मिट्‌टी बचाने को साइकिल से 30 हजार किमी की यात्रा:22 साल के मोहित निरंजन पहुंचे प्रयागराज; गांव-गांव देते हैं उर्वरा शक्ति बचाने का संदेश

मिट्‌टी बचाने को साइकिल से 30 हजार किमी की यात्रा:22 साल के मोहित निरंजन पहुंचे प्रयागराज; गांव-गांव देते हैं उर्वरा शक्ति बचाने का संदेश

ललितपुर के मसोरा गांव के रहने वाले मोहित निरंजन(22) ने मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बचाने का संदेश लेकर भारत भ्रमण पर निकल पड़े हैं। उनकी यह यात्रा साइकिल से हो रही है। 30,000 किलोमीटर की यह यात्रा कई राज्यों से होकर प्रयागराज पहुंची है। वह अकेले साइकिल से चल रहे हैं, कभी गांवों में किसानों के बीच पहुंचते हैं, तो कभी स्कूल और कॉलेज में छात्र-छात्राओं के बीच पहुंचकर उन्हें उर्वरा शक्ति बढ़ाने के बारे में समझा रहे हैं। अभी तक करीब 14000 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली है। आइए जानते हैं…यात्रा कैसे, कब से कैसे शुरू हुई किसान पिता से प्रेरणा लेकर निकले मुहिम पर दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान मोहित निरंजन ने बताया-उनके पिता प्रभुदयाल निरंजन किसान हैं। दो भाइयों में मोहित छोटे हैं। पिता चाहते थे कि हम किसान न बनें बल्कि अच्छी नौकरी करें। इसी उद्देश्य उन्होंने मेरा एडमिशन कोलकाता में करा दिया था। 21 मार्च 2022 में हमने वहां से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया। मोहित कहते हैं “वह पिताजी के साथ खेतों में जाते रहे, कड़ी मेहनत के बाद भी वहां पैदावार न होने से बड़ी निराशा होती थी और घाटा होता था.. इसके बाद हमने एक दिन निर्णय लिया कि इस मिट्‌टी की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए वह काम करेंगे। बस 16 नवंबर 2022 को हम साइकिल पर सवार होकर निकल पड़े अपने मिशन पर।” सद्गुरु से मिली प्रेरणा, सोशल मीडिया से सहयोग
मोहित ने बताया-ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरू से उन्हें यह करने की प्रेरणा मिली। सोशल मीडिया के जरिए उन्हें हर जगह सहयोग मिल रहा है। बक्सर के बाद वाराणसी पहुंचे और प्रयागराज आए। यहां से वह अयोध्या, गोरखपुर तक जाएंगे। इसके बाद यहां अन्य राज्यों तक पहुंचेंगे। मार्च 2022 तक यह यात्रा पूरी होने की संभावना है। साइकिल से ही वह यह पूरी यात्रा करेंगे। लोग उनके रहने आदि की प्रबंध कर देते हैं। आखिरी पड़ाव तमिलनाडु के कोयंबटूर में होगा। ललितपुर के मसोरा गांव के रहने वाले मोहित निरंजन(22) ने मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बचाने का संदेश लेकर भारत भ्रमण पर निकल पड़े हैं। उनकी यह यात्रा साइकिल से हो रही है। 30,000 किलोमीटर की यह यात्रा कई राज्यों से होकर प्रयागराज पहुंची है। वह अकेले साइकिल से चल रहे हैं, कभी गांवों में किसानों के बीच पहुंचते हैं, तो कभी स्कूल और कॉलेज में छात्र-छात्राओं के बीच पहुंचकर उन्हें उर्वरा शक्ति बढ़ाने के बारे में समझा रहे हैं। अभी तक करीब 14000 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली है। आइए जानते हैं…यात्रा कैसे, कब से कैसे शुरू हुई किसान पिता से प्रेरणा लेकर निकले मुहिम पर दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान मोहित निरंजन ने बताया-उनके पिता प्रभुदयाल निरंजन किसान हैं। दो भाइयों में मोहित छोटे हैं। पिता चाहते थे कि हम किसान न बनें बल्कि अच्छी नौकरी करें। इसी उद्देश्य उन्होंने मेरा एडमिशन कोलकाता में करा दिया था। 21 मार्च 2022 में हमने वहां से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया। मोहित कहते हैं “वह पिताजी के साथ खेतों में जाते रहे, कड़ी मेहनत के बाद भी वहां पैदावार न होने से बड़ी निराशा होती थी और घाटा होता था.. इसके बाद हमने एक दिन निर्णय लिया कि इस मिट्‌टी की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए वह काम करेंगे। बस 16 नवंबर 2022 को हम साइकिल पर सवार होकर निकल पड़े अपने मिशन पर।” सद्गुरु से मिली प्रेरणा, सोशल मीडिया से सहयोग
मोहित ने बताया-ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरू से उन्हें यह करने की प्रेरणा मिली। सोशल मीडिया के जरिए उन्हें हर जगह सहयोग मिल रहा है। बक्सर के बाद वाराणसी पहुंचे और प्रयागराज आए। यहां से वह अयोध्या, गोरखपुर तक जाएंगे। इसके बाद यहां अन्य राज्यों तक पहुंचेंगे। मार्च 2022 तक यह यात्रा पूरी होने की संभावना है। साइकिल से ही वह यह पूरी यात्रा करेंगे। लोग उनके रहने आदि की प्रबंध कर देते हैं। आखिरी पड़ाव तमिलनाडु के कोयंबटूर में होगा।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर