7 सितंबर 2024 : हापुड़ में नगर पालिका का जेई कुंवरपाल नलकूप ठेकेदार से 30 हजार रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार। कुंवरपाल भुगतान के बदले कमीशन मांग रहा था। शिकायत पर विजिलेंस ने पकड़ा। 6 सितंबर 2024 : अयोध्या में खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय का असिस्टेंट अकाउंटेंट अमरेंद्र प्रताप सिंह एक लाख रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार। विजिलेंस से शिकायत के बाद कार्रवाई। जीपीएफ रिलीज करने के लिए टीचर के परिजनों से पैसे मांगे। टीचर का निधन हो चुका था। 2 सितंबर 2024 : लखनऊ के पारा थाना क्षेत्र के डॉक्टर खेड़ा चौकी इंचार्ज राम देव गुप्ता 20 हजार रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार। राम देव गुप्ता एक केस में फाइनल रिपोर्ट लगाने के लिए रिश्वत मांग रहा था। यहां सप्ताहभर के सिर्फ तीन मामलों का जिक्र है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि विभाग कोई भी हो प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले बढ़ रहे हैं। भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष भी सरकार पर हमलावर है। खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव इन मुद्दों पर सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठना वाजिब है कि आखिर भ्रष्टाचार के मामले क्यों नहीं थम रहे हैं? विपक्ष और सहयोगियों ने मुद्दा बनाया तो एक्टिव हुई विजिलेंस भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के विधायक और नेता भी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में जब यूपी में भाजपा की सीटें घटीं तो दबी जुबान में भाजपा के लोगों ने भी इस बात पर बोलना शुरू कर दिया। उनका तर्क था कि प्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ने और नेताओं की सुनवाई न होने की वजह से यूपी में भाजपा की सीटें कम हुई हैं। इस आरोप के बाद विजिलेंस को जिम्मेदारी दी गई कि ऐसे मामलों में कार्रवाई करे। उसके बाद से बड़े पैमाने पर विजिलेंस आरोपियों को ट्रैप कर रही है। बीते तीन महीने में विजिलेंस ने दो दर्जन से अधिक मामलों में रिश्वत लेते हुए विभिन्न विभाग के अधिकारियों काे पकड़ा है। अब एक महीने में पकड़े गए रिश्वतखोर कर्मचारियों के आंकड़े पर गौर करें तो हर विभाग में भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं। खासकर ऐसे विभाग जहां आम लोगों का वास्ता हर दिन पड़ता है। इसमें पुलिस, राजस्व, ऊर्जा, शिक्षा और स्वास्थ्य सभी विभाग शामिल हैं। पुलिस से जुड़े तीन बड़े मामले, जिनमें कार्रवाई हुई 25 जुलाई 2024: बलिया में नरही थाना क्षेत्र में बिहार बॉर्डर पर बैरिकेडिंग लगाकर पुलिस ट्रक चालकों से वसूली कर रही थी। वाराणसी जोन के एडीजी पीयूष मोडिया और आजमगढ़ रेंज के डीआईजी वैभव कृष्ण ने छापा मारा। दो पुलिसकर्मी व 16 दलाल गिरफ्तार किए गए। इस मामले में थाने के सभी कर्मियों को निलंबित कर दिया गया था। यहां पांच लाख रुपए प्रतिदिन की वसूली हो रही थी। अगस्त 2024 : कानपुर के घाटमपुर थाना क्षेत्र में एक जमीन के विवाद में चौकी इंचार्ज ने दोनों पक्षों से पैसे लेकर फर्जी मुकदमा लिखा। मामला पुलिस कमिश्नर तक पहुंचा। जांच में पता चला कि पुलिस ने दोनों पक्षों से पैसे लेकर कार्रवाई की है। पुलिस कमिश्नर ने चौकी पर तैनात सभी पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया। अगस्त 2024 : बरेली में फरीदपुर थाने के इंस्पेक्टर रामसेवक पर स्मैक तस्करी के आरोपियों से 7 लाख रुपए रिश्वत लेने का आरोप लगा। शिकायत पर एसपी ने छापा मारा तो इंस्पेक्टर थाने की दीवार कूदकर भाग गए। तलाशी के दौरान इंस्पेक्टर के आवास में बिस्तर के नीचे से 9.84 लाख रुपए मिले। रामसेवक और कुछ पुलिसवालों पर कार्रवाई हुई। योगी 1.0 के तीन चर्चित केस जब कार्रवाई नजीर बनी करप्शन को लेकर योगी सरकार भले ही विपक्ष के निशाने पर है, लेकिन 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद कुछ कार्रवाइयां ऐसी हुईं जो नजीर बनीं। ऐसा ही एक मामला 2018 में सामने आया था। तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह ने चौराहों पर वसूली करने वाले सिपाहियों के खिलाफ अभियान छेड़ा। एक दर्जन से अधिक सिपाहियों को अवैध वसूली और भ्रष्टाचार के आरोप में न सिर्फ निलंबित किया गया, उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। भ्रष्टाचार में सस्पेंड किए गए एसएसपी बुलंदशहर के एसएसपी रहे 2008 बैच के आईपीएस एन कोलांची को भ्रष्टाचार के आरोप में तीन अगस्त 2019 को निलंबित कर दिया गया। उन पर थानों का चार्ज देने के बदले पैसे लेने का आरोप था। शिकायत के बाद जांच में पाया गया कि दो थानों पर सात दिनों से कम की तैनाती दी गई। एक थानेदार को 33 दिन में ही बदल दिया गया। कोलांची छह माह निलंबित रहे। बाद में डीजीपी मुख्यालय पर अटैच रखा गया। बर्खास्त कर दिए गए आईपीएस अफसर महोबा में खनन व्यापारी की कथित हत्या के मामले में 2014 बैच के आईपीएस मणिलाल पाटीदार को न सिर्फ निलंबित किया गया बल्कि बर्खास्तगी भी हुई। मामला सितंबर 2020 का है, जब खनन व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने एसपी पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए वीडियो जारी किया था। इसके बाद संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से इंद्रकांत की मौत हो गई। मामले में शासन स्तर से बड़ी कार्रवाई की गई और इंस्पेक्टर व तत्कालीन एसपी महोबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उन्हें जेल भेजा गया। प्रदेश में बढ़ रहे करप्शन के केस को लेकर पूर्व डीजीपी ओम प्रकाश सिंह का कहना है कि सख्त कार्रवाई ही भ्रष्टाचार रोकने का तरीका है। जहां तक पुलिस की बात है थाने स्तर पर भ्रष्टाचार के कुछ मामले सामने आए हैं। ऐसे मामले पुलिस की छवि काे धूमिल करते हैं। पुलिस सरकार का चेहरा होती है। ऐसे में सरकार की भी बदनामी होती है। भ्रष्टाचार के मामलों में इतनी कठोर कार्रवाई होनी चाहिए जो नजीर बन सके। वह बताते हैं कि उन्हें याद है हरदोई में दो सिपाहियों ने एक दुकान पर सिगरेट पी और उसके पैसे नहीं दिए। शिकायत मिलने पर दोनों सिपाहियों को सर्विस से बर्खास्त करा दिया था। इसका बड़ा मैसेज पूरे प्रदेश में गया। करप्शन पर लगाम लगी थी। पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि भ्रष्टाचार के मामले में जब तक बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, यह नहीं रुकेगा। पूर्व डीजीपी का कहना है कि भ्रष्टाचार न रुकने की और भी वजहें हैं। मसलन 2018 में केंद्र सरकार ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 में संशोधन किया। इससे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की राह कठिन हो गई। उत्तर प्रदेश में प्रमुख सचिव नियुक्ति रहे राजीव कुमार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा, सुप्रीम कोर्ट तक ने आरोप सही पाया। लेकिन जेल की सजा काटकर आने के बाद भी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। उनका कहना है कि इसी तरह उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के पीएफ घोटाले में सीबीआई ने चेयरमैन रहे दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुमति नहीं दी। जब सरकार ही भ्रष्टाचार नहीं रोकना चाहती तो भ्रष्टाचार कैसे रुकेगा? ये भी पढ़ें… नगर पालिका के जेई को विजिलेंस ने किया गिरफ्तार:2.30 लाख की ली थी रिश्वत, एफआईआर दर्ज, दबाव बनाकर मांग रहे थे पैसा हापुड़ में एंटी करप्शन मेरठ की टीम ने नगर पालिका हापुड़ के जलकल विभाग के अवर अभियंता को उनके आवास से दो लाख तीस हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों दबोच लिया। आरोपी अवर अभियंता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। इसके बाद नगर पालिका कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। पढ़ें पूरी खबर… 7 सितंबर 2024 : हापुड़ में नगर पालिका का जेई कुंवरपाल नलकूप ठेकेदार से 30 हजार रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार। कुंवरपाल भुगतान के बदले कमीशन मांग रहा था। शिकायत पर विजिलेंस ने पकड़ा। 6 सितंबर 2024 : अयोध्या में खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय का असिस्टेंट अकाउंटेंट अमरेंद्र प्रताप सिंह एक लाख रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार। विजिलेंस से शिकायत के बाद कार्रवाई। जीपीएफ रिलीज करने के लिए टीचर के परिजनों से पैसे मांगे। टीचर का निधन हो चुका था। 2 सितंबर 2024 : लखनऊ के पारा थाना क्षेत्र के डॉक्टर खेड़ा चौकी इंचार्ज राम देव गुप्ता 20 हजार रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार। राम देव गुप्ता एक केस में फाइनल रिपोर्ट लगाने के लिए रिश्वत मांग रहा था। यहां सप्ताहभर के सिर्फ तीन मामलों का जिक्र है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि विभाग कोई भी हो प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले बढ़ रहे हैं। भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष भी सरकार पर हमलावर है। खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव इन मुद्दों पर सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठना वाजिब है कि आखिर भ्रष्टाचार के मामले क्यों नहीं थम रहे हैं? विपक्ष और सहयोगियों ने मुद्दा बनाया तो एक्टिव हुई विजिलेंस भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के विधायक और नेता भी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में जब यूपी में भाजपा की सीटें घटीं तो दबी जुबान में भाजपा के लोगों ने भी इस बात पर बोलना शुरू कर दिया। उनका तर्क था कि प्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ने और नेताओं की सुनवाई न होने की वजह से यूपी में भाजपा की सीटें कम हुई हैं। इस आरोप के बाद विजिलेंस को जिम्मेदारी दी गई कि ऐसे मामलों में कार्रवाई करे। उसके बाद से बड़े पैमाने पर विजिलेंस आरोपियों को ट्रैप कर रही है। बीते तीन महीने में विजिलेंस ने दो दर्जन से अधिक मामलों में रिश्वत लेते हुए विभिन्न विभाग के अधिकारियों काे पकड़ा है। अब एक महीने में पकड़े गए रिश्वतखोर कर्मचारियों के आंकड़े पर गौर करें तो हर विभाग में भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं। खासकर ऐसे विभाग जहां आम लोगों का वास्ता हर दिन पड़ता है। इसमें पुलिस, राजस्व, ऊर्जा, शिक्षा और स्वास्थ्य सभी विभाग शामिल हैं। पुलिस से जुड़े तीन बड़े मामले, जिनमें कार्रवाई हुई 25 जुलाई 2024: बलिया में नरही थाना क्षेत्र में बिहार बॉर्डर पर बैरिकेडिंग लगाकर पुलिस ट्रक चालकों से वसूली