महाकुंभ बसाने वाले लल्लूजी कंपनी में कैसे फैली आग:बिना इजाजत 1.5km में फैला दिए बांस-बल्ली, तेज हवा से 10 घंटे धधका गोदाम

महाकुंभ बसाने वाले लल्लूजी कंपनी में कैसे फैली आग:बिना इजाजत 1.5km में फैला दिए बांस-बल्ली, तेज हवा से 10 घंटे धधका गोदाम

महाकुंभ क्षेत्र के परेड ग्राउंड में लल्लूजी टेंट कंपनी का गोदाम 10 घंटे तक आग में धधकता रहा। इसको बुझाने के लिए 6 करोड़ लीटर पानी डालना पड़ा। 55 फीट ऊंचाई तक भड़की आग की लपटों को काबू करने के लिए सेना बुलानी पड़ी। 5 लाख से ज्यादा बांस-बल्लियां, रजाई-गद्दों की वजह से आग तेजी से करीब डेढ़ लाख वर्ग फीट एरिया में फैला गई। फायर फाइटर के सामने 2 तरह की चुनौतियां थीं। पहली- 200 मीटर दूर तक तपन महसूस हो रही थी। दूसरा- 40Km प्रति घंटे से चल रही हवाएं आग को फैला रही थीं। CFO आरके पांडेय के मुताबिक, इस आग के पीछे बड़ी लापरवाही थी। बिना इजाजत 1.5km में बांस-बल्ली और टेंट फैला दिए थे। आगरा पर काबू पाने की स्ट्रेटजी क्या थी? इसको लेकर दैनिक भास्कर ने आग बुझाने वाले फायर फाइटर और अधिकारियों से बात की। पढ़िए रिपोर्टर… टेंट को खोलकर 5 लाख से ज्यादा बांस बल्लियां रख दी
महाकुंभ मेला डेढ़ महीने पहले खत्म हो चुका है। टेंट सिटी को समेटने का काम चल रहा है। इसमें लल्लू जी एंड संस और उनकी सहयोगी कंपनियों के लेबर काम कर रहे हैं। फायर फाइटर से बात करके सामने आया कि टेंट सिटी को खोलकर सारा सामान इस गोदाम में रखा जा रहा है। शनिवार सुबह तक लल्लू जी टेंट कंपनी के गोदाम में क्षमता से ज्यादा समान जुटा लिया गया था। 5 लाख से ज्यादा बांस-बल्लियां गोदाम के बाहर इकट्ठा कर दिए गए, ऊंचे ढेर लग गए। गोदाम के अंदर के हिस्से में रजाई, गद्दे, टेंट के कपड़े, अलमारी, मेज-कुर्सी और प्लाइवुड रखे गए थे। इस गोदाम में 24 घंटे 25 से ज्यादा मजदूर रहते थे। टीम ने CFO आरके पांडेय से बात की। उन्होंने बताया- लल्लूजी एंड संस कंपनी को 800 मीटर की क्षमता का गोदाम बनाने की अनुमति दी गई थी। करीब 1 किमी के एरिया में गोदाम फैला लिया। फिर सड़क के किनारे भी 1 किमी की परिधि में बल्ली, पटरा, रुई, फोम के गद्दे, सिलेंडर इकट्ठे करते रहे। गोदाम के अंदर स्कूटी और कार तक खड़े मिले। क्षमता से ज्यादा सामान होने की वजह से आग पर काबू पाने में दिक्कत हुई। भीगे कंबल ओढ़कर, प्लाईवुड को ढाल बनाकर पानी की बौछार की
शनिवार की सुबह करीब 7 बजे अचानक गोदाम से धुएं के गुबार उठते देखे गए। कुछ देर में ही 50-55 फीट ऊंची लपटे दिखाई देने लगीं। तपन इतनी थी कि फायर फाइटर्स को भीगे हुए कंबल ओढ़कर और प्लाईवुड की आड़ लेकर पानी की बौछार करनी पड़ रही थी। 60 से ज्यादा फायर फाइटर्स 10 घंटे जूझते रहे। कई के शरीर पर छाले पड़ने की बात भी सामने आई हैं। इसके बाद आग पर काबू पाया जा सका। आग कैसे भड़की, इसके 2 अनुमान
अब सवाल उठता है कि आग लगी कैसे? गोदाम से जुड़े लोगों से बात करके 2 वजह समझ आईं। पहली- खाना बनाने के दौरान सिलेंडर से लीकेज हुई। दूसरी- लेबर ने सुलगती हुई बीड़ी रजाई-गद्दों पर फेंक दी। CFO आरके पांडेय ने कहा- हम जांच कर रहे हैं। आग भड़कने का सटीक कारण 24 घंटे बाद ही सामने आ सकेगा। सुबह 7 बजे से लगी आग जब 11 बजे तक काबू में नहीं आई, तब फायर फाइटर्स भी घबराए थे। शहर में दमकल गाड़ियों की कमी महसूस होने लगी। अब उनकी बात, जिन्होंने आग को सबसे पहले देखा सरवन बोले- ये लोग अंदर खाना बनाते, आग तो लगनी ही थी
लल्लूजी एंड संस के गोदाम से आगे ही बस्ती है, यहां रहने वाले सरवन सबसे पहले स्पॉट पर पहुंचे थे। उन्होंने ही झुग्गी झोपड़ी के लोगों को इकट्‌ठा किया और घर की बाल्टियों और बर्तनों के साथ गहरे नाले में कूद गए। पानी निकालकर गोदाम में लगी आग पर काबू पाने में मदद की। उन्होंने कहा- अगर आग फैलती तो बस्ती जल जाती। हमने पूछा- आग कैसे लगी क्या लगता है? वह कहते हैं- अंदर लेबर रहती है। वहीं पर खाना पकाती है, सिलेंडर रखते हैं। मुझे लगता है कि उसकी लीकेज से ही आग लगी होगी। कमलेश ने कहा- मुझे लगा किसी ने आग लगा दी
बस्ती में कमलेश कुमार का भी घर है। उन्होंने कहा- 6:30 बजे आग शुरू हुई थी। गोदाम के एक कोने से अचानक धुआं निकलने लगा। घंटों तक सब कुछ जलता रहा। इससे ऐसा लग रहा है कि यह आग लगाई गई है। पिछले साल भी इसी जगह पर आग लगी थी। गोदाम और बस्ती के बीच में 15 फीट चौड़ा नाला था। इसकी वजह से आग बस्ती तक नहीं फैल सकी। वरना इस बस्ती में 150 घर है, करीब 800 लोग रहते हैं। बस्ती के 200 लोग फायर फाइटर की मदद करते रहे
सजल श्रीवास्तव ने कहा- बस्ती के 200 से ज्यादा लोग आग बुझाने में किसी न किसी तरह से मदद करते रहे। कोई पानी भरने में दमकल वालों की मदद कर रहा है, तो कोई पानी की पाइप जोड़ रहा। इसके अलावा कई लोग तो बांस बल्लियां हटा कर आग को फैलाने से रोकने में लगे हैं। 11 बजे तक आग काबू में नहीं आई, तब सेना को बुलाया गया सेना के अधिकारी ने कहा- वाटर टेक्नीक से आग बुझाई
सेना के फायर अधिकारी वाई.यस. राय ने कहा- हमारे 20 फायर फाइटर्स के जवान 4 गाड़ियों में लगे रहे। सब का आग बुझाने का अपना-अपना तरीका है। हम सैनिक हैं। कठिन हालत में हमें अधिकारियों के निर्देश पर भेजा जाता है। आग बुझाने के लिए हम सैनिक वाटर प्रेशर टेक्नीक का इस्तेमाल करते हैं। इसमें हम पहले आग की दीवार को तोड़ने के लिए प्रेशर से वाटर फेंकते हैं। दूसरी टीम, आग के कम होने के स्थान पर ज्यादा पानी डालकर आग को बुझाती है। इस तरह से आग फैल नहीं पाती है। जवान आग की तपिश कम होने पर गोदाम के अंदर घुस गए। बुलडोजर की मदद से लकड़ी के तख्त और रजाई-गद्दे उलट-पलट कर पानी डाला, जिसके बाद आग काबू में आनी शुरू हुई। प्रोपराइटर बोले- गोदाम था, तो फायर ब्रिगेड क्यों हटाई?
