुलिस के अधिकारी हिरासत में लेने के लिए आए तो वे डरे हुए थे। उन्हें डर था कि कहीं यहां किसान न आ जाएं और उनकी झड़प न हो जाए। इसलिए उन्होंने मुझे कपड़े भी नहीं पहनने दिए और गाड़ी में बिठा लिया। अनशन तुड़वाने के लिए अस्पताल में पुलिस के अधिकारी चाय नाश्ता लेकर आते रहे, लेकिन मैंने अपना अनशन जारी रखा। वहां मेरा ब्लड प्रेशर तक चेक नहीं हुआ। मानसिक दबाव बनाने के लिए एक कमरे में रखा। किसी से मिलने नहीं दिया। सरकार को लगा था कि एक ही किसान मरणव्रत पर बैठेगा तो उसे उठा लेते हैं, लेकिन दूसरे किसान ने भी अनशन शुरू कर दिया। इससे सरकार को झुकना पड़ा। किसान नेता जगजीत डल्लेवाल से पूरी बातचीत पढ़ें… सवाल : पुलिस ने जब आपको हिरासत में लिया तो उस वक्त क्या हुआ था? डल्लेवाल : रात एक बजे तक हमारी बैठक चली थी। इसलिए मैं देरी से अपनी ट्रॉली में पहुंचा। सभी लोग थके हुए थे। जब सब लोग सो गए तब पुलिसवाले आए। उन्होंने टेंटों के बाहर कुंडी लगा दी, ताकि कोई बाहर न निकल सके। उसके बाद पुलिसवाले मेरे केबिन में आए। मेरा केबिन नॉर्मल था, ताकि हवा और सर्दी से बचा जा सके। उस केबिन को पुलिसकर्मियों ने 2 मिनट में तोड़ दिया। ज्यादा दुख मुझे इस बात का हुआ कि मुझे जूते और पजामा तक पहनने नहीं दिया। मुझे बाद में पता चला कि पुलिस किसानों से डरी हुई थी। पुलिस के मन में डर था कि यदि थोड़ा समय भी उन्हें और लग जाता तो किसान वहां आ जाते। पुलिस और किसानों की झड़प हो सकती थी। मैंने खुद सुना कि पुलिस के सीनियर अधिकारी अपने छोटे कर्मचारियों को डांट रहे थे कि जल्दी गाड़ियों में बैठो, समय न लगाओ। जितनी जल्दी यहां से निकला जा सकता है, निकलो। मैं खुद हैरान रह गया कि ट्रॉली से उठाते समय पुलिस का व्यवहार कुछ और था। गाड़ी में बैठाने के बाद उनका व्यवहार बदल गया। सवाल : खनौरी बॉर्डर से पटियाला का राजिंदरा अस्पताल करीब था, फिर लुधियाना DMC क्यों लाए?
डल्लेवाल : देखो, जब मुझे खनौरी बॉर्डर से लेकर गए तो पुलिस के पास ऑर्डर आ गए थे कि पटियाला की जगह लुधियाना के DMC अस्पताल लेकर जाना है। यहां से संगरूर गए और फिर DMC अस्पताल पहुंचे। रास्ते में सभी पुलिसकर्मी बातें करते हुए गए। मुझसे ये कमी रह गई कि मैं अपने साथियों को मैसेज नहीं दे पाया कि मुझे पुलिस हिरासत में लेकर DMC अस्पताल लेकर गई है। मेरे पास मोबाइल भी नहीं था। किसान साथियों को सुबह 6 बजे पता चला कि मैं DMC अस्पताल में हूं। अधिकारियों ने सुबह 6 बजे मेरे किसान साथी काका से बात करवाई। मैंने उनसे कह दिया था कि आप लोग चिंता न करो, मेरा अनशन जारी है। मैं अनशन नहीं तोड़ूंगा। मुझे दुख है कि पत्रकारों को मुझसे मिलने नहीं दिया, जबकि पत्रकारों को मिलने से कोई नहीं रोक सकता। कोई मेरा साथी या रिश्तेदार मुझे मिलने आया तो उसे बाहर से ही लौटा दिया। इमरजेंसी में ऐसे हालात बना दिए थे कि किसी दूसरे मरीज का रिश्तेदार भी अंदर आता तो उसे मोबाइल अंदर लाने की इजाजत नहीं थी। पुलिस घबराहट में थी। सवाल : आखिर पंजाब पुलिस को आधी रात में आपको हिरासत में लेने की जरूरत क्यों पड़ी?
