मां को ढूंढते 1115 किमी दूर झांसी पहुंचा बच्चा:बोला- स्कूल से लौटा तो घर में मम्मी नहीं दिखीं; ट्रेन में चढ़ा, तभी गाड़ी चल दी

मां को ढूंढते 1115 किमी दूर झांसी पहुंचा बच्चा:बोला- स्कूल से लौटा तो घर में मम्मी नहीं दिखीं; ट्रेन में चढ़ा, तभी गाड़ी चल दी

झांसी के रेलवे स्टाफ को सोमवार रात ट्रेन में 5 साल का बच्चा मिला है। वह अपनी मां की तलाश में मुंबई से झांसी पहुंच गया। जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह अपने घर से बहुत दूर आ गया है तो वह काफी डर गया। झांसी के रेलवे स्टाफ ने बच्चे को अपनी देखरेख में रखा है। अब उसके परिवार से संपर्क किया जा रहा है। 1,115 किलोमीटर दूर मुंबई से झांसी पहुंचे 5 साल के बच्चे ने बताया कि वह मुंबई के ठाणे का रहने वाला है। उसकी मां का नाम सक्को और पिता का नाम रोहित है। उसका एक बड़ा भाई भी है, जो काम करने जाता है। बोला कि जब वह स्कूल से घर आया तो मां घर में नहीं मिली। पिता काम पर चले गए थे। उसे मां की याद आ रही थी, इसलिए वह उसे ढूंढने के लिए ट्रेन में बैठ गया था, लेकिन ट्रेन चलने लगी। उसे ये नहीं मालूम कि कहां जाना है। रात 10.10 बजे झांसी में बच्चे को ट्रेन से उतारा
झांसी के रेलवे कंट्रोल रूम को TTE प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने सूचना दी थी कि वह ट्रेन नंबर 20103 लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस में तैनात हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास 5 साल का बच्चा भी है, जो घर से भागा हुआ लग रहा है। इस पर कंट्रोल रूम ने झांसी स्टेशन के डिप्टी एसएस एसके नरवरिया को सूचित किया। इसके बाद डिप्टी एसएस ने तत्काल सुरक्षा बल और चाइल्ड लाइन से संपर्क किया। यहां ट्रेन के पहुंचने से पहले ही डिप्टी एसएस ट्रेन के इंतजार में प्लेटफॉर्म नंबर-4 पर पहुंच गए। सोमवार रात 10.10 बजे ट्रेन पहुंची तो बच्चे को उतारा गया। इसके बाद डिप्टी एसएस उसे अपने कार्यालय ले आए। यहां बच्चे को उन्होंने पहले खाना खिलाया। फिर चाइल्ड लाइन की सुपुर्दगी में दे दिया। अब चाइल्ड लाइन उसके परिजनों से संपर्क करने की कोशिश कर रही है। यात्रियों ने भिखारी समझकर दे दिया खाना, TTE ने रखा ख्याल
बच्चे से जब खाने के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि ट्रेन में भूख लग रही थी। एक अंकल थे, जिन्होंने उसे खाना दिया था। बोला- अंकल ने उससे सीट साफ करवाई थी, खाना खिला दिया। दैनिक भास्कर ने बच्चे से जानकारी की तो मासूम बच्चे ने बताया कि वह ट्रेन की सीट के नीचे ही सो गया था। इसके बाद उसे एक और अंकल (TTE) मिले, जो उसे अपने साथ बिठा कर लाए। रास्ते में बिस्किट और पानी दिलाया था। AC कोच में लाए TTE
TTE को मिलने से पहले बच्चा पूरी ट्रेन में इधर से उधर भटक रहा था। जब TTE को उससे बात करने के बाद ये एहसास हुआ कि वह कोई मांगने वाला बच्चा नहीं है तो वह उसे अपने साथ ट्रेन के AC कोच A-1 में ले आए। यहां उसे खाली पड़ी एक सीट पर सुलाया। इसके बाद झांसी पहुंचने पर उसे डिप्टी एसएस की सुपुर्दगी में दे दिया। परिवार से संपर्क हो रहा मुश्किल
मुंबई से झांसी पहुंचा 5 साल का बच्चा बहुत अधिक जानकारी नहीं दे पा रहा है। वह अपने घर के पते के बारे में इतना ही बता सका कि वह थाने में रहता है और उसके पिता का नाम रोहित है। उससे मोबाइल नंबर के बारे में जानकारी करने का प्रयास किया गया तो बच्चा बोला कि मम्मी ने अपना मोबाइल तोड़ दिया है, उसको नंबर याद नहीं है। ऐसे में उसके परिवार से संपर्क नहीं हो पा रहा है। पांच साल का बच्चा जीन्स की निक्कर और हुडी पहने है। हालांकि उसके ये कपड़े ट्रेन के फर्श पर सोने के चलते गंदे हो चुके हैं। बच्चे ने बताया कि वह सैंडल पहने हुए था जो ट्रेन में खो गई हैं। उसके पास अब पैर में पहनने के लिए कुछ नहीं है। बोला- मुझे अपने घर जाना है। रेल स्टाफ ने किया सराहनीय काम
रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया- ट्रेन में टिकट चेकिंग स्टाफ को एक बच्चा मिला है, जो अपने घर वालों का मोबाइल नंबर नहीं बता पा रहा है। स्टाफ ने सराहनीय काम किया है। फिलहाल उसे चाइल्ड लाइन को सौंपा गया है। उसके परिवार से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है। ——————– ये खबर भी पढ़िए- हर्षा रिछारिया की यात्रा में शामिल मुस्लिम युवती कौन?: हिंदू से लव मैरिज, सिर पर हिजाब-माथे पर टीका महाकुंभ से चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया वृंदावन से संभल तक की पदयात्रा पर हैं। मथुरा की अलीशा खान भी यात्रा में शामिल हुईं। बुर्का और हिजाब में माथे पर टीका लगवाया। जय श्रीराम के नारे भी लगाए।अलीशा ने दैनिक भास्कर से कहा- हमारे धर्म में महिलाओं का सम्मान नहीं है। लड़कियों को बंद रखते हैं। सनातन में लड़कियों काे लक्ष्मी (देवी) मानते हैं। पदयात्रा में शामिल होने के सवाल पर कहती हैं- मैं हर्षा के साथ जुड़कर सनातन के लिए हिंदुओं को जगाने आई हूं। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… झांसी के रेलवे स्टाफ को सोमवार रात ट्रेन में 5 साल का बच्चा मिला है। वह अपनी मां की तलाश में मुंबई से झांसी पहुंच गया। जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह अपने घर से बहुत दूर आ गया है तो वह काफी डर गया। झांसी के रेलवे स्टाफ ने बच्चे को अपनी देखरेख में रखा है। अब उसके परिवार से संपर्क किया जा रहा है। 1,115 किलोमीटर दूर मुंबई से झांसी पहुंचे 5 साल के बच्चे ने बताया कि वह मुंबई के ठाणे का रहने वाला है। उसकी मां का नाम सक्को और पिता का नाम रोहित है। उसका एक बड़ा भाई भी है, जो काम करने जाता है। बोला कि जब वह स्कूल से घर आया तो मां घर में नहीं मिली। पिता काम पर चले गए थे। उसे मां की याद आ रही थी, इसलिए वह उसे ढूंढने के लिए ट्रेन में बैठ गया था, लेकिन ट्रेन चलने लगी। उसे ये नहीं मालूम कि कहां जाना है। रात 10.10 बजे झांसी में बच्चे को ट्रेन से उतारा
झांसी के रेलवे कंट्रोल रूम को TTE प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने सूचना दी थी कि वह ट्रेन नंबर 20103 लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस में तैनात हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास 5 साल का बच्चा भी है, जो घर से भागा हुआ लग रहा है। इस पर कंट्रोल रूम ने झांसी स्टेशन के डिप्टी एसएस एसके नरवरिया को सूचित किया। इसके बाद डिप्टी एसएस ने तत्काल सुरक्षा बल और चाइल्ड लाइन से संपर्क किया। यहां ट्रेन के पहुंचने से पहले ही डिप्टी एसएस ट्रेन के इंतजार में प्लेटफॉर्म नंबर-4 पर पहुंच गए। सोमवार रात 10.10 बजे ट्रेन पहुंची तो बच्चे को उतारा गया। इसके बाद डिप्टी एसएस उसे अपने कार्यालय ले आए। यहां बच्चे को उन्होंने पहले खाना खिलाया। फिर चाइल्ड लाइन की सुपुर्दगी में दे दिया। अब चाइल्ड लाइन उसके परिजनों से संपर्क करने की कोशिश कर रही है। यात्रियों ने भिखारी समझकर दे दिया खाना, TTE ने रखा ख्याल
बच्चे से जब खाने के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि ट्रेन में भूख लग रही थी। एक अंकल थे, जिन्होंने उसे खाना दिया था। बोला- अंकल ने उससे सीट साफ करवाई थी, खाना खिला दिया। दैनिक भास्कर ने बच्चे से जानकारी की तो मासूम बच्चे ने बताया कि वह ट्रेन की सीट के नीचे ही सो गया था। इसके बाद उसे एक और अंकल (TTE) मिले, जो उसे अपने साथ बिठा कर लाए। रास्ते में बिस्किट और पानी दिलाया था। AC कोच में लाए TTE
TTE को मिलने से पहले बच्चा पूरी ट्रेन में इधर से उधर भटक रहा था। जब TTE को उससे बात करने के बाद ये एहसास हुआ कि वह कोई मांगने वाला बच्चा नहीं है तो वह उसे अपने साथ ट्रेन के AC कोच A-1 में ले आए। यहां उसे खाली पड़ी एक सीट पर सुलाया। इसके बाद झांसी पहुंचने पर उसे डिप्टी एसएस की सुपुर्दगी में दे दिया। परिवार से संपर्क हो रहा मुश्किल
मुंबई से झांसी पहुंचा 5 साल का बच्चा बहुत अधिक जानकारी नहीं दे पा रहा है। वह अपने घर के पते के बारे में इतना ही बता सका कि वह थाने में रहता है और उसके पिता का नाम रोहित है। उससे मोबाइल नंबर के बारे में जानकारी करने का प्रयास किया गया तो बच्चा बोला कि मम्मी ने अपना मोबाइल तोड़ दिया है, उसको नंबर याद नहीं है। ऐसे में उसके परिवार से संपर्क नहीं हो पा रहा है। पांच साल का बच्चा जीन्स की निक्कर और हुडी पहने है। हालांकि उसके ये कपड़े ट्रेन के फर्श पर सोने के चलते गंदे हो चुके हैं। बच्चे ने बताया कि वह सैंडल पहने हुए था जो ट्रेन में खो गई हैं। उसके पास अब पैर में पहनने के लिए कुछ नहीं है। बोला- मुझे अपने घर जाना है। रेल स्टाफ ने किया सराहनीय काम
रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया- ट्रेन में टिकट चेकिंग स्टाफ को एक बच्चा मिला है, जो अपने घर वालों का मोबाइल नंबर नहीं बता पा रहा है। स्टाफ ने सराहनीय काम किया है। फिलहाल उसे चाइल्ड लाइन को सौंपा गया है। उसके परिवार से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है। ——————– ये खबर भी पढ़िए- हर्षा रिछारिया की यात्रा में शामिल मुस्लिम युवती कौन?: हिंदू से लव मैरिज, सिर पर हिजाब-माथे पर टीका महाकुंभ से चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया वृंदावन से संभल तक की पदयात्रा पर हैं। मथुरा की अलीशा खान भी यात्रा में शामिल हुईं। बुर्का और हिजाब में माथे पर टीका लगवाया। जय श्रीराम के नारे भी लगाए।अलीशा ने दैनिक भास्कर से कहा- हमारे धर्म में महिलाओं का सम्मान नहीं है। लड़कियों को बंद रखते हैं। सनातन में लड़कियों काे लक्ष्मी (देवी) मानते हैं। पदयात्रा में शामिल होने के सवाल पर कहती हैं- मैं हर्षा के साथ जुड़कर सनातन के लिए हिंदुओं को जगाने आई हूं। पढ़िए पूरा इंटरव्यू…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर