हाईवे से अचानक टैंकर कच्ची सड़क पर उतर जाता है। 50 मीटर पर खेतों के बीच पर्दा उठता है और टैंकर अंदर चला जाता है। टैंकर के रुकते ही पर्दा गिर जाता है। 6-7 लोग टैंकर में से पेट्रोल निकालकर 100-100 लीटर के 5 कैन भरने लगते हैं। फिर उतना ही 50 रुपए लीटर वाला एथेनॉल टैंकर में मिला देते हैं। यह दृश्य गोरखपुर के जैदपुर के पास का है। टैंकर देवरिया के बैतालपुर डिपो से आया था। ऐसा सिर्फ यहां ही नहीं, यूपी के 14 डिपो से निकले टैंकरों से पेट्रोल-डीजल चुराने का धंधा चल रहा है। प्रदेश भर में पुलिस की कार्रवाई में जगह-जगह ऐसे रैकेट पकड़े गए हैं। इस अवैध कारोबार से आपकी गाड़ी का इंजन खराब हो रहा है। दैनिक भास्कर की टीम ने टैंकर से पेट्रोल-डीजल चोरी पर इन्वेस्टिगेशन किया। सिलसिलेवार पढ़िए टैंकर से पेट्रोल-डीजल की चोरी… हमारी टीम ने देवरिया और गोरखपुर में इन्वेस्टिगेशन किया। हम देवरिया के बैतालपुर तेल डिपो पहुंचे। यहां सैकड़ों टैंकर लाइन में लगे मिले। लगातार टैंकर पेट्रोल-डीजल लेकर निकल रहे थे। हमने टैंकरों को फॉलो किया। यहां से 30 किलोमीटर जाने के बाद मेन रास्तों को छोड़कर टैंकर कच्चे रास्तों पर उतरने लगे। हमें एक ऐसी ही जगह गोरखपुर में जैदपुर के पास मिली। हाईवे से उतरकर टैंकर कच्चे रास्ते पर खेतों में बनाए गए पर्दे की आड़ वाली जगह में जाकर रुके। टैंकर के रुकते ही पर्दा गिर गया। हमारी टीम व्यापारी बन कर टैंकर चोरी करने वाली जगह पर हिडन कैमरे लगाकर पहुंची। यहां भारत पेट्रोलियम का टैंकर खड़ा था, जिसका नंबर UP52 A T7441 था। तेल माफिया और उसके लोगों ने हमें देखा, तो चौंक गए। हमें घेर लिया गया। उनके पास कट्टे भी थे। मोबाइल छीन लिया और चेक करने लगे। इस दौरान तेल माफिया और उसके लोगों ने भास्कर रिपोर्टर को धमकी दी। कट्टा दिखाकर मोबाइल से वीडियो और फोटो डिलीट करने के लिए धमकाया। पढ़िए गैंग से हुई बातचीत… गिरोह का सदस्य- कहां से हो ? क्या करने आए हो?
रिपोर्टर- हम व्यापारी हैं। हमारा काम सुनौली बॉर्डर पर चल रहा है। गिरोह का सदस्य- कैसा काम?
रिपोर्टर- हमारी गाड़ियां और जेसीबी निर्माण कार्य में लगी है। उसी के लिए डीजल चाहिए। सस्ते रेट में चाहिए। गिरोह का सदस्य- झूठ बोल रहे हो। सच-सच बताओ, कहां से आए हो?
हम उन्हें समझाने में लगे रहे कि हम व्यापारी ही हैं, लेकिन वो नहीं माने। मोबाइल चेक किया। किसी तरह से चकमा देकर हम वहां से निकल आए। 10% तक एथेनॉल मानक है, चोरी के बाद और एथेनॉल मिला देते हैं
पेट्रोल में 20% तक एथेनॉल मिक्स किया जा सकता है। लेकिन पेट्रोल चोरी के बाद उसमें 500 लीटर और एथेनॉल मिला दिया जाता है। इससे पेट्रोल में एथेनॉल की मात्रा 20% से 30% से हो जाती है। एथेनॉल को “मोटर स्पिरिट” भी कहा जाता है। इसे चीनी मिलों से मिलने वाले “मोलॉसस” से बनाया जाता है। वहीं, डीजल में थिनर, मिनरल वाटर और हाइड्रो कार्बन का सॉल्वेंट मिलाकर टैंकर में भर दिया जाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, ज्यादा एथेनॉल मिलाने से जल्दी इंजन खराब हो रहे हैं। टू व्हीलर का इंजन एक बार खराब होता है तो 6 से 8 हजार रुपए खर्च आता है। वहीं, कार का पूरा इंजन का काम कराने में 50 हजार रुपए तक लगता है। यूपी में 6 महीने में 2 बड़े रैकेट पकड़े गए 1- रायबरेली में टैंकर से पेट्रोल-डीजल चुराते पकड़े गए
30 अप्रैल को रायबरेली में पंप संचालकों की सूचना पर पेट्रोल-डीजल चुराने वाले गिरोह को पुलिस पकड़ा। यह गिरोह गोदाम में डिपो से पेट्रोल-डीजल लेकर निकले टैंकर को गोदाम में ले जाते। यहां से पेट्रोल-डीजल निकालते और फिर उतनी ही मात्रा में एथेनॉल मिला देते, ताकि पेट्रोल पंप पर पता न चल सके। पुलिस ने गोदाम से अवैध 725 लीटर पेट्रोल, 2250 लीटर एथेनॉल, 50 लीटर डीजल बरामद किया है। तीन अभियुक्तों संदीप, आशीष, लालबहादुर को गिरफ्तार किया है। 2- मेरठ में नकली डीजल बनाने का प्लांट बना लिया
मेरठ में 6 महीने पहले तेल चोरी और मिलावटी तेल का बड़ा खेल सामने आया था। पुलिस ने परतापुर के गेझा गांव में मिलावटी डीजल बनाने का पूरा प्लांट पकड़ा था। 2 लाख 40 हजार ऑइल स्टॉक कैपेसिटी वाले प्लांट में हिंदुस्तान पेट्रोलियम के टैंकरों से डीजल चोरी किया जा रहा था। इसके लिए अंडरग्राउंड बड़ी-बड़ी तीन टंकियां लगी थीं। टैंकर से 15% तक डीजल निकाला जाता था। फिर उसमें थिनर, मिनरल वाटर और हाइड्रो कार्बन का सॉल्वेंट मिलाकर टैंकर पेट्रोल पंप के लिए भेज दिया जाता। चोरी के डीजल में केमिकल मिलाकर मिलावटी डीजल बनाया जाता। ये मिलावटी डीजल एनसीआर तक सप्लाई होता था। केमिकल ट्रेडिंग के लाइसेंस पर मेरठ का मनीष गुप्ता नकली डीजल का कारोबार कर रहा था। पुलिस ने पूरे मामले में फिलहाल 8 लोगों को अरेस्ट कर मुकदमा दर्ज किया। आरोपी टैंकर में लगे जीपीएस को निकालकर भीड़भाड़ वाले रास्ते पर घुमाते रहते। जब टैंकर से डीजल निकल जाता, तब उसे लगा देते। इस तरह से वे पकड़ में नहीं आ रहे थे। डिपो के अफसर-कर्मचारी की लापरवाही, इसलिए जीपीएस सिस्टम फेल
