बैंक की नौकरी छोड़कर अपनाया संन्यासी जीवन, 9 महीने तक हिमालय में किया तप, जानें पूरी कहानी

बैंक की नौकरी छोड़कर अपनाया संन्यासी जीवन, 9 महीने तक हिमालय में किया तप, जानें पूरी कहानी

<p style=”text-align: justify;”><strong>Makha Kumbh 2025:</strong> महाकुंभ के रंग में संतों की अलग-अलग कहानी सुनने को मिल रही है. इसी महाकुंभ में एक सोमेश्वर पुरी जी महाराज जूना अखाड़े में आए हुए हैं, जिन्होंने बैंक की नौकरी छोड़कर संन्यास ले लिया. वो अब अपनी बैंक की नौकरी छोड़ गृहस्थ आश्रम छोड़ अब दिन रात प्रभु की सेवा में लीन रहते हैं. 9 महीने तक उन्होंने हिमालय में रहकर तप किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अपने सन्यासी बनने के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह नियति होती है, जो तय करती है कि आप क्या बनेंगे. कोई मां-बाप या परिवार नहीं कहता कि उनका बच्चा सन्यासी बनेगा सबको डॉक्टर, इंजीनियर बनाना होत है. पर आदमी ईश्वर की मर्जी से सन्यासी बनता है. उन्होंने बताया कि 55 साल की उम्र में उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़कर सन्यास ले लिया पर यह 1 दिन की प्रक्रिया नहीं थी, यह नियति करती है. सन्यासी बनने को लेकर परिवार की प्रतिक्रिया पर उन्होंने कहा कि परिवार हंसी खुशी तो नहीं माना लेकिन एक समय के बाद समझ गया कि अब मुझे यही करना है तो फिर छोड़ दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>संन्यासी क्यों बने?</strong><br />सन्यासी बनने को लेकर उन्होंने कहा कि सन्यासी बनना सबसे बड़ा एडवेंचर है. बाकी जीवन में आप एक बार ही मरते हैं पर सन्यासी जीवन में आपको दिन में दर्जनों बार मरने को तैयार रहना पड़ता है. अपने अंदर इतनी शक्ति रखनी पड़ती है अगर सन्यासी का असली सुख लेना है तो. सन्यासी बनने का कोई एक कारण नहीं होता है जीवन धीरे-धीरे उस तरफ बढ़ता और इंसान को पता नहीं चलता है. नॉर्मल जीवन में तो एक रूटीन शेड्यूल होता है पर सन्यासी के जीवन में तप करना होता है. सुबह 3 बजे उठकर पूजा पाठ और रोजाना के काम करने होते हैं. जूना अखाड़ा अपने शौर्य के लिए जाना जाता है. पर अगर बड़े संन्यासियों को देखे तो मुझे मेरे गुरुजी सोते हुए नहीं दिखाई देते हैं. संन्यासी जीवन बड़े तप का जीवन है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>युवाओं को लेकर उन्होंने कहा युवाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनकी जो भी ड्यूटी है उसको सही ढंग से करें. जो भी करना है मन से करिए सिर्फ तन से करने से नहीं हो पाएगा. जीवन में गंभीर होने की जरूरत नहीं है पर दिल से करेंगे और खुश होकर करेंगे तभी कोई काम कर पाएंगे. ड्यूटी ही भगवान है. अगर आप चीज मन से करेंगे तो ईश्वर आपको और शक्ति देता है. उन्होंने लोगों को भगवान के लिए रोजाना 10 मिनट निकालने की भी सलाह दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-police-news-salary-of-up-police-officers-is-in-danger-details-of-property-2863119″>यूपी पुलिस के इन अधिकारियों की सैलरी पर लटकी तलवार, इस वजह से होगा एक्शन!</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Makha Kumbh 2025:</strong> महाकुंभ के रंग में संतों की अलग-अलग कहानी सुनने को मिल रही है. इसी महाकुंभ में एक सोमेश्वर पुरी जी महाराज जूना अखाड़े में आए हुए हैं, जिन्होंने बैंक की नौकरी छोड़कर संन्यास ले लिया. वो अब अपनी बैंक की नौकरी छोड़ गृहस्थ आश्रम छोड़ अब दिन रात प्रभु की सेवा में लीन रहते हैं. 9 महीने तक उन्होंने हिमालय में रहकर तप किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अपने सन्यासी बनने के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह नियति होती है, जो तय करती है कि आप क्या बनेंगे. कोई मां-बाप या परिवार नहीं कहता कि उनका बच्चा सन्यासी बनेगा सबको डॉक्टर, इंजीनियर बनाना होत है. पर आदमी ईश्वर की मर्जी से सन्यासी बनता है. उन्होंने बताया कि 55 साल की उम्र में उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़कर सन्यास ले लिया पर यह 1 दिन की प्रक्रिया नहीं थी, यह नियति करती है. सन्यासी बनने को लेकर परिवार की प्रतिक्रिया पर उन्होंने कहा कि परिवार हंसी खुशी तो नहीं माना लेकिन एक समय के बाद समझ गया कि अब मुझे यही करना है तो फिर छोड़ दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>संन्यासी क्यों बने?</strong><br />सन्यासी बनने को लेकर उन्होंने कहा कि सन्यासी बनना सबसे बड़ा एडवेंचर है. बाकी जीवन में आप एक बार ही मरते हैं पर सन्यासी जीवन में आपको दिन में दर्जनों बार मरने को तैयार रहना पड़ता है. अपने अंदर इतनी शक्ति रखनी पड़ती है अगर सन्यासी का असली सुख लेना है तो. सन्यासी बनने का कोई एक कारण नहीं होता है जीवन धीरे-धीरे उस तरफ बढ़ता और इंसान को पता नहीं चलता है. नॉर्मल जीवन में तो एक रूटीन शेड्यूल होता है पर सन्यासी के जीवन में तप करना होता है. सुबह 3 बजे उठकर पूजा पाठ और रोजाना के काम करने होते हैं. जूना अखाड़ा अपने शौर्य के लिए जाना जाता है. पर अगर बड़े संन्यासियों को देखे तो मुझे मेरे गुरुजी सोते हुए नहीं दिखाई देते हैं. संन्यासी जीवन बड़े तप का जीवन है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>युवाओं को लेकर उन्होंने कहा युवाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनकी जो भी ड्यूटी है उसको सही ढंग से करें. जो भी करना है मन से करिए सिर्फ तन से करने से नहीं हो पाएगा. जीवन में गंभीर होने की जरूरत नहीं है पर दिल से करेंगे और खुश होकर करेंगे तभी कोई काम कर पाएंगे. ड्यूटी ही भगवान है. अगर आप चीज मन से करेंगे तो ईश्वर आपको और शक्ति देता है. उन्होंने लोगों को भगवान के लिए रोजाना 10 मिनट निकालने की भी सलाह दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-police-news-salary-of-up-police-officers-is-in-danger-details-of-property-2863119″>यूपी पुलिस के इन अधिकारियों की सैलरी पर लटकी तलवार, इस वजह से होगा एक्शन!</a></strong></p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड अवसाद, प्रेम में धोखा, बेरोजगारी, IIT Bombay वाले ‘बाबा’ अभय सिंह को लेकर सोशल मीडिया पर चौंकाने वाले दावे