यूपी में पूरी तैयारी के बाद भी पेपर लीक क्यों?:पड़ोसी राज्य छोड़कर प्रिंटिंग का है नियम, लखनऊ से 600 KM दूर छापने का दिया ठेका

यूपी में पूरी तैयारी के बाद भी पेपर लीक क्यों?:पड़ोसी राज्य छोड़कर प्रिंटिंग का है नियम, लखनऊ से 600 KM दूर छापने का दिया ठेका

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की RO/ARO परीक्षा के पेपर फरवरी में हुए थे। परीक्षा के चार दिन बाद पेपर लीक का खुलासा होने से आयोग की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। दरअसल, पेपर उस प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ था, जहां इसे छ्पने के लिए भेजा गया था। परीक्षा की घोषणा से लेकर पेपर की सेटिंग, छपाई और आयोजित होने तक लोक सेवा आयोग का प्लान फुलप्रूफ होता है। इसके बावजूद पेपर लीक कैसे हो जाता है? दैनिक भास्कर ने इस मामले की पड़ताल की।
आइए सब कुछ सिलसिलेवार ढंग से जानते हैं… 12 समितियों के साथ बैठक में तय होती है रूपरेखा
यूपी सरकार लोकसेवा आयोग से खाली पदों पर भर्ती की मांग करती है। आयोग के चेयरमैन की तरफ से भर्ती के लिए परीक्षा नियंत्रक को निर्देश दिया जाता है। परीक्षा नियंत्रक आयोग की तकरीबन 12 समितियों के साथ बैठक कर पूरी रूपरेखा तैयार करते हैं। आयोग की 7 परीक्षा समितियों के साथ अलग से बैठक होती है, जिसमें परीक्षा की तारीख, पेपर की सेटिंग, छ्पाई और दूसरे कार्यों के लिए अलग-अलग समितियों को जिम्मेदारी दी जाती है। फिर इसी तय रूपरेखा के आधार पर परीक्षा कराई जाती है। परीक्षा की 6 समितियों की जिम्मेदारी सबसे अहम
लोक सेवा आयोग के विभागीय लोगों के मुताबिक सबसे अहम जिम्मेदारी परीक्षा समितियों की होती है। PCS ऑफिसर रैंक तक तकरीबन सभी पदों को भरने की जिम्मेदारी आयोग की होती है। इन्हीं समितियों में गोपनीय अनुभाग होता है। इस अनुभाग का काम पेपर की सेटिंग, छापने के लिए प्रिंटिंग प्रेस का चयन, परीक्षा कराना, कॉपियों की जांच और रिजल्ट बनाने से लेकर उसे प्रकाशित करने तक होता है। इन सब में गोपनीय अनुभाग को परीक्षा नियंत्रक की अनुमति लेनी होती है। प्रदेश से दूर प्रिंटिंग, विश्वसनीय प्रेस, फिर भी पेपर लीक क्यों
विभागीय सूत्रों की मानें तो लोक सेवा आयोग नियमावली के मुताबिक भर्ती का पेपर गोपनीय तरीके से तैयार किया जाता है। इसकी तैयारी इतनी फुलप्रूफ होती है कि पेपर लीक होने की संभावना न के बराबर रहती है। इसे तैयार करने वाले लोग भी परीक्षा समिति के गोपनीय अनुभाग की निगरानी में होते हैं। प्रिंटिंग के लिए भी आयोग की अलग नियमावली है। सूत्रों की मानें तो इसमें साफ तौर पर लिखा है कि पेपर छापने के लिए जिस प्रिंटिंग प्रेस को दिया जाए, पहले उसके इतिहास के बारे में पता कर लिया जाए। उसके पूरे करियर की जांच की जाए। सबसे अहम बात यह कि पेपर जहां भी छपे वो प्रिंटिंग प्रेस यूपी के बाहर हो। पड़ोसी प्रदेश में भी प्रिंट न कराया जाए। प्रिंटिंग प्रेस की जानकारी परीक्षा नियंत्रक, परीक्षा समिति के चेयरमैन और कमेटी में शामिल 2 मेंबरों के अलावा किसी को नहीं होती है। इसके अलावा प्रिंटिंग प्रेस और ट्रांसपोर्ट दोनों की विश्वसनीयता परखी जाती है। सूत्रों की मानें तो आयोग से पेपर लीक होने का कोई चांस नहीं है, क्योंकि आयोग ये कभी नहीं चाहेगा कि कोई पेपर लीक हो और उस पर सवाल उठे। हां आयोग में कुछ सख्त अफसरों की तैनाती जरूर होनी चाहिए। भर्ती पेपर छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस पर नकल माफियाओं की होती है नजर
सूत्रों की मानें तो नकल माफियाओं का नेटवर्क काफी मजबूत होता है। वो ये पता लगाने में कामयाब हो जाते हैं कि यूपी से बाहर अलग-अलग प्रदेशों के वो कौन से प्रिंटिंग प्रेस हैं, जो सरकारी भर्ती के पेपर छापने का काम करते हैं। इन सभी पर उनकी नजर होती है। पैसे का लालच देकर वो इनके कर्मचारियों को अपने साथ मिलाने की ताक में लगे रहते हैं। बिना इनके कर्मचारियों को मिलाए पेपर लीक कर पाना संभव नहीं है। यूपी RO/ARO भर्ती का पेपर ऐसे ही लीक हुआ था। इसमें आयोग की गलती रही कि पड़ोसी राज्य वाले नियम को दरकिनार कर लखनऊ से सिर्फ 600 किलोमीटर दूर भोपाल में पेपर प्रिंटिंग का ठेका दे दिया। ये तीन लूप होल्स, जिससे लीक होता है पेपर नाम न छापने की शर्त पर दैनिक भास्कर से बात करते हुए आयोग के एक पूर्व ऑफिसर ने उन तीन लूप होल्स की बात की, जिस वजह से पेपर लीक की संभावनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। 1- पेपर छापने के लिए प्रिंटिंग प्रेस के चयन का मजबूत पैरामीटर, प्रेस व ट्रांसपोर्ट में काम करने वालों की कुंडली आयोग और पुलिस ने पहले से न खंगाली हो। 2- छपाई से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक का काम पूरा होने तक गोपनीय विभाग के जिम्मेदार और सख्त ऑफिसरों की स्पेशल ड्यूटी न लगाया जाना। 3- उन एग्जाम सेंटर का चयन करना, जिनका इतिहास अच्छा न रहा हो। ये तीन काम होने पर पेपर लीक की संभावनाएं बेहद कम आयोग के पूर्व ऑफिसर के मुताबिक ये तीन काम करके पेपर लीक के मामलों को काफी हद तक रोका जा सकता है। 1- आयोग के पास पेपर छापने के लिए अपने खुद के एसेट्स होना। 2- हर परीक्षा केंद्र पर आयोग से चयनित किसी अधिकारी की ड्यूटी पेपर पहुंचाने से लेकर एग्जाम खत्म होने तक लगाना। 3- ऑनलाइन परीक्षाओं के हर सेगमेंट में फिंगर प्रिंट और फेस स्कैनर के बाद ही परीक्षा में बैठने के लिए एलिजबल होना। यहां से खुला था RO/ARO पेपर लीक प्रदेशभर में 11 फरवरी को परीक्षा हुई। RO और ARO की परीक्षा के लिए 10 लाख 69 हजार 725 कैंडिडेट्स ने पेपर दिया था। परीक्षा से आधे घंटे पहले ही पेपर वॉट्सऐप और टेलीग्राम पर वायरल हो गया। स्क्रीनशॉट्स और वीडियो वायरल हुए तो पुलिस और एसटीएफ एक्टिव हो गई। 15 फरवरी को परीक्षा से जुड़ा पहला मामला कौशांबी के मंझनपुर थाने में दर्ज हुआ। कौशांबी क्राइम ब्रांच ने यहां आयुष पांडेय, नवीन सिंह और पुनीत को गिरफ्तार किया। ये सभी RO/ARO परीक्षा में धांधली करने के आरोपी थे। इनके पास से 8.84 लाख रुपए और कई फर्जी दस्तावेज बरामद किए। इन तीनों ने पूछताछ में