यह अवैध कारोबार डिपो के अफसर और कर्मचारी की लापरवाही की वजह से चल रहा है। पेट्रोल-डीजल ले जाने वाले टैंकर की निगरानी के लिए जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) लगाया गया है। अगर टैंकर कहीं रुकता है और निर्धारित रूट से इधर–उधर जाता है तो डिपो को पता चल जाता है। लापरवाही की वजह से मॉनिटरिंग सही तरीके से नहीं होती। माफिया ने भी इसकी तोड़ निकाल ली है… अब जानिए रैकेट कैसे काम करता है
इस काम में ड्राइवर-क्लीनर से लेकर लोकल पुलिस शामिल रहती है। इसलिए बेखौफ होकर यह धंधा चल रहा है। इसमें सबका हिस्सा तय होता है। माफिया कमाई का 60% रखता है, जबकि ड्राइवर और क्लीनर को 40% देता है। यानी अगर एक ट्रक से प्रतिदिन 15 हजार रुपए की कमाई हो रही है, तो 9 हजार रुपए माफिया रखता है। 6 हजार रुपए टैंकर के ड्राइवर और क्लीनर रखते हैं। वहीं लोकल पुलिस को महीने का 15 हजार से 20 हजार रुपए दिया जाता है, ताकि धंधा चलता रहे। बैतालपुर से लेकर गोरखपुर तक ऐसे 20 से ज्यादा स्पॉट देवरिया के बैतालपुर से रोजाना 500 से ज्यादा टैंकर पेट्रोल-डीजल लेकर निकलते हैं। बैतालपुर डिपो से बलिया, मऊ, आजमगढ़, गोरखपुर, संतकबीरनगर, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर टैंकर भेजे जाते हैं। इसके अलावा नेपाल में भी डीजल-पेट्रोल की सप्लाई यहीं से होती है। डिपो से टैंकर निकलने के बाद ही तेल निकालने का काम शुरू हो जाता है। बैतालपुर डिपो से चौरीचौरा और फिर गोरखपुर के बॉर्डर तक मुख्य मार्ग के किनारे तेल का कार्य करने वाले लोग बड़े-बड़े हाता बनवा लिए हैं। उसी में टैंकर सीधे चला जाता है। यह ट्रैंकर से डीजल और पेट्रोल निकाल लेते हैं। फिर उसमें एथेनॉल मिला दिया जाता है। ये एथेनॉल चीनी मिलों से चोरी करके लाया जाता है। रास्ते में ढाबे भी पड़ते हैं, जहां 50 से 100 लीटर तक पेट्रोल-डीजल निकाल लिया जाता है। चोरी किए गए पेट्रोल-डीजल को मार्केट रेट से 5 रुपए कम करके ट्रैवल्स, निर्माण कंपनियों को बेच दिया जाता है। इसके अलावा गांवों फुटकर पेट्रोल-डीजल बेचने वालों को सप्लाई कर दी जाती है। पेट्रोलियम एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष शिवा जी चंद ने हमने बात की। उन्होंने भी पेट्रोल–डीजल चोरी की बात स्वीकार की। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीज़ल की लगातार टैंकरों से चोरी के कारण पेट्रोल पंप डीलर का हर महीने नुकसान हो रहा है। इसको रोकने के लिए उचित कदम उठाना चाहिए। टैंकर से पेट्रोल-डीजल चोरी होने को लेकर देवरिया के बेतालपुर तेल डिपो के मुख्य प्रबंधक वेद प्रकाश से बात करने की कोशिश की। उन्हें कई बार फोन लगाया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। अब एक सवाल ये है कि आखिर प्रशासन और पेट्रोलियम विभाग इस तरह के संगठित माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा…और टैंकरों की मॉनिटरिंग में लापरवाही क्यों बरती जा रही। ———————– ये खबर भी पढ़ें… कर्नल सोफिया पर भाजपा मंत्री का कमेंट, मायावती भड़कीं, बोलीं-एक्शन हो, ताकि दुश्मनों के मंसूबे नाकाम हों, पूर्व मंत्री ने कहा- जेल भेजो ऑपरेशन सिंदूर से सुर्खियों में आईं कर्नल सोफिया कुरैशी पर भाजपा मंत्री विजय शाह की विवादित टिप्पणी के बाद यूपी में सियासत गरमा गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा – ऐसी मानसिकता सैनिकों के हौसले तोड़ती है और दुश्मनों को खुश करती है। भाजपा सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि दुश्मनों के नापाक मंसूबे नाकाम हों। पढ़ें पूरी खबर हाईवे से अचानक टैंकर कच्ची सड़क पर उतर जाता है। 50 मीटर पर खेतों के बीच पर्दा उठता है और टैंकर अंदर चला जाता है। टैंकर के रुकते ही पर्दा गिर जाता है। 6-7 लोग टैंकर में से पेट्रोल निकालकर 100-100 लीटर के 5 कैन भरने लगते हैं। फिर उतना ही 50 रुपए लीटर वाला एथेनॉल टैंकर में मिला देते हैं। यह दृश्य गोरखपुर के जैदपुर के पास का है। टैंकर देवरिया के बैतालपुर डिपो से आया था। ऐसा सिर्फ यहां ही नहीं, यूपी के 14 डिपो से निकले टैंकरों से पेट्रोल-डीजल चुराने का धंधा चल रहा है। प्रदेश भर में पुलिस की कार्रवाई में जगह-जगह ऐसे रैकेट पकड़े गए हैं। इस अवैध कारोबार से आपकी गाड़ी का इंजन खराब हो रहा है। दैनिक भास्कर की टीम ने टैंकर से पेट्रोल-डीजल चोरी पर इन्वेस्टिगेशन किया। सिलसिलेवार पढ़िए टैंकर से पेट्रोल-डीजल की चोरी… हमारी टीम ने देवरिया और गोरखपुर में इन्वेस्टिगेशन किया। हम देवरिया के बैतालपुर तेल डिपो पहुंचे। यहां सैकड़ों टैंकर लाइन में लगे मिले। लगातार टैंकर पेट्रोल-डीजल लेकर निकल रहे थे। हमने टैंकरों को फॉलो किया। यहां से 30 किलोमीटर जाने के बाद मेन रास्तों को छोड़कर टैंकर कच्चे रास्तों पर उतरने लगे। हमें एक ऐसी ही जगह गोरखपुर में जैदपुर के पास मिली। हाईवे से उतरकर टैंकर कच्चे रास्ते पर खेतों में बनाए गए पर्दे की आड़ वाली जगह में जाकर रुके। टैंकर के रुकते ही पर्दा गिर गया। हमारी टीम व्यापारी बन कर टैंकर चोरी करने वाली जगह पर हिडन कैमरे लगाकर पहुंची। यहां भारत पेट्रोलियम का टैंकर खड़ा था, जिसका नंबर UP52 A T7441 था। तेल माफिया और उसके लोगों ने हमें देखा, तो चौंक गए। हमें घेर लिया गया। उनके पास कट्टे भी थे। मोबाइल छीन लिया और चेक करने लगे। इस दौरान तेल माफिया और उसके लोगों ने भास्कर रिपोर्टर को धमकी दी। कट्टा दिखाकर मोबाइल से वीडियो और फोटो डिलीट करने के लिए धमकाया। पढ़िए गैंग से हुई बातचीत… गिरोह का सदस्य- कहां से हो ? क्या करने आए हो?
रिपोर्टर- हम व्यापारी हैं। हमारा काम सुनौली बॉर्डर पर चल रहा है। गिरोह का सदस्य- कैसा काम?
रिपोर्टर- हमारी गाड़ियां और जेसीबी निर्माण कार्य में लगी है। उसी के लिए डीजल चाहिए। सस्ते रेट में चाहिए। गिरोह का सदस्य- झूठ बोल रहे हो। सच-सच बताओ, कहां से आए हो?
हम उन्हें समझाने में लगे रहे कि हम व्यापारी ही हैं, लेकिन वो नहीं माने। मोबाइल चेक किया। किसी तरह से चकमा देकर हम वहां से निकल आए। 10% तक एथेनॉल मानक है, चोरी के बाद और एथेनॉल मिला देते हैं
पेट्रोल में 20% तक एथेनॉल मिक्स किया जा सकता है। लेकिन पेट्रोल चोरी के बाद उसमें 500 लीटर और एथेनॉल मिला दिया जाता है। इससे पेट्रोल में एथेनॉल की मात्रा 20% से 30% से हो जाती है। एथेनॉल को “मोटर स्पिरिट” भी कहा जाता है। इसे चीनी मिलों से मिलने वाले “मोलॉसस” से बनाया जाता है। वहीं, डीजल में थिनर, मिनरल वाटर और हाइड्रो कार्बन का सॉल्वेंट मिलाकर टैंकर में भर दिया जाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, ज्यादा एथेनॉल मिलाने से जल्दी इंजन खराब हो रहे हैं। टू व्हीलर का इंजन एक बार खराब होता है तो 6 से 8 हजार रुपए खर्च आता है। वहीं, कार का पूरा इंजन का काम कराने में 50 हजार रुपए तक लगता है। यूपी में 6 महीने में 2 बड़े रैकेट पकड़े गए 1- रायबरेली में टैंकर से पेट्रोल-डीजल चुराते पकड़े गए
30 अप्रैल को रायबरेली में पंप संचालकों की सूचना पर पेट्रोल-डीजल चुराने वाले गिरोह को पुलिस पकड़ा। यह गिरोह गोदाम में डिपो से पेट्रोल-डीजल लेकर निकले टैंकर को गोदाम में ले जाते। यहां से पेट्रोल-डीजल निकालते और फिर उतनी ही मात्रा में एथेनॉल मिला देते, ताकि पेट्रोल पंप पर पता न चल सके। पुलिस ने गोदाम से अवैध 725 लीटर पेट्रोल, 2250 लीटर एथेनॉल, 50 लीटर डीजल बरामद किया है। तीन अभियुक्तों संदीप, आशीष, लालबहादुर को गिरफ्तार किया है। 2- मेरठ में नकली डीजल बनाने का प्लांट बना लिया
मेरठ में 6 महीने पहले तेल चोरी और मिलावटी तेल का बड़ा खेल सामने आया था। पुलिस ने परतापुर के गेझा गांव में मिलावटी डीजल बनाने का पूरा प्लांट पकड़ा था। 2 लाख 40 हजार ऑइल स्टॉक कैपेसिटी वाले प्लांट में हिंदुस्तान पेट्रोलियम के टैंकरों से डीजल चोरी किया जा रहा था। इसके लिए अंडरग्राउंड बड़ी-बड़ी तीन टंकियां लगी थीं। टैंकर से 15% तक डीजल निकाला जाता था। फिर उसमें थिनर, मिनरल वाटर और हाइड्रो कार्बन का सॉल्वेंट मिलाकर टैंकर पेट्रोल पंप के लिए भेज दिया जाता। चोरी के डीजल में केमिकल मिलाकर मिलावटी डीजल बनाया जाता। ये मिलावटी डीजल एनसीआर तक सप्लाई होता था। केमिकल ट्रेडिंग के लाइसेंस पर मेरठ का मनीष गुप्ता नकली डीजल का कारोबार कर रहा था। पुलिस ने पूरे मामले में फिलहाल 8 लोगों को अरेस्ट कर मुकदमा दर्ज किया। आरोपी टैंकर में लगे जीपीएस को निकालकर भीड़भाड़ वाले रास्ते पर घुमाते रहते। जब टैंकर से डीजल निकल जाता, तब उसे लगा देते। इस तरह से वे पकड़ में नहीं आ रहे थे। डिपो के अफसर-कर्मचारी की लापरवाही, इसलिए जीपीएस सिस्टम फेल
यह अवैध कारोबार डिपो के अफसर और कर्मचारी की लापरवाही की वजह से चल रहा है। पेट्रोल-डीजल ले जाने वाले टैंकर की निगरानी के लिए जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) लगाया गया है। अगर टैंकर कहीं रुकता है और निर्धारित रूट से इधर–उधर जाता है तो डिपो को पता चल जाता है। लापरवाही की वजह से मॉनिटरिंग सही तरीके से नहीं होती। माफिया ने भी इसकी तोड़ निकाल ली है… अब जानिए रैकेट कैसे काम करता है
