भास्कर न्यूज | जालंधर सिटी में सबसे बड़े व्यापारिक हब यानी लाडोवाली रोड के पुडा कॉम्पलेक्स की देखभाल में कमियों से हालात खराब हो गए हैं। यहां पर शॉप-कम-ऑफिस में संचालित तमाम सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों के लोग गंदगी, खराब लाइटों, पार्किंग के लिए वाहनों को जगह न मिलने से परेशान हैं। नगर निगम की जिम्मेदारी सफाई करने की है। डीसी कॉम्प्लेक्स का कूड़ा कर्कट तो उठाया जा रहा है, लेकिन पुडा कॉम्प्लेक्स में हफ्तों से सफाई नहीं हुई है। शुक्रवार को कांग्रेस भवन से लेकर लाडोवाली रोड तक आम जनता के वाहन सड़कों के किनारे खड़े थे जबकि कॉम्पलेक्स की पार्किंग में कबाड़ियों, वाहन रिपेयर करने वालों ने पक्का कब्जा कर रखा है। चार जगहों पर गंदगी के बड़े ढेर देखने को मिले। खाली प्लॉट भी गंदगी से भर चुके हैं लेकिन सफाई नहीं की जा रही है। धुंध का सीजन है और कई जगह पर लाइटें भी बंद पड़ी हैं। भास्कर न्यूज | जालंधर सिटी में सबसे बड़े व्यापारिक हब यानी लाडोवाली रोड के पुडा कॉम्पलेक्स की देखभाल में कमियों से हालात खराब हो गए हैं। यहां पर शॉप-कम-ऑफिस में संचालित तमाम सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों के लोग गंदगी, खराब लाइटों, पार्किंग के लिए वाहनों को जगह न मिलने से परेशान हैं। नगर निगम की जिम्मेदारी सफाई करने की है। डीसी कॉम्प्लेक्स का कूड़ा कर्कट तो उठाया जा रहा है, लेकिन पुडा कॉम्प्लेक्स में हफ्तों से सफाई नहीं हुई है। शुक्रवार को कांग्रेस भवन से लेकर लाडोवाली रोड तक आम जनता के वाहन सड़कों के किनारे खड़े थे जबकि कॉम्पलेक्स की पार्किंग में कबाड़ियों, वाहन रिपेयर करने वालों ने पक्का कब्जा कर रखा है। चार जगहों पर गंदगी के बड़े ढेर देखने को मिले। खाली प्लॉट भी गंदगी से भर चुके हैं लेकिन सफाई नहीं की जा रही है। धुंध का सीजन है और कई जगह पर लाइटें भी बंद पड़ी हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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अकाल तख्त पहुंचे अमृतपाल के पिता:जत्थेदार से की मांग- 30 अगस्त की बैठक में ऐसा फैसला लें, जो कौम को हो मंजूर
अकाल तख्त पहुंचे अमृतपाल के पिता:जत्थेदार से की मांग- 30 अगस्त की बैठक में ऐसा फैसला लें, जो कौम को हो मंजूर खडूर साहिब से सांसद व खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह मंगलवार श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे और ज्ञापन सौंपा है। तरसेम सिंह ने मीडिया को बताया कि वे 30 अगस्त को 5 तख्तों के जत्थेदारों की बैठक के संबंध में मिलने पहुंचे थे। इसके साथ ही उन्होंने अकाली दल की अंतर-कलह को लेकर सुखबीर बादल पर भी तंज कसा है। तरसेम सिंह ने बताया कि 30 अगस्त को श्री अकाल तख्त साहिब पर पांचों तख्तों के जत्थेदारों की बैठक होने वाली है। अकाली दल में सुखबीर बादल की तरफ से की गई गलतियों को उनके ध्यान में लाया गया है। इसके साथ ही उन्हें आग्रह किया गया है कि वे फैसला कौम को लेकर करें। तख्त की मर्यादा को देखते हुए ऐसा फैसला लें जो कौम को मंजूर हो। 