पाकिस्तानी जनरल मुनीर का परिवार जालंधर से:पुलवामा-पहलगाम हमलों का मास्टरमाइंड, अब ‘K2 ऑपरेशन’ से कश्मीरियों-खालिस्तानियों को भड़का रहा

पाकिस्तानी जनरल मुनीर का परिवार जालंधर से:पुलवामा-पहलगाम हमलों का मास्टरमाइंड, अब ‘K2 ऑपरेशन’ से कश्मीरियों-खालिस्तानियों को भड़का रहा

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत विरोधी नीति का चेहरा बन चुका मुनीर का पारिवारिक संबंध भारत के पंजाब के जालंधर जिले से है। जनरल मुनीर के पिता सैयद सरवर बंटवारे से पहले जालंधर में रहते थे और 1947 के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चले गए थे। 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो पूरे पंजाब में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। जनरल मुनीर के पिता सैयद सरवर मुनीर कुछ समय तक अपने परिवार के साथ पाकिस्तान पंजाब के टोबा टेक सिंह जिले में रहे, फिर वे रावलपिंडी के ढेरी हसनाबाद इलाके में आकर बस गए। वे रावलपिंडी में शिक्षक थे और एक मस्जिद में इमामत भी करते थे। सेना में अपने आप को मजबूत किया जनरल असीम मुनीर पाकिस्तान सेना के उन कुछ अफसरों में से है जिन्होंने कुरान शरीफ को पूरा हिफ्ज़ (कंठस्थ) किया हुआ है, यानी वे हाफ़िज़-ए-कुरान है। यह प्रमाण उन्होंने उस समय दिया जब वह सऊदी अरब में पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी के रूप में तैनात था। मुनीर पाकिस्तानी सेना में प्रवेश ऑफिसर ट्रेनिंग स्कूल (OTS) के माध्यम से किया, जो कि पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी की तुलना में एक वैकल्पिक और कम प्रतिष्ठित मार्ग माना जाता है। इसके बावजूद उसने सेना में लगातार तरक्की प्राप्त की और अब पाकिस्तान का सबसे ताकतवर व्यक्तियों में गिना जाने लगा। खुफिया एजेंसियों का अनुभव मुनीर पाकिस्तान के पहले ऐसे सेना प्रमुख है जिन्होंने मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) दोनों खुफिया एजेंसियों का नेतृत्व किया है। 2018 में ISI प्रमुख के रूप में नियुक्ति के बाद उन्होंने नौ महीने के भीतर इमरान खान को उनकी पत्नी बुशरा बीबी की कथित भ्रष्ट गतिविधियों की जानकारी दी, जिसके चलते उन्हें समय से पहले पद से हटा दिया गया। उस अपमान का बदला उन्होंने 2022 में इमरान के सत्ता से हटने के बाद सेना प्रमुख बनकर लिया। फिर उन्होंने इमरान को भ्रष्टाचार के कई मामलों में जेल भिजवाया। जानें क्या है भारत के लिए मुख्य खतरा जनरल मुनीर का भारत के प्रति रुख शुरू से ही आक्रामक और कठोर रहा है। 14 फरवरी 2019 के पुलवामा हमले के दौरान वह ISI प्रमुख था और अब उन पर 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड होने का आरोप है, जिसमें 25 पर्यटकों और 1 स्थानीय व्यक्ति की जान गई थी। मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ 1972 के शिमला समझौते को निलंबित कर दिया और सिंधु जल संधि (IWT) पर भी कड़ा रुख अपनाया है। कठोर शासन और बढ़ती ताकत सेना प्रमुख बनने के बाद मुनीर ने राजनीतिक, न्यायिक और आर्थिक संस्थानों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है। उसने स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल (SIFC) बनाई जिससे सेना सीधे विदेशी निवेश और अर्थव्यवस्था में दखल दे रही है। संसद में संशोधन कर मुनीर ने जजों की वरिष्ठता व्यवस्था में बदलाव करवाया और खुद की सेना प्रमुख की मियाद 3 से बढ़ाकर 5 साल करवा ली। अब वह 2027 तक सेना प्रमुख बना रहेगा और आगे भी विस्तार की संभावना खुली है। जिहादी विचारधारा का प्रसार पेशावर में एक जनसभा में मुनीर ने खुले तौर पर कहा कि “हम अल्लाह की राह में जिहाद कर रहे हैं” और सेना का उद्देश्य “या तो शहीद होना या ग़ाज़ी बनना” है। मुनीर की इस बयानबाजी से उसे अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने ‘जिहादी जनरल’ का खिताब दे दिया है। भारत के खिलाफ ‘K2 ऑपरेशन’ की रणनीति विशेषज्ञ मानते हैं कि मुनीर की अगुआई में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ‘K2 ऑपरेशन’ चला रही है- जिसमें कश्मीर और खालिस्तान को अस्थिर करने की योजना है। एक ओर कश्मीर में आतंकी हमले हो रहे हैं, दूसरी ओर पंजाब में ड्रग्स और गैंगवॉर के ज़रिए माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश मुनीर ने अमेरिका, चीन और तुर्की से सैन्य उपकरण और राजनीतिक समर्थन जुटाने की भी योजना बनाई है। उसने ISIS-K के कमांडर को अमेरिका को सौंपकर ट्रंप सरकार का भरोसा जीतने की कोशिश की। पाकिस्तान ने हाल ही में चीन और तुर्की से मॉडर्न सैन्य तकनीकें खरीदी हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत विरोधी नीति का चेहरा बन चुका मुनीर का पारिवारिक संबंध भारत के पंजाब के जालंधर जिले से है। जनरल मुनीर के पिता सैयद सरवर बंटवारे से पहले जालंधर में रहते थे और 1947 के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चले गए थे। 