कर रही थी। वाराणसी जोन के एडीजी पीयूष मोडिया और आजमगढ़ रेंज के डीआईजी वैभव कृष्ण ने छापा मारा। दो पुलिसकर्मी व 16 दलाल गिरफ्तार किए गए। इस मामले में थाने के सभी कर्मियों को निलंबित कर दिया गया था। यहां पांच लाख रुपए प्रतिदिन की वसूली हो रही थी। अगस्त 2024 : कानपुर के घाटमपुर थाना क्षेत्र में एक जमीन के विवाद में चौकी इंचार्ज ने दोनों पक्षों से पैसे लेकर फर्जी मुकदमा लिखा। मामला पुलिस कमिश्नर तक पहुंचा। जांच में पता चला कि पुलिस ने दोनों पक्षों से पैसे लेकर कार्रवाई की है। पुलिस कमिश्नर ने चौकी पर तैनात सभी पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया। अगस्त 2024 : बरेली में फरीदपुर थाने के इंस्पेक्टर रामसेवक पर स्मैक तस्करी के आरोपियों से 7 लाख रुपए रिश्वत लेने का आरोप लगा। शिकायत पर एसपी ने छापा मारा तो इंस्पेक्टर थाने की दीवार कूदकर भाग गए। तलाशी के दौरान इंस्पेक्टर के आवास में बिस्तर के नीचे से 9.84 लाख रुपए मिले। रामसेवक और कुछ पुलिसवालों पर कार्रवाई हुई। योगी 1.0 के तीन चर्चित केस जब कार्रवाई नजीर बनी करप्शन को लेकर योगी सरकार भले ही विपक्ष के निशाने पर है, लेकिन 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद कुछ कार्रवाइयां ऐसी हुईं जो नजीर बनीं। ऐसा ही एक मामला 2018 में सामने आया था। तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह ने चौराहों पर वसूली करने वाले सिपाहियों के खिलाफ अभियान छेड़ा। एक दर्जन से अधिक सिपाहियों को अवैध वसूली और भ्रष्टाचार के आरोप में न सिर्फ निलंबित किया गया, उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। भ्रष्टाचार में सस्पेंड किए गए एसएसपी बुलंदशहर के एसएसपी रहे 2008 बैच के आईपीएस एन कोलांची को भ्रष्टाचार के आरोप में तीन अगस्त 2019 को निलंबित कर दिया गया। उन पर थानों का चार्ज देने के बदले पैसे लेने का आरोप था। शिकायत के बाद जांच में पाया गया कि दो थानों पर सात दिनों से कम की तैनाती दी गई। एक थानेदार को 33 दिन में ही बदल दिया गया। कोलांची छह माह निलंबित रहे। बाद में डीजीपी मुख्यालय पर अटैच रखा गया। बर्खास्त कर दिए गए आईपीएस अफसर महोबा में खनन व्यापारी की कथित हत्या के मामले में 2014 बैच के आईपीएस मणिलाल पाटीदार को न सिर्फ निलंबित किया गया बल्कि बर्खास्तगी भी हुई। मामला सितंबर 2020 का है, जब खनन व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने एसपी पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए वीडियो जारी किया था। इसके बाद संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से इंद्रकांत की मौत हो गई। मामले में शासन स्तर से बड़ी कार्रवाई की गई और इंस्पेक्टर व तत्कालीन एसपी महोबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उन्हें जेल भेजा गया। प्रदेश में बढ़ रहे करप्शन के केस को लेकर पूर्व डीजीपी ओम प्रकाश सिंह का कहना है कि सख्त कार्रवाई ही भ्रष्टाचार रोकने का तरीका है। जहां तक पुलिस की बात है थाने स्तर पर भ्रष्टाचार के कुछ मामले सामने आए हैं। ऐसे मामले पुलिस की छवि काे धूमिल करते हैं। पुलिस सरकार का चेहरा होती है। ऐसे में सरकार की भी बदनामी होती है। भ्रष्टाचार के मामलों में इतनी कठोर कार्रवाई होनी चाहिए जो नजीर बन सके। वह बताते हैं कि उन्हें याद है हरदोई में दो सिपाहियों ने एक दुकान पर सिगरेट पी और उसके पैसे नहीं दिए। शिकायत मिलने पर दोनों सिपाहियों को सर्विस से बर्खास्त करा दिया था। इसका बड़ा मैसेज पूरे प्रदेश में गया। करप्शन पर लगाम लगी थी। पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि भ्रष्टाचार के मामले में जब तक बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, यह नहीं रुकेगा। पूर्व डीजीपी का कहना है कि भ्रष्टाचार न रुकने की और भी वजहें हैं। मसलन 2018 में केंद्र सरकार ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 में संशोधन किया। इससे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की राह कठिन हो गई। उत्तर प्रदेश में प्रमुख सचिव नियुक्ति रहे राजीव कुमार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा, सुप्रीम कोर्ट तक ने आरोप सही पाया। लेकिन जेल की सजा काटकर आने के बाद भी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। उनका कहना है कि इसी तरह उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के पीएफ घोटाले में सीबीआई ने चेयरमैन रहे दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुमति नहीं दी। जब सरकार ही भ्रष्टाचार नहीं रोकना चाहती तो भ्रष्टाचार कैसे रुकेगा? ये भी पढ़ें… नगर पालिका के जेई को विजिलेंस ने किया गिरफ्तार:2.30 लाख की ली थी रिश्वत, एफआईआर दर्ज, दबाव बनाकर मांग रहे थे पैसा हापुड़ में एंटी करप्शन मेरठ की टीम ने नगर पालिका हापुड़ के जलकल विभाग के अवर अभियंता को उनके आवास से दो लाख तीस हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों दबोच लिया। आरोपी अवर अभियंता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। इसके बाद नगर पालिका कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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पंजाब-चंडीगढ़ और हिमाचल में प्रचार बंद:जनसभाओं, रैली-रोड शो पर रोक, सिर्फ डोर टू डोर प्रचार कर सकेंगे, 48 घंटे शराब ठेके भी बंद पंजाब, चंडीगढ़ और हिमाचल में शाम 6 बजे चुनाव प्रचार पूरी तरह थम गया। जनसभाओं, रैली और रोड शो पर रोक लग गई है। अब नेता सिर्फ डोर टू डोर प्रचार कर सकेंगे। इसके साथ शराब ठेके भी 48 घंटे के लिए बंद हो गए हैं। अब शराब के ठेके 1 जून को मतदान के बाद खुलेंगे। इस दौरान ड्राई-डे रहेगा। किसी भी होटल या रेस्तरां में भी शराब नहीं परोसी जाएगी। मतदान प्रक्रिया को शांतिपूर्ण ढंग से पूर्ण करने के लिए राज्यों के सभी जिलों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। निर्वाचन आयोग की तरफ से साफ किया गया है कि नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी। निर्वाचन आयोग के निर्देश के मुताबिक, प्रचार थमने के बाद पब्लिक मीटिंग, किसी किस्म के दिखावे करने, नारे लगाने और 5 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर मनाही है। लाउडस्पीकर का प्रयोग भी इस दौरान नहीं कर पाएंगे। वहीं, 1 जून को मतदान केंद्रों के सौ मीटर के दायरे में कन्वेंसिंग आदि करने पर पाबंदी रहेगी। अगर कोई ऐसा करता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। 2.14 करोड़ लोग करेंगे मताधिकार का प्रयोग
पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर इस बार कुल 328 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। इनमें 169 आजाद उम्मीदवार हैं। वहीं, राज्य में 2.14 करोड़ मतदाता है। इनमें 1 करोड़ 12 लाख 67 हजार 019 पुरुष हैं, जबकि 1 करोड़ 1 लाख 53 हजार 767 महिला वोटर्स हैं। 5.38 लाख मतदाता 18 से 19 साल के बीच के हैं, जो कि पहली बार मतदान करेंगे। जबकि 1.89 लाख वोटर 85 साल से अधिक उम्र के हैं। 1 जून को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान होगा। इसके लिए 25 हजार 451 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। दुर्गम क्षेत्रों के लिए पोलिंग पार्टियां रवाना
