बिलासपुर में एक युवक से 960.29 ग्राम चरस मिला है। पुलिस ने आज आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। जानकारी के मुताबिक, स्पेशल डिटेक्शन टीम ने फोरलेन पर सन्नोटी के पास टिहरा टनल के नजदीक नाका लगाकर चेकिंग कर रही थी। इसी दौरान टीम ने एक टैक्सी की जांच के दौरान धर्म चंद (31) निवासी गांव संग्लवाह, डाकखाना भटेरी, मंडी से चरस बरामद की। मामले में थाना घुमारवीं में एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज किया। गिरफ्तार से पूछताछ जारी है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि चरस की कहां से लाई जा रही थी और इसे कहां ले जाया जा रहा था। पुलिस की स्पेशल डिटेक्शन टीम ने यह कार्रवाई गुप्त सूचना के आधार पर की। बिलासपुर में एक युवक से 960.29 ग्राम चरस मिला है। पुलिस ने आज आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। जानकारी के मुताबिक, स्पेशल डिटेक्शन टीम ने फोरलेन पर सन्नोटी के पास टिहरा टनल के नजदीक नाका लगाकर चेकिंग कर रही थी। इसी दौरान टीम ने एक टैक्सी की जांच के दौरान धर्म चंद (31) निवासी गांव संग्लवाह, डाकखाना भटेरी, मंडी से चरस बरामद की। मामले में थाना घुमारवीं में एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज किया। गिरफ्तार से पूछताछ जारी है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि चरस की कहां से लाई जा रही थी और इसे कहां ले जाया जा रहा था। पुलिस की स्पेशल डिटेक्शन टीम ने यह कार्रवाई गुप्त सूचना के आधार पर की। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल आपदा की कहानी पीड़ितों की जुबानी:महिला बोली- पूरा गांव बह गया, अब मैं अकेले कैसे जीऊंगी; कहा- न घर बचा न घरवाले
हिमाचल आपदा की कहानी पीड़ितों की जुबानी:महिला बोली- पूरा गांव बह गया, अब मैं अकेले कैसे जीऊंगी; कहा- न घर बचा न घरवाले मैं अब कैसे जीऊंगी…? पूरा गांव श्मशान बन गया…। गांव में अब अकेला मेरा घर बचा है…। यह शब्द शिमला जिले के रामपुर के समेज गांव की अनीता के हैं। अनीता ने बुधवार आधी रात की आपबीती सुनाते हुए बताया कि उनके परिवार ने भागकर जान जरूर बचाई है, लेकिन अब परिवार अकेले बचा है। वे कैसे रहेंगे? अनीता कह रही हैं कि भगवान यह आपने क्या कर दिया? गांव को श्मशान बना दिया। मुझे भी गांव वालों के साथ ले चलते। मैं गांव वालों के बगैर कैसे जीऊं? अनीता ने बताया कि रात में अचानक से उनका घर हिला। वह जिस बिस्तर पर सोई थीं, वह भी हिल गया। फिर जोर-जोर से आवाजें आईं। जब बाहर निकलकर देखा तो तबाही मची हुई थी। इसी दौरान गांव के कुछ लोग उनके घर की ओर आए। उन्होंने हांफते हुए बताया कि बाढ़ आई है। इसके बाद उनके परिवार के सदस्य रात में घर छोड़कर थोड़ी ऊंचाई पर स्थित भगवती माता के मंदिर में भागे। वहां पर उन्होंने पूरी रात काटी। उनके साथ गांव के ही 10-12 लोग भी मंदिर में थे। अनीता का कहना है कि उनका घर ऊंचाई पर था, इसलिए वे लोग बच गए। अनीता ने बताया कि उनके घर में 5 सदस्य हैं। बाढ़ के समय घर में 4 लोग मौजूद थे। उनके मवेशी भी सुरक्षित हैं, लेकिन उनके पड़ोसी इस बाढ़ में बह गए। अनीता की तरह गांव में दूसरे लोग भी नम आंखों से अपनों को तलाश रहे हैं। सबकी नजरें समेज खड्ड पर टिकी हुई है। उम्मीद है कि उनके अपने सुरक्षित मिल जाएंगे। 2 मिनट भी लेट होते तो नहीं बचते: कुलविंदरा
गांव की कुलविंदरा बताती हैं कि रात 12 बजे बादल फटने की सूचना मिली। इसके बाद दोनों पति-पत्नी बाहर भागे। यदि 2 मिनट लेट हो जाते तो बचना मुश्किल हो जाता। उन्होंने बताया कि समेज गांव में 8 से 10 मकान बहे हैं। रात में तबाही देखते हुए वह गांव से काफी ऊंचाई पर स्थित मंदिर पहुंचे। सुबह 5 बजे वापस नीचे गांव गए तो पूरे गांव का नामोनिशान तक मिट गया था। उन्होंने बताया कि लोगों के साथ-साथ गाय भी बाढ़ में बही हैं। न घर बचा न घर वाले
बाढ़ से पीड़ित एक व्यक्ति ने बताया कि उनके परिवार के करीब 15 सदस्य लापता हैं। उनकी बेटी और बेटी के 2 बच्चों का भी कुछ अता-पता नहीं है। बच्चों में एक बेटा (4) और बेटी (7) थे। ये दोनों DPS में पढ़ते थे। इनसे उनकी लास्ट टाइम करीब 4 दिन पहले बात हुई थी। उन्होंने बताया कि वह सरकारी नौकरी से रिटायर हैं, और घटना के समय रामपुर में थे। उन्हें रात करीब 2 बजे सूचना मिली। इसके बाद वह करीब 4 बजे यहां पहुंचे तो देखा कि न घर है और न ही घर वाले। यहां का मंजर देखकर वह दंग रह गए। आधी रात में भागकर बचाई जान
प्रत्यक्षदर्शी आशीष ने बताया कि रात करीब 12 बजे जोर-जोर से आवाजें आने लगीं। उन्होंने बाहर निकलकर देखा तो 5 मिनट में ही गांव के पुल तक पानी भर आया। देखते ही देखते उनकी आंखों के सामने कुछ परिवार बह गए। उन्होंने बताया कि सामने ग्रीनको कंपनी के कर्मचारियों के लिए गेस्ट हाउस था। उन्हें पहले पता लग गया था। कंपनी के कुछ कर्मचारी दूसरे लोगों को बचाने के चक्कर में खुद बाढ़ में बह गए। गांव के लोग भगवान बनकर आए
समेज स्कूल के चौकीदार दयानंद (41) ने बताया कि वह स्कूल में काफी देर तक फंसे रहे। स्कूल के एक टीचर ने DPI को आधी रात में फोन किया। इसके बाद DPI के कहने पर गांव के लोगों ने खिड़की व शीशे तोड़कर दयानंद को स्कूल से बाहर निकाला, क्योंकि निचली मंजिल का दरवाजा मलबे में दब गया था। सुरक्षित निकाले गए दयानंद कहते हैं कि गांव के लोग उनके के लिए भगवान बनकर आए। ग्रीन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की अकाउंटेंट बच्चों समेत मलबे में दफन
रामपुर के कांदरी निवासी जय सिंह का हंसता-खेलता परिवार भी समेज के सैलाब में उजड़ गया है। जय सिंह की पत्नी कल्पना (34), बेटी अक्षिता (7) और बेटा अद्विक (4) मलबे में दफन हो गए। अब जय सिंह बार-बार बेसुध हो रहे हैं। जय सिंह के भाई कुशाल सुनैल ने बताया कि भाभी कल्पना ग्रीन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में अकाउंटेंट थीं। खड्ड के डर से उन्होंने झाखड़ी के रत्नपुर के लिए अपना ट्रांसफर करवा लिया था। बाढ़ वाले दिन ही उन्हें अपना सामान शिफ्ट करना था। लेकिन, कुदरत ने उन्हें समेज छोड़ने ही नहीं दिया। एक हफ्ते तक घर में बच्चों ने की मौज मस्ती
कुशाल ने बताया कि अक्षिता और अद्विक को स्कूल से एक सप्ताह की मानसून ब्रेक थी। इसलिए, दोनों बच्चे एक हफ्ते तक कांदरी में मस्ती करते रहे। बीते मंगलवार को दोनों बच्चे भाभी के साथ समेज गए। बुधवार रात को हादसा हुआ। हादसे वाले दिन जय सिंह समेज में नहीं थे। इस वजह से उनकी जान बच गई। गोपाल का घर बहने से 12 दबे
जय सिंह और उनकी पत्नी कल्पना दोनों बच्चों के साथ समेज में गोपाल के 3 मंजिला मकान में किराए पर रहते थे। इसी बिल्डिंग के टॉप-फ्लोर पर उनका क्वार्टर था और इसी में निचले फ्लोर पर कंपनी का दफ्तर भी चल रहा था। गोपाल की ही बिल्डिंग ढहने से कुल 12 लोगों की मौत हो गई है। इसमें जय सिंह की पत्नी, 2 बच्चों के अलावा गोपाल की पत्नी शिक्षा (37), बेटी जिया (15) और ग्रीनको हाइड्रो प्रोजेक्ट के 7 कर्मचारियों की भी मौत हुई है। कंपनी के कर्मचारी भी इसी बिल्डिंग में रहते थे। 36 लोगों का 48 घंटे बाद भी सुराग नहीं
समेज हादसे में कुल मिलाकर 36 लोग लापता है। 48 घंटे से अधिक समय बीतने के बाद भी किसी का सुराग नहीं लग पाया है। माना जा रहा है कि खड्ड में अत्यधिक पानी की वजह से लोग दूर तक बह गए हों। यही वजह है कि जिला प्रशासन ने समेज से लेकर शिमला के सुन्नी तत्तापानी तक सर्च ऑपरेशन चलाने का निर्णय लिया है।
नालागढ़ में केमिकल टैंक में गिरने से 2 की मौत:एक को बचाने के चक्कर में दूसरा कूदा, पानी के नमूने ले रहा था
नालागढ़ में केमिकल टैंक में गिरने से 2 की मौत:एक को बचाने के चक्कर में दूसरा कूदा, पानी के नमूने ले रहा था औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ के प्लासड़ा के किनवान उद्योग में रविवार को केमिकल टैंक में गिरने से दो मजदूरों की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, केमिकल के टैंक में उतरते समय श्रमिक गिरकर सीधे टैंक में भरे केमिकल के बीच जा गिरा। उसे बचाने के लिए जल्दबाजी में दूसरा श्रमिक भी टैंक में कूद गया। एक श्रमिक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरे की ESI चिकित्सालय में पहुंचने से पहले मौत हो गई। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, एक कामगार केमिकल के टैंक में पानी के नमूने लेने के लिए जैसे टैंक में उतरा और गिर गया। उसे बचाने के लिए एक दूसरा कामगार नीचे उतरा और वह भी टैंक में समा गया। एक की मौके पर ही मौत हो गई। उसे साथी श्रमिक नालागढ़ चिकित्सालय लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। गुस्साए श्रमिकों ने कंपनी प्रबंधकों के ऊपर मामले को रफा दफा करने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कर्मियों के पास कोई सुरक्षा उपकरण नहीं थे। पुलिस अधीक्षक बद्दी इलमा अफरोज ने बताया कि यह दुखद मामला उस समय हुआ जब एक टैंक के पास प्रदीप (38) निवासी झांजिल गांव साल काम कर रहा था तभी वह टैंक में गिर गया, उसे बचाने के लिए राजू (38) निवासी जाखलिया गांव जिला बदायूं (उत्तर प्रदेश) उसे बचाने के लिए कूदा, लेकिन उसकी भी ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत हो गई है। पुलिस ने कंपनी प्रबंधन के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
चंबा में दंपती पर भालू ने किया हमला:पति गंभीर घायल, पत्नी लहूलुहान; गांव में दहशत, पीड़ित को वन विभाग ने दी आर्थिक मदद
चंबा में दंपती पर भालू ने किया हमला:पति गंभीर घायल, पत्नी लहूलुहान; गांव में दहशत, पीड़ित को वन विभाग ने दी आर्थिक मदद चंबा के डल्हौजी में भालू ने दंपती पर हमला कर दिया। जिससे पति गंभीर घायल हो गया और पत्नी भी लहूलुहान हो गई। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना पुखरी पंचायत के उघराल गांव की है। घायल की पहचान वार्ड पंच पवन कुमार के नाम से हुई। वन विभाग ने पीड़ित परिवार को 10 हजार रुपए की आर्थिक राहत राशि जारी की है। पीड़ित ने बताया कि सोमवार की शाम को वह अपनी पत्नी के साथ गौशाला की तरफ जा रहे थे। रास्ते में भालू ने उन दोनों पर हमला कर दिया। पत्नी के चिल्लाने पर मौके पर पहुंचे लोग भालू के हमले में पवन बुरी तरह से लहूलुहान हो गया। भालू ने पवन के मुंह व आंख को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया। भालू के चंगुल से खुद को बचाने के लिए पवन व उसकी पत्नी जोर-जोर से चिल्लाई। उनके चिल्लाने की आवाजें सुनकर आसपास के लोग तुरंत घटनास्थल की तरफ दौड आए। भालू ने खुद के लिए खतरा पाते हुए पवन को अपने चंगुल से छोड़ कर वहां से भाग गया। हमले के बाद से गांव में दहशत का माहौल है।