हरियाणा के पानीपत के एक गांव के युवक के साथ साइबर ठगी हुई। जालसाजों ने पार्ट टाइम ऑनलाइन टास्क पूरा करने के नाम पर युवक को अपना शिकार बनाया। युवक ने पहले दो टास्क में मुनाफा कमाया। उसे लालच देकर उससे और पैसे निवेश करवाए। युवक ने 4.27 लाख रुपए निवेश किए, लेकिन उसे वापस नहीं मिले। जिसके बाद उसे ठगी का पता चला। इसकी शिकायत पुलिस में दर्ज कराई गई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने अज्ञात जालसाज के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। पहले दो टास्क में 6500 का कमीशन दिया गया था साइबर थाने में दी शिकायत में प्रवीण बुनकर ने बताया कि वह गांव शिमला गुजरान का रहने वाला है। 2 जुलाई को उसके टेलीग्राम पर पार्ट टाइम ऑनलाइन टास्क पूरा करने के नाम पर मैसेज आया। जिसके बाद वह उक्त मैसेज पर चैटिंग करने लगा। इसके बाद उसके मोबाइल नंबर से अकाउंट खोला गया। जहां उसने शुरुआती टास्क पूरा किया और 1500 रुपए कमीशन मिला। 3 जुलाई को उसे और पैसे कमाने का टास्क दिया गया। जिसमें उसने 10 हजार रुपए जमा करवाए। फिर उसे 14 हजार रुपए वापस मिल गए। इसके बाद उसे टास्क में और पैसे लगाने को कहा गया। उसने अपने अकाउंट से 4 लाख 27 हजार 564 रुपए अलग-अलग अकाउंट में डाल दिए। लेकिन, उसे पैसे वापस नहीं मिले। इसके बाद उसे पता चला कि उसके साथ ठगी हुई है। हरियाणा के पानीपत के एक गांव के युवक के साथ साइबर ठगी हुई। जालसाजों ने पार्ट टाइम ऑनलाइन टास्क पूरा करने के नाम पर युवक को अपना शिकार बनाया। युवक ने पहले दो टास्क में मुनाफा कमाया। उसे लालच देकर उससे और पैसे निवेश करवाए। युवक ने 4.27 लाख रुपए निवेश किए, लेकिन उसे वापस नहीं मिले। जिसके बाद उसे ठगी का पता चला। इसकी शिकायत पुलिस में दर्ज कराई गई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने अज्ञात जालसाज के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। पहले दो टास्क में 6500 का कमीशन दिया गया था साइबर थाने में दी शिकायत में प्रवीण बुनकर ने बताया कि वह गांव शिमला गुजरान का रहने वाला है। 2 जुलाई को उसके टेलीग्राम पर पार्ट टाइम ऑनलाइन टास्क पूरा करने के नाम पर मैसेज आया। जिसके बाद वह उक्त मैसेज पर चैटिंग करने लगा। इसके बाद उसके मोबाइल नंबर से अकाउंट खोला गया। जहां उसने शुरुआती टास्क पूरा किया और 1500 रुपए कमीशन मिला। 3 जुलाई को उसे और पैसे कमाने का टास्क दिया गया। जिसमें उसने 10 हजार रुपए जमा करवाए। फिर उसे 14 हजार रुपए वापस मिल गए। इसके बाद उसे टास्क में और पैसे लगाने को कहा गया। उसने अपने अकाउंट से 4 लाख 27 हजार 564 रुपए अलग-अलग अकाउंट में डाल दिए। लेकिन, उसे पैसे वापस नहीं मिले। इसके बाद उसे पता चला कि उसके साथ ठगी हुई है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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उचाना में पहुंचे दुष्यंत चौटाला:बोले- भाजपा और कांग्रेस का आपस में फिक्सिंग है; माहौल बनना शुरू हो चुका, 30 दिन बहुत है
