बरसाना में लाडलीजी के मंदिर से बरसेंगे लड्‌डू:राधा की दासियां पान का बीड़ा, गुलाल लेकर जाएंगी नंदगांव; शगुन के 1000 Kg लड्‌डू तैयार

बरसाना में लाडलीजी के मंदिर से बरसेंगे लड्‌डू:राधा की दासियां पान का बीड़ा, गुलाल लेकर जाएंगी नंदगांव; शगुन के 1000 Kg लड्‌डू तैयार

बरसाना के लाडलीजी मंदिर में आज लड्‌डूमार होली खेली जाएगी। यह मंदिर मथुरा से 48Km दूर है। 250 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बने मंदिर तक श्रद्धालु 200 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचते हैं। मंदिर में बनी लाडलीजी की रसोई में 1 हजार Kg शगुन के लड्‌डू बनाए गए हैं। वहीं, बरसाना, वृंदावन, मथुरा, गोवर्धन और नंदगांव की 950 दुकानों में 9 हजार kg लड्‌डू तैयार किए गए हैं। लड्‌डू श्रद्धालुओं पर लुटाए जाएंगे। इस होली को देखने और खेलने के लिए 10 लाख श्रद्धालु बरसाना पहुंचे हैं। शाम को 5 बजे से यह होली शुरू होकर 7 बजे तक चलेगी। लड्‌डू होली क्यों मनाई जाती है? इस होली की क्या खासियत है? क्या कोई खास वर्ग ही यह होली खेल सकता है? यह सब जानने के लिए दैनिक भास्कर डिजिटल ऐप टीम मथुरा से 48km दूर बरसाना पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… पहले मंदिर को जानिए, जहां लड्‌डूमार होली होती है… मंदिर की पहाड़ी के पत्थर श्याम-गौर वर्ण, राधा-कृष्ण के प्रतीक
बरसाने के बीचों-बीच पहाड़ी पर 250 मीटर की ऊंचाई पर यह खूबसूरत मंदिर है। इस मंदिर को ‘राधारानी महल’ भी कहा जाता है। राधा जी का यह मंदिर ओरछा के राजा वीरसिंह ने 1675 ई. में बनवाया था। मंदिर में लाल और पीले पत्थर का इस्तेमाल हुआ है। सीढ़ियों के पास राधाजी के पिता वृषभानु महाराज का महल भी है। मंदिर की दीवारों पर सुंदर नक्काशी, गुंबद, मेहराब और राधा-श्रीकृष्ण के चित्र उकेरे गए हैं। इस पहाड़ी के पत्थर श्याम (काले) और गौर वर्ण (सफेद) हैं। इन्हें लोग श्याम सुंदर और राधा रानी के प्रेम का प्रतीक मानते हैं। मंदिर को होली से पहले फूलों से सजाया गया है। यहां राधाजी को लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। उस भोग को सबसे पहले मोर को खिलाया जाता है। मोर को राधा-कृष्ण का स्वरूप माना जाता है। बाकी प्रसाद को श्रद्धालुओं में बांट दिया जाता है। श्रद्धालु बधाई गीत गाते हैं और नाच-गाकर त्योहार मनाते हैं। कैसे और कब शुरू हुई लड्‌डू मार होली… दासी जाएंगी नंदगांव, फाग की मंजूरी लेकर पंडा आएगा