डल्लेवाल : हमने जो अनशन पर बैठने की कॉल दी हुई थी, ये हमारा मजबूत एक्शन है। इसकी खास बात यह भी है कि जो अनशन पर बैठने वाले साथी के मरने के बाद दूसरा साथी तुरंत अनशन पर बैठ जाएगा। जब तक हमारी मांग नहीं मानी जाती, मरने वाले किसान का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। इसी घोषणा से सरकार बुरी तरह घबराई हुई है। ये हमारी मांग केंद्र सरकार के साथ है। इससे प्रदेश सरकार का कोई लेना देना नहीं है। मेरा मानना है कि केंद्र के कहने पर पंजाब सरकार ने ये कार्रवाई की है जो अति निंदनीय है। सवाल : आपने कहा कि पंजाब सरकार भाजपा संग मिलकर काम कर रही है, ऐसा क्यों?
डल्लेवाल : पंजाब सरकार एक बार नहीं, कई बार इस बात को साबित कर चुकी है। सबसे पहले जब खनौरी बॉर्डर पर युवा किसान शुभकरण शहीद हुए तो 6 दिन डेडबॉडी सड़क पर रखने के बाद FIR हुई। सरकार का तो पहले से पता चल गया था कि सरकार हमें मारने वालों के साथ खड़ी हुई है, लेकिन अब इस घटना के बाद और भी क्लियर हो गया। पंजाब और हरियाणा सरकार यदि सच में किसान हितैषी है तो उन्हें केंद्र सरकार पर दबाव डालना चाहिए था कि किसानों को MSP दी जाए, नहीं तो धरती का जल स्तर लगातार गिर जाएगा। भविष्य में लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा। सरकार ने हमारे आंदोलन को डैमेज करने की कोशिश की। सवाल : DMC अस्पताल में आपके लिए कुछ खाने-पीने को दिया गया या नहीं?
डल्लेवाल : ये बहुत बार हुआ है कि जब मैं इमरजेंसी के केबिन में था तो पहले दिन ही पुलिस अधिकारी चाय लेकर आए। उन्होंने कहा कि प्रधानजी चाय ले लो। मैंने उनसे कहा कि देखो मैं अनशन पर हूं। वह दबाव डाल कर कह रहे थे कि प्रधान जी अभी अनशन शुरू नहीं हुआ। मैंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि जिस समय आपने मुझे मोर्चे से उठाया, उसी समय मेरा अनशन शुरू हो गया था। पुलिसकर्मी कुछ न कुछ खाने और पीने के लिए लाते रहे। कई बड़े अधिकारी भी चाय पिलाने के लिए चक्कर लगाते रहे, लेकिन मैंने उनसे क्लियर कह दिया था कि मैं कुछ नहीं खाऊंगा और न ही पिऊंगा। सवाल : DMC अस्पताल के डॉक्टरों का दावा था कि आपका चेकअप करते रहे?
डल्लेवाल : मेरा उन डॉक्टरों से सवाल है कि यदि आपने मेरा चेकअप ही करना था तो वहां पत्रकारों को क्यों नहीं पहुंचने दिया। ऐसी क्या दिक्कत थी कि प्रेस को मेरे पास नहीं आने दिया। मेरे साथियों को मेरे तक नहीं पहुंचने दिया। डॉक्टर सब झूठ बोल रहे हैं। मेरा निवेदन है कि जिस डॉक्टर ने मेरी सेहत के बारे में बयान जारी किया और पुलिस अधिकारियों को भी लाइव डिबेट में जोड़ा जाए। हम उस बात को भी क्लियर करेंगे। वहां मेरा बीपी चेक करने के लिए नर्सें आती थीं। वे कहती थी कि बापूजी बीपी चेक कर दें। मैं उनसे यही कहता था कि मेरा बीपी चेक करने की जरूरत नहीं है, मैं बिल्कुल ठीक हूं। अस्पताल में मेरा बीपी तक चेक नहीं हुआ। सवाल : 4 दिन अस्पताल में एक ही केबिन में रहे, उस समय कैसा महसूस किया?
