प्रार्थना आत्मा के पालन का अनमोल साधन : साध्वी

प्रार्थना आत्मा के पालन का अनमोल साधन : साध्वी

भास्कर न्यूज | अमृतसर दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से साप्ताहिक सत्संग करवाया गया। दुर्ग्याणा तीर्थ के हनुमान मंदिर में संगत को आध्यात्मिक विचार प्रदान करते हुए साध्वी गंगाधरी भारती ने कहा कि जिस प्रकार भोजन शरीर के पालन के लिए अमृत की स्थिति रखता है, उसी प्रकार प्रार्थना आत्मा के पालन के लिए अनमोल साधन है। साध्वी ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि प्रार्थना कैसे मनुष्य की आध्यात्मिक ऊंचाइयों के लिए एक आवश्यक साधन है। जैसे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन और व्रत का महत्व है, वैसे ही आत्मा की सेहत के लिए निरंतर प्रार्थना आवश्यक है। यह प्रार्थना केवल शब्दों का समूह नहीं है, बल्कि यह वह पवित्र क्रिया है जो आत्मा को उसकी मूल स्रोत से जोड़ती है। साध्वी ने कहा कि प्रार्थना का सच्चा रूप वह है जब इसे हृदय की गहराइयों और सच्ची लगन से किया जाता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि असली प्रार्थना वह है जो हृदय में सच्चे प्रेम भाव से उत्पन्न होती है और जो मनुष्य को उसकी असली शक्ति से जोड़ती है। जब एक मनुष्य परमात्मा के नाम में लीन हो जाता है, तो उसकी प्रार्थना उसके आंतरिक जीवन को प्रकाशमय बना देती है, जिससे उसके सभी रिश्ते और कर्म भी आध्यात्मिक जीवन से सने जाते हैं। साध्वी ने समझाया कि प्रार्थना केवल दुखों से मुक्ति की याचना नहीं है, बल्कि यह उस अनंत शक्ति से जुड़ने का साधन है, जिसे हम “परमात्मा’ कहते हैं। इसकी शक्ति अद्भुत है क्योंकि यह हमारे भीतर की सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर करती है और हमारे जीवन को एक नई दिशा में ले जाती है। प्रार्थना वह पुल है जो हमें असली तरक्की और आध्यात्मिक प्रगति की ओर ले जाता है। इस मौके पर साध्वियों ने अपने भजनों से सभी को मंत्र मुग्ध किया। भास्कर न्यूज | अमृतसर दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से साप्ताहिक सत्संग करवाया गया। दुर्ग्याणा तीर्थ के हनुमान मंदिर में संगत को आध्यात्मिक विचार प्रदान करते हुए साध्वी गंगाधरी भारती ने कहा कि जिस प्रकार भोजन शरीर के पालन के लिए अमृत की स्थिति रखता है, उसी प्रकार प्रार्थना आत्मा के पालन के लिए अनमोल साधन है। साध्वी ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि प्रार्थना कैसे मनुष्य की आध्यात्मिक ऊंचाइयों के लिए एक आवश्यक साधन है। जैसे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन और व्रत का महत्व है, वैसे ही आत्मा की सेहत के लिए निरंतर प्रार्थना आवश्यक है। यह प्रार्थना केवल शब्दों का समूह नहीं है, बल्कि यह वह पवित्र क्रिया है जो आत्मा को उसकी मूल स्रोत से जोड़ती है। साध्वी ने कहा कि प्रार्थना का सच्चा रूप वह है जब इसे हृदय की गहराइयों और सच्ची लगन से किया जाता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि असली प्रार्थना वह है जो हृदय में सच्चे प्रेम भाव से उत्पन्न होती है और जो मनुष्य को उसकी असली शक्ति से जोड़ती है। जब एक मनुष्य परमात्मा के नाम में लीन हो जाता है, तो उसकी प्रार्थना उसके आंतरिक जीवन को प्रकाशमय बना देती है, जिससे उसके सभी रिश्ते और कर्म भी आध्यात्मिक जीवन से सने जाते हैं। साध्वी ने समझाया कि प्रार्थना केवल दुखों से मुक्ति की याचना नहीं है, बल्कि यह उस अनंत शक्ति से जुड़ने का साधन है, जिसे हम “परमात्मा’ कहते हैं। इसकी शक्ति अद्भुत है क्योंकि यह हमारे भीतर की सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर करती है और हमारे जीवन को एक नई दिशा में ले जाती है। प्रार्थना वह पुल है जो हमें असली तरक्की और आध्यात्मिक प्रगति की ओर ले जाता है। इस मौके पर साध्वियों ने अपने भजनों से सभी को मंत्र मुग्ध किया।   पंजाब | दैनिक भास्कर