भिवानी जिले के सिवानी मंडी शहर के वार्ड संख्या 12 निवासी एक 28 वर्षीय युवक की उसी के दो भाइयों ने तेजधार हथियार से गंभीर रूप से घायल कर दिया। घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस व सीन ऑफ क्राइम के इंचार्ज भी मौके कर पहुंचे। युवक को सरकारी अस्पताल में पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने युवक को मृत घोषित कर दिया। मृतक के भाई ने पुलिस से की शिकायत जानकारी के अनुसार सुमित पुत्र प्रेम सिंह ने पुलिस को शिकायत दी कि वो दादरी का रहने वाला है। जबकि उसके तीन भाई सिवानी में वार्ड 12 में रहते है। मुझे सूचना मिली थी कि तीनों भाइयों का आपस में झगड़ा हो गया। जब मैने मेरे परिवार सहित मौके पर आकर देखा तो मेरे भाई नरेन्द्र उर्फ पोला के सिर मे दाई तरफ कनपटी पर धारदार हथियार के घाव है और दाहिने हाथ कि कोहनी के पास से टूटा हुआ है। नरेंद्र करीब 28 साल का था। नरेंद्र भेड़ ही बकरी पालने का काम करता था। मामले की जांच में जुटी पुलिस थाना प्रभारी सुखबीर सिंह जाखड़ ने बताया की घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। मौके पर सीएफएसएल व सीन ऑफ क्राइम की टीम को बुलाया गया। मृतक के भाई के बयान पर मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। भिवानी जिले के सिवानी मंडी शहर के वार्ड संख्या 12 निवासी एक 28 वर्षीय युवक की उसी के दो भाइयों ने तेजधार हथियार से गंभीर रूप से घायल कर दिया। घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस व सीन ऑफ क्राइम के इंचार्ज भी मौके कर पहुंचे। युवक को सरकारी अस्पताल में पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने युवक को मृत घोषित कर दिया। मृतक के भाई ने पुलिस से की शिकायत जानकारी के अनुसार सुमित पुत्र प्रेम सिंह ने पुलिस को शिकायत दी कि वो दादरी का रहने वाला है। जबकि उसके तीन भाई सिवानी में वार्ड 12 में रहते है। मुझे सूचना मिली थी कि तीनों भाइयों का आपस में झगड़ा हो गया। जब मैने मेरे परिवार सहित मौके पर आकर देखा तो मेरे भाई नरेन्द्र उर्फ पोला के सिर मे दाई तरफ कनपटी पर धारदार हथियार के घाव है और दाहिने हाथ कि कोहनी के पास से टूटा हुआ है। नरेंद्र करीब 28 साल का था। नरेंद्र भेड़ ही बकरी पालने का काम करता था। मामले की जांच में जुटी पुलिस थाना प्रभारी सुखबीर सिंह जाखड़ ने बताया की घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। मौके पर सीएफएसएल व सीन ऑफ क्राइम की टीम को बुलाया गया। मृतक के भाई के बयान पर मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में विभाग बंटवारे से पहले मंत्रियों का दिल्ली डेरा:विज को गृह न मिलने के आसार; श्रुति को एक्साइज, आरती को खेल संभव
हरियाणा में विभाग बंटवारे से पहले मंत्रियों का दिल्ली डेरा:विज को गृह न मिलने के आसार; श्रुति को एक्साइज, आरती को खेल संभव हरियाणा में विभागों के बंटवारे से पहले मंत्रियों ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है। राव नरबीर, रणबीर गंगवा और गौरव गौतम ने आज सुबह दिल्ली में CM नायब सैनी से मुलाकात की। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली भी मौजूद रहे नायब सैनी बीती शाम (18 अक्टूबर) को कैबिनेट मीटिंग और कुछ कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद दिल्ली रवाना हो गए थे। यहां वह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात कर रहे हैं। माना जा रहा है कि नेताओं के साथ चर्चा के बाद अगले एक-दो दिन में मंत्रियों को विभाग बांट दिए जाएंगे। मंत्रिमंडल के सबसे सीनियर मंत्री अनिल विज को इस बार गृह मंत्रालय न मिलने के आसार हैं। इसकी वजह यह है कि CM के गृह, वित्त एवं नगर व ग्राम विकास विभाग अपने पास रखने की संभावना है। इससे पहले मनोहर लाल खट्टर की सरकार में अनिल विज के पास होम और हेल्थ की जिम्मेदारी थी। विज को शहरी निकाय-हायर एजुकेशन
इस बार के पोर्टफोलियों में अनिल विज को शहरी निकाय और उच्च शिक्षा विभाग मिलने की संभावना है। इससे पहले के टर्म में नायब सैनी ने थानेसर से विधायक रहे सुभाष सुधा को इन विभागों की जिम्मेदारी थी। वहीं उद्योग और वाणिज्य विभाग विपुल गोयल को दिए जाने के आसार हैं। पहले टर्म में सहकारिता विभाग की जिम्मेदारी देखने वाले महिपाल ढांडा को इस बार कृषि, पशुपालन और मत्सय विभाग दिया जा सकता है। श्रुति को एक्साइज और आरती राव को खेल विभाग मिल सकता है
श्रुति चौधरी को आबकारी एवं कराधान विभाग मिलने की संभावना है। जबकि सहकारिता विभाग श्याम सिंह राणा को मिलने की चर्चा है। जाट लैंड से जीतकर आए पार्टी के ब्राह्मण चेहरे डॉ अरविंद शर्मा को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग मिलने की उम्मीद है। जबकि खेल एवं महिला व बाल विकास विभाग आरती राव को मिलने की संभावना है। राव नरबीर को PWD विभाग की जिम्मेदारी मिल सकती है
इसके अलावा कृष्ण कुमार बेदी को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मिल सकता है, जबकि राव नरबीर को PWD व जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग मिलने की संभावना है। कृष्ण लाल पंवार को बिजली, जेल और आवास विभाग दिए जा सकते हैं, जबकि रणवीर गंगवा को पंचायत विभाग मिलने की संभावना है। प्रदेश का शिक्षा विभाग गौरव गौतम को मिलने की उम्मीद है, जबकि राजेश नागर को खाद्य एवं आपूर्ति विभाग मिलने की संभावना है। 2 दिन पहले CM समेत 13 मंत्रियों ने ली शपथ
2 दिन पहले नायब सैनी ने दूसरी बार हरियाणा CM पद की शपथ ली है। उनके साथ 13 मंत्रियों ने शपथ ली। जिनमें सबसे ज्यादा 5 चेहरे ओबीसी वर्ग से हैं। जाट, ब्राह्मण और SC वर्ग से 2-2 मंत्री बनाए गए हैं। इसके अलावा पंजाबी, राजपूत और वैश्य बिरादरी से एक-एक मंत्री बनाया गया है। नए बनाए मंत्रियों में अनिल विज, कृष्णलाल पंवार, राव नरबीर, महिपाल ढांडा, विपुल गोयल और कृष्ण बेदी पहले मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा रणबीर गंगवा पिछली BJP सरकार में डिप्टी स्पीकर थे। नए चेहरों में अरविंद शर्मा, श्याम सिंह राणा, आरती राव, श्रुति चौधरी और गौरव गौतम पहली बार मंत्री बने हैं। ये खबर भी पढ़ें… हरियाणा में SC आरक्षण में वर्गीकरण का फैसला लागू:कोटे में कोटा मिलेगा, सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस फ्री; CM दिल्ली रवाना हरियाणा में नई सरकार के शपथग्रहण के बाद CM नायब सैनी ने चंडीगढ़ स्थित सचिवालय में पदभार संभाला। पहले फैसले में CM सैनी ने कहा कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में किडनी की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की फ्री डायलिसिस होगी। भविष्य में यह फ्री सुविधा मेडिकल कॉलेजों में भी उपलब्ध कराई जाएगी। (पूरी खबर पढ़ें)
राव इंद्रजीत ने हरियाणा CM कुर्सी की दावेदारी छोड़ी:बोले- शाह सैनी का फैसला कर चुके; कैबिनेट मंत्री न बनाने पर बोले- रोष तो है
राव इंद्रजीत ने हरियाणा CM कुर्सी की दावेदारी छोड़ी:बोले- शाह सैनी का फैसला कर चुके; कैबिनेट मंत्री न बनाने पर बोले- रोष तो है हरियाणा के गुरुग्राम से सांसद केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत ने CM कुर्सी पर दावेदारी छोड़ दी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पंचकूला में नायब सैनी के नाम के ऐलान के बाद वे पीछे हट गए हैं। हिसार में एक कार्यक्रम में राव इंद्रजीत ने कहा कि इसका फैसला हो चुका। नायब सैनी ही अगुआई करेंगे। इस दौरान बार-बार राज्य मंत्री बनाए जाने पर भी राव इंद्रजीत का दर्द छलका। वहीं उन्होंने हरियाणा BJP के भीतर गुटबाजी को भी खुले तौर पर स्वीकार कर सबको चौंका दिया। उन्होंने यहां तक कहा कि अभी तो यह गुटबाजी और बढ़ेगी। राव इंद्रजीत से पूछे 3 सवाल और उनके जवाब 1. राव इंद्रजीत से पूछा गया कि वह सीनियर BJP नेता हैं। उनके समर्थक चाहते हैं कि वह मुख्यमंत्री बनें?
