<p style=”text-align: justify;”>मुंबई में आसमान में लालटेन उड़ाने पर बैन लगा दिया गया है. साथ ही इसकी बिक्री पर भी प्रतिबंध रहेगा. सुरक्षा कारणों के तरह पुलिस ने ये फैसला लिया है. 21 नवंबर तक ये प्रतिबंध रहेगा. यानी एक महीने तक मुंबई में न तो इसे बेचा जाएगा और न ही उड़ाया जाएगा.</p> <p style=”text-align: justify;”>मुंबई में आसमान में लालटेन उड़ाने पर बैन लगा दिया गया है. साथ ही इसकी बिक्री पर भी प्रतिबंध रहेगा. सुरक्षा कारणों के तरह पुलिस ने ये फैसला लिया है. 21 नवंबर तक ये प्रतिबंध रहेगा. यानी एक महीने तक मुंबई में न तो इसे बेचा जाएगा और न ही उड़ाया जाएगा.</p> महाराष्ट्र बजरंग पूनिया की ताजपोशी में कुमारी सैलजा और बीरेंद्र सिंह रहे मौजूद, हुड्डा परिवार रहा दूर
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संसद में अखिलेश के भाषण पर भड़क गए अमित शाह:वक्फ बिल पर कहा- गोलमोल बातें नहीं कर सकते हैं; स्पीकर सबके हैं
संसद में अखिलेश के भाषण पर भड़क गए अमित शाह:वक्फ बिल पर कहा- गोलमोल बातें नहीं कर सकते हैं; स्पीकर सबके हैं संसद में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को वक्फ संशोधन बिल पेश किया। रिजिजू ने बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने का भी प्रस्ताव रखा। बिल का कांग्रेस, सपा, NCP (शरद पवार), AIMIM, TMC, CPI (M), IUML, DMK, RSP ने विरोध किया। इस दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव और गृह मंत्री अमित शाह के बीच बहस भी हुई। अखिलेश यादव ने लोकसभा स्पीकर से कहा, महोदय मैंने सुना है कि कुछ अधिकार आपके भी छीने जा रहे हैं। आप लोकतंत्र के न्यायाधीश हैं। मैंने सुना है इस लॉबी में कुछ अधिकार आपके भी छीने जा रहे हैं। इसलिए हम सब को आपके लिए भी लड़ना पड़ेगा। अखिलेश की बातें सुनते ही अमित शाह ने उन्हें टोका। कहा- स्पीकर महोदय, ये (अखिलेश) आसन का अपमान कर रहे हैं। अध्यक्ष के अधिकार सिर्फ विपक्ष का नहीं हम सब का है। आप (अखिलेश) इस तरह की गोलमोल बातें नहीं कर सकते हैं। आप अध्यक्ष के अधिकार के सरंक्षक नहीं हैं। अखिलेश बोले- वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम को शामिल करना गलत बिल के विरोध में अखिलेश यादव ने कहा, ये सोची समझी राजनीति के तहत हो रहा है। जब लोकतांत्रिक तरीके से चुने जाने की पहले से प्रक्रिया है तो उसे नॉमिनेट के जरिए क्यों किया जा रहा है। अन्य धार्मिक बॉडी जो भी है, उसमें गैर बिरादरी का कोई नहीं आता है। वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम को शामिल करना क्या उचित है? अखिलेश ने कहा, अगर जिलाधिकारी को सब ताकत दे देंगे तो आपको पता है कि एक जगह पर जिलाधिकारी ने क्या किया था? उसका असर आने वाली पीढ़ी तक को भुगतना पड़ा। उसे आज यहां नहीं छेड़ना चाहता हूं। मैं नाम नहीं लेना चाहता हूं। बीजेपी अपनी हताश, निराश और चंद कट्टर समर्थकों के तुष्टिकरण के लिए ये बिल लाने का काम कर रही है। इमरान मसूद ने कहा- डीएम राज लाना चाहते हैं कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा- वक्फ बोर्ड मस्जिदों का प्रबंधन करता है। आप वक्फ की ताकत खत्म करके डीएम राज लाना चाहते हैं। वक्फ की प्रॉपर्टी को कब्जा मुक्त कराकर यह बिल लाना चाहिए था। विपक्ष हमेशा विरोध करता है: हेमा मालिनी भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने कहा, विपक्ष हमेशा विरोध करता है, यही उनका काम है। वे अच्छी चीजों को भी बुरा बताते हैं। पीएम कई अच्छी योजनाएं लाए हैं, लेकिन वे कहते हैं कि ये सभी चीजें गलत हैं। अवधेश प्रसाद बोले- यह बिल संविधान का उल्लंघन फैजाबाद (अयोध्या) से सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा- जमीन हड़पना और जमीन बनाने का कारोबार पूरे देश में (केंद्र सरकार) कर रहे हैं। अगर आप संविधान का अनुच्छेद 26 देखेंगे तो उसमें जो प्रावधान है, यह बिल उसके खिलाफ है। यह बिल संविधान का उल्लंघन है। सदन में सरकार पर बरसे रामपुर सांसद मोहिबुल्ला
वक्फ(संशोधन) बिल पर रामपुर से सपा सांसद इमाम मोहिबुल्ला ने कहा- महोदय मैं इकलौता व्यक्ति हूं जो सरकार के द्वारा बनाई गई वन मैन कमेटी में पेश हुआ, 123 प्रॉपर्टी मामले में। जस्टिस आर्यन ने जो रिपोर्ट पेश की वो आज तक वक्फ बोर्ड को नहीं बताया गया। क्योंकि वो आपकी मंशा के खिलाफ थी। जब वन मैन कमेटी सरकार के मुताबिक नहीं हुई तो टू मैन कमिटी बनाई गई। टू मैन कमेटी ने भी कोई रिपोर्ट वक्फ बोर्ड को नहीं दी। जबकि वक्फ एक्ट 1995 संसद से पारित एक्ट है। राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया गया हिंदू एंडोमेंट में जो कर्नाटक और तमिलनाडु में है, वहां कोई मुस्लिम नहीं हो सकता। यह आर्टिकल 26 का वायलेशन है। चार धाम में लिखा है कि सिर्फ हिंदू होगा। बिहार और उड़ीसा में भी यही लिखा हुआ है। पंजाब हरियाणा में गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी में भी लिखा है कि सिर्फ सिख होगा। यह उनका अधिकार है जिसे माना गया है, लेकिन मुस्लिम के साथ यह अन्याय क्यों है। दुनिया का सबसे पहला वक्फ काबा है। जो मक्का में है। क्या हम उस पर भी सवाल उठाएंगे की वहां कोई हमारा हिन्दू भाई हो। हम अपने संविधान को खुद पैरों तले रौंद रहे हैं। वक्फ मुसलमानों की धार्मिक प्रक्रिया है। इससे उन्हें कोई ताकत वंचित नहीं कर सकती। इससे संविधान की मूल आत्मा को खत्म हो जाएगी
यह हम बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हैं, जिसका खामियाज़ा हम अभी नहीं सदियों तक भुगतते रहेंगे। इस विधेयक को मैंने पूरा पढ़ा है, इसमें जो 40 संशोधन है वह सभी गलत है। इसके जरिये सारे अधिकार डीएम को दिया जा रहा है। जो मेरे धर्म से संबंधित जो चीजें हैं उसे कोई दूसरा कैसे तय करेगा। इस कानून के ज़रिए हम दूसरे धर्म मे हस्तक्षेप कर रहे हैं। इस तरह के कानून से हम लोग संविधान की मूल आत्मा को खत्म कर देंगे। अगर यह होगा तो कोई भी अल्पसंख्यक अपने आप को देश में सुरक्षित महसूस नहीं करेगी। 10 साल से देश में जो अल्पसंख्यकों के साथ उनके अधिकारों के साथ उनके धार्मिक स्वतंत्रता के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है उससे रूह कांप जाती है। कहीं ऐसा न हो कि जनता इन अधिकारों को बचाने के दोबारा सड़कों पर आ जाए। मायावती बोलीं- सरकार जल्दबाजी न करे
