फाजिल्का के गांव में बूरवाला में एक परिवार अपने बच्चों को जंजीरों से बांधने के लिए मजबूर है l लोहे की जंजीरों में जकड़ बच्चे को घर में बंद कर रखा गया है l परिवार का तर्क है कि जब जंजीर खोली जाती है तो मानसिक तौर पर अस्वस्थ इस बच्चे द्वारा न सिर्फ दूसरों को नुकसान पहुंचाया जाता है बल्कि वह खुद का नुकसान भी करता है l उनका कहना है कि गरीब परिवार है और आर्थिक मदद के लिए उनके द्वारा प्रशासन सरकार से कई बार गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई l 14 वर्षीय बच्चे के पिता हरदेव सिंह का कहना है कि वह गांव में ही टेलर का काम करता है l पारिवारिक सदस्यों में माता-पिता तथा दादी ने बताया कि बच्चा दिमागी तौर पर अस्वस्थ है l जिसके चलते उनके द्वारा उसे जंजीर से बांध घर में रखा गया है l प्रशासन ने नहीं की कोई मदद उनका कहना है कि जैसे ही जंजीर को खोलकर उसे आजाद किया जाता है तो इसके द्वारा न सिर्फ दूसरे लोगों को नुकसान पहुंचाया जाता है, बल्कि खुद का नुकसान भी करता है l खुद के कपड़े फाड़ लेता है l उनका कहना है कि इलाज पर काफी पैसा खर्च होगा l लेकिन वह गरीब परिवार है जिनके द्वारा कई बार आर्थिक मदद की गुहार प्रशासन व सरकार से लगाई जा चुकी है l लेकिन उनकी किसी ने मदद नहीं की l इसी वजह से बच्चे की पढ़ाई भी छुड़वा दी गई। फाजिल्का के गांव में बूरवाला में एक परिवार अपने बच्चों को जंजीरों से बांधने के लिए मजबूर है l लोहे की जंजीरों में जकड़ बच्चे को घर में बंद कर रखा गया है l परिवार का तर्क है कि जब जंजीर खोली जाती है तो मानसिक तौर पर अस्वस्थ इस बच्चे द्वारा न सिर्फ दूसरों को नुकसान पहुंचाया जाता है बल्कि वह खुद का नुकसान भी करता है l उनका कहना है कि गरीब परिवार है और आर्थिक मदद के लिए उनके द्वारा प्रशासन सरकार से कई बार गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई l 14 वर्षीय बच्चे के पिता हरदेव सिंह का कहना है कि वह गांव में ही टेलर का काम करता है l पारिवारिक सदस्यों में माता-पिता तथा दादी ने बताया कि बच्चा दिमागी तौर पर अस्वस्थ है l जिसके चलते उनके द्वारा उसे जंजीर से बांध घर में रखा गया है l प्रशासन ने नहीं की कोई मदद उनका कहना है कि जैसे ही जंजीर को खोलकर उसे आजाद किया जाता है तो इसके द्वारा न सिर्फ दूसरे लोगों को नुकसान पहुंचाया जाता है, बल्कि खुद का नुकसान भी करता है l खुद के कपड़े फाड़ लेता है l उनका कहना है कि इलाज पर काफी पैसा खर्च होगा l लेकिन वह गरीब परिवार है जिनके द्वारा कई बार आर्थिक मदद की गुहार प्रशासन व सरकार से लगाई जा चुकी है l लेकिन उनकी किसी ने मदद नहीं की l इसी वजह से बच्चे की पढ़ाई भी छुड़वा दी गई। पंजाब | दैनिक भास्कर
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लुधियाना से किला रायपुर तक रेलवे ट्रैक का दोहरीकरण:विधायक व प्रशासन ने रेलवे अधिकारियों के साथ की बैठक, 31 परिवारों का होगा पुनर्वास लुधियाना सेंट्रल के विधायक अशोक पाराशर पप्पी, डीसी साक्षी साहनी और नगर निगम पार्षद संदीप ऋषि ने रेलवे अधिकारियों और परिवारों के प्रतिनिधियों के साथ 31 झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले परिवारों के पुनर्वास पर चर्चा की। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि 31 स्थायी अतिक्रमण रेलवे की जमीन पर हैं, जहां वे लुधियाना से किला रायपुर (17.174 किमी) तक रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण की परियोजना पर काम कर रहे हैं, जिसमें 25-केवी हाई राइज रेलवे विद्युतीकरण और सिग्नलिंग और दूरसंचार कार्य शामिल हैं। 31 परिवारों का होगा पुनर्वास विधायक अशोक पाराशर पप्पी ने आश्वासन दिया कि जिला प्रशासन और नगर निगम इन परिवारों के पुनर्वास का रास्ता निकालेंगे। विधायक के अनुरोध पर डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने एसडीएम विकास हीरा, एमसी और रेलवे अधिकारियों को कहा कि वे परिवारों के प्रतिनिधियों को मौके पर ले जाएं और रिपोर्ट दें कि क्या परिवारों को वहां से हटाने से बचने के लिए कोई और उपाय हो सकता है। साहनी ने परिवारों को आश्वासन दिया कि अगर कोई व्यवहार्य समाधान नहीं मिलता है तो उन्हें यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से पुनर्वास की सुविधा प्रदान की जाएगी।
गुरमीत के राम रहीम बनने की पूरी कहानी:17 की उम्र में शादी, 23 में संन्यासी बना; एक पोशाक से हिंसा फैली, रेप-मर्डर में सजा
गुरमीत के राम रहीम बनने की पूरी कहानी:17 की उम्र में शादी, 23 में संन्यासी बना; एक पोशाक से हिंसा फैली, रेप-मर्डर में सजा डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 22 साल पुराने रणजीत सिंह मर्डर केस में हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। राम रहीम अभी रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। वह जेल से बाहर नहीं आएगा। एक सामान्य इंसान से डेरा सच्चा का प्रमुख बनने तक राम रहीम की कहानी दिलचस्प है। राम रहीम का जन्म 15 अगस्त 1967 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की गुरुसर मोडिया गांव में जट सिख परिवार में हुआ। वह माता-पिता का इकलौता बेटा था। उसके पिता मघर सिंह गांव के जमींदार थे। माता का नाम नसीब कौर है। राम रहीम ने जन्म को लेकर ये किया था वादा
राम रहीम ने खुद दावा किया था कि उसका जन्म संतों के आशीर्वाद की वजह से हुआ। उसने बताया था कि शादी के काफी साल बीतने के बावजूद उसके माता-पिता को बच्चे नहीं हो रहे थे। परिवार डेरा से जुड़ा था। माता-पिता ने संतान न होने की बात संत त्रिवेणी दास के सामने रखी। तब संत ने कहा बच्चे होंगे, पर इसकी एक शर्त है। बच्चा उनके पास सिर्फ 23 साल तक रहेगा। इसके बाद वह जिस काम के लिए आया है वह करेगा। राम रहीम ने दावा किया था कि माता-पिता के राजी होने के 9 महीने बाद उसका जन्म हुआ। इसलिए 17 की उम्र में हो गई शादी
राम रहीम ने बताया कि पिता को मालूम था मैं 23 साल की उम्र के बाद संन्यास ले लूंगा। इसी वजह से पिता ने महज 17 साल की उम्र में हरजीत कौर के साथ शादी करवा दी। इसके बाद पत्नी ने 1 बेटा और 2 बेटियों को जन्म दिया। 23 साल की उम्र पूरी होने पर डेरा के आदेश के बाद घर छोड़ दिया और संन्यास ले लिया। राम रहीम का दावा है कि संन्यास लेने के बाद उसने ब्रह्मचर्य का पालन किया है। परिवार में ये लोग
राम रहीम की बड़ी बेटी का नाम चरणप्रीत और छोटी का नाम अमरप्रीत है। इसके साथ उसने हनीप्रीत को गोद ले रखा है। राम रहीम की बड़ी बेटी चरणप्रीत का पति भी डेरा अनुयायी है। उसका नाम डॉक्टर शान-ए-मीत इंसा है। छोटी बेटी का पति रूह-ए-मीत इंसा है। बेटे का नाम जसमीत है। उसकी शादी बठिंडा के पूर्व विधायक हरमिंदर सिंह जस्सी की बेटी हुस्नमीत इंसा से हुई है। 34 साल पहले बना था डेरा प्रमुख
राम रहीम ने 1990 में तीसरे प्रमुख के रूप में डेरा सच्चा सौदा को संभाला। यह डेरा 1948 में शाह मस्ताना ने स्थापित किया था। डेरे का दावा है कि दुनियाभर में उनके 5 करोड़ अनुयायी हैं। पूरे देश में डेरे के 50 से भी ज्यादा आश्रम हैं। राम रहीम को डेरा सच्चा सौदा को आधुनिक बनाने का श्रेय दिया जाता है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में डेरा के सबसे ज्यादा समर्थक हैं। हरियाणा के सिरसा में डेरे का मुख्यालय है। यह कई सौ एकड़ में फैला हुआ है। उसमें स्टेडियम, स्कूल, सिनेमा हॉल, सभास्थल आदि हैं। फिल्मों की वजह से बदला हुलिया
राम रहीम ने युवाओं को लेकर रॉक स्टार का रूप धारण किया। उसने कई रॉक स्टार की तरह कॉन्सर्ट किए। बाद में उसने कई फिल्में भी की, इनमें मैसेंजर ऑफ गॉड प्रमुख है। उसने फिल्म में खुद कहानी लिखी, डायरेक्शन किया और गाने गाए। राम रहीम ने सबसे पहली फिल्म ‘एमएसजी-द मैसेंजर’ फरवरी 2015 में रिलीज की थी। इसके बाद ‘एसएजी-2’, ‘एसएजी-ऑनलाइन गुरुकुल’, ‘एसएजी-द वारियर लायन हार्ट’, ‘हिन्द का नापाक को जवाब’ आईं। गुरु की ड्रेस को लेकर विवाद
2007 में राम रहीम विवाद में फंसा था। वह एक एड में सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह जी के लिबास जैसा परिधान पहने नजर आया था। राम रहीम के इस गेटअप के बाद पंजाब और हरियाणा में हिंसा फैल गई थी। इससे जान-माल का काफी नुकसान हुआ। पंजाब के बठिंडा में मामला भी दर्ज किया गया। हालांकि बाद में पंजाब सरकार ने ये मामला वापस ले लिया। 2017 से जेल में राम रहीम
25 अगस्त 2017 को 2 साध्वियों के यौन शोषण केस में राम रहीम को 20 साल कैद हुई। इसके बाद 17 जनवरी 2019 को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में उम्र कैद हुई। वहीं डेरा मैनेजर रणजीत सिंह के हत्या मामले में अक्टूबर 2021 में CBI कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई। सजा मिलने के तीन साल बाद राम रहीम को इस मामले में हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। अभी राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। ये खबरें भी पढ़ें… राम रहीम डेरा मैनेजर की हत्या के केस में बरी:हाईकोर्ट ने CBI कोर्ट का फैसला रद्द किया; पत्रकार हत्याकांड और साध्वी रेप केस में जेल में रहेगा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा चीफ राम रहीम समेत 5 लोगों को डेरा मैनेजर रणजीत सिंह हत्याकांड में बरी कर दिया है। राम रहीम समेत 5 आरोपियों को CBI कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी थी। राम रहीम इस वक्त रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। उसे 3 मामलों में सजा हुई थी। इनमें रणजीत हत्याकांड के अलावा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और साध्वियों के यौन शोषण का केस भी शामिल है। पत्रकार की हत्या में उसे उम्रकैद और यौन शोषण के 2 केसों में 10-10 साल की कैद हुई थी। इस केस में बरी होने के बावजूद राम रहीम को अभी जेल में ही रहना होगा। (पूरी खबर पढ़ें) वह गुमनाम चिट्ठी, जिसके बाद रणजीत का मर्डर हुआ:इसी केस में राम रहीम बरी हरियाणा के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के चीफ राम रहीम के साम्राज्य को एक गुमनाम चिट्ठी ने तबाह किया था। यह चिट्ठी डेरे में साध्वियों के यौन शोषणा से जुड़ी हुई थी। यह चिट्ठी 13 मई 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को संबोधित कर लिखी गई थी।इस चिट्ठी के सामने आने के बाद पहले डेरे के मैनेजर रणजीत सिंह का मर्डर हुआ (पूरी खबर पढ़ें) रणजीत का परिवार जाएगा सुप्रीम कोर्ट:राम रहीम को बरी किए जाने से परिवार मायूस, बेटा और जीजा बोले-मरते दम तक लड़ेंगे लड़ाई हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर रणजीत सिंह के मर्डर केस में हाईकोर्ट ने डेरा प्रमुख को बरी कर दिया है। इस फैसले से रणजीत सिंह का परिवार मायूस है। परिवार का कहना है कि वह कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। इसके लिए वकीलों से राय ली जा रही है। जल्द ही इसके लिए कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई शुरू करेंगे। (पूरी खबर पढ़ें)
निकाय चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगी पंजाब सरकार:बिना वार्डबंदी चुनाव करवाने को तैयार नहीं, हाइकोर्ट के आदेश को देगी चुनौती
निकाय चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगी पंजाब सरकार:बिना वार्डबंदी चुनाव करवाने को तैयार नहीं, हाइकोर्ट के आदेश को देगी चुनौती पंजाब में निकाय चुनाव करवाने के मामले को लेकर अब राज्य सरकार, सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। सरकार वार्डबंदी करवाने के बाद ही चुनाव करवाना चाहती है। इसके लिए जल्दी ही सरकार द्वारा याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाएगी। सरकार की तरफ से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश की कॉपी की स्टडी की जा रही है। पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने मीडिया से बातचीत में सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। उनका कहना है कि कई नगर निगमों व नगर काउंसिलों में वार्डबंदी हो चुकी है, जबकि कुछ जगह चल रही है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि जनवरी व फरवरी अंत तक पूरी हो जाएगी। बाकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तय होगा। इससे पहले वीरवार को निकाय चुनाव को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए पंजाब सरकार व राज्य निर्वाचन आयोग को अवमानना का नोटिस जारी किया था। उन पर उच्च अदालत के आदेशों की पालन न करने का आरोप है। अदालत ने पहले 15 दिन में निकाय चुनाव करवाने संबंधी नोटिफिकेशन जारी करने के आदेश पंजाब सरकार व स्टेट निर्वाचन आयोग को दिए थे। लेकिन इस दिशा में काेई कार्रवाई नहीं हुई है। जिसके बाद अदालत में इस संबंधी याचिका दायर हुई है। अदालत ने अब अपने आदेश में कहा है कि 10 दिनों में नोटिफिकेशन जारी नहीं हुई तो 50 हजार का जुर्माना लगेगा, साथ ही अवमानना का केस चलेगा। 5 निगमों और 42 परिषदों का कार्यकाल हुआ पूरा राज्य में फगवाड़ा, अमृतसर, पटियाला, जालंधर, लुधियाना नगर निगमों और 42 नगर परिषदों का पांच साल का कार्यकाल खत्म हो चुका है। इस समय को पूरा हुए काफी समय बीत गया है। लेकिन सरकार ने अभी तक चुनाव नहीं करवाए हैं। चुनाव की मांग को लेकर यह मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा था। गत 14 अक्टूबर को सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश दिए थे कि चुनाव संबंधी नोटिफिकेशन बिना वार्डबंदी से 15 दिनों में जारी की जाए। लेकिन तय समय अवधि यह प्रक्रिया नहीं हुई। इस दौरान बीच में सरकारी छुटि्टयां भी आ गई थी। इसके बाद इसी मामले लेकर अवमानना की याचिका दाखिल हुई थी। जिस पर सुनवाई देते हुए उच्च अदालत ने आदेश जारी किए हैं। वार्डबंदी के लिए 16 सप्ताह की जरूरत गत सुनवाई पर सरकारी वकील की तरफ से अदालत में दलील थी वार्डबंदी की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कुल 16 सप्ताह की जरूरत है। उन्होंने अदालत को बताया कि वार्डबंदी संबंधी फैसला पिछली बार 17 अक्टूबर 2023 को रद्द किया गया था। ऐसे में नए सिरे से वार्डबंदी की काफी जरूरत है। हालांकि अदालत ने बिना वार्डबंदी चुनाव करवाने को कहा था। वहीं, याचिका में निकाय चुनाव न होने से लोगों को आ रही दिक्कतों को भी उठाया गया था।