इसके जवाब में राव ने कहा- यह पार्टी का फैसला होता है। पिछले दिनों पंचकूला में अमित शाह आए थे। उन्होंने फैसला कर लिया कि नायब सैनी के नेतृत्व में ही विधानसभा का चुनाव लड़ा जाएगा, तो यह फैसला हो चुका है। 2. आपको कैबिनेट मंत्री भी नहीं बनाया गया, राज्य मंत्री का ही दर्जा दिया गया?
इस पर राव इंद्रजीत ने कहा- ” जी हां, रोष तो है ही, सबसे पुराना बार-बार राज्य मंत्री बनने वाला कोई है तो वह शायद मैं ही हूं।” 3. BJP में गुटबाजी हो रही है, गुरुग्राम में आपको इसका सामना करना पड़ा?
राव इंद्रजीत ने कहा- हर पार्टी में थोड़ी-बहुत होती है। कांग्रेस में भी गुटबाजी है। मैं वहां रह चुका हूं। 34 साल मैंने कांग्रेस में गुजारे। वहां भी गुटबाजी का शिकार रहा। यहां पर भी गुटबाजी हो रही है। BJP नई पार्टी है। जैसे और टाइम गुजरेगा, हरियाणा में और गुटबाजी उभरकर आएगी। राव इंद्रजीत का नाम CM दावेदारी में कैसे आया?
राव इंद्रजीत गुरुग्राम से कांग्रेस के राज बब्बर को हराकर छठी बार सांसद बने। जीत के बाद राव इंद्रजीत ने समर्थकों को संबोधित किया। जिसमें राव इंद्रजीत सिंह ने कहा- ”हरियाणा के इलेक्शन के लिए हमने तैयारी करनी है। जो हमसे रूठ गया, उसे मनाना है। दक्षिणी हरियाणा के जरिए ही सत्तासीन होना है। हमे संगठित होकर मजबूत रहता हैं।” उनके सत्तासीन होने के बयान को CM कुर्सी से जोड़कर देखा गया। इसके बाद हिसार की यादव सभा ने मांग की कि राव इंद्रजीत को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। राज्य मंत्री को लेकर नाराजगी क्यों?
राव इंद्रजीत छठी बार सांसद चुने गए हैं। केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली पिछली 2 सरकार में वह राज्यमंत्री रहे। इस बार उम्मीद थी कि उन्हें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा। इसके बावजूद वह केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ही बन पाए। इसके उलट करनाल से पहली बार लोकसभा चुनाव जीते हरियाणा के पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। खट्टर को नरेंद्र मोदी के साथ संगठन में काम करते वक्त की नजदीकी का फायदा मिला। राव से पहले भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मवीर भी कैबिनेट मंत्री न बनाने का मलाल जता चुके हैं। राव इंद्रजीत के पिता के बाद दक्षिणी हरियाणा से दूसरा CM नहीं बना
दक्षिणी हरियाणा में 14 सीटें आती है। इनमें 11 सीटें यादव बाहुल्य हैं। वहीं दक्षिणी हरियाणा ही सूबे की राजनीति का केंद्र रहा है। राव इंद्रजीत सिंह के पिता राव बीरेंद्र सिंह ऐसे पहले नेता थे, जो इस इलाके से मुख्यमंत्री बने। इसके बाद इस इलाके से कोई दूसरा नेता सीएम पद तक नहीं पहुंचा। राव इंद्रजीत सिंह अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
हरियाणा में कांग्रेस ने भजनलाल परिवार का किला भेदा:खट्टर का बयान BJP पर भारी पड़ा; कुलदीप बिश्नोई ने हाथ तक जोड़े, वोटर नहीं माने
हरियाणा में कांग्रेस ने भजनलाल परिवार का किला भेदा:खट्टर का बयान BJP पर भारी पड़ा; कुलदीप बिश्नोई ने हाथ तक जोड़े, वोटर नहीं माने 56 साल से भजनलाल परिवार का अभेद दुर्ग कहे जाने वाले आदमपुर में इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। इस सीट से भजनलाल 1968 में पहली बार विधायक बने थे। तब से जितने भी चुनाव हुए, सभी में भजनलाल परिवार ही आदमपुर से जीतता रहा था। दिवंगत भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई भाजपा में हैं, और उनके बेटे भव्य बिश्नोई 2022 में यहां से भाजपा की टिकट पर विधायक चुने गए थे। हालांकि, इस बार भजनलाल परिवार का सदस्य इस सीट से उम्मीदवार नहीं था, लेकिन भाजपा के समर्थन में वोट जरूर करने की अपील की गई थी। इसके बाद भी हिसार से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार रणजीत चौटाला को आदमपुर में 53156 वोट ही मिले। जबकि, कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी 59544 वोट पाने में कामयाब रहे। इस तरह जयप्रकाश जेपी 6384 वोट से आदमपुर जीत गए। कुलदीप ने बार-बार जनता के सामने हाथ जोड़े
कुलदीप बिश्नोई जानते थे कि आदमपुर में अगर वह हार गए तो इसका खामियाजा उनके राजनीतिक जीवन पर पड़ेगा। इस स्थिति को भांपते हुए वह बार-बार जनता के बीच गए और अपने दिवंगत पिता चौधरी भजनलाल से जुड़ाव को याद दिलाकर वोट मांगे। वह बार-बार जनता के बीच जाकर हाथ जोड़ते हुए भी नजर आए। कहते रहे, ‘लाज रख लेना, कहीं गलत कदम मल उठा लेना’। फिर भी लोगों ने कुलदीप बिश्नोई की अपील को अनसुना कर दिया। आदमपुर में कांग्रेस को बढ़त मिली और सबसे खास बात है कि बिश्नोइयों के गांव में जयप्रकाश जेपी आगे रहे। इसका कारण कुलदीप बिश्नोई से लोगों की नाराजगी को माना जा रहा है। बिश्नोई परिवार का आदमपुर में घटा जनाधार
आदमपुर में बिश्नोई परिवार का जनाधार लगातार कम हो रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भजनलाल के पौते भव्य बिश्नोई हिसार से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे। तब भाजपा के बृजेंद्र सिंह ने भव्य को आदमपुर में हराया था। अब लोकसभा चुनाव में यह दूसरा मौका है जब बिश्नोई परिवार आदमपुर में हार गया हो। वहीं, दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव में भाजपा की ही टिकट पर भव्य आदमपुर से चुनाव लड़े और चुनाव जीते। मगर चुनाव जीत का मार्जिन कम हो गया। भव्य 15714 वोटों से ही जीत दर्ज कर पाए। बिश्नोई परिवार का आदमपुर ही नहीं, आसपास की सीटों पर भी प्रभाव देखने नहीं मिला। बिश्नोई परिवार के लिए अब आगे क्या
आदमपुर में हार ने बिश्नोई परिवार के लिए राजनीतिक संकट पैदा कर दिया है। इसका खामियाजा उन्हें भाजपा में भुगतना पड़ सकता है। उनके पास भाजपा में ही रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कुलदीप बिश्नोई यदि आदमपुर से भाजपा को जिताने में कामयाब होते तो उनके विधायक बेटे को रणजीत की जगह हरियाणा कैबिनेट में जगह मिल सकती थी। जानकार बताते हैं कि भाजपा की ओर से यह ऑफर भी दिया गया था, लेकिन कुलदीप भाजपा को जिता नहीं पाए। अब भव्य बिश्नोई को संगठन की जिम्मेदारी तक ही समित रखा जा सकता है। कुलदीप बिश्नोई को सख्त मैसेज पार्टी की ओर से दिया जा सकता है। 4 महीने बाद ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव है। ऐसे में बिश्नोई परिवार के सामने 56 साल पुराने राज को बचाने की चुनौती रहेगी। कुलदीप बिश्नोई अधिकतर समय आदमपुर में न रहकर दिल्ली में बिताते हैं। ऐसे में उन्हें अब आदमपुर में दोबारा सक्रिय होना पड़ेगा। आदमपुर में भाजपा की हार के कारण
हिसार लोकसभा में हुई पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर की जनसभा में चौधरी भजनलाल को लेकर दिए बयान ने भाजपा को बैकफुट पर ला दिया। इसे लेकर बिश्नोई परिवार तो असहज हुआ ही, बिश्नोई वोटर्स भी भाजपा से नाराज हो गए। कुलदीप बिश्नोई अंत तक इस बयान पर सफाई देते रहे, लेकिन लोगों में गलत मैसेज गया। इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा। पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर 10 अप्रैल को हिसार में BJP कैंडिडेट रणजीत चौटाला के लिए प्रचार करने पहुंचे थे। कैमरी गांव में हुई जनसभा को संबोधित करते हुए खट्टर ने मंच से कुछ किस्से सुनाए जो हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्रियों से जुड़े हुए थे। इनमें से एक किस्सा चौधरी भजनलाल से जुड़ा था, जिससे लोग नाराज हो गए। टिकट कटने पर नाराज हुए तो कार्यकर्ताओं में गलत संदेश गया
हिसार से कुलदीप बिश्नोई को लोकसभा का टिकट नहीं मिला। वह नाराज होकर दिल्ली चले गए। उनके बेटे भव्य बिश्नाई ने आदमपुर में रणजीत चौटाला के लिए प्रचार बंद कर दिया। इसके बाद लोगों में यह संदेश चला गया कि भाजपा जानबूझकर बिश्नोई परिवार को टारगेट कर रही है। पहले भजनलाल पर बयान, फिर कुलदीप का टिकट काटना। इसके बाद कुलदीप को मनाने खुद मुख्यमंत्री नायब सैनी दिल्ली गए। इससे यह मैसेज और क्लीयर हो गया कि कुलदीप बिश्नोई भाजपा से नाराज चल रहे हैं। इसके बाद कुलदीप की तो नाराजगी दूर हो गई, लेकिन उनके वर्कर अंत तक इसे भुला नहीं पाए। कुलदीप में राजनीतिक स्तिरता नहीं
चौधरी भजनलाल ने जहां राजनीतिक स्थिरता दी, वहीं कुलदीप बिश्नोई में राजनीतिक स्थिरता का अभाव दिखा। 2007 में कांग्रेस से अलग होकर चौधरी भजनलाल ने हजकां पार्टी बनाई। उनके देहांत के बाद कुलदीप बिश्नोई ने कुछ साल पार्टी को आगे बढ़ाया। हरियाणा में हजकां के 6 विधायक चुनकर आए, लेकिन वह उन्हें संभाल नहीं पाए और सभी विधायक कांग्रेस में चले गए। इसके बाद कुलदीप बिश्नोई की हजका का भाजपा से गठबंधन हुआ, लेकिन वह भी ज्यादा समय नहीं चला। फिर कुलदीप बिश्नोई ने हजकां का कांग्रेस में विलय कर लिया। कांग्रेस में कुछ वर्ष बिताने के बाद वह फिर भाजपा में आ गए। अब हिसार लोकसभा से टिकट न मिलने पर कुलदीप भाजपा से भी नाराज हो गए थे।