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो पूरे पंजाब में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। जनरल मुनीर के पिता सैयद सरवर मुनीर कुछ समय तक अपने परिवार के साथ पाकिस्तान पंजाब के टोबा टेक सिंह जिले में रहे, फिर वे रावलपिंडी के ढेरी हसनाबाद इलाके में आकर बस गए। वे रावलपिंडी में शिक्षक थे और एक मस्जिद में इमामत भी करते थे। सेना में अपने आप को मजबूत किया जनरल असीम मुनीर पाकिस्तान सेना के उन कुछ अफसरों में से है जिन्होंने कुरान शरीफ को पूरा हिफ्ज़ (कंठस्थ) किया हुआ है, यानी वे हाफ़िज़-ए-कुरान है। यह प्रमाण उन्होंने उस समय दिया जब वह सऊदी अरब में पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी के रूप में तैनात था। मुनीर पाकिस्तानी सेना में प्रवेश ऑफिसर ट्रेनिंग स्कूल (OTS) के माध्यम से किया, जो कि पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी की तुलना में एक वैकल्पिक और कम प्रतिष्ठित मार्ग माना जाता है। इसके बावजूद उसने सेना में लगातार तरक्की प्राप्त की और अब पाकिस्तान का सबसे ताकतवर व्यक्तियों में गिना जाने लगा। खुफिया एजेंसियों का अनुभव मुनीर पाकिस्तान के पहले ऐसे सेना प्रमुख है जिन्होंने मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) दोनों खुफिया एजेंसियों का नेतृत्व किया है। 2018 में ISI प्रमुख के रूप में नियुक्ति के बाद उन्होंने नौ महीने के भीतर इमरान खान को उनकी पत्नी बुशरा बीबी की कथित भ्रष्ट गतिविधियों की जानकारी दी, जिसके चलते उन्हें समय से पहले पद से हटा दिया गया। उस अपमान का बदला उन्होंने 2022 में इमरान के सत्ता से हटने के बाद सेना प्रमुख बनकर लिया। फिर उन्होंने इमरान को भ्रष्टाचार के कई मामलों में जेल भिजवाया। जानें क्या है भारत के लिए मुख्य खतरा जनरल मुनीर का भारत के प्रति रुख शुरू से ही आक्रामक और कठोर रहा है। 14 फरवरी 2019 के पुलवामा हमले के दौरान वह ISI प्रमुख था और अब उन पर 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड होने का आरोप है, जिसमें 25 पर्यटकों और 1 स्थानीय व्यक्ति की जान गई थी। मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ 1972 के शिमला समझौते को निलंबित कर दिया और सिंधु जल संधि (IWT) पर भी कड़ा रुख अपनाया है। कठोर शासन और बढ़ती ताकत सेना प्रमुख बनने के बाद मुनीर ने राजनीतिक, न्यायिक और आर्थिक संस्थानों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है। उसने स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल (SIFC) बनाई जिससे सेना सीधे विदेशी निवेश और अर्थव्यवस्था में दखल दे रही है। संसद में संशोधन कर मुनीर ने जजों की वरिष्ठता व्यवस्था में बदलाव करवाया और खुद की सेना प्रमुख की मियाद 3 से बढ़ाकर 5 साल करवा ली। अब वह 2027 तक सेना प्रमुख बना रहेगा और आगे भी विस्तार की संभावना खुली है। जिहादी विचारधारा का प्रसार पेशावर में एक जनसभा में मुनीर ने खुले तौर पर कहा कि “हम अल्लाह की राह में जिहाद कर रहे हैं” और सेना का उद्देश्य “या तो शहीद होना या ग़ाज़ी बनना” है। मुनीर की इस बयानबाजी से उसे अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने ‘जिहादी जनरल’ का खिताब दे दिया है। भारत के खिलाफ ‘K2 ऑपरेशन’ की रणनीति विशेषज्ञ मानते हैं कि मुनीर की अगुआई में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ‘K2 ऑपरेशन’ चला रही है- जिसमें कश्मीर और खालिस्तान को अस्थिर करने की योजना है। एक ओर कश्मीर में आतंकी हमले हो रहे हैं, दूसरी ओर पंजाब में ड्रग्स और गैंगवॉर के ज़रिए माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश मुनीर ने अमेरिका, चीन और तुर्की से सैन्य उपकरण और राजनीतिक समर्थन जुटाने की भी योजना बनाई है। उसने ISIS-K के कमांडर को अमेरिका को सौंपकर ट्रंप सरकार का भरोसा जीतने की कोशिश की। पाकिस्तान ने हाल ही में चीन और तुर्की से मॉडर्न सैन्य तकनीकें खरीदी हैं।   पंजाब | दैनिक भास्कर