हरियाणा में पत्नी के प्रेमी को जिंदा दफनाने की कहानी:48 घंटे में प्लानिंग, किडनैपिंग और 64KM दूर मर्डर; राज खुलने में लगे 3 महीने हरियाणा में रोहतक की मस्तनाथ यूनिवर्सिटी के पंचकर्मा टीचर जगदीप हत्याकांड की पूरी कहानी सामने आ गई है। चरखी दादरी के राजकरण ने पत्नी के प्रेमी की हत्या की प्लानिंग से लेकर जिंदा गाड़ने तक का काम 48 घंटे में ही निपटा दिया। मगर, इसका राज खुलने में 3 महीने लग गए। इस मामले में हत्या के मास्टरमाइंड राजकरण के अलावा पुलिस उसके 2 साथी हरदीप और धर्मपाल को पकड़ चुकी है। उसके 2 साथी अमित उर्फ भूरिया और गड्ढा खोदने वाला प्रदीप अभी फरार हैं। मर्डर से लेकर खुलासे तक क्या-क्या हुआ रोहतक में टीचर अचानक गायब हुआ, लोकेशन चरखी दादरी में मिली
जगदीप ने सितंबर 2024 में रोहतक की बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी में पंचकर्मा थेरेपिस्ट के तौर पर नौकरी जॉइन की। 24 दिसंबर 2024 को जगदीप अचानक गायब हो गया। इस पर यूनिवर्सिटी ने बाबा मस्तनाथ नगर अस्थल बोहर के रहने वाले जगदीप के ताऊ ईश्वर सिंह से बात की। ताऊ को भी कुछ पता नहीं था। उन्होंने तुरंत 3 फरवरी 2025 को रोहतक के शिवाजी कॉलोनी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जांच शुरू की तो जगदीप के मोबाइल की लोकेशन चरखी दादरी के गांव पैंतावास की मिली। इस पर पुलिस को शक हुआ, क्योंकि जगदीप जनता कॉलोनी में जिस महिला के घर किराए पर रहता था, उसकी बेटी दीपा की शादी गांव पैंतावास में हुई थी। उसके पति का नाम राजकरण था। पुलिस को लगा कि हो न हो, जगदीप और दीपा के बीच कोई कनेक्शन है, जो उसकी लोकेशन यहां की आ रही है। मोबाइल लोकेशन से 2 लोग पकड़े, 7 फुट गहरे गड्ढे से टीचर की लाश मिली
इसके बाद पुलिस गांव पैंतावास पहुंची। मोबाइल लोकेशन ट्रैक करते हुए पुलिस 2 लोगों, हरदीप और धर्मपाल तक पहुंची। इन दोनों की मोबाइल लोकेशन जगदीप की मोबाइल लोकेशन के साथ मैच हो रही थी। पुलिस ने दोनों को हिरासत में लिया। पूछताछ के बाद दोनों पुलिस को गांव पैंतावास में बाबा कालू वाला डेरे के पास ले गए। वहां उन्होंने तालाब की जमीन की तरफ इशारा किया। पुलिस ने 7 फुट गहरा गड्ढा खोदा। तब वहां से जगदीप की लाश मिल गई। पुलिस ने जगदीप की बॉडी बाहर निकाली। 25 मार्च को रोहतक उसका पोस्टमॉर्टम कराया गया। इसके बाद पुलिस ने हरदीप और धर्मपाल को अरेस्ट कर कोर्ट में पेश किया। 2 दिन के रिमांड में उनसे जगदीप की मौत के राज उगलवाए गए। उन्होंने पुलिस को बताया- टीचर जगदीप के दीपा के अवैध संबंध थे। दीपा अपनी ससुराल में कम और मायके में ज्यादा रहती थी। मकान मालकिन की बेटी से फ्रेंडशिप, पति ने दोनों की फोटो देख लीं
इसके बाद पुलिस ने पड़ताल की तो पता चला कि जगदीप के मां-बाप की मौत हो चुकी थी। वह पिछले 3 साल से अकेला जनता कॉलोनी में दीपा के मायके में किराए के कमरे में रहता था। उसकी शादी हुई थी लेकिन परमानेंट नौकरी न होने से पर्याप्त कमाई नहीं थी। इस वजह से पत्नी के साथ अनबन रहती थी। इसलिए पत्नी उसे छोड़कर चली गई। उसका तलाक का केस भी चल रहा था। कमरे में अकेला रहने के कारण दीपा और जगदीप के बीच पहले दोस्ती हुई। उसके बाद प्रेम संबंध बन गए। इसके बारे में दीपा के पति राजकरण को पता चल गया। इसके बाद उनका झगड़ा शुरू हो गया। राजकरण ने दीपा के फोन में जगदीप व दीपा की कुछ तस्वीरें देख लीं। जिसके बाद उसे यकीन हो गया कि जगदीप और उसकी पत्नी दीपा के बीच अवैध संबंध हैं। हत्यारे की प्री-प्लानिंग, ट्यूबवेल के बहाने गड्ढा खुदवाया, खून देने के बहाने साथियों को ले गया
राजकरण ने उसकी शादीशुदा जिंदगी खराब करने के लिए जगदीप को जिम्मेदार माना। इसके बाद उसने हत्या के लिए साजिश रची। राजकरण ने 23 दिसंबर 2024 को धर्मपाल व एक अन्य युवक प्रदीप से बाबा कालू वाला डेरे के पास 7 फुट गहरा गड्ढा खुदवाया। राजकरण ने कहा कि तालाब की इस जमीन पर ट्यूबवैल लगाना है। इसके अगले दिन 24 दिसंबर को राजकरण हरदीप और अमित के पास गया। उसने कहा कि सास बीमार है। उसे खून देने जाना है। शाम को वह अपनी ससुराल पहुंचा। उसकी पत्नी दीपा ससुराल और सास भी घर पर नहीं थी। जगदीप उस वक्त घर पर किराए के कमरे में अकेला ही था। राजकरण ने खुद ही घर का दरवाजा खोला। उसने जगदीप के पास जाते ही उससे मारपीट शुरू कर दी। साथियों ने उसे पूछा कि ये क्या कर रहा है तो उसने कहा कि इसे सबक सिखाना है। इसे मारना ही पड़ेगा। मारपीट कर किडनैप किया, जिंदा ही हाथ-पैर बांध गड्ढे में फेंका, ऊपर से मिट्टी डाली
जगदीप के जख्मी होने के बाद राजकरण ने उसे गाड़ी में बैठा लिया। फिर रोहतक की जनता कॉलोनी से 64 किलोमीटर दूर उसे पैंतावास लेकर आ गए। यहां आकर उन्होंने जगदीप के हाथ-पैर बांधे। फिर वहां पहले से खोदे गए गड्ढे में जिंदा ही डाल दिया। इसके बाद ऊपर से मिट्टी डाल दी। टीचर को जिंदा दफन करने के बाद सब अपने-अपने घर लौट गए, मानों कुछ हुआ ही न हो। टीचर को दफनाने के बाद राजकरण उस टीले पर नजर रखता रहा। यह देखता रहा कि वहां से जो भी गुजर रहा है, उसे कहीं शक तो नहीं हो रहा। 3 महीने बीत गए। जब पुलिस की तरफ से भी कोई हरकत नहीं हुई तो राजकरण को लगा कि अब सब शांत हो गया। इसके बाद वह और कत्ल में शामिल उसके साथी आराम से बाकी जिंदगी जीने लगे। हत्याकांड से जुड़े 4 किरदार…