उधर, चुनाव को लेकर हिमाचल के दूर-दराज के दुर्गम क्षेत्रों के लिए कुछ पोलिंग पार्टियां रवाना कर दी गई हैं। जबकि शेष पोलिंग पार्टी कल सुबह रवाना की जाएंगी। सभी पोलिंग पार्टियों को कल शाम तक अपने-अपने पोलिंग बूथ मतदान के लिए पूरी तरह तैयार करने होंगे, ताकि परसों सुबह समय पर वोटिंग शुरू की जा सके। 41252 बुजुर्ग और दिव्यांग वोट दे चुके
हिमाचल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने बताया कि राज्य के चारों संसदीय क्षेत्रों में बीते मंगलवार तक 12D प्रपत्रों के माध्यम से प्राप्त कुल 44562 आवेदनों में से 41252 डाक मतपत्र चुनाव विभाग को मिल चुके हैं। जबकि, 6 विधानसभा क्षेत्रों के उप-चुनावों के लिए अब तक 12D प्रपत्रों के माध्यम से कुल 3651 आवेदनों में से 3380 डाक मतपत्र विभाग को मिल चुके है। यानी इन लोगों ने अपना वोट दे दिया है। ताजा आंकड़ों में इनकी संख्या में कुछ इजाफा हो सकता है। विधानसभा उप-चुनाव में 2747 मतदाता वोट डाल चुके
6 विधानसभा क्षेत्रों में अब तक 85 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के कुल 2747 मतदाताओं ने प्रपत्र 12D के माध्यम से आवेदन किया था, जिनमें से 2575 मतदाताओं ने डाक मतपत्र के माध्यम से वोट किया है। वहीं, दिव्यांग मतदाताओं से प्रपत्र 12D के माध्यम से 820 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिसमें से 772 ने डाक मतपत्र द्वारा अपना वोट डाला, जबकि मतदान दिवस पर 84 अनिवार्य सेवाओं पर तैनात कर्मियों में से 33 ने ने अपने गृह विधानसभा क्षेत्र में स्थापित PVC में वोट डाला। 1 जून को स्पेशल पेड होली-डे घोषित
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कानपुर में 90 घरों की बिजली कटी:10 साल से नहीं जमा था बिल, टीम ने अचानक मारा छापा; मची अफरातफरी घाटमपुर के रायपुर गांव में गुरुवार शाम बिजली विभाग ने सख्त चेकिंग अभियान चलाया। विद्युत उपखंड अधिकारी (एसडीओ) मुकेश कटियार के नेतृत्व में यह कार्रवाई की गई, जिसमें 90 उपभोक्ताओं के बिजली कनेक्शन काट दिए गए। इनमें से ज्यादातर उपभोक्ता ऐसे थे, जिन्होंने पिछले 10 साल से बिजली का बिल जमा नहीं किया था। इस चेकिंग अभियान के दौरान विभाग ने उन घरों के मीटर भी उतार लिए, जिन्होंने लगातार बिल न चुकाने का सिलसिला जारी रखा था। एसडीओ कटियार ने बताया कि 20 घरों के मीटर जब्त किए गए हैं और सभी को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द बकाया बिल जमा करें। बकाया न चुकाने पर हुई कार्रवाई
एसडीओ कटियार ने जानकारी दी कि जिन उपभोक्ताओं ने एक लाख से डेढ़ लाख तक का बकाया छोड़ा था, उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की गई है। गांव में 45 उपभोक्ताओं से एक लाख पांच हजार रुपए की वसूली भी की गई है। कुछ उपभोक्ताओं ने मौके पर ही बकाया बिल जमा कर दिया, जिसके बाद देर शाम उनके कनेक्शन फिर से जोड़ दिए गए। लगातार चलेगा अभियान
एसडीओ ने यह भी कहा कि विद्युत विभाग की यह सख्ती आगे भी जारी रहेगी। ऐसे उपभोक्ताओं के खिलाफ अभियान लगातार चलता रहेगा, ताकि समय पर बिल जमा हो और बिजली आपूर्ति सुचारू बनी रहे। विभाग ने स्पष्ट किया है कि बिल चुकाने के बाद ही मीटर फिर से लगाए जाएंगे। यह चेकिंग अभियान विभाग के सख्त रवैये को दर्शाता है, ताकि उपभोक्ताओं को समय पर बिजली बिल जमा करने की आदत डाली जा सके और बिजली चोरी या बकाया बिल की समस्या पर लगाम लगाई जा सके।