इस काम में ड्राइवर-क्लीनर से लेकर लोकल पुलिस शामिल रहती है। इसलिए बेखौफ होकर यह धंधा चल रहा है। इसमें सबका हिस्सा तय होता है। माफिया कमाई का 60% रखता है, जबकि ड्राइवर और क्लीनर को 40% देता है। यानी अगर एक ट्रक से प्रतिदिन 15 हजार रुपए की कमाई हो रही है, तो 9 हजार रुपए माफिया रखता है। 6 हजार रुपए टैंकर के ड्राइवर और क्लीनर रखते हैं। वहीं लोकल पुलिस को महीने का 15 हजार से 20 हजार रुपए दिया जाता है, ताकि धंधा चलता रहे। बैतालपुर से लेकर गोरखपुर तक ऐसे 20 से ज्यादा स्पॉट देवरिया के बैतालपुर से रोजाना 500 से ज्यादा टैंकर पेट्रोल-डीजल लेकर निकलते हैं। बैतालपुर डिपो से बलिया, मऊ, आजमगढ़, गोरखपुर, संतकबीरनगर, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर टैंकर भेजे जाते हैं। इसके अलावा नेपाल में भी डीजल-पेट्रोल की सप्लाई यहीं से होती है। डिपो से टैंकर निकलने के बाद ही तेल निकालने का काम शुरू हो जाता है। बैतालपुर डिपो से चौरीचौरा और फिर गोरखपुर के बॉर्डर तक मुख्य मार्ग के किनारे तेल का कार्य करने वाले लोग बड़े-बड़े हाता बनवा लिए हैं। उसी में टैंकर सीधे चला जाता है। यह ट्रैंकर से डीजल और पेट्रोल निकाल लेते हैं। फिर उसमें एथेनॉल मिला दिया जाता है। ये एथेनॉल चीनी मिलों से चोरी करके लाया जाता है। रास्ते में ढाबे भी पड़ते हैं, जहां 50 से 100 लीटर तक पेट्रोल-डीजल निकाल लिया जाता है। चोरी किए गए पेट्रोल-डीजल को मार्केट रेट से 5 रुपए कम करके ट्रैवल्स, निर्माण कंपनियों को बेच दिया जाता है। इसके अलावा गांवों फुटकर पेट्रोल-डीजल बेचने वालों को सप्लाई कर दी जाती है। पेट्रोलियम एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष शिवा जी चंद ने हमने बात की। उन्होंने भी पेट्रोल–डीजल चोरी की बात स्वीकार की। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीज़ल की लगातार टैंकरों से चोरी के कारण पेट्रोल पंप डीलर का हर महीने नुकसान हो रहा है। इसको रोकने के लिए उचित कदम उठाना चाहिए। टैंकर से पेट्रोल-डीजल चोरी होने को लेकर देवरिया के बेतालपुर तेल डिपो के मुख्य प्रबंधक वेद प्रकाश से बात करने की कोशिश की। उन्हें कई बार फोन लगाया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। अब एक सवाल ये है कि आखिर प्रशासन और पेट्रोलियम विभाग इस तरह के संगठित माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा…और टैंकरों की मॉनिटरिंग में लापरवाही क्यों बरती जा रही। ———————– ये खबर भी पढ़ें… कर्नल सोफिया पर भाजपा मंत्री का कमेंट, मायावती भड़कीं, बोलीं-एक्शन हो, ताकि दुश्मनों के मंसूबे नाकाम हों, पूर्व मंत्री ने कहा- जेल भेजो ऑपरेशन सिंदूर से सुर्खियों में आईं कर्नल सोफिया कुरैशी पर भाजपा मंत्री विजय शाह की विवादित टिप्पणी के बाद यूपी में सियासत गरमा गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा – ऐसी मानसिकता सैनिकों के हौसले तोड़ती है और दुश्मनों को खुश करती है। भाजपा सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि दुश्मनों के नापाक मंसूबे नाकाम हों। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
यूपी में टैंकर से पेट्रोल-डीजल चुरा रहे:एथेनॉल मिलाकर आपकी गाड़ी का इंजन कबाड़ कर रहे; भास्कर रिपोर्टर को कट्टा दिखाकर धमकाया