उचाना में पहुंचे दुष्यंत चौटाला:बोले- भाजपा और कांग्रेस का आपस में फिक्सिंग है; माहौल बनना शुरू हो चुका, 30 दिन बहुत है पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के डूमरखा कला गांव बुधवार देर रात पहुंचे पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का लोगों ने स्वागत किया। यहां पर उन्होंने बीरेंद्र सिंह पर जमकर जुबानी हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और पूर्व मंत्री अनिल विज पर भी निशाना साधा। कांग्रेस ने नहीं उतारा अपना राज्यसभा उम्मीदवार दुष्यंत ने कांग्रेस और भाजपा पर राजनीतिक निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस-बीजेपी की आपस में फिक्सिंग है, इसीलिए कांग्रेस ने राज्यसभा में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा। उदयभान के जमानत जब्त पार्टी वाले बयान पर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि उदयभान अपनी खुद की सोचें और हिम्मत है, तो होडल विधानसभा से कांग्रेस से टिकट लेकर लड़कर दिखाएं। हमारी ना सोचें कि किसका क्या होगा? आज कांग्रेस के मुंह से जेजेपी निकलना, बीजेपी के मुंह से जेजेपी निकलना, यह घबराहट दोनों पार्टियों में है, माहौल बनना शुरू हो चुका है। 30 दिन बहुत है… पिछली बार भी 15 दिन में माहौल बना था और हम 10 सीटें जीते थे। आज तो हम एडवांस हैं 30 दिन बचे हैं। 30 दिन में तो पता नहीं कितनी सीटें हम ले आएंगे। बीरेंद्र सिंह ने कहा था कि गठबंधन में दोनों पार्टियों ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाएंगे। इस सवाल पर कहा कि आप बीरेन्द्र सिंह के मुंह पर माइक लगाकर यह पूछ लो की 4 साल और 6 महीने आपके गला फाड़ते हो गए कि दुष्यंत उचाना से नहीं लड़ेगा। अब वह लड़ रहा है तो आप क्यों घबरा रहे हो? गठबंधन रहेगा और मजबूत रहेगा और आगे भी चलेगा, उनको घबराने की जरूरत नहीं है। जनता को जवाब देना है… बीरेंद्र सिंह ये सोचें कि जनता को यह जवाब देना है कि उनके बेटे ने किसान आंदोलन में ट्रैक्टर रैली निकाली थी। उनका बेटा ही था पार्लियामेंट में सदस्य, जिसने किसानों के लिए तीनों बिल पर वोट किए। जनता ने तो अभी जवाब मांगना है। वो ये सोचकर लोकसभा का नहीं लड़ें कि जनता जवाब भी नहीं मांगेगी। जनता तो पूरा जवाब भी मांगेगी और जवाब भी देगी। अनिल विज के बयान पर चौटाला का पलटवार अनिल विज के कटी हुई पतंग के बयान पर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अनिल विज तो अपनी कटी हुई टिकट ही बचा लें तो वो भी बहुत है। पतंग तो कटी हो तो डोर से डोर जुड़ जाती है फिर और ऊंचाई पर चली जाती है। टिकट कट जाती है, तो 5 साल इंतजार करना पड़ेगा। दीपेंद्र हुड्डा के बयान पर चौटाला का पलटवार दीपेंद्र हुड्डा के वोट काटु के बयान पर कहा कि कांग्रेस के मन में घबराहट सिर्फ जननायक जनता पार्टी की है। ये तो दोनों मिलकर चुनाव लड़ते हैं। इस बार का राज्यसभा उदाहरण है और यह राज्यसभा नहीं है। इन्होंने तो इसी तरीके से आज से पहले 12 राज्यसभा चुनाव थे। कांग्रेस एक ही जीत पाई जो दीपेंद्र लड़ा। बची हुई क्यों हारी? वह इसलिए हारी कि उनकी सेटिंग हमेशा से बीजेपी के साथ रही है।
हरियाणा में मेंबरशिप ड्राइव से टेंशन में BJP:50 लाख टारगेट, मेंबर 39 लाख ही बने; चुनाव में 55 लाख से ज्यादा वोट मिले थे
हरियाणा में मेंबरशिप ड्राइव से टेंशन में BJP:50 लाख टारगेट, मेंबर 39 लाख ही बने; चुनाव में 55 लाख से ज्यादा वोट मिले थे हरियाणा में 50 लाख मेंबर बनाने में BJP नेताओं के पसीने छूट रहे हैं। करीब पौने 2 महीने बीतने पर भी भाजपा 39 लाख मेंबर ही बना सकी है। यही हालत एक्टिव मेंबरों को लेकर भी है। भाजपा ने इसके लिए 50 हजार का टारगेट फिक्स किया था लेकिन अब तक सिर्फ 28 हजार ही बन पाए हैं। ऐसी सूरत में एक तरफ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली खुद जिलों में घूमने लगे हैं तो दूसरी तरफ सीनियर नेताओं को भी अब टारगेट देकर फील्ड में उतारने की प्लानिंग की जा रही है। हालत ये है कि पार्टी ने 8 नवंबर को मेंबरशिप ड्राइव शुरू की थी। इसकी लास्ट डेट 5 दिसंबर थी। जब टारगेट पूरा नहीं हुआ तो इसे बढ़ाकर 10 दिसंबर कर दिया। अब भी टारगेट पूरा नहीं हो सका तो डेडलाइन बढ़ाने की सार्वजनिक घोषणा से तक भाजपा नेताओं ने किनारा कर लिया। चुनाव में 55 लाख से ज्यादा वोट मिले, इसलिए 50 लाख टारगेट रखा
