मंडी जिले के पंडोह के ग्राम पंचायत हटौण के डयोड गांव में निर्माणाधीन टनल के ठीक ऊपर एक हिस्सा अचानक धंस गया। जिससे बड़ा गड्ढा बन गया है। डयोड हटौण सड़क पर आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गई है। गांव के करीब 20 से अधिक घरों पर खतरा मंडरा गया है। ग्रामीणों ने जब देखा कि सड़क किनारे गड्ढा बना हुआ है, तो उनके होश उड़ गए। यह गड्ढा इतना ज्यादा गहरा था कि पत्थर फैंकने पर उसके गिरने की आवाज तक नहीं आ रही। चार महीने से बंद पड़ा काम कीरतपुर-मनाली फोरलेन प्रोजेक्ट के तहत पंडोह बायपास टकोली फोरलेन का जो निर्माण किया जा रहा है। उसकी पहली टनल डयोड गांव के नीचे से होकर ही गुजर रही है। इस टनल की खुदाई का काम पूरा कर दिया गया है। लेकिन बीते करीब चार महीने से इसका काम बंद पड़ा हुआ है। घरों की दीवारों में आई दरारें ग्रामीण हरदेव शर्मा, कशमीर सिंह, गीता देवी और कोयला देवी ने बताया कि इससे पहले भी टनल निर्माण के कारण उनके घरों पर बड़ी-बड़ी दरारें आई हुई हैं। अब इस हिस्से के धंसने से घरों में और नई दरारें आना शुरू हो गई हैं। कंपनी प्रबंधन व प्रशासन ने आया सुध लेने जहां यह गड्ढा पड़ा है। उसके साथ लगती गौशाला को खाली कर दिया गया है। इससे पहले मेघ सिंह के घर के पास भी टनल का हिस्सा इसी तरह से धंसा था। वहां भी आज दिन तक कंपनी प्रबंधन ने कोई उचित कार्रवाई नहीं की। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी प्रबंधन और प्रशासन की तरफ से कोई भी मौके पर नहीं आया है और इनकी कोई सुध नहीं ली जा रही है। मंडी जिले के पंडोह के ग्राम पंचायत हटौण के डयोड गांव में निर्माणाधीन टनल के ठीक ऊपर एक हिस्सा अचानक धंस गया। जिससे बड़ा गड्ढा बन गया है। डयोड हटौण सड़क पर आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गई है। गांव के करीब 20 से अधिक घरों पर खतरा मंडरा गया है। ग्रामीणों ने जब देखा कि सड़क किनारे गड्ढा बना हुआ है, तो उनके होश उड़ गए। यह गड्ढा इतना ज्यादा गहरा था कि पत्थर फैंकने पर उसके गिरने की आवाज तक नहीं आ रही। चार महीने से बंद पड़ा काम कीरतपुर-मनाली फोरलेन प्रोजेक्ट के तहत पंडोह बायपास टकोली फोरलेन का जो निर्माण किया जा रहा है। उसकी पहली टनल डयोड गांव के नीचे से होकर ही गुजर रही है। इस टनल की खुदाई का काम पूरा कर दिया गया है। लेकिन बीते करीब चार महीने से इसका काम बंद पड़ा हुआ है। घरों की दीवारों में आई दरारें ग्रामीण हरदेव शर्मा, कशमीर सिंह, गीता देवी और कोयला देवी ने बताया कि इससे पहले भी टनल निर्माण के कारण उनके घरों पर बड़ी-बड़ी दरारें आई हुई हैं। अब इस हिस्से के धंसने से घरों में और नई दरारें आना शुरू हो गई हैं। कंपनी प्रबंधन व प्रशासन ने आया सुध लेने जहां यह गड्ढा पड़ा है। उसके साथ लगती गौशाला को खाली कर दिया गया है। इससे पहले मेघ सिंह के घर के पास भी टनल का हिस्सा इसी तरह से धंसा था। वहां भी आज दिन तक कंपनी प्रबंधन ने कोई उचित कार्रवाई नहीं की। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी प्रबंधन और प्रशासन की तरफ से कोई भी मौके पर नहीं आया है और इनकी कोई सुध नहीं ली जा रही है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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किन्नौर में पर्यावरण फिल्म फेस्टिवल:वनों के संरक्षण के प्रति लोगों को किया जागरुक, उपायुक्त बोले- सभी को करनी होगी पहल
किन्नौर में पर्यावरण फिल्म फेस्टिवल:वनों के संरक्षण के प्रति लोगों को किया जागरुक, उपायुक्त बोले- सभी को करनी होगी पहल पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन पर जनजातीय जिला किन्नौर के लोगों को जागरूक करने के लिए पर्यावरण, विज्ञान एवं तकनीकी विभाग हिमाचल प्रदेश, जिला प्रशासन किन्नौर व जेडटेल्स संस्था द्वारा रिकांगपिओ के बचत भवन में पर्यावरण फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया। इस दौरान वृत्तचित्र व फिल्मों के माध्यम से लोगों को पर्यावरण के बचाव बारे जानकारी प्रदान की गई। किन्नौर के उपायुक्त डा. अमित कुमार शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए कहा कि बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के कारण पर्यावरण में जो बदलाव आ रहा है, उसे ठीक करने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि सर्वप्रथम लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाए। जिसमें इस प्रकार के फिल्म फेस्ट अहम भूमिका निभाते हैं। डा. अमित कुमार शर्मा ने बताया कि पेड़ों का अत्याधिक कटान, विभिन्न स्तर पर होने वाला प्रदूषण, वनों में आगजनी की घटनाएं, लोगों का शहरों की ओर पलायन, केमिकल फर्टिलाइजर्स का उपयोग आदि ऐसी वजह है जिससे पर्यावरण बदलाव होता है। इसे रोकने के लिए हम सभी को जागरूक होना पड़ेगा व अपने अपने स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करना पड़ेगा। प्रदूषण को रोकने के प्रयास किए जाए : उपायुक्त उन्होंने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि सभी अपने स्तर पर प्रदूषण को रोकने का प्रयास करें और अन्य लोगों को भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करें। उन्होंने इस दौरान पर्यावरण संरक्षण पर लगाई गई विभिन्न प्रदर्शनियों व पेंटिंग्स का अवलोकन भी किया। इस दौरान उपस्थित लोगों से पर्यावरण संरक्षण पर उनके विचारों को भी सुना गया तथा लोगों ने पर्यावरण संरक्षण के विशेषज्ञों से ऑनलाइन संवाद स्थापित किया। पेड़ों के महत्व पर दी जानकारी इस अवसर पर वन विभाग द्वारा प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसके माध्यम से लोगों को वनों के संरक्षण के बारे में जागरूक किया गया और पेड़ों के महत्व पर विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक अभिषेक शेखर, पंचायत समिति कल्पा की अध्यक्षा ललिता पंचारस, उपमंडलाधिकारी कल्पा डॉ मेजर शशांक गुप्ता, सहायक आयुक्त ओ.पी यादव व पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
रामपुर में हो रहा अग्निवीर टीमों का गठन:आगजनी से निपटने के लिए वन विभाग का पहल, जंगलों में बनाए जा रहे फायर बैरियर
रामपुर में हो रहा अग्निवीर टीमों का गठन:आगजनी से निपटने के लिए वन विभाग का पहल, जंगलों में बनाए जा रहे फायर बैरियर जिला शिमला के रामपुर में आग की घटनाओं को रोकने के लिए गांव गांव में वन अग्निवीर टीमों का गठन किया जा रहा है। डीएफओ रामपुर गुरहर्ष सिंह ने कहा कि आगजनी से निपटने के लिए रामपुर उपमंडल के विभिन्न गांव में अग्निवीर टीमें गठित की जा रही है, जिसमें स्वेच्छा से स्थानीय लोग आ रहे हैं। कई वनों में ग्रामीणों और वन कर्मियों द्वारा मिलकर वनों में फायर बैरियर भी बनाए जा रहे हैं। साथ ही लोगों को घासनियों से वनों में आग न फैलने देने के भी निर्देश दिए गए हैं। रामपुर वन मंडल की ओर से 9 और 10 दिसंबर को पंचायतों में आयोजित ग्राम सभा के माध्यम से समस्त ग्रामवासियों, युवक मंडलों और महिला मंडलों को भी जागरूक किया गया। इस दौरान आगजनी की घटनाओं, वन संपदा और वन्य जीव जंतुओं को आग से बचाने बारे लोगों को जागरूक किया गया। अभी तक इन पंचायतों में चला अभियान