बसपा प्रमुख मायावती ने लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल को लेकर लगातार तीन ट्वीट किया। उन्होंने लिखा-आज संसद में पेश वक्फ (संशोधन) विधेयक पर जिस प्रकार से संदेह, आशंकाएं व आपत्तियां सामने आई हैं, उसे देखते हुए इस बिल को बेहतर विचार के लिए सदन की स्थायी (स्टैंडिंग) समिति को भेजना उचित होगा। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर सरकार अगर जल्दबाजी न करे तो बेहतर होगा। मन्दिर-मस्जिद, जाति, धर्म व साम्प्रदायिक उन्माद आदि की आड़ में कांग्रेस व भाजपा आदि ने बहुत राजनीति कर ली और उसका चुनावी लाभ भी काफी उठा लिया। अब देश में गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन और खत्म हो रहे आरक्षण आदि पर ध्यान केन्द्रित करके सच्ची देशभक्ति साबित करने का समय है। केन्द्र व यूपी सरकार द्वारा मस्जिद, मदरसा, वक्फ आदि मामलों में जबरदस्ती की दख़लंदाजी तथा मन्दिर व मठ जैसे धार्मिक मामलों में अति-दिलचस्पी लेना संविधान व उसकी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त के विपरीत अर्थात ऐसी संकीर्ण व स्वार्थ की राजनीति क्या जरूरी? सरकार राष्ट्रधर्म निभाए। यूपी में वक्फ एक्ट में संशोधन का बड़ा असर पड़ेगा। मुरादाबाद में सुन्नी वक्फ की सबसे अधिक 10 हजार संपत्ति, शिया की लखनऊ में। पढ़िए भास्कर पड़ताल… ‘क्या ताजमहल और लाल किला जैसी ऐतिहासिक इमारतों को वक्फ संपत्ति घोषित कर देना चाहिए?’ ये सवाल जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने उठाया। कोर्ट बुरहानपुर में मुगल बादशाह शाहजहां की बहू बीबी साहिब और नादिरशाह के मकबरे को लेकर सुनवाई कर रहा था। बेंच ने कहा- अगर कोई इमारत प्राचीन स्मारक घोषित है तो उसे वक्फ की संपत्ति बताना बेमानी है। हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे वक्त आया है, जब केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा में वक्फ बिल पेश किया। इस एक्ट पर बहस छिड़ी हुई है। अगर सरकार एक्ट में संशोधन करती है तो सबसे बड़ा असर उत्तर प्रदेश में देखने को मिलेगा। यूपी में सबसे अधिक वक्फ संपत्तियां और इससे जुड़े विवाद हैं। दैनिक भास्कर ने यूपी में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर पड़ताल की। यूपी में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड की कुल 2.32 लाख संपत्तियां हैं। इनमें सुन्नी वक्फ बोर्ड की सबसे ज्यादा मुरादाबाद में 10,386 संपत्तियां हैं, जबकि शिया वक्फ बोर्ड की मुरादाबाद में 3603 संपत्तियां हैं। ऐसे में सवाल उठना वाजिब है कि यूपी में वक्फ की क्या स्थिति है? इसका क्या असर पड़ेगा? आखिर क्या है वक्फ एक्ट? कब बना? कब संशोधन हुआ और अब क्या नया होने की उम्मीद है। पढ़िए… सबसे पहले जानते हैं कि वक्फ क्या है?