8 मार्च को होने वाली लट्‌ठमार होली से एक दिन पहले शुक्रवार को लाडली जी के महल में यह होली खेली जाती है। राधा रानी की दासी फाग का निमंत्रण लेकर नंदगांव जाती है। वह अपने साथ एक मटके में गुलाल, पान बीड़ा, प्रसाद और इत्र लेकर नंदभवन जाएगी। दासी का भव्य स्वागत होगा। इस गुलाल को नंदगांव के हर घर में बांटा जाता है। फाग का निमंत्रण देने के बाद दासी बरसाना में वापस लौट आएगी। फिर शाम को करीब 4 बजे नंदभवन से होली आमंत्रण की स्वीकृति का संदेश लेकर एक पंडा बरसाना पहुंचेगा। स्वीकृति का संदेश लाने वाले पंडा का राधाजी के महल में स्वागत सत्कार किया जाएगा। पंडा को खाने के लिए बहुत सारे लड्डू दिए जाते हैं, जिसे देखकर वह इतना खुश होंगे कि नाचने लगेंगे। वह उन लड्डुओं को खाने की बजाय लुटाने लगेंगे। इसके बाद हजारों किलो लड्डू लुटाए जाएंगे। यह सिलसिला करीब 2 घंटे तक चलता रहेगा। बरसाना के हलवाइयों की तैयारी… देसी घी में बनी बूंदी, मेवा से तैयार होते हैं लड्‌डू
लाडलीजी मंदिर की रसोई के अलावा पूरे बरसाना की दुकानों पर लड्‌डू तैयार हो रहे हैं। यहां हमारी मुलाकात चिंटू हलवाई से हुई। वह लड्‌डू बना रहे थे। कहते हैं- पूरे बरसाना की दुकानों पर इस वक्त लड्‌डू बन रहे हैं। ये लड्डू देसी घी में बनी बूंदी और मेवा मिलाकर तैयार होते हैं। हमारे पास 7 क्विंटल लड्‌डू का ऑर्डर है। मंदिर में होली खेलने के लिए यह लड्‌डू बांटे जाते हैं। सामान्य दुकानों पर यह लड्‌डू 200 से 250 रुपए किलो के भाव में मिल जाते हैं। मंदिर भी लड्‌डू जाएंगे, भक्त खरीदते भी हैं
पास ही दूसरी दुकान पर लड्‌डू तैयार कर रहे करण हलवाई बताते हैं- 4 क्विंटल लड्‌डू तैयार हो रहे हैं। यही लड्‌डू मंदिर भी जाएंगे, भक्त इन्हें खरीदते भी हैं। मंदिर में एक-दूसरे पर फेंकते हैं, प्रसाद की तरह बांटते हैं। यह परंपरा सालों से चली आ रही है। हमारी 3 पीढ़ियां लड्‌डू बनाती आ रही हैं। अब टूरिस्ट्स की बात… पहली बार कान्हाजी ने हमें यहां बुलाया
हलवाइयों की तैयारियां समझने के बाद हमने बरसाना पहुंचे। टूरिस्टों से बात की। मोदीनगर की जानकी अपने परिवार के साथ बरसाना पहुंची हैं। उन्होंने कहा- सिर्फ इंटरनेट पर बरसाना के वीडियो देखती आई हूं। ऐसा पहली बार है कि कान्हाजी ने मुझे यहां बुलाया है। हम सब यहां आकर आनंदित है। भजन और गीत गा रहे हैं, सड़कों पर लोग झूम रहे हैं। ऐसा दृश्य कहीं और नहीं दिख सकता है। बरसाना आने के बाद सारे दुख भूल जाते हैं
हरियाणा से बरसाना आईं कल्पना कहती हैं- मैं बांके बिहारी की भक्त हूं। हर साल होली खेलने यहां आते हैं। पूरी तैयारी से बरसाना पहुंचते हैं। अपने साथ रंग लाते हैं। यहां आने वाले सभी लोग अपने दुख भूल जाते हैं। हम होली खेलने की तैयार से आए हैं। हमारे साथ और लोग भी हैं। बड़ा बदलाव भी जानिए… मंदिर से भक्तों पर नहीं फेंके जाएंगे लड्‌डू सिर्फ बरसाना में 10 लाख श्रद्धालु मौजूद रहेंगे। वहीं, गोवर्धन, नंदगांव, वृंदावन और मथुरा में 20 लाख श्रद्धालुओं के मौजूद रहने का