वहीं लोगों को आग से होने वाले नुकसान के बारे विस्तार से जानकारी दी गई। इस संदर्भ में विभिन्न पंचायतों में अभी तक अभियान चलाया जा चुका है। रामपुर की मुनीश, थैली चकटी, ननखड़ी, अड्डू, शोली, भड़ावली, दत्तनगर, बड़ोग, लबाना सदाना, काओबिल, किन्नू, भगावट, सराहन, शाहधार, जघोरी, काशापाट, कुहल, तकलेच, दरकाली, रचोली, कलेडा, मझेवली और शिंगला पंचायतों में अभियान पूरा हो चुका है।
हिमाचल: धर्मशाला-ताबो का टेंपरेचर 24 घंटे में 5-6 डिग्री बढ़ा:कल्पा में नॉर्मल से 10 डिग्री ज्यादा तापमान; 3 जिलों में शीतलहर का ऑरेंज अलर्ट
हिमाचल: धर्मशाला-ताबो का टेंपरेचर 24 घंटे में 5-6 डिग्री बढ़ा:कल्पा में नॉर्मल से 10 डिग्री ज्यादा तापमान; 3 जिलों में शीतलहर का ऑरेंज अलर्ट हिमाचल प्रदेश में सर्दी के मौसम में गर्मी रिकार्ड तोड़ने लगी है। ऊंचाई वाले इलाकों में जहां ज्यादा ठंड पड़ती है, वहां तापमान में असामान्य उछाल आया है। शिमला और कल्पा में दिसंबर महीने का सोमवार को दूसरा रिकार्ड मैक्सिमम टैम्परेचर दर्ज किया गया है। शिमला का अधिकतम तापमान नॉर्मल की तुलना में 7 डिग्री ज्यादा के साथ 21 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। इससे पहले 8 दिसंबर 2017 में रिकार्ड टेंपरेचर 21.3 डिग्री था। कल्पा में 16 दिसंबर 1991 को रिकार्ड टैम्परेचर 19 डिग्री था, जबकि बीते सोमवार को कल्पा का अधिकतम तापमान नार्मल की तुलना में 9.9 डिग्री के उछाल के बाद 18.9 डिग्री पहुंच गया। धर्मशाला के तापमान में भी नॉर्मल की तुलना में 6.6 का उछाल आया और 24.6 डिग्री सेल्सियस तापमान हो गया। प्रदेश का औसत मैक्सिमम टेंपरेचर भी नॉर्मल से 3.5 डिग्री ज्यादा हो गया है। बीते 24 घंटे के दौरान कल्पा और धर्मशाला के तापमान में नॉर्मल की तुलना में 5 डिग्री और ताबो के तापमान में 6 डिग्री का उछाल आया है। 3 जिलों में शीतलहर का ऑरेंज अलर्ट वहीं मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने तीन जिले ऊना, हमीरपुर और बिलासपुर में कोल्ड-वेव का ऑरेंज अलर्ट और कांगड़ा जिला में येलो अलर्ट जारी किया है। जाहिर है कि इससे मैदानी इलाकों में सुबह की शाम लोगों को खूब परेशान करेगी। यह अलर्ट अगले 72 घंटे यानी तीन दिन के लिए जारी की गई है। शिमला, नारकंडा और कुफरी के तापमान में उछाल प्रदेश के मैदानी इलाकों में तीन दिन से कड़ाके की सर्दी पड़ रही है, वहीं मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में निरंतर मौसम गर्म हो रहा है। आलम यह है कि शिमला का न्यूनतम तापमान भी नॉर्मल से 5.3 डिग्री ज्यादा के साथ 11.2 डिग्री पहुंच गया है। इसी तरह नारकंडा का न्यूनतम तापमान भी 8.5 डिग्री और कुफरी का तापमान 10.8 डिग्री सेल्सियस हो गया है। आमतौर पर शिमला, नारकंडा और कुफरी में 15 दिसंबर के बाद न्यूनतम तापमान जमाव बिंदू के आसपास तक गिर जाता है। मगर इस बार तापमान में उछाल आ रहा है। ऊंचे पहाड़ों से मैदानी इलाकों को चल रही कोल्ड वेव: कुलदीप मौसम विभाग की माने तो प्रदेश में अगले 5 दिन तक बारिश-बर्फबारी के आसार नहीं है। इससे मैदानी इलाकों में ठंड और मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तापमान नॉर्मल से ज्यादा रहेगा। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि ऊंचे क्षेत्रों से मैदानी इलाकों की तरफ कोल्ड वेव चल रही है। इससे पहाड़ों से ज्यादा ठंड मैदानी इलाकों में पड़ रही है।