प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 39.94% यानी कुल 55 लाख 48 हजार 800 वोट मिले थे। इसके मुकाबले कांग्रेस को 39.9% यानी कुल 54 लाख 30 हजार 602 वोट मिले थे। पार्टी को मिले 55 लाख से ज्यादा वोट देखकर ही केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के नेताओं को 50 लाख का टारगेट दिया था। पिछड़ने की बड़ी वजह, कार्यकर्ताओं को सौंपी जिम्मेदारी
भाजपा की तरफ से टारगेट से पिछड़ने की बड़ी वजह ये मानी जा रही है कि मेंबरशिप ड्राइव का जिम्मा कार्यकर्ताओं को दे दिया गया। उन्हें टारगेट अचीव करने पर पद वगैरह का भी भरोसा दिया गया। हालांकि 22 विधानसभा सीटें ऐसी रहीं, जहां 50% भी टारगेट पूरा नहीं हो सका। इसके बाद सीनियर नेताओं के कान खड़े हुए हैं। अब क्या रणनीति अपनाई जा रही
BJP सूत्रों के मुताबिक अब कार्यकर्ताओं की जगह सत्ता का सुख भोग रहे सीनियर नेता फील्ड में भेजे जाएंगे। इनमें प्रदेश अध्यक्ष बड़ौली के अलावा संगठन के प्रभारी, महामंत्री और दूसरे सीनियर नेता शामिल होंगे। इनके जिम्मे मेंबरशिप ड्राइव में पिछड़ने की वजह जानने से लेकर प्लानिंग की चूक तक पता करने का काम रहेगा। कमेटियां भी बनाएगी पार्टी
प्रदेश में सरकार की हैट्रिक के बावजूद मेंबरशिप ड्राइव में पिछड़ने से केंद्रीय नेतृत्व के आगे किरकिरी न हो, इसके लिए कमेटियां बनाई जा रही हैं। यह कमेटियां चुनाव प्रबंधन से लेकर अपील सुनने तक का काम करेंगी। यह कमेटियां संगठन के चुनावों को लेकर आने वाली शिकायतों को भी सुनेंगी। बूथ से लेकर जिला स्तर तक की शिकायत अपील कमेटी के पास जाएगी।
शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा:सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, मौजूदा स्थिति बनाए रखने को कहा; अगली सुनवाई 12 को
शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा:सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, मौजूदा स्थिति बनाए रखने को कहा; अगली सुनवाई 12 को हरियाणा सरकार ने शंभू बॉर्डर खोलने के संबंध में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सरकार की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए शंभू बॉर्डर पर अभी यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई अब 12 अगस्त को होगी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को एक स्वतंत्र कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे, जो इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगी। इसमें कुछ प्रतिष्ठित लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट में पेश करने को कहा था। पिछली सुनवाई में यह भी साफ किया था कि अगर सरकारें ऐसा नहीं कर सकती हैं तो यह काम कोर्ट कर सकता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बॉर्डर पर कोई अप्रिय घटना नहीं होनी चाहिए। ऐसे में यथास्थिति बरकरार रखी जाए। बैरिकेड्स हटाने की योजना पेश करने को कहा गया था। कोर्ट रूम में क्या बात रखी गई
बॉर्डर खोलने के आदेश को चुनौती देने वाला मामला जस्टिस सूर्यकांत और आर. महादेवन की बेंच के सामने है। सालिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता: कमेटी के लिए नाम सुझाने का आखिरी आदेश दिया गया था। हमने इस पर अभ्यास किया है। इसे अगले सप्ताह कोर्ट को दे सकते हैं। पंजाब अटॉर्नी जनरल (AG) गुरमिंदर सिंह: अन्य प्रस्ताव नाकाबंदी को चरणबद्ध तरीके से हटाने का था। हमने इसकी शुरुआत कर दी है। हमने जमीनी स्तर पर काम किया है। मोटर व्हीकल अधिनियम के तहत अनुमति प्राप्त वाहनों को नहीं रोका जाना चाहिए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत: लोकतांत्रिक व्यवस्था में देखिए, उन्हें (किसानों को) अपनी शिकायतें व्यक्त करने का अधिकार है। आप भी कुछ समझदारी दिखाएं और उन्हें (किसानों) समझाएं कि वे कुछ ट्रैक्टर या JCB लेकर न आएं। SG: प्रदर्शनकारी किसानों को राजधानी तक जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट: कृपया बातचीत करें। नामों को अंतिम रूप दें। कुछ बहुत अच्छे व्यक्तित्व वाले होते हैं। कभी-कभी मन में रुकावट आ सकती है, क्योंकि आपने किसी राजनीतिक व्यक्ति को भेजा है। इसलिए न्यूट्रल व्यक्तियों के बारे में सोचें और आप दोनों के सुझाव से किसानों में आत्मविश्वास बढ़ेगा। न्यायाधीश विशेषज्ञ नहीं हैं, लेकिन कृषि पृष्ठभूमि वाले कुछ पूर्व न्यायाधीश, प्रमुख विश्वविद्यालयों के कुछ प्रोफेसर, शोधकर्ता कमेटी में हो सकते हैं। समाधान करने का प्रयास करें। एक जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि कमेटी में किसी वकील को नहीं जोड़ेंगे। AG: कम से कम सामान्य यात्रियों को राहत दी जाए। SG: वे अपने बैरिकेड्स हटा सकते हैं, लेकिन हमें मजबूर नहीं कर सकते। मैं AG के माध्यम से राज्य (पंजाब) से अनुरोध करूंगा कि उन्हें चरणबद्ध तरीके से कैसे खाली कराया जाए, ताकि राजमार्ग खोला जा सके। याचिकाकर्ता वकील उदय प्रताप सिंह: सीमा पर लोगों के लिए चिकित्सा सहायता को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट: हां, अगर कोई मेडिकल सुविधाओं के लिए एम्बुलेंस से करनाल या अंबाला जा रहा है। वे भी हमारे बहन-भाई हैं। एक प्रस्ताव लेकर आएं। हम इस पर अगली सुनवाई 12 तारीख को करेंगे। आदेश: वरिष्ठ वकील की बात सुनी गई। बताया गया है कि पिछले आदेश को लागू करने के लिए कुछ तौर-तरीकों पर काम किया जा रहा है। हमने समिति के लिए सामान्य नामों का प्रस्ताव सुझाया है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि अगली तिथि तक इस तरह की कवायद की जाएगी। 12 अगस्त तक यही स्थिति रहेगी। बॉर्डर बंद करने पर सुप्रीम कोर्ट पहले भी लगा चुका फटकार
हरियाणा और पंजाब का बॉर्डर बंद करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले भी सरकार को फटकार लगा चुका है। तब जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उजल भुइयां की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। फरवरी से चल रहा संघर्ष
फसलों पर MSP की गारंटी को लेकर पंजाब के किसान फरवरी-2024 से हड़ताल पर हैं। ऐसे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। किसानों ने पंजाब की तरफ बॉर्डर पर स्थायी मोर्चा बना लिया। ऐसे में वहां से आवाजाही बंद है। इससे अंबाला के व्यापारियों को परेशानी हो रही है। इस कारण उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।