वक्फ अरबी भाषा के वकु़फ़ा शब्द से बना है। इसका अर्थ है- रोकना या पकड़ना या बांधना। वक्फ एक्ट मुस्लिम समुदाय की ओर से वक्फ की गई संपत्तियों, धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन और नियमों का पालन करने के लिए बनाया गया कानून है। रिटायर्ड जस्टिस बीडी नकवी बताते हैं- वक्फ एक ट्रस्ट है। इस ट्रस्ट का मालिक अल्लाह होता है। जो संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर दी जाती है, वह संपत्ति ट्रांसफर नहीं की जा सकती। संपत्ति चल या अचल दोनों रूप में हो सकती है। जिस तरह मंदिर की संपत्ति का मालिक भगवान होता है। उसी तरह वक्फ की संपत्ति का मालिक अल्लाह होता है। वक्फ दो तरह के होते हैं। एक वक्फ अलल औलाद और दूसरा वक्फ अलल खैर। वक्फ अलल औलाद में संपत्ति आने वाली पीढ़ी को दी जाती है। पीढ़ी का कोई भी सदस्य उसे बेच नहीं सकता है। संपत्ति का एक हिस्सा चैरिटी के लिए होता है। एक वक्फ के पास एक से अधिक संपत्ति हो सकती है। इन संपत्तियों का उपयोग व्यवसाय और मदरसों के लिए किया जा रहा है। वक्फ बोर्ड का क्या काम है?
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी बताते हैं- वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का मालिक नहीं, बल्कि चौकीदार होता है। वह किसी भी संपत्ति का मालिक नहीं होता, बल्कि इस्लाम धर्म के अनुसार धार्मिक क्रिया-कलापों के लिए दान की गई संपत्ति की देखरेख करता है। बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग धार्मिक और चैरिटेबल के कामों के लिए हो रहा है। वक्फ बोर्ड के पास वक्फ संपत्तियों का सर्वे करने और उन पर नियंत्रण रखने का अधिकार है। इसके लिए अलग-अलग वक्फ के मुतवल्ली की नियुक्ति की जाती है, जिसके कामों की समय-समय पर समीक्षा होती है। कोर्ट में 405 मामले लंबित
यदि किसी संपत्ति पर कोई विवाद होता है तो उसे पहले वक्फ बोर्ड अपने स्तर से देखता है। वक्फ बोर्ड के फैसले से असंतुष्ट होने पर ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकती है। ट्रिब्यूनल के फैसले से असंतुष्ट होने पर हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है। मसलन- उत्तर प्रदेश में वक्फ से संबंधित 26 मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट की इलाहाबाद बेंच में लंबित हैं। 71 मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में लंबित हैं। वक्फ ट्रिब्यूनल के पास 308 मामले लंबित हैं। इनमें ज्यादातर मामले कब्जे को लेकर हैं। उत्तर प्रदेश में वक्फ के पास कुल कितनी संपत्ति है?
प्रदेश में दो वक्फ बोर्ड है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड। शिया वक्फ बोर्ड के पास कुल 7,275 वक्फ हैं। इनकी संपत्ति 15,376 बताई गई हैं। अधिकतर संपत्ति किराए पर दी हुई हैं। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी कहते हैं कि पहले यहां का राजस्व 37 लाख रुपए सालाना का था, जो बढ़कर अब 1 करोड़ 27 लाख रुपए हो गया है। इसी तरह सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास कुल 1,24,735 वक्फ हैं। इन वक्फ के पास कुल 2,17,161 अचल संपत्तियां हैं। वक्फ मामलों के जानकार और हाईकोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पैरोकार आफताब अहमद बताते हैं- जिस समय वक्फ एक्ट बना, उस समय वक्फ संपत्तियां तो चिन्हित कर ली गईं, लेकिन अधिकतर संपत्ति की चौहद्दी तक का पता नहीं था। वक्फ बोर्ड के पास फिलहाल ऐसा कोई डाटा नहीं है, जिसमें यह बताया जा सके कि कितनी संपत्ति से किराए पर है और कितनी संपत्ति पर अवैध कब्जा है। यह भी बताना मुश्किल है कि वक्फ के पास जो संपत्तियां हैं, उसकी मालियत कितनी है। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन कहते हैं कि वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम आफ इंडिया यानी WAMSI पोर्टल पर उपलब्ध डाटा अंतिम नहीं है। संपत्तियों का आंकड़ा एकत्र किया जा रहा है, जिसे समय समय पर अपडेट कराया जाता है। अब कम वक्फ की जाती हैं संपत्तियां