डल्लेवाल : देखिए, मैं आइसोलेशन वार्ड में था। उस वार्ड में भेजने का मकसद यही होता है कि वहां अकेला आदमी रहेगा। तभी वो कहीं न कहीं अंदर से कमजोर होगा। पुलिस को शायद इस बात का अंदाजा नहीं था कि वह जिस आदमी को उठाकर लाए हैं, उसकी पूरी जिंदगी इन्हीं कामों में निकल गई। ऐसे आदमी पर क्या मानसिक दबाव बना पाएंगे। 5 पुलिसवाले मेरे पास केबिन में बैठकर खुद इस बात को महसूस कर रहे थे कि गलत हो रहा है। पुलिस में भी जो काम करते हैं, सभी किसान और मजदूरों के बच्चे हैं। सभी की भावनाएं हमारे आंदोलन के साथ जुड़ी है। सभी ऑर्डर के दबाव में थे। किसी पुलिसवाले की रात को डयूटी हुआ करती थी तो किसी की दिन के समय डयूटी थी। कई-कई घंटे उनके साथ मेरी बात होती रही। जब मैं सो जाता था, तब उनकी बातें मेरे साथ समाप्त होती थी। पुलिस वाले खुद कह रहे थे कि बाबा जी ये कब तक समाप्त होगा। ये कब आपको छोड़ेगे। मैंने उनसे कहा कि ये बात आप अपने अधिकारियों से पूछें। ये आंदोलन हमारा आखिरी सांस तक चलेगा। सवाल : पंजाब सरकार को आपको हिरासत से छोड़ना पड़ा, इसकी क्या वजह मानते हैं?
डल्लेवाल : किसानों की तरफ से बड़ी कॉल दी जा चुकी थी। पूरे देश में भगवंत सिंह मान और अरविंद केजरीवाल के पुतले जलाने का ऐलान कर दिया था। भगवंत मान के घर का घेराव करने की घोषणा कर दी थी। एक-एक ब्लॉक से 30-40 बसें तैयार थी। अगर मेरे एक ब्लॉक से 30 बसें भी आती तो अंदाजा लगाएं कि हमारे साथ 18 जिले हैं। हमारे साथ हर जिले में 4 से 5 ब्लॉक काम करते हैं। हमारे साथियों ने मोर्चा संभाले रखा। मेरे साथियों ने हौसले के साथ अनशन को बढ़ाया। सुखजीत जब अनशन पर बैठ गया तो सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। सवाल : पैदल दिल्ली जाते समय आंसू गैस के गोले दागे गए तो क्या करेंगे?
डल्लेवाल : अब सरकार के मंत्री कह रहे हैं कि किसान शांतिपूर्ण ढंग से दिल्ली जा सकते हैं। वह कह रहे हैं कि अगर पैदल जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट की कमेटी भी हमें कह रही है कि आप पैदल जा सकते हैं। अगर फिर भी किसानों पर अत्याचार हुआ या आंसू गैस के गोले या गोलियां चलाई गईं तो सरकार की किसानों के प्रति नीयत क्लियर हो जाएगी। रास्ते में यदि राशन या किसी दूसरी चीज की जरूरत पड़ी तो कोई चिंता की बात नहीं है। हरियाणा के किसान और लोग हमारे साथ हैं। खाने की किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है। लगातार मोर्चे पर किसानों की संख्या अब बढ़ रही है। ********************** किसानों से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें :- दिल्ली कूच के लिए किसानों के हरियाणा में 4 पड़ाव शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच के लिए किसानों ने पूरी तैयारी कर ली है। रविवार को चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसान नेताओं ने कहा है कि 6 दिसंबर को किसान पैदल ही दिल्ली के लिए रवाना होंगे। किसानों का नेतृत्व कर रहे नेता मरजीवड़ों (मरने को तैयार) के जत्थों के तौर पर पहली पंक्ति में चलेंगे। उनके पीछे अन्य किसान आएंगे। पढ़ें पूरी खबर
पंजाब में दो दिन तक बरसेंगे बादल:30 शहरों में बारिश और तेज़ हवाओं का अलर्ट; बठिंडा में 40.9 डिग्री तापमान दर्ज
पंजाब में दो दिन तक बरसेंगे बादल:30 शहरों में बारिश और तेज़ हवाओं का अलर्ट; बठिंडा में 40.9 डिग्री तापमान दर्ज पंजाब के लोगों को पिछले कुछ दिनों की गर्मी और उमस से आज राहत मिल सकती है। अब दो दिन बारिश की चेतावनी है। मौसम विभाग ने आज राज्य के 12 जिलों में बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। हालांकि पिछले 24 घंटे में तापमान में 0.5 डिग्री की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन यह औसत तापमान से 4.3 डिग्री ज्यादा रहा है। बठिंडा में सबसे ज्यादा 40.9 डिग्री तापमान दर्ज किया गया है। वहीं, मौसम विभाग ने आज सुबह 9 बजे 30 शहरों