<p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar Minister Vijay Kumar Chaudhary:</strong> बिहार लोक सेवा आयोग बीपीएससी हाल ही में आयोजित की गई एक प्रतियोगी परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर जारी अभ्यर्थियों के विरोध-प्रदर्शन के बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक करीबी सहयोगी ने मंगलवार को कहा कि प्रश्नपत्र लीक होने का अब तक कोई सबूत नहीं मिला है. इस विवाद को खत्म करने के लिए मुख्य सचिव द्वारा प्रदर्शनकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल से बातचीत किए जाने के एक दिन बाद मंगलवार को मंत्री विजय कुमार चौधरी का यह बयान आया है. चौधरी राज्य मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में से एक हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार इससे ज्यादा स्पष्टता से काम नहीं कर सकती. शीर्ष अधिकारी ने पीड़ित पक्ष की बात को ध्यान से सुना, लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार अभी तक प्रश्नपत्र लीक होने का कोई सबूत नहीं मिला है.’’ मंत्री ने कहा, ‘‘यही लोक सेवा आयोग का भी कहना है. एक परीक्षा केंद्र पर कुछ गड़बड़ी हुई थी और प्रभावित उम्मीदवारों के लिए दोबारा परीक्षा का आदेश दिया गया है.’’</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ‘‘एक साजिश के तहत प्रश्नपत्र लीक होने की अफवाह फैलाई गई, लेकिन किसी को नहीं पता कि यह कहां और किसके पास लीक हुआ। इसके पीछे जो लोग हैं, उन्होंने युवा छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया। उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए.’’ मंत्री का बयान बीपीएससी के जरिए इस मामले में अपनाए गए रुख के ही अनुरूप माना जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा 13 दिसंबर को आयोजित की गई थी, राज्य की राजधानी स्थित बापू परीक्षा परिसर में उपस्थित सैकड़ों लोगों ने प्रश्नपत्र लीक होने का आरोप लगाते हुए परीक्षा का बहिष्कार किया था. आयोग ने 10,000 से अधिक अभ्यर्थियों के लिए पुनः परीक्षा कराने का आदेश दिया है, जिन्हें चार जनवरी को शहर के विभिन्न केंद्रों पर पुनः परीक्षा देने के लिए कहा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, आयोग का यह भी मानना है कि बिहार के शेष 911 केंद्रों पर परीक्षा ठीक से आयोजित की गई और इस परीक्षा में शामिल पांच लाख से अधिक अभ्यर्थियों की ओर से कोई शिकायत नहीं की गई, लेकिन अभ्यर्थियों के एक वर्ग ने ‘‘समान अवसर’’ सुनिश्चित करने के लिए सभी केंद्रों पर फिर से परीक्षा का आदेश दिये जाने की मांग करते हुए आंदोलन शुरू कर दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार के विधानसभा चुनावों से एक वर्ष से भी कम समय पहले शुरू हुए इस आंदोलन को राज्य में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का विरोध करने वाले सभी राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें प्रशांत किशोर द्वारा जन सुराज पार्टी भी शामिल है. किशोर ने रविवार को एक प्रदर्शन का नेतृत्व किया और उन्होंने प्रदर्शनकारियों से अपील की कि वे एक जनवरी तक अपना धैर्य बनाए रखें। उन्होंने कहा था कि अगर सरकार सकारात्मक कदम नहीं उठाती है तो वे अपना आंदोलन फिर से शुरू करें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पुलिस ने प्रशांत किशोर और उनके पार्टी के एक अन्य नेता के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया. इस बीच, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के नेताओं ने ‘‘राजभवन तक मार्च निकालने’’ का प्रयास किया, लेकिन पुलिस उनकी कोशिश का नाकाम कर दिया. वामपंथी पार्टी के साथ सहयोगी दल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी मार्च में शामिल हुए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>भाकपा (माले) लिबरेशन ने एक बयान में आरोप लगाया कि पुलिस ने मार्च में भाग लेने वालों के साथ ‘‘दुर्व्यवहार’’ किया. मार्च में आरा के मौजूदा सांसद सुदामा प्रसाद और विधान परिषद सदस्य शशि यादव शामिल थे. बाद में पार्टी ने कहा कि ‘‘राजभवन से प्राप्त प्रस्ताव पर’’ पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोंग्थू को एक ज्ञापन सौंपा गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ज्ञापन में की गई मांगों में कथित प्रश्नपत्र लीक मामले की जांच और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शामिल हैं. प्रतिनिधिमंडल में भाकपा (माले) लिबरेशन के विधायक दल के नेता महबूब आलम, कांग्रेस के शकील अहमद खान, भाकपा के राम रतन सिंह और माकपा के अजय कुमार शामिल थे. </p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar Minister Vijay Kumar Chaudhary:</strong> बिहार लोक सेवा आयोग बीपीएससी हाल ही में आयोजित की गई एक प्रतियोगी परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर जारी अभ्यर्थियों के विरोध-प्रदर्शन के बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक करीबी सहयोगी ने मंगलवार को कहा कि प्रश्नपत्र लीक होने का अब तक कोई सबूत नहीं मिला है. इस विवाद को खत्म करने के लिए मुख्य सचिव द्वारा प्रदर्शनकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल से बातचीत किए जाने के एक दिन बाद मंगलवार को मंत्री विजय कुमार चौधरी का यह बयान आया है. चौधरी राज्य मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में से एक हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार इससे ज्यादा स्पष्टता से काम नहीं कर सकती. शीर्ष अधिकारी ने पीड़ित पक्ष की बात को ध्यान से सुना, लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार अभी तक प्रश्नपत्र लीक होने का कोई सबूत नहीं मिला है.’’ मंत्री ने कहा, ‘‘यही लोक सेवा आयोग का भी कहना है. एक परीक्षा केंद्र पर कुछ गड़बड़ी हुई थी और प्रभावित उम्मीदवारों के लिए दोबारा परीक्षा का आदेश दिया गया है.’’</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ‘‘एक साजिश के तहत प्रश्नपत्र लीक होने की अफवाह फैलाई गई, लेकिन किसी को नहीं पता कि यह कहां और किसके पास लीक हुआ। इसके पीछे जो लोग हैं, उन्होंने युवा छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया। उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए.’’ मंत्री का बयान बीपीएससी के जरिए इस मामले में अपनाए गए रुख के ही अनुरूप माना जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा 13 दिसंबर को आयोजित की गई थी, राज्य की राजधानी स्थित बापू परीक्षा परिसर में उपस्थित सैकड़ों लोगों ने प्रश्नपत्र लीक होने का आरोप लगाते हुए परीक्षा का बहिष्कार किया था. आयोग ने 10,000 से अधिक अभ्यर्थियों के लिए पुनः परीक्षा कराने का आदेश दिया है, जिन्हें चार जनवरी को शहर के विभिन्न केंद्रों पर पुनः परीक्षा देने के लिए कहा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, आयोग का यह भी मानना है कि बिहार के शेष 911 केंद्रों पर परीक्षा ठीक से आयोजित की गई और इस परीक्षा में शामिल पांच लाख से अधिक अभ्यर्थियों की ओर से कोई शिकायत नहीं की गई, लेकिन अभ्यर्थियों के एक वर्ग ने ‘‘समान अवसर’’ सुनिश्चित करने के लिए सभी केंद्रों पर फिर से परीक्षा का आदेश दिये जाने की मांग करते हुए आंदोलन शुरू कर दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार के विधानसभा चुनावों से एक वर्ष से भी कम समय पहले शुरू हुए इस आंदोलन को राज्य में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का विरोध करने वाले सभी राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें प्रशांत किशोर द्वारा जन सुराज पार्टी भी शामिल है. किशोर ने रविवार को एक प्रदर्शन का नेतृत्व किया और उन्होंने प्रदर्शनकारियों से अपील की कि वे एक जनवरी तक अपना धैर्य बनाए रखें। उन्होंने कहा था कि अगर सरकार सकारात्मक कदम नहीं उठाती है तो वे अपना आंदोलन फिर से शुरू करें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पुलिस ने प्रशांत किशोर और उनके पार्टी के एक अन्य नेता के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया. इस बीच, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के नेताओं ने ‘‘राजभवन तक मार्च निकालने’’ का प्रयास किया, लेकिन पुलिस उनकी कोशिश का नाकाम कर दिया. वामपंथी पार्टी के साथ सहयोगी दल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी मार्च में शामिल हुए. </p>
<p style=”text-align: justify;”>भाकपा (माले) लिबरेशन ने एक बयान में आरोप लगाया कि पुलिस ने मार्च में भाग लेने वालों के साथ ‘‘दुर्व्यवहार’’ किया. मार्च में आरा के मौजूदा सांसद सुदामा प्रसाद और विधान परिषद सदस्य शशि यादव शामिल थे. बाद में पार्टी ने कहा कि ‘‘राजभवन से प्राप्त प्रस्ताव पर’’ पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोंग्थू को एक ज्ञापन सौंपा गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ज्ञापन में की गई मांगों में कथित प्रश्नपत्र लीक मामले की जांच और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शामिल हैं. प्रतिनिधिमंडल में भाकपा (माले) लिबरेशन के विधायक दल के नेता महबूब आलम, कांग्रेस के शकील अहमद खान, भाकपा के राम रतन सिंह और माकपा के अजय कुमार शामिल थे. </p> बिहार मुरादाबाद में गोकशी के आरोपी की मॉब लिंचिंग से मौत, पुलिस ने दर्ज किया हत्या का केस
बिहार में छात्रों और सरकार के टकराव के बीच नीतीश के मंत्री का बड़ा बयान, BPSC परीक्षा में पेपर लीक के कोई सबूत नहीं
![बिहार में छात्रों और सरकार के टकराव के बीच नीतीश के मंत्री का बड़ा बयान, BPSC परीक्षा में पेपर लीक के कोई सबूत नहीं](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/23/b54a7dcf65dc787f1c03c7c9a2912db91716441448448169_original.jpg)