अनुमान है। ऐसे में प्रशासन ने एक बड़ा फेरबदल किया है। इस बार मंदिर की सफेद छतरी से लड्‌डू भक्तों पर फेंके नहीं जाएंगे। बल्कि प्रसाद के रूप में बांटे जाएंगे। सिर्फ मंदिर के अंदर ही पुरोहित लड्‌डू लुटाएंगे। इस परंपरा से जुड़ी मान्यता भी है कि फाल्गुन के महीने में यह लड्‌डू जिन लोगों के हाथ में आता है, उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती है। हालांकि, तमाम कोशिशों के बाद भी लुटाए जाने वाले लड्‌डू श्रद्धालुओं के हाथ में आते नहीं है। पहले लड्‌डू लुटाने वालों में सिर्फ बरसाना के लोग ही होते थे, मगर धीरे-धीरे इसमें टूरिस्ट भी शामिल होने लगे हैं। इसमें कोई बाध्यता भी नहीं है। मतलब, किसी भी वर्ग और उम्र के लोग लड्‌डू फेंकने का आनंद ले सकते हैं। लड्‌डू होली के दौरान फाग के गीत भी गाए जाते हैं…
गीत 1. फाग खेलन आए हैं नटवर नंद किशोर गीत 2. फागुन में फाग मनाय ले री… सीएम योगी 2 घंटे बरसाना में रहेंगे…. ———————- यह भी पढ़ें… महाकुंभ में 30 करोड़ कमाने वाले नाविक की कहानी:मां-पत्नी के जेवर गिरवी रखे, 70 नावें खरीदीं, योगी ने सुनाई सक्सेस स्टोरी तारीख- 4 मार्च…। जगह- UP विधानसभा। महाकुंभ में कारोबार का जिक्र करते हुए CM योगी ने कहा- ‘मैं एक नाविक परिवार की सक्सेस स्टोरी बता रहा हूं, जिनके पास 130 नौकाएं हैं। प्रयागराज महाकुंभ के 45 दिन में इन्होंने शुद्ध बचत 30 करोड़ रुपए की। यानी एक नाव से रोज 50 से 52 हजार रुपए इनकम थी।’ पढ़ें पूरी खबर… बरसाना के लाडलीजी मंदिर में आज लड्‌डूमार होली खेली जाएगी। यह मंदिर मथुरा से 48Km दूर है। 250 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बने मंदिर तक श्रद्धालु 200 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचते हैं। मंदिर में बनी लाडलीजी की रसोई में 1 हजार Kg शगुन के लड्‌डू बनाए गए हैं। वहीं, बरसाना, वृंदावन, मथुरा, गोवर्धन और नंदगांव की 950 दुकानों में 9 हजार kg लड्‌डू तैयार किए गए हैं। लड्‌डू श्रद्धालुओं पर लुटाए जाएंगे। इस होली को देखने और खेलने के लिए 10 लाख श्रद्धालु बरसाना पहुंचे हैं। शाम को 5 बजे से यह होली शुरू होकर 7 बजे तक चलेगी। लड्‌डू होली क्यों मनाई जाती है? इस होली की क्या खासियत है? क्या कोई खास वर्ग ही यह होली खेल सकता है? यह सब जानने के लिए दैनिक भास्कर डिजिटल ऐप टीम मथुरा से 48km दूर बरसाना पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… पहले मंदिर को जानिए, जहां लड्‌डूमार होली होती है… मंदिर की पहाड़ी के पत्थर श्याम-गौर वर्ण, राधा-कृष्ण के प्रतीक
बरसाने के बीचों-बीच पहाड़ी पर 250 मीटर की ऊंचाई पर यह खूबसूरत मंदिर है। इस मंदिर को ‘राधारानी महल’ भी कहा जाता है। राधा जी का यह मंदिर ओरछा के राजा वीरसिंह ने 1675 ई. में बनवाया था। मंदिर में लाल और पीले पत्थर का इस्तेमाल हुआ है। सीढ़ियों के पास राधाजी के पिता वृषभानु महाराज का महल भी है। मंदिर की दीवारों पर सुंदर नक्काशी, गुंबद, मेहराब और राधा-श्रीकृष्ण के चित्र उकेरे गए हैं। इस पहाड़ी के पत्थर श्याम (काले) और गौर वर्ण (सफेद) हैं। इन्हें लोग श्याम सुंदर और राधा रानी के प्रेम का प्रतीक मानते हैं। मंदिर को होली से पहले फूलों से सजाया गया है। यहां राधाजी को लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। उस भोग को सबसे पहले मोर को खिलाया जाता है। मोर को राधा-कृष्ण का स्वरूप माना जाता है। बाकी प्रसाद को श्रद्धालुओं में बांट दिया जाता है। श्रद्धालु बधाई गीत गाते हैं और नाच-गाकर त्योहार मनाते हैं। कैसे और कब शुरू हुई लड्‌डू मार होली… दासी जाएंगी नंदगांव, फाग की मंजूरी लेकर पंडा आएगा
8 मार्च को होने वाली लट्‌ठमार होली से एक दिन पहले शुक्रवार को लाडली जी के महल में यह होली खेली जाती है। राधा रानी की दासी फाग का निमंत्रण लेकर नंदगांव जाती है। वह अपने साथ एक मटके में गुलाल, पान बीड़ा, प्रसाद और इत्र लेकर नंदभवन जाएगी। दासी का भव्य स्वागत होगा। इस गुलाल को नंदगांव के हर घर में बांटा जाता है। फाग का निमंत्रण देने के बाद दासी बरसाना में वापस लौट आएगी। फिर शाम को करीब 4 बजे नंदभवन से होली आमंत्रण की स्वीकृति का संदेश लेकर एक पंडा बरसाना पहुंचेगा। स्वीकृति का संदेश लाने वाले पंडा का राधाजी के महल में स्वागत सत्कार किया जाएगा। पंडा को खाने के लिए बहुत सारे लड्डू दिए जाते हैं, जिसे देखकर वह इतना खुश होंगे कि नाचने लगेंगे। वह उन लड्डुओं को खाने की बजाय लुटाने लगेंगे। इसके बाद हजारों किलो लड्डू लुटाए जाएंगे। यह सिलसिला करीब 2 घंटे तक चलता रहेगा। बरसाना के हलवाइयों की तैयारी… देसी घी में बनी बूंदी, मेवा से तैयार होते हैं लड्‌डू
लाडलीजी मंदिर की रसोई के अलावा पूरे बरसाना की दुकानों पर लड्‌डू तैयार हो रहे हैं। यहां हमारी मुलाकात चिंटू हलवाई से हुई। वह लड्‌डू बना रहे थे। कहते हैं- पूरे बरसाना की दुकानों पर इस वक्त लड्‌डू बन रहे हैं। ये लड्डू देसी घी में बनी बूंदी और मेवा मिलाकर तैयार होते हैं। हमारे पास 7 क्विंटल लड्‌डू का ऑर्डर है। मंदिर में होली खेलने के लिए यह लड्‌डू बांटे जाते हैं। सामान्य दुकानों पर यह लड्‌डू 200 से 250 रुपए किलो के भाव में मिल जाते हैं। मंदिर भी लड्‌डू जाएंगे, भक्त खरीदते भी हैं
पास ही दूसरी दुकान पर लड्‌डू तैयार कर रहे करण हलवाई बताते हैं- 4 क्विंटल लड्‌डू तैयार हो रहे हैं। यही लड्‌डू मंदिर भी जाएंगे, भक्त इन्हें खरीदते भी हैं। मंदिर में एक-दूसरे पर फेंकते हैं, प्रसाद की तरह बांटते हैं। यह परंपरा सालों से चली आ रही है। हमारी 3 पीढ़ियां लड्‌डू बनाती आ रही हैं। अब टूरिस्ट्स की बात… पहली बार कान्हाजी ने हमें यहां बुलाया
