फाजिल्का में भारत-पाकिस्तान सरहदी इलाके के गांव आसफवाला में आईटीआई पास नौजवान ने चाय की दुकान खोली है l दुकान नई नहीं बल्कि कई बरस पुरानी है l लेकिन अब 12वीं कक्षा पास करने के बाद आईटीआई पास नौजवान को जब नौकरी नहीं मिली, तो उसने अपने पिता की दुकान को संभाल लिया है l भारत पाक सरहद की तरफ से हिंदुस्तान में दाखिल होते ही उसे हिंदुस्तान की पहली चाय की दुकान का नाम दे दिया है l जो भारत-पाकिस्तान सरहद पर आने जाने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है l नौकरी नहीं मिलने पर पिता की दुकान संभाली जानकारी देते हुए नौजवान सुरेश कुमार ने बताया कि पिछले कई वर्षों से उसके पिता खजान सिंह गांव असफवाला में ही चाय का काम करते हैं l वह दो भाई और एक उनकी बहन है l सुरेश कुमार का कहना है कि उसने 12वीं कक्षा पास करने के बाद आईटीआई की है। आईटीआई पास करने के बाद उसे उम्मीद थी कि उसे कहीं नौकरी मिलेगी l लेकिन आखिरकार उसने अपने पिता की गांव में ही जद्दी दुकान को संभाल लिया है l रिट्रीट सेरेमनी के बाद लगती है भीड़ भारत पाकिस्तान सरहद से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर बनी इस दुकान को उसने हिंदुस्तान की पहली चाय की दुकान का नाम दिया है l जो इलाके के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है l वजह यह है कि भारत पाकिस्तान सरहद की सादकी चौकी पर रोजाना रिट्रीट सेरेमनी होती है l सेरेमनी देख वापस फाजिल्का तरफ आने वाले लोगों के लिए पाकिस्तान की ओर से हिंदुस्तान में दाखिल होते हिंदुस्तान की यह पहले वह चाय की दुकान है। जहां लोग अब रुक कर चाय पी कर जाते हैं l सुरेश कुमार का कहना है कि उसके गांव में घर के पशुओं का दूध चाय के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है l जिससे वह खुद मसालेदार स्वादिष्ट चाय बना लोगों के सामने पेश करता है l फाजिल्का में भारत-पाकिस्तान सरहदी इलाके के गांव आसफवाला में आईटीआई पास नौजवान ने चाय की दुकान खोली है l दुकान नई नहीं बल्कि कई बरस पुरानी है l लेकिन अब 12वीं कक्षा पास करने के बाद आईटीआई पास नौजवान को जब नौकरी नहीं मिली, तो उसने अपने पिता की दुकान को संभाल लिया है l भारत पाक सरहद की तरफ से हिंदुस्तान में दाखिल होते ही उसे हिंदुस्तान की पहली चाय की दुकान का नाम दे दिया है l जो भारत-पाकिस्तान सरहद पर आने जाने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है l नौकरी नहीं मिलने पर पिता की दुकान संभाली जानकारी देते हुए नौजवान सुरेश कुमार ने बताया कि पिछले कई वर्षों से उसके पिता खजान सिंह गांव असफवाला में ही चाय का काम करते हैं l वह दो भाई और एक उनकी बहन है l सुरेश कुमार का कहना है कि उसने 12वीं कक्षा पास करने के बाद आईटीआई की है। आईटीआई पास करने के बाद उसे उम्मीद थी कि उसे कहीं नौकरी मिलेगी l लेकिन आखिरकार उसने अपने पिता की गांव में ही जद्दी दुकान को संभाल लिया है l रिट्रीट सेरेमनी के बाद लगती है भीड़ भारत पाकिस्तान सरहद से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर बनी इस दुकान को उसने हिंदुस्तान की पहली चाय की दुकान का नाम दिया है l जो इलाके के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है l वजह यह है कि भारत पाकिस्तान सरहद की सादकी चौकी पर रोजाना रिट्रीट सेरेमनी होती है l सेरेमनी देख वापस फाजिल्का तरफ आने वाले लोगों के लिए पाकिस्तान की ओर से हिंदुस्तान में दाखिल होते हिंदुस्तान की यह पहले वह चाय की दुकान है। जहां लोग अब रुक कर चाय पी कर जाते हैं l सुरेश कुमार का कहना है कि उसके गांव में घर के पशुओं का दूध चाय के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है l जिससे वह खुद मसालेदार स्वादिष्ट चाय बना लोगों के सामने पेश करता है l पंजाब | दैनिक भास्कर
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