30 अगस्त को ऐसा फैसला लें कि वे पंथ के लिए मिसाल बने। हमने कौम और जनता के विचार श्री अकाल तख्त साहिब के ध्यान में लाए हैं। ये तख्त गुरुसाहिबों का दिया हुआ है। इस तख्त की मर्यादा व जत्थेदार की पदवी को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लेना चाहिए। इस बार पहले की तरह फैसले नहीं होने चाहिए, जो कौम का परवान ना हों। सुखबीर बादल को कौम ने नकारा तरसेम सिंह ने कहा कि सुखबीर बादल ने गलतियां ही इतनी बड़ी की हैं, अब कौम उन्हें नकार चुकी है। अब वे हाथ पैर मार रहे हैं, गलत बयानबाजियां कर रहे हैं। ऐसा करके वे कौम का जनाजा निकाल रहे हैं। अकाली दल के पास जब सरकार थी, तब उन्होंने कुछ किया नहीं। अब अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए ये सब कर रहे हैं। अभी भी वे केंद्र से लड़ने की जगह अमृतपाल सिंह पर बयानबाजी कर रहे हैं। भाजपा में अगर अनख बची है तो कंगना को बाहर करना चाहिए अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने कहा कि कंगना पहले भी किसानों व सिखों को लेकर गलत बयानबाजी करती रही है। अगर भाजपा में अभी भी अनख बची है तो ऐसे लीडरों को उन्हें बाहर करना चाहिए। ऐसा करके आपसी भाईचारे में नफरत पैदा हो रही है। कंगना की जो फिल्म आ रही है, उसका भी विरोध उनकी तरफ से किया जा रहा है। वे फिल्म भी बैन करनी चाहिए।
लुधियाना में निकाय चुनाव में आप सबसे बड़ी पार्टी:बहुमत से 7 सीट पीछे, बैसाखियों के सहारे बनेगा शहर का मेयर
लुधियाना में निकाय चुनाव में आप सबसे बड़ी पार्टी:बहुमत से 7 सीट पीछे, बैसाखियों के सहारे बनेगा शहर का मेयर पंजाब के लुधियाना में नगर निगम चुनाव में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई है। आप ने 41 वार्ड जीते, लेकिन मेयर चुनने के लिए जरूरी 48 का आंकड़ा हासिल नहीं कर पाई। आप मेयर कुर्सी से 7 सीट पीछे है। आप को खोना पड़ सकता डिप्टी मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर का पद किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं है इस कारण अब जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो चुकी है। इस बार शहर का जो मेयर बनेगा वह गठजोड़ की बैसाखी से बनेगा। यदि आप अपना मेयर बनाती है तो सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का पद उन्हें गठजोड़ पार्टी को देना पड़ सकता है। उधर, कांग्रेस और आप हाईकमान में भी निकाय चुनाव के बाद अब गठजोड़ की चर्चाएं देर रात ही शुरु हो गई थी। 63 पार्षदो वाली कांग्रेस 30 सीटों पर ही सिमटी
2018 के चुनाव में 63 सीटों को जीत कर दबदबा रखने वाली कांग्रेस 30 सीटों पर सिमट गई, जबकि भाजपा ने 19 सीटें जीतीं। शिरोमणि अकाली दल को सिर्फ दो सीटें मिलीं और तीन निर्दलीय भी विजयी हुए।
इसके विपरीत, 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 95 वार्डों में से 63 पर कब्जा किया था, जिसमें शिरोमणि अकाली दल ने 11, भाजपा ने 10, लोक इंसाफ पार्टी ने 7, आप ने सिर्फ 1 पर कब्जा किया और चार निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। आप विधायकों को लोगों ने दिया बड़ा झटका
चुनाव नतीजों ने आप के विधायकों को बड़ा झटका दिया, जिसमें दो मौजूदा विधायकों की पत्नियां हार गईं। विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी की पत्नी सुखचैन कौर बस्सी वार्ड नंबर 61 में कांग्रेस उम्मीदवार परमिंदर कौर इंदी से हार गईं। इसी तरह, विधायक अशोक पराशर पप्पी की पत्नी मीनू पाराशर वार्ड नंबर 77 से हार गईं, जहां भाजपा उम्मीदवार पूनम रात्रा विजयी रहीं। कांग्रेस को भी झटका लगा, क्योंकि पूर्व कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु की पत्नी ममता आशु वार्ड नंबर 60 से हार गईं। हालांकि, आप ने प्रमुख परिवारों के बीच कुछ जीत देखी, क्योंकि विधायक अशोक पराशर के भाई राकेश पाराशर ने वार्ड नंबर 90 में जीत हासिल की, और विधायक मदन लाल बग्गा के बेटे अमन बग्गा ने वार्ड नंबर 94 में जीत हासिल की। विधायक कुलवंत सिंह सिद्धू का बेटा युवराज सिद्धू अपने वार्ड से जीत गए। कम मतदान ने डाला नतीजों पर असर
कम मतदान ने चुनावी नतीजों पर काफी असर डाला। चुनावों में मतदाता मतदान में गिरावट देखी गई, जिसमें केवल 46.95% मतदाताओं ने अपने वोट डाले, जबकि 2018 के चुनावों में 59.08% मतदाताओं ने अपने वोट डाले थे। मतदाता जनसांख्यिक में 11.65 लाख पात्र मतदाता शामिल थे – 6.24 लाख पुरुष, 5.40 लाख महिलाएँ और 103 थर्ड-जेंडर मतदाता। पुरुषों में मतदान 48.37%, महिलाओं में 45.34% रहा, जबकि थर्ड-जेंडर श्रेणी में मात्र 15.53% भागीदारी दर्ज की गई।
पंजाब में अकाली दल की कोर कमेटी भंग:अकाल तख्त में पेशी से पहले सुखबीर बादल का फैसला; बागियों को बाहर निकालने की तैयारी
पंजाब में अकाली दल की कोर कमेटी भंग:अकाल तख्त में पेशी से पहले सुखबीर बादल का फैसला; बागियों को बाहर निकालने की तैयारी पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने अचानक कोर कमेटी भंग कर दी है। इस बारे में अकाली दल के सोशल मीडिया अकाउंट से एक लाइन की पोस्ट डाली गई है। पिछले 2 विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद अकाली दल में बगावत हो रही है। इसके खिलाफ बागी गुट सिखों के सर्वोच्च तख्त श्री अकाल तख्त साहिब पर माफीनामा भी दे चुका है। जिसके बाद अकाल तख्त ने सुखबीर बादल को पेश होने के लिए कहा है। सुखबीर बादल को प्रधान बनाए रखने का विरोध करने वालों में शामिल प्रेम सिंह चंदूमाजरा, सुरजीत रखड़ा और सिकंदर सिंह मलूका कोर कमेटी के मेंबर थे। बागी गुट के चरणजीत बराड़ ने कहा कि सिर्फ कोर कमेटी ही क्यों भंग की गई। अगर पार्टी संगठन का नए सिरे से संगठन बनाना है तो फिर बागी विंग भंग क्यों नहीं किए गए। अकाली दल के प्रवक्ता एडवोकेट अर्शदीप सिंह कलेर ने कहा कि यह एक रूटीन प्रोसेस है। शिरोमणि अकाली दल (बादल) की पोस्ट… सीनियर नेताओं के साथ मीटिंग के बाद लिया फैसला
कोर कमेटी भंग होने के बाद अकाली दल के प्रवक्ता डॉक्टर दलजीत चीमा ने कहा कि वर्किंग कमेटी ने प्रधान सुखबीर बादल को पार्टी संगठन को नए सिरे से बनाने के अधिकार दे दिए हैं। इस संबंध में पार्टी प्रधान ने सीनियर नेताओं के साथ चंडीगढ़ में मीटिंग की। जिसके बाद कोर कमेटी भंग करने का फैसला लिया गया। इसे तुरंत दोबारा बना लिया जाएगा। इस दौरान पंजाब में होने वाले विधानसभा उपचुनावों पर भी चर्चा की गई। इस मीटिंग में हरजिंदर सिंह धामी, बलविंदर सिंह भूंदड़, महेश इंदर सिंह ग्रेवाल, दलजीत चीमा, परमजीत सरना, इकबाल सिंह झूंदा और हरचरण सिंह बैंस मौजूद रहे। लोकसभा चुनाव में एक सीट जीत पाई पार्टी
पंजाब में हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी ने भाजपा से गठबंधन तोड़कर 13 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा था, लेकिन बठिंडा सीट को छोड़कर पार्टी किसी भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई थी। बठिंडा से भी बादल परिवार की बहू हरसिमरत कौर चुनाव जीतीं थी। इसके बाद से ही पार्टी में बगावत शुरू हो गईथी। पार्टी नेताओं का साफ कहना था कि लोकसभा चुनाव में अकेले जाना गलती थी। अगर भाजपा के साथ चुनाव में जाते तो पार्टी को जीत मिल सकती थी। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में अकाली दल दो सीटें जीतने में कामयाब रहा था। हालांकि उस समय प्रदेश में सरकार कांग्रेस की थी। सुखबीर के करीबी चरणजीत सिंह के बागी तेवर
जैसे ही लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी प्रधान सुखबीर बादल ने चुनाव नतीजों की समीक्षा करने के लिए मीटिंग बुलाई थी तो उससे पहले अकाली दल के अंदर चल रही बगावत सामने आ गई थी। किसी समय में सुखबीर बादल के करीबियों में शामिल चरणजीत सिंह ने उनके प्रधान पद से इस्तीफे की मांग कर डाली थी। हालांकि उस समय सीनियर नेताओं का कहना था कि पार्टी के मंच पर उन्हें यह बात रखनी चाहिए। इसके बाद यह खाई बढ़ती चली गई। जालंधर उपचुनाव में फूट आई सामने
इसके बाद जालंधर वेस्ट के उपचुनाव की बारी थी। इस दौरान शिरोमणि अकाली दल ने उम्मीदवार के नाम की सिफारिश करने के लिए तीन मेंबरों की कमेटी गठित की है। कमेटी में बीबी जागीर कौर, जत्थेदार गुर प्रताप सिंह बडाला व डॉ. सुखविंदर सिंह सुखी शामिल थे। कमेटी को उपचुनाव के लिए सारी मुहिम की निगरानी की कमान दी गई। उनकी तरफ से सुरजीत कौर को उम्मीदवार ऐलान किया गया, लेकिन पार्टी प्रधान सुखबीर बादल ने इस फैसले को गलत बताया। साथ ही उक्त सीट पर बसपा के उम्मीदवार बिंदर लाखा को समर्थन दे दिया, लेकिन अकाली दल की उम्मीदवार चुनावी मैदान से नहीं हटी। उन्होंने अकाली दल के निशान पर चुनाव लड़ा। हालांकि पार्टी को इस चुनाव में करारी हार मिली। अगर बसपा और अकाली दल के दोनों उम्मीदवारों के मत मिला दिए जाएं तो यह दो हजार से अधिक नहीं थे। उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई थी। श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर माफीनामा सौंपा था
1 जुलाई को अकाली दल का बागी गुट अमृतसर में श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा था। यहां उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब के आगे पेश होकर माफीनामा दिया। जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों पर माफी मांगी गई है। जिसमें डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने की गलती मानी गई है। 2015 में फरीदकोट के बरगाड़ी में बेअदबी की सही जांच न होने के लिए भी माफी मांगी गई है। वहीं IPS अधिकारी सुमेध सैनी को DGP बनाने और मुहम्मद इजहार आलम की पत्नी को टिकट देने की भी गलती मानी गई है। इसके बाद अकाल तख्त ने सुखबीर बादल को तलब किया था।