हलवाइयों की तैयारियां समझने के बाद हमने बरसाना पहुंचे। टूरिस्टों से बात की। मोदीनगर की जानकी अपने परिवार के साथ बरसाना पहुंची हैं। उन्होंने कहा- सिर्फ इंटरनेट पर बरसाना के वीडियो देखती आई हूं। ऐसा पहली बार है कि कान्हाजी ने मुझे यहां बुलाया है। हम सब यहां आकर आनंदित है। भजन और गीत गा रहे हैं, सड़कों पर लोग झूम रहे हैं। ऐसा दृश्य कहीं और नहीं दिख सकता है। बरसाना आने के बाद सारे दुख भूल जाते हैं
हरियाणा से बरसाना आईं कल्पना कहती हैं- मैं बांके बिहारी की भक्त हूं। हर साल होली खेलने यहां आते हैं। पूरी तैयारी से बरसाना पहुंचते हैं। अपने साथ रंग लाते हैं। यहां आने वाले सभी लोग अपने दुख भूल जाते हैं। हम होली खेलने की तैयार से आए हैं। हमारे साथ और लोग भी हैं। बड़ा बदलाव भी जानिए… मंदिर से भक्तों पर नहीं फेंके जाएंगे लड्‌डू सिर्फ बरसाना में 10 लाख श्रद्धालु मौजूद रहेंगे। वहीं, गोवर्धन, नंदगांव, वृंदावन और मथुरा में 20 लाख श्रद्धालुओं के मौजूद रहने का अनुमान है। ऐसे में प्रशासन ने एक बड़ा फेरबदल किया है। इस बार मंदिर की सफेद छतरी से लड्‌डू भक्तों पर फेंके नहीं जाएंगे। बल्कि प्रसाद के रूप में बांटे जाएंगे। सिर्फ मंदिर के अंदर ही पुरोहित लड्‌डू लुटाएंगे। इस परंपरा से जुड़ी मान्यता भी है कि फाल्गुन के महीने में यह लड्‌डू जिन लोगों के हाथ में आता है, उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती है। हालांकि, तमाम कोशिशों के बाद भी लुटाए जाने वाले लड्‌डू श्रद्धालुओं के हाथ में आते नहीं है। पहले लड्‌डू लुटाने वालों में सिर्फ बरसाना के लोग ही होते थे, मगर धीरे-धीरे इसमें टूरिस्ट भी शामिल होने लगे हैं। इसमें कोई बाध्यता भी नहीं है। मतलब, किसी भी वर्ग और उम्र के लोग लड्‌डू फेंकने का आनंद ले सकते हैं। लड्‌डू होली के दौरान फाग के गीत भी गाए जाते हैं…
गीत 1. फाग खेलन आए हैं नटवर नंद किशोर गीत 2. फागुन में फाग मनाय ले री… सीएम योगी 2 घंटे बरसाना में रहेंगे…. ———————- यह भी पढ़ें… महाकुंभ में 30 करोड़ कमाने वाले नाविक की कहानी:मां-पत्नी के जेवर गिरवी रखे, 70 नावें खरीदीं, योगी ने सुनाई सक्सेस स्टोरी तारीख- 4 मार्च…। जगह- UP विधानसभा। महाकुंभ में कारोबार का जिक्र करते हुए CM योगी ने कहा- ‘मैं एक नाविक परिवार की सक्सेस स्टोरी बता रहा हूं, जिनके पास 130 नौकाएं हैं। प्रयागराज महाकुंभ के 45 दिन में इन्होंने शुद्ध बचत 30 करोड़ रुपए की। यानी एक नाव से रोज 50 से 52 हजार रुपए इनकम थी।’ पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर