पंजाब के लुधियाना से पूर्व सांसद और मौजूदा केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू आज तक जेल में बंद सिखों की रिहाई का विरोध करते रहे हैं। लेकिन अब बिट्टू ने जेल में बंद सिखों की रिहाई पर यू-टर्न ले लिया है। बिट्टू ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अब आगे बढ़ने का समय आ गया है। वह राजोआना समेत किसी भी जेल में बंद सिख की रिहाई का विरोध नहीं करेंगे। पंजाब में शांति बनाए रखने के लिए वह कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं। बिट्टू ने कहा कि अगर आने वाले समय में केंद्र सरकार जेल में बंद सिखों के हक में कोई फैसला लेती है तो वह इसका विरोध नहीं करेंगे। उनका परिवार भी जेल में बंद सिखों का किसी भी तरह से विरोध नहीं करेगा। बिट्टू ने कहा कि मैने इस बारे अपने परिवार से भी बातचीत की है। बता दें कांग्रेस में रहते हुए बिट्टू ने हमेशा बलवंत सिंह राजोआना व अन्य बंदी सिखों की रिहाई का कड़ा विरोध किया था। बिट्टू 1 बार श्री आनंदपुर साहिब से सांसद रहे जबकि दो बार लुधियाना से सांसद रह चुके है। इस बार लुधियाना की जनता ने उन्हें नकार दिया। वह कांग्रेस के प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से करीब 21 हजार वोट से हारे है। बिट्टू क्यों करते रहे बंदी सिखों का विरोध 31 अगस्त 1995 को पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (बिट्टू के दादा) की हत्या कर दी गई। मानव बम ने बेअंत सिंह की कार के पास खुद को उड़ा लिया था। बलवंत सिंह राजोआना के बयान के अनुसार, उसने और पंजाब पुलिस मुलाजिम दिलावर सिंह ने बेअंत सिंह को ह्यूमन बम से उड़ा दिया था। दिलावर सिंह ने ह्यूमन बम बनकर बेअंत सिंह पर हमला किया था। साजिश इस तरह रची गई थी कि अगर दिलावर फेल हो जाता तो राजोआना की तरफ से हमला किया जाना था। कोर्ट ने राजोआना को फांसी की सजा सुनाई थी। पंजाब के लुधियाना से पूर्व सांसद और मौजूदा केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू आज तक जेल में बंद सिखों की रिहाई का विरोध करते रहे हैं। लेकिन अब बिट्टू ने जेल में बंद सिखों की रिहाई पर यू-टर्न ले लिया है। बिट्टू ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अब आगे बढ़ने का समय आ गया है। वह राजोआना समेत किसी भी जेल में बंद सिख की रिहाई का विरोध नहीं करेंगे। पंजाब में शांति बनाए रखने के लिए वह कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं। बिट्टू ने कहा कि अगर आने वाले समय में केंद्र सरकार जेल में बंद सिखों के हक में कोई फैसला लेती है तो वह इसका विरोध नहीं करेंगे। उनका परिवार भी जेल में बंद सिखों का किसी भी तरह से विरोध नहीं करेगा। बिट्टू ने कहा कि मैने इस बारे अपने परिवार से भी बातचीत की है। बता दें कांग्रेस में रहते हुए बिट्टू ने हमेशा बलवंत सिंह राजोआना व अन्य बंदी सिखों की रिहाई का कड़ा विरोध किया था। बिट्टू 1 बार श्री आनंदपुर साहिब से सांसद रहे जबकि दो बार लुधियाना से सांसद रह चुके है। इस बार लुधियाना की जनता ने उन्हें नकार दिया। वह कांग्रेस के प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से करीब 21 हजार वोट से हारे है। बिट्टू क्यों करते रहे बंदी सिखों का विरोध 31 अगस्त 1995 को पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (बिट्टू के दादा) की हत्या कर दी गई। मानव बम ने बेअंत सिंह की कार के पास खुद को उड़ा लिया था। बलवंत सिंह राजोआना के बयान के अनुसार, उसने और पंजाब पुलिस मुलाजिम दिलावर सिंह ने बेअंत सिंह को ह्यूमन बम से उड़ा दिया था। दिलावर सिंह ने ह्यूमन बम बनकर बेअंत सिंह पर हमला किया था। साजिश इस तरह रची गई थी कि अगर दिलावर फेल हो जाता तो राजोआना की तरफ से हमला किया जाना था। कोर्ट ने राजोआना को फांसी की सजा सुनाई थी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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