लल्लूजी डेरा वाले के प्रोपराइटर राजीव अग्रवाल ने कहा- जब यहां इतना बड़ा गोदाम है, तो यहां से फायर ब्रिगेड को क्यों हटा दिया गया? जबकि इसके लिए हम लोग कह रहे थे कि यहां से फायर ब्रिगेड नहीं हटाई जानी चाहिए। जिम्मेदारों की लापरवाही है। हमने सुबह फायर ब्रिगेड को फोन किया तो सिर्फ 2 गाड़ियां आईं, पानी तक इनके पास नहीं था। बाद में पाइप लगाकर अरेंज होता रहा। तब तक आग बड़े एरिया में आग फैल गई। SDM मेला ने कहा- बास बल्लियों को शिफ्ट करके आग पर काबू पाया
SDM मेला विवेक कुमार शुक्ला ने कहा- आग पर काबू पाने के लिए आसपास की बस्तियों से भी मदद ली गई। गाड़ियां मंगवाकर सामान शिफ्ट किया गया। टेंट के दूसरे गोदाम तक सामान पहुंचवाया गया। दूसरे गोदाम के बांस बल्लियों को नगर निगम की गाड़ियों एवं पानी के टैंकर से गीला कर दिया गया। इस तरह से आग की चेन को तोड़ने की कोशिश की जाती रही। दरअसल, सेना के मोर्चा लेने के बाद आग थोड़ी नरम पड़ी, इसके बाद पानी में भीगी अधजली बांस बल्लियों को हटवाने का काम शुरू कराया गया। दोपहर करीब 3 बजे एक बार फिर आग हवा की तेजी के चलते भड़क उठी, लेकिन आग को हवा के बहाव की दिशा में सपोर्ट नहीं मिला, लिहाजा आग पर शाम को 5 बजे तक काबू पा लिया गया। ………………….. यह भी पढ़ें : महाकुंभ बसाने वाले लल्लूजी के गोदाम में भीषण आग:फायर कर्मियों के शरीर पर फफोले पड़े; 5 लाख बल्लियां जलीं प्रयागराज महाकुंभ में टेंट सिटी बसाने वाले लल्लूजी के गोदाम में शनिवार सुबह भीषण आग लग गई। गोदाम में 5 लाख बांस-बल्लियां, टेंट के पर्दे, रजाइयां और गद्दे रखे थे। इससे आग ने कुछ ही मिनटों में विकराल रूप ले लिया। गोदाम में रखे गए सिलेंडर फटने लगे। 5 लाख बल्लियां जल गईं। आग की लपटें 3 किलोमीटर दूर से दिखाई दे रही थीं। पढ़िए पूरी खबर… महाकुंभ क्षेत्र के परेड ग्राउंड में लल्लूजी टेंट कंपनी का गोदाम 10 घंटे तक आग में धधकता रहा। इसको बुझाने के लिए 6 करोड़ लीटर पानी डालना पड़ा। 55 फीट ऊंचाई तक भड़की आग की लपटों को काबू करने के लिए सेना बुलानी पड़ी। 5 लाख से ज्यादा बांस-बल्लियां, रजाई-गद्दों की वजह से आग तेजी से करीब डेढ़ लाख वर्ग फीट एरिया में फैला गई। फायर फाइटर के सामने 2 तरह की चुनौतियां थीं। पहली- 200 मीटर दूर तक तपन महसूस हो रही थी। दूसरा- 40Km प्रति घंटे से चल रही हवाएं आग को फैला रही थीं। CFO आरके पांडेय के मुताबिक, इस आग के पीछे बड़ी लापरवाही थी। बिना इजाजत 1.5km में बांस-बल्ली और टेंट फैला दिए थे। आगरा पर काबू पाने की स्ट्रेटजी क्या थी? इसको लेकर दैनिक भास्कर ने आग बुझाने वाले फायर फाइटर और अधिकारियों से बात की। पढ़िए रिपोर्टर… टेंट को खोलकर 5 लाख से ज्यादा बांस बल्लियां रख दी
महाकुंभ मेला डेढ़ महीने पहले खत्म हो चुका है। टेंट सिटी को समेटने का काम चल रहा है। इसमें लल्लू जी एंड संस और उनकी सहयोगी कंपनियों के लेबर काम कर रहे हैं। फायर फाइटर से बात करके सामने आया कि टेंट सिटी को खोलकर सारा सामान इस गोदाम में रखा जा रहा है। शनिवार सुबह तक लल्लू जी टेंट कंपनी के गोदाम में क्षमता से ज्यादा समान जुटा लिया गया था। 5 लाख से ज्यादा बांस-बल्लियां गोदाम के बाहर इकट्ठा कर दिए गए, ऊंचे ढेर लग गए। गोदाम के अंदर के हिस्से में रजाई, गद्दे, टेंट के कपड़े, अलमारी, मेज-कुर्सी और प्लाइवुड रखे गए थे। इस गोदाम में 24 घंटे 25 से ज्यादा मजदूर रहते थे। टीम ने CFO आरके पांडेय से बात की। उन्होंने बताया- लल्लूजी एंड संस कंपनी को 800 मीटर की क्षमता का गोदाम बनाने की अनुमति दी गई थी। करीब 1 किमी के एरिया में गोदाम फैला लिया। फिर सड़क के किनारे भी 1 किमी की परिधि में बल्ली, पटरा, रुई, फोम के गद्दे, सिलेंडर इकट्ठे करते रहे। गोदाम के अंदर स्कूटी और कार तक खड़े मिले। क्षमता से ज्यादा सामान होने की वजह से आग पर काबू पाने में दिक्कत हुई। भीगे कंबल ओढ़कर, प्लाईवुड को ढाल बनाकर पानी की बौछार की
शनिवार की सुबह करीब 7 बजे अचानक गोदाम से धुएं के गुबार उठते देखे गए। कुछ देर में ही 50-55 फीट ऊंची लपटे दिखाई देने लगीं। तपन इतनी थी कि फायर फाइटर्स को भीगे हुए कंबल ओढ़कर और प्लाईवुड की आड़ लेकर पानी की बौछार करनी पड़ रही थी। 60 से ज्यादा फायर फाइटर्स 10 घंटे जूझते रहे। कई के शरीर पर छाले पड़ने की बात भी सामने आई हैं। इसके बाद आग पर काबू पाया जा सका। आग कैसे भड़की, इसके 2 अनुमान
अब सवाल उठता है कि आग लगी कैसे? गोदाम से जुड़े लोगों से बात करके 2 वजह समझ आईं। पहली- खाना बनाने के दौरान सिलेंडर से लीकेज हुई। दूसरी- लेबर ने सुलगती हुई बीड़ी रजाई-गद्दों पर फेंक दी। CFO आरके पांडेय ने कहा- हम जांच कर रहे हैं। आग भड़कने का सटीक कारण 24 घंटे बाद ही सामने आ सकेगा। सुबह 7 बजे से लगी आग जब 11 बजे तक काबू में नहीं आई, तब फायर फाइटर्स भी घबराए थे। शहर में दमकल गाड़ियों की कमी महसूस होने लगी। अब उनकी बात, जिन्होंने आग को सबसे पहले देखा सरवन बोले- ये लोग अंदर खाना बनाते, आग तो लगनी ही थी
लल्लूजी एंड संस के गोदाम से आगे ही बस्ती है, यहां रहने वाले सरवन सबसे पहले स्पॉट पर पहुंचे थे। उन्होंने ही झुग्गी झोपड़ी के लोगों को इकट्‌ठा किया और घर की बाल्टियों और बर्तनों के साथ गहरे नाले में कूद गए। पानी निकालकर गोदाम में लगी आग पर काबू पाने में मदद की। उन्होंने कहा- अगर आग फैलती तो बस्ती जल जाती। हमने पूछा- आग कैसे लगी क्या लगता है? वह कहते हैं- अंदर लेबर रहती है। वहीं पर खाना पकाती है, सिलेंडर रखते हैं। मुझे लगता है कि उसकी लीकेज से ही आग लगी होगी। कमलेश ने कहा- मुझे लगा किसी ने आग लगा दी
बस्ती में कमलेश कुमार का भी घर है। उन्होंने कहा- 6:30 बजे आग शुरू हुई थी। गोदाम के एक कोने से अचानक धुआं निकलने लगा। घंटों तक सब कुछ जलता रहा। इससे ऐसा लग रहा है कि यह आग लगाई गई है। पिछले साल भी इसी जगह पर आग लगी थी। गोदाम और बस्ती के बीच में 15 फीट चौड़ा नाला था। इसकी वजह से आग बस्ती तक नहीं फैल सकी। वरना इस बस्ती में 150 घर है, करीब 800 लोग रहते हैं। बस्ती के 200 लोग फायर फाइटर की मदद करते रहे
सजल श्रीवास्तव ने कहा- बस्ती के 200 से ज्यादा लोग आग बुझाने में किसी न किसी तरह से मदद करते रहे। कोई पानी भरने में दमकल वालों की मदद कर रहा है, तो कोई पानी की पाइप जोड़ रहा। इसके अलावा कई लोग तो बांस बल्लियां हटा कर आग को फैलाने से रोकने में लगे हैं। 11 बजे तक आग काबू में नहीं आई, तब सेना को बुलाया गया सेना के अधिकारी ने कहा- वाटर टेक्नीक से आग बुझाई
सेना के फायर अधिकारी वाई.यस. राय ने कहा- हमारे 20 फायर फाइटर्स के जवान 4 गाड़ियों में लगे रहे। सब का आग बुझाने का अपना-अपना तरीका है। हम सैनिक हैं। कठिन हालत में हमें अधिकारियों के निर्देश पर भेजा जाता है। आग बुझाने के लिए हम सैनिक वाटर प्रेशर टेक्नीक का इस्तेमाल करते हैं। इसमें हम पहले आग की दीवार को तोड़ने के लिए प्रेशर से वाटर फेंकते हैं। दूसरी टीम, आग के कम होने के स्थान पर ज्यादा पानी डालकर आग को बुझाती है। इस तरह से आग फैल नहीं पाती है। जवान आग की तपिश कम होने पर गोदाम के अंदर घुस गए। बुलडोजर की मदद से लकड़ी के तख्त और रजाई-गद्दे उलट-पलट कर पानी डाला, जिसके बाद आग काबू में आनी शुरू हुई। प्रोपराइटर बोले- गोदाम था, तो फायर ब्रिगेड क्यों हटाई?
लल्लूजी डेरा वाले के प्रोपराइटर राजीव अग्रवाल ने कहा- जब यहां इतना बड़ा गोदाम है, तो यहां से फायर ब्रिगेड को क्यों हटा दिया गया? जबकि इसके लिए हम लोग कह रहे थे कि यहां से फायर ब्रिगेड नहीं हटाई जानी चाहिए। जिम्मेदारों की लापरवाही है। हमने सुबह फायर ब्रिगेड को फोन किया तो सिर्फ 2 गाड़ियां आईं, पानी तक इनके पास नहीं था। बाद में पाइप लगाकर अरेंज होता रहा। तब तक आग बड़े एरिया में आग फैल गई। SDM मेला ने कहा- बास बल्लियों को शिफ्ट करके आग पर काबू पाया
SDM मेला विवेक कुमार शुक्ला ने कहा- आग पर काबू पाने के लिए आसपास की बस्तियों से भी मदद ली गई। गाड़ियां मंगवाकर सामान शिफ्ट किया गया। टेंट के दूसरे गोदाम तक सामान पहुंचवाया गया। दूसरे गोदाम के बांस बल्लियों को नगर निगम की गाड़ियों एवं पानी के टैंकर से गीला कर दिया गया। इस तरह से आग की चेन को तोड़ने की कोशिश की जाती रही। दरअसल, सेना के मोर्चा लेने के बाद आग थोड़ी नरम पड़ी, इसके बाद पानी में भीगी अधजली बांस बल्लियों को हटवाने का काम शुरू कराया गया। दोपहर करीब 3 बजे एक बार फिर आग हवा की तेजी के चलते भड़क उठी, लेकिन आग को हवा के बहाव की दिशा में सपोर्ट नहीं मिला, लिहाजा आग पर शाम को 5 बजे तक काबू पा लिया गया। ………………….. यह भी पढ़ें : महाकुंभ बसाने वाले लल्लूजी के गोदाम में भीषण आग:फायर कर्मियों के शरीर पर फफोले पड़े; 5 लाख बल्लियां जलीं प्रयागराज महाकुंभ में टेंट सिटी बसाने वाले लल्लूजी के गोदाम में शनिवार सुबह भीषण आग लग गई। गोदाम में 5 लाख बांस-बल्लियां, टेंट के पर्दे, रजाइयां और गद्दे रखे थे। इससे आग ने कुछ ही मिनटों में विकराल रूप ले लिया। गोदाम में रखे गए सिलेंडर फटने लगे। 5 लाख बल्लियां जल गईं। आग की लपटें 3 किलोमीटर दूर से दिखाई दे रही थीं। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर