उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दल धीरे-धीरे चुनावी मोड में आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ी कांग्रेस को भी यहां से उम्मीदें नजर आ रही हैं। यहां कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं थीं। चर्चा जोरों पर है कि यूपी में चुनाव से पहले एक बार फिर प्रियंका गांधी को जिम्मेदारी दी जाएगी। दूसरी चर्चा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को लेकर है। किसी मुस्लिम चेहरे को इसकी कमान दी जा सकती है। इसको लेकर दिल्ली में कांग्रेस की टॉप लीडरशिप में मंथन भी हो चुका है। प्रदेश प्रभारी या चुनाव प्रभारी बनेंगी प्रियंका
सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस आलाकमान प्रियंका गांधी को 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले यूपी का प्रभारी या चुनाव प्रभारी बनाने पर विचार कर रहा है। हाल ही में दिल्ली में एक बैठक हुई थी। जिसमें शुरुआती तौर पर चर्चा भी हुई। यूपी में अगर कांग्रेस मजबूत होती है, तो इसका फायदा केंद्र में मिलेगा। इससे पहले, 2019 से 2022 तक प्रियंका यूपी कांग्रेस की महासचिव और प्रभारी रह चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने संगठन को मजबूत करने और स्थानीय नेताओं को एकजुट करने की कोशिश की। लेकिन, सीमित संसाधनों और संगठनात्मक कमजोरियों के कारण उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिले। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन (6 सीटें) ने पार्टी को नई उम्मीद दी है। ऐसे में प्रियंका को फिर से प्रदेश प्रभारी या चुनाव प्रभारी बनाए जाने की संभावना को बल मिल रहा है। यूपी कांग्रेस के लिए प्रियंका गांधी ही क्यों?
प्रियंका गांधी को यूपी में कांग्रेस की रणनीति का केंद्र माना जाता है। मौजूदा समय में यूपी कांग्रेस में टॉप-3 पोजिशन पर जो लोग बैठे हैं, वो सभी सवर्ण जाति से आते हैं। मसलन, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय और विधानसभा में कांग्रेस की नेता आराधना मिश्रा मोना हैं। ऐसे में प्रियंका गांधी के आने के बाद कम से कम दो पोजिशन दलित और पिछड़े से भरी जा सकती हैं। प्रियंका गांधी कांग्रेस के लिए इस लिए भी जरूरी हैं, क्योंकि उसके पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो जनता से सीधे जुड़ने की क्षमता रखता हो। खासकर ग्रामीण और महिला मतदाताओं के बीच। 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका ने यूपी में कांग्रेस के लिए सक्रिय प्रचार किया था। उन्होंने ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ जैसे नारे के जरिए युवा और महिला मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश की। हालांकि, इसका परिणाम अपेक्षित रूप से नहीं मिला। इसके अलावा प्रियंका का गांधी परिवार से होना उन्हें स्वाभाविक रूप से कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच एक मजबूत चेहरे के तौर पर पेश करता है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का संगठन लंबे समय से कमजोर रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका ने बुलंदशहर से लेकर पूर्वांचल तक डोर-टू-डोर कैंपेन चलाया और पार्टी संगठन को मजबूत करने की कोशिश की। चुनाव में ही एक्टिव होती रही हैं प्रियंका
प्रियंका गांधी की सबसे कमजोर कड़ी उनका स्थायी रूप से यूपी में न होना है। चुनाव 2022 का हो या 2024 का। चुनाव के बाद प्रियंका गांधी यूपी लौटकर नहीं आईं। 2022 के चुनाव में वह प्रदेश प्रभारी थीं। उन्होंने जोर-शोर से कैंपेन चलाया था…लड़की हूं, लड़ सकती हूं…जो फेल हो गया। चुनाव खत्म होने के बाद प्रियंका गांधी यूपी नहीं लौटीं। इसी तरह 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने ज्यादा समय रायबरेली और अमेठी सीट पर दिया था। कांग्रेस को यहां पिछले चुनाव के मुकाबले 6 गुना कामयाबी मिली। इसके बावजूद 18 मई को यूपी से दिल्ली गईं प्रियंका लौट कर नहीं आईं। प्रदेश अध्यक्ष मुस्लिम चेहरे को देने की तैयारी
दूसरी चर्चा यूपी के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को लेकर है। इस बार तैयारी किसी मुस्लिम चेहरे को लाने की है। इसके लिए दो नाम चर्चा में हैं। पहला- सहारनपुर के कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और दूसरा- बसपा छोड़कर कांग्रेस में आए नसीमुद्दीन सिद्दीकी। अभी यूपी में कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय हैं। कैसा है सपा के साथ तालमेल
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन का इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों ने गठबंधन किया था, लेकिन नतीजे निराशाजनक रहे। 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन के तहत सपा और कांग्रेस ने मिलकर 80 सीटों पर चुनाव लड़ा। इसमें से दोनों दलों ने 43 सीटें जीती थीं। सपा ने 63 में 37 और कांग्रेस को 17 में 6 सीटें जीती थीं। इसके बाद भी दोनों ही दल कहते आ रहे हैं कि 2027 में भी गठबंधन कायम रहेगा। लेकिन 6 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि उसे इस बार विधानसभा में अच्छी सीटें मिल सकती हैं। सीट शेयरिंग को लेकर जो बाउंडिंग अखिलेश और राहुल गांधी के बीच है, वह कम से कम प्रियंका गांधी के साथ नजर नहीं आती। ऐसे में प्रियंका के आने के बाद गठबंधन का भविष्य क्या होगा? इस सवाल का जवाब तलाश पाना मुश्किल है। यूपी में कितनी सीट चाहती है कांग्रेस?
सहारनपुर से सांसद और प्रियंका गांधी के करीबी इमरान मसूद कहते हैं- लोकसभा चुनाव का फॉर्मूला 2027 के विधानसभा चुनाव में नहीं चलने वाला। कांग्रेस यूपी में अपने दम पर खड़ी हो रही है। कांग्रेस 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। हालांकि इमरान मसूद का यह भी कहना है कि यूपी में गठबंधन कायम रहेगा या नहीं और कांग्रेस कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, यह कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व तय करेगा। सपा का प्रियंका को लेकर क्या रुख है?
सपा नेतृत्व, खासकर अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी के प्रति सम्मान का रुख रखते हैं। लेकिन, उनकी प्राथमिकता सपा की राजनीतिक ताकत बढ़ाने की है। अखिलेश ने बार-बार कहा है कि गठबंधन में जीत की संभावना वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी, चाहे वे किसी भी दल से हों। वहीं, अखिलेश यादव के करीबियों का मानना है कि वे सीटों को लेकर प्रियंका गांधी के मुकाबले राहुल गांधी के साथ बात करने में खुद को ज्यादा सहज महसूस करते हैं। प्रियंका आईं तो कांग्रेस संगठन को मजबूती मिलेगी
कांग्रेस प्रवक्ता शहनवाज आलम कहते हैं- कांग्रेस में किसी भी राज्य में गांधी परिवार से कोई प्रभारी बनता है, तो पार्टी में उत्साह पैदा होता है। लीडरशिप की नई खेप आती है। बड़ी संख्या में लोग जुड़ते हैं। प्रियंका गांधी के आने से अच्छा मैसेज जाएगा। जहां तक 2022 के विधानसभा चुनाव की बात है तो उसमें प्रियंका गांधी कांग्रेस का संगठन मजबूत करने में कामयाब रही थीं। चुनाव को भाजपा की तरफ से ध्रुवीकरण कराए जाने के बाद भी कांग्रेस का हर बूथ पर बस्ता नजर आ रहा था। यह कांग्रेस के संगठन की कामयाबी की निशानी है। चुनाव के समीकरण हमारे पक्ष में नहीं थे, इसलिए कामयाबी नहीं मिली। सभी दलों को अपनी पार्टी का संगठन मजबूत करने का हक
सपा के प्रवक्ता मनोज यादव कहते हैं- समाजवादी पार्टी अपने संगठन को मजबूत कर रही है। कांग्रेस की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने संगठन को मजबूत करे। प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस को अगर फायदा होता है, तो जरूर उन्हें लेकर आना चाहिए। कांग्रेस पार्टी हमारी गठबंधन की सहयोगी है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सुरेश बहादुर सिंह कहते हैं- प्रियंका को यूपी फिर से लाने की तैयारी 2027 की नहीं, 2029 की है। क्योंकि, उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है और दिल्ली की सत्ता का रास्ता यहीं से होकर गुजरता है। कांग्रेस का फोकस आधी आबादी पर है। इसे दूसरे नेताओं के मुकाबले प्रियंका गांधी के जरिए साधना ज्यादा आसान है। हालांकि वरिष्ठ पत्रकार और कांग्रेस को करीब से जानने वाले हिसाम सिद्दीकी कहते हैं कि प्रियंका गांधी यूपी में फेल हो चुकी हैं। ऐसे में वो दोबारा यूपी लौटेंगी, इसकी उम्मीद कम है। विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को मिलकर लड़ना है। ऐसे में प्रियंका गांधी की भूमिका और भी सीमित हो जाती है। ————————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी के डॉक्टर की डर्टी स्टोरी, 200 VIDEO अपलोड किए, रीना राय नाम के फेसबुक पेज पर लिंक, पोर्न वीडियो देखने के 300 रुपए लगते संत कबीर नगर के डॉक्टर वरुणेश दुबे के ट्रांसजेंडर वाले अश्लील वीडियो चर्चा में हैं। डॉक्टर की पत्नी ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस ने वीडियो के सैंपल फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है। इस बार संडे बिग स्टोरी में पढ़िए, किस वेबसाइट पर ये वीडियो अपलोड किए जाते थे, किस फेसबुक आईडी से लिंक मिला, देखने के रेट क्या थे? पूरी खबर पढ़ें… उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दल धीरे-धीरे चुनावी मोड में आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ी कांग्रेस को भी यहां से उम्मीदें नजर आ रही हैं। यहां कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं थीं। चर्चा जोरों पर है कि यूपी में चुनाव से पहले एक बार फिर प्रियंका गांधी को जिम्मेदारी दी जाएगी। दूसरी चर्चा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को लेकर है। किसी मुस्लिम चेहरे को इसकी कमान दी जा सकती है। इसको लेकर दिल्ली में कांग्रेस की टॉप लीडरशिप में मंथन भी हो चुका है। प्रदेश प्रभारी या चुनाव प्रभारी बनेंगी प्रियंका
सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस आलाकमान प्रियंका गांधी को 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले यूपी का प्रभारी या चुनाव प्रभारी बनाने पर विचार कर रहा है। हाल ही में दिल्ली में एक बैठक हुई थी। जिसमें शुरुआती तौर पर चर्चा भी हुई। यूपी में अगर कांग्रेस मजबूत होती है, तो इसका फायदा केंद्र में मिलेगा। इससे पहले, 2019 से 2022 तक प्रियंका यूपी कांग्रेस की महासचिव और प्रभारी रह चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने संगठन को मजबूत करने और स्थानीय नेताओं को एकजुट करने की कोशिश की। लेकिन, सीमित संसाधनों और संगठनात्मक कमजोरियों के कारण उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिले। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन (6 सीटें) ने पार्टी को नई उम्मीद दी है। ऐसे में प्रियंका को फिर से प्रदेश प्रभारी या चुनाव प्रभारी बनाए जाने की संभावना को बल मिल रहा है। यूपी कांग्रेस के लिए प्रियंका गांधी ही क्यों?
प्रियंका गांधी को यूपी में कांग्रेस की रणनीति का केंद्र माना जाता है। मौजूदा समय में यूपी कांग्रेस में टॉप-3 पोजिशन पर जो लोग बैठे हैं, वो सभी सवर्ण जाति से आते हैं। मसलन, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय और विधानसभा में कांग्रेस की नेता आराधना मिश्रा मोना हैं। ऐसे में प्रियंका गांधी के आने के बाद कम से कम दो पोजिशन दलित और पिछड़े से भरी जा सकती हैं। प्रियंका गांधी कांग्रेस के लिए इस लिए भी जरूरी हैं, क्योंकि उसके पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो जनता से सीधे जुड़ने की क्षमता रखता हो। खासकर ग्रामीण और महिला मतदाताओं के बीच। 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका ने यूपी में कांग्रेस के लिए सक्रिय प्रचार किया था। उन्होंने ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ जैसे नारे के जरिए युवा और महिला मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश की। हालांकि, इसका परिणाम अपेक्षित रूप से नहीं मिला। इसके अलावा प्रियंका का गांधी परिवार से होना उन्हें स्वाभाविक रूप से कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच एक मजबूत चेहरे के तौर पर पेश करता है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का संगठन लंबे समय से कमजोर रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका ने बुलंदशहर से लेकर पूर्वांचल तक डोर-टू-डोर कैंपेन चलाया और पार्टी संगठन को मजबूत करने की कोशिश की। चुनाव में ही एक्टिव होती रही हैं प्रियंका
प्रियंका गांधी की सबसे कमजोर कड़ी उनका स्थायी रूप से यूपी में न होना है। चुनाव 2022 का हो या 2024 का। चुनाव के बाद प्रियंका गांधी यूपी लौटकर नहीं आईं। 2022 के चुनाव में वह प्रदेश प्रभारी थीं। उन्होंने जोर-शोर से कैंपेन चलाया था…लड़की हूं, लड़ सकती हूं…जो फेल हो गया। चुनाव खत्म होने के बाद प्रियंका गांधी यूपी नहीं लौटीं। इसी तरह 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने ज्यादा समय रायबरेली और अमेठी सीट पर दिया था। कांग्रेस को यहां पिछले चुनाव के मुकाबले 6 गुना कामयाबी मिली। इसके बावजूद 18 मई को यूपी से दिल्ली गईं प्रियंका लौट कर नहीं आईं। प्रदेश अध्यक्ष मुस्लिम चेहरे को देने की तैयारी
दूसरी चर्चा यूपी के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को लेकर है। इस बार तैयारी किसी मुस्लिम चेहरे को लाने की है। इसके लिए दो नाम चर्चा में हैं। पहला- सहारनपुर के कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और दूसरा- बसपा छोड़कर कांग्रेस में आए नसीमुद्दीन सिद्दीकी। अभी यूपी में कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय हैं। कैसा है सपा के साथ तालमेल
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन का इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों ने गठबंधन किया था, लेकिन नतीजे निराशाजनक रहे। 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन के तहत सपा और कांग्रेस ने मिलकर 80 सीटों पर चुनाव लड़ा। इसमें से दोनों दलों ने 43 सीटें जीती थीं। सपा ने 63 में 37 और कांग्रेस को 17 में 6 सीटें जीती थीं। इसके बाद भी दोनों ही दल कहते आ रहे हैं कि 2027 में भी गठबंधन कायम रहेगा। लेकिन 6 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि उसे इस बार विधानसभा में अच्छी सीटें मिल सकती हैं। सीट शेयरिंग को लेकर जो बाउंडिंग अखिलेश और राहुल गांधी के बीच है, वह कम से कम प्रियंका गांधी के साथ नजर नहीं आती। ऐसे में प्रियंका के आने के बाद गठबंधन का भविष्य क्या होगा? इस सवाल का जवाब तलाश पाना मुश्किल है। यूपी में कितनी सीट चाहती है कांग्रेस?
सहारनपुर से सांसद और प्रियंका गांधी के करीबी इमरान मसूद कहते हैं- लोकसभा चुनाव का फॉर्मूला 2027 के विधानसभा चुनाव में नहीं चलने वाला। कांग्रेस यूपी में अपने दम पर खड़ी हो रही है। कांग्रेस 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। हालांकि इमरान मसूद का यह भी कहना है कि यूपी में गठबंधन कायम रहेगा या नहीं और कांग्रेस कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, यह कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व तय करेगा। सपा का प्रियंका को लेकर क्या रुख है?
सपा नेतृत्व, खासकर अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी के प्रति सम्मान का रुख रखते हैं। लेकिन, उनकी प्राथमिकता सपा की राजनीतिक ताकत बढ़ाने की है। अखिलेश ने बार-बार कहा है कि गठबंधन में जीत की संभावना वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी, चाहे वे किसी भी दल से हों। वहीं, अखिलेश यादव के करीबियों का मानना है कि वे सीटों को लेकर प्रियंका गांधी के मुकाबले राहुल गांधी के साथ बात करने में खुद को ज्यादा सहज महसूस करते हैं। प्रियंका आईं तो कांग्रेस संगठन को मजबूती मिलेगी
कांग्रेस प्रवक्ता शहनवाज आलम कहते हैं- कांग्रेस में किसी भी राज्य में गांधी परिवार से कोई प्रभारी बनता है, तो पार्टी में उत्साह पैदा होता है। लीडरशिप की नई खेप आती है। बड़ी संख्या में लोग जुड़ते हैं। प्रियंका गांधी के आने से अच्छा मैसेज जाएगा। जहां तक 2022 के विधानसभा चुनाव की बात है तो उसमें प्रियंका गांधी कांग्रेस का संगठन मजबूत करने में कामयाब रही थीं। चुनाव को भाजपा की तरफ से ध्रुवीकरण कराए जाने के बाद भी कांग्रेस का हर बूथ पर बस्ता नजर आ रहा था। यह कांग्रेस के संगठन की कामयाबी की निशानी है। चुनाव के समीकरण हमारे पक्ष में नहीं थे, इसलिए कामयाबी नहीं मिली। सभी दलों को अपनी पार्टी का संगठन मजबूत करने का हक
सपा के प्रवक्ता मनोज यादव कहते हैं- समाजवादी पार्टी अपने संगठन को मजबूत कर रही है। कांग्रेस की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने संगठन को मजबूत करे। प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस को अगर फायदा होता है, तो जरूर उन्हें लेकर आना चाहिए। कांग्रेस पार्टी हमारी गठबंधन की सहयोगी है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सुरेश बहादुर सिंह कहते हैं- प्रियंका को यूपी फिर से लाने की तैयारी 2027 की नहीं, 2029 की है। क्योंकि, उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है और दिल्ली की सत्ता का रास्ता यहीं से होकर गुजरता है। कांग्रेस का फोकस आधी आबादी पर है। इसे दूसरे नेताओं के मुकाबले प्रियंका गांधी के जरिए साधना ज्यादा आसान है। हालांकि वरिष्ठ पत्रकार और कांग्रेस को करीब से जानने वाले हिसाम सिद्दीकी कहते हैं कि प्रियंका गांधी यूपी में फेल हो चुकी हैं। ऐसे में वो दोबारा यूपी लौटेंगी, इसकी उम्मीद कम है। विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को मिलकर लड़ना है। ऐसे में प्रियंका गांधी की भूमिका और भी सीमित हो जाती है। ————————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी के डॉक्टर की डर्टी स्टोरी, 200 VIDEO अपलोड किए, रीना राय नाम के फेसबुक पेज पर लिंक, पोर्न वीडियो देखने के 300 रुपए लगते संत कबीर नगर के डॉक्टर वरुणेश दुबे के ट्रांसजेंडर वाले अश्लील वीडियो चर्चा में हैं। डॉक्टर की पत्नी ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस ने वीडियो के सैंपल फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है। इस बार संडे बिग स्टोरी में पढ़िए, किस वेबसाइट पर ये वीडियो अपलोड किए जाते थे, किस फेसबुक आईडी से लिंक मिला, देखने के रेट क्या थे? पूरी खबर पढ़ें… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
प्रियंका गांधी बन सकती हैं यूपी कांग्रेस की बॉस:मुस्लिम चेहरा हो सकता है प्रदेश अध्यक्ष; पिछड़ों-दलितों को भी मिलेगी जिम्मेदारी