मौजूदा समय में जो भी वक्फ की संपत्ति है, उसमें से 80 प्रतिशत 1947 से पहले की है। 1947 के बाद जब जमींदारी उन्मूलन कानून आया, उस समय काफी संपत्ति वक्फ की गईं। उसके बाद से बड़ी संपत्तियों के बजाय मस्जिद और इमामबाड़े वक्फ होते रहे हैं। पहला वक्फ अधिनियम 1954 में पारित किया गया था। पहला संशोधन 1995 में हुआ और फिर 2013 में दूसरी बार एक्ट में संशोधन किया गया। क्या पड़ेगा असर: अभी संशोधन का पूरा ड्राफ्ट सामने नहीं आया है। ऐसे में अधिकतर लोगों का मानना है कि बिना ड्राफ्ट का अध्ययन करे, इस विषय पर कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी। तीन महीने की छुट्टी पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन
सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन लंबी छुट्टी पर हैं। उनके स्थान पर कामकाज संभालने की जिम्मेदारी अदनान फार्रुख की है, जो गोरखपुर के रहने वाले हैं। इस संबंध इन दोनों से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन दोनों ही लोगों के मोबाइल स्विच आफ थे। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड के सेक्रेटरी ने इस विषय पर कोई भी बात करने से मना कर दिया। यह भी पढ़ें:- विनेश के ससुर का बड़ा आरोप-बृजभूषण और सरकार की साजिश: सिर के बाल कटवा देते तो 100 ग्राम कम हो जाता; अखिलेश ने कहा-जांच कराई जाए भारतीय रेसलर विनेश फोगाट के ससुर राजपाल राठी ने केंद्र सरकार और कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा- विनेश के साथ राजनीतिक साजिश की जा रही है। 100 ग्राम वजन तो 10 मिनट में कम हो सकता है। पढ़ें पूरी खबर…
बड़े भाई के खिलाफ लिखवाया था फर्जी मुकदमा, हाई कोर्ट ने ‘कलयुगी भरत’ कहते हुए सुनाया ये फैसला
बड़े भाई के खिलाफ लिखवाया था फर्जी मुकदमा, हाई कोर्ट ने ‘कलयुगी भरत’ कहते हुए सुनाया ये फैसला <p style=”text-align: justify;”><strong>Kanpur News:</strong> इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर में सगे भाइयों के बीच आपसी विवाद में रामायण का उदाहरण देते हुए अपना फैसला सुनाया है. अदालत ने बड़े भाई को परेशान करने के लिए उसके खिलाफ फर्जी एफआईआर कराने वाले छोटे भाई को कलयुगी भरत करार दिया है और उस पर पचीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाईकोर्ट ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि हम हमेशा भगवान श्री राम के छोटे भाई भरत के त्याग व बलिदान की चर्चा करते हैं, लेकिन इस मामले में बड़े भाई के खिलाफ आचरण करने वाले को कलयुगी भरत कहा जा सकता है. अदालत ने इस टिप्पणी के आधार पर बड़े भाई के खिलाफ दर्ज एफआईआर की चार्जशीट और निचली अदालत के समान आदेश को रद्द कर दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नवंबर 2017 में दर्ज कराई थी FIR<br /></strong>यह आदेश जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की सिंगल बेंच ने कानपुर के किदवई नगर इलाके के रहने वाले संजीव चढ्ढा की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है. मामले के मुताबिक संजीव चड्ढा के खिलाफ उनके छोटे भाई राजीव ने 12 नवंबर साल 2017 को एफआईआर दर्ज कराई कि उन्होंने उससे कुछ साल पहले बिजनेस के नाम पर दो लाख बीस हजार रुपये लिए थे, जिन्हें आज तक वापस नहीं किया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा यह भी कहा गया कि बड़े भाई संजीव चड्ढा ने पिता की मौत के बाद जॉइंट अकाउंट से भी वसीयत के आधार पर बिना उसकी सहमति के पैसे निकाल लिए हैं. इस मामले में विवेचना पूरी होने के बाद पुलिस ने 28 जनवरी 2019 को बड़े भाई संजीव चड्ढा के खिलाफ कानपुर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी. कानपुर कोर्ट ने चार्जशीट के आधार पर बड़े भाई को समन आदेश जारी करते हुए तलब कर लिया. छोटा भाई राजीव पेशे से वकील है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बड़े भाई को सजा दिलवाना चाहता था छोटा भाई</strong><br />बड़े भाई संजीव चड्ढा ने चार्जशीट, समन आदेश और अपने खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाई को रोकने के लिए साल 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की. कोर्ट ने चाहा कि भाइयों के बीच चल रहा विवाद आपसी सहमति व सुलह समझौते से खत्म हो जाए, लेकिन छोटा भाई इसके लिए कतई राजी नहीं हो रहा था और वह बड़े भाई को सजा दिलाना चाहता था. इस सूरत में अदालत को इस मामले में सुनवाई कर अपना फैसला सुनाना पड़ा. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि छोटे भाई ने अपने बड़े भाई को परेशान करने के लिए उसके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराया था. बड़े भाई के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं वह कतई साबित नहीं हो रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हाईकोर्ट ने इस मामले में न सिर्फ अपीलकर्ता बड़े भाई संजीव चड्ढा को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट, समन आदेश और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है, बल्कि रामायण का उदाहरण देते हुए एफआईआर दर्ज कराने वाले छोटे भाई को कलयुगी भरत भी करार दिया है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि हम हमेशा भगवान श्री राम के छोटे भाई भरत के त्याग व बलिदान पर चर्चा करते हैं, लेकिन मौजूदा मामले में छोटे भाई का जो रवैया है, उसके आधार पर उसे कलयुगी भरत कहा जा सकता है. हाईकोर्ट ने मुकदमे में होने वाले खर्च की भरपाई के लिए कलयुगी भरत यानी छोटे भाई को अपीलकर्ता बड़े भाई संजीव चड्ढा को चार हफ्ते में पचीस हजार रुपये का भुगतान करने को भी कहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/baghpat-conspiracy-to-kill-deputy-cmo-along-by-mixing-tb-patient-sample-in-food-ann-2801564″><strong>Baghpat: खाने में टीबी के मरीज का सैंपल! डिप्टी CMO को परिवार समेत मारने की खौफनाक साजिश</strong></a></p>
विधानसभा सत्र से पहले सरकार को घेरने की तैयारी:शिमला में नेता विपक्ष ने भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई
विधानसभा सत्र से पहले सरकार को घेरने की तैयारी:शिमला में नेता विपक्ष ने भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई आगामी 27 अगस्त से शुरू होने वाले हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र से पहले सरकार को घेरने के लिए नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने सोमवार भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई है। भाजपा विधायक दल की बैठक नेता प्रतिपक्ष की अध्यक्षता में शिमला विल्ली पार्क में होगी। विधायक दल बैठक में आगामी विधानसभा सत्र को लेकर रणनीति बनाएगा । उन्होंने कहा कि एक ओर केंद्र सरकार सभी वर्गों का ध्यान रख रही है। वहीं प्रदेश की कांग्रेस सरकार सभी मोर्चे पर फेल है। जयराम ठाकुर ने कहा कि UPS लागू करके केंद्र ने कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करके तोहफा दिया है । विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विधानसभा के सत्र से पहले कल विधायक दल की बैठक होगी। बैठक में विधानसभा सत्र को लेकर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नही है प्रदेश की कांग्रेस सरकार हर मोर्चे पर फेल है। भाजपा सरकार को महंगाई, भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था पर घेरेंगे। कांग्रेस राज में विकास ठप हो चुका है। सरकार अपना रवैया स्पष्ट करे
जयराम ठाकुर ने सीएम सुक्खू पर हमला करते हुए कहा कि कर्मचारियों के मुद्दे पर सरकार को अपना रवैया स्पष्ट करना चाहिए। हिमाचल में कर्मचारियों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री के बीच में जो वातावरण चल रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। नेता विपक्ष ने कहा कि सरकार बताएं कि आज कर्मचारी सड़कों पर क्यों है ? कर्मचारी परेशान क्यों है ? पूरे प्रदेश में प्रमोशन, डीए, एरियर सब लंबित क्यों है ?