पंजाब के सीमावर्ती इलाके फिरोजपुर छावनी में रविवार-सोमवार रात ब्लैकआउट रहा। सीमावर्ती इलाकों के आसपास के गांवों और मोहल्लों में रात 9 बजे से 9:30 बजे तक बिजली बंद रही। फिरोजपुर छावनी में कुछ घरों में इनवर्टर भी चल रहे थे। सड़कों पर चारों तरफ अंधेरा छा गया। लगातार 30 मिनट तक हूटर बजते रहे। प्रशासन ने पहले ही लोगों से घरों से बाहर न निकलने का अनुरोध किया था क्योंकि यह मॉक ड्रिल थी। बता दें कि पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है जिसके चलते सीमावर्ती इलाकों में लोगों को अलर्ट रहने को कहा गया है। सेना लगातार अलग-अलग इलाकों में मॉक ड्रिल कर रही है। 1971 की लड़ाई की हाल बयां करते मामचंद फिरोजपुर छावनी के रहने वाले मामचंद ने कहा कि वह सीनियर सिटिजन है। मामचंद ने कहा कि 1971 की लड़ाई उन्होंने खुद देखी हुई है। उस समय जब ब्लैकआउट होता था तो लोग खुद समझदार थे वह रोशन दान पर काले कागज लगा देते थे ताकि रोशनी कमरे से बाहर ना जाए। जब लड़ाई लगती है तो लड़ाकू जहाज जहां भी रोशनी देखते थे वहीं बम फेंक देते थे। बम धमाकों के कारण लोगों के घरों की खिड़कियां और बिल्डिंगें हिलती थी। दोनों देशों में शांतिपूर्वक माहौल बनना चाहिए। मामचंद ने कहा कि आज लोग घरों में इनवर्टर चला कर बैठे है। इस कारण पूर्ण रूप से ब्लैकआउट होना बहुत मुश्किल है। सुशील गुप्ता ने कहा कि पहले ब्लेक आउट के समय लोग खुद लाइटें बंद कर देते थे लेकिन अब लोग घरों में लाइटें जगा कर बैठ रहे है। लोगों में लड़ाई को लेकर किसी तरह का भय नहीं है। फिरोजपुर के लोग हर कदम सेना के साथ है। पंजाब के सीमावर्ती इलाके फिरोजपुर छावनी में रविवार-सोमवार रात ब्लैकआउट रहा। सीमावर्ती इलाकों के आसपास के गांवों और मोहल्लों में रात 9 बजे से 9:30 बजे तक बिजली बंद रही। फिरोजपुर छावनी में कुछ घरों में इनवर्टर भी चल रहे थे। सड़कों पर चारों तरफ अंधेरा छा गया। लगातार 30 मिनट तक हूटर बजते रहे। प्रशासन ने पहले ही लोगों से घरों से बाहर न निकलने का अनुरोध किया था क्योंकि यह मॉक ड्रिल थी। बता दें कि पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है जिसके चलते सीमावर्ती इलाकों में लोगों को अलर्ट रहने को कहा गया है। सेना लगातार अलग-अलग इलाकों में मॉक ड्रिल कर रही है। 1971 की लड़ाई की हाल बयां करते मामचंद फिरोजपुर छावनी के रहने वाले मामचंद ने कहा कि वह सीनियर सिटिजन है। मामचंद ने कहा कि 1971 की लड़ाई उन्होंने खुद देखी हुई है। उस समय जब ब्लैकआउट होता था तो लोग खुद समझदार थे वह रोशन दान पर काले कागज लगा देते थे ताकि रोशनी कमरे से बाहर ना जाए। जब लड़ाई लगती है तो लड़ाकू जहाज जहां भी रोशनी देखते थे वहीं बम फेंक देते थे। बम धमाकों के कारण लोगों के घरों की खिड़कियां और बिल्डिंगें हिलती थी। दोनों देशों में शांतिपूर्वक माहौल बनना चाहिए। मामचंद ने कहा कि आज लोग घरों में इनवर्टर चला कर बैठे है। इस कारण पूर्ण रूप से ब्लैकआउट होना बहुत मुश्किल है। सुशील गुप्ता ने कहा कि पहले ब्लेक आउट के समय लोग खुद लाइटें बंद कर देते थे लेकिन अब लोग घरों में लाइटें जगा कर बैठ रहे है। लोगों में लड़ाई को लेकर किसी तरह का भय नहीं है। फिरोजपुर के लोग हर कदम सेना के साथ है। पंजाब | दैनिक भास्कर