में हल्की से मध्यम बारिश, बिजली चमकने और 40 किलोमीटर की रफ्तार से तेज हवाएं चलने का अलर्ट जारी किया है। इन इलाकों में नौ बजे तक बारिश का अलर्ट मौसम विभाग ने हल्की से मध्यम बारिश वाले इलाकों को दो श्रेणियों में बांटा है। हिमाचल से सटे कुछ इलाके भी मध्यम बारिश वाले इलाकों में शामिल हैं। बाबा बकाला, अमृतसर, बटाला, अजनाला, डेरा बाबा नानक, दसूहा, मुकेरिया, गुरदासपुर, पठानकोट में मध्यम बारिश, बिजली चमकने और 40 किलोमीटर की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना है। वहीं, पटियाला, रपजूरा, डेराबस्सी, चमकौर साहिब, समराला, रूपनगर, खडूर साहिब, फिल्लौर, फगवाड़ा, जालंधर, कपूरथला, बलाचौर, नवांशहर, आनंदपुर साहिब, गढ़शंकर, नंगल, होशियारपुर, भुलत्थ, दसूहा, मुकेरिया, धार कलां में हल्की बारिश की संभावना है। इस कारण होने लगा मौसम में बदलाव मौसम विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार पिछले एक सप्ताह से दक्षिण में राजस्थान के पास मानसून ट्रफ (कम दबाव) क्षेत्र की रेखा बनी हुई थी। आज इसका पश्चिमी छोर उत्तर की ओर बढ़ेगा। यह अपनी सामान्य स्थिति में आ जाएगा। वहीं, एक चक्रवात कमजोर होकर पाकिस्तान की ओर बढ़ेगा और इसका असर खत्म हो जाएगा। पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, होशियारपुर, नवांशहर, कपूरथला, जालंधर, संगरूर, फतेहगढ़ साहिब, रूपनगर, पटियाला और मोहाली में बारिश का येलो अलर्ट है। इन जिलों में कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। इस दौरान कुछ इलाकों में बिजली चमकेगी और हवाएं भी चलेंगी।
पंजाब के अग्निवीर को मुआवजे का वेरिफिकेशन पूरा:67 लाख बाकी, इसी साल राजौरी में शहादत, राहुल गांधी ने उठाया था मुद्दा
पंजाब के अग्निवीर को मुआवजे का वेरिफिकेशन पूरा:67 लाख बाकी, इसी साल राजौरी में शहादत, राहुल गांधी ने उठाया था मुद्दा भारतीय सेना के ‘अग्निवीर’ अजय कुमार सिंह के परिवार को अब जल्द ही मुआवजा मिलने की उम्मीद जगी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा किया गया सत्यापन पूरा हो चुका है। जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा मौत के कारणों का सत्यापन न किए जाने के कारण लुधियाना के एक गांव में रहने वाले अग्निवीर के परिवार को 67.30 लाख रुपये का मुआवजा नहीं मिल पाया। अग्निवीर अजय कुमार सिंह 18 जनवरी को राजौरी में हुए माइन विस्फोट में शहीद हो गए थे। 13 फरवरी को परिवार को 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया। यह बैंक द्वारा अग्निवीर को दी गई बीमा राशि थी। इसके बाद 10 जून को अग्निवीर के परिवार को सरकार द्वारा ली गई बीमा पॉलिसी से 48 लाख रुपये भी मिल गए। लेकिन, सत्यापन प्रमाण पत्र के कारण शहीद सैनिक के परिवार को करीब 67 लाख रुपए पाने के लिए चक्कर लगाने पड़े। इस राशि में 44 लाख रुपए अनुग्रह राशि, 13 लाख रुपए चार साल के कार्यकाल का वेतन, 8 लाख रुपए सेना कल्याण कोष और 2.30 लाख रुपए सेवा निधि पैकेज शामिल है। एक सप्ताह तक चर्चा का कारण बनी रही अग्निवीर की शहादत पिछले सप्ताह मुआवजे का पूरा भुगतान न मिलने पर राजनीतिक तूफान मचा था। मृतक के पिता चरणजीत सिंह ने 3 जुलाई को एक टिप्पणी की थी। जिसमें दावा किया गया था कि परिवार को कोई मुआवजा नहीं मिला है। एक दिन बाद पिता ने अपना बयान बदलते हुए कहा कि उन्हें बीमा की राशि मिल गई है। सेना को देनी पड़ी सफाई लोकसभा सत्र के दौरान विपक्षी नेता राहुल गांधी ने चरणजीत सिंह के बयान पर कहा था कि सैनिक को कोई मुआवजा नहीं दिया गया। राहुल गांधी के बयान के बाद भारतीय सेना ने बुधवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अग्निवीर अजय कुमार के परिवार को मुआवजा न दिए जाने के दावों को खारिज किया और कहा कि 98.39 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। सफाई में कहा गया कि दी जाने वाली कुल राशि करीब 1.65 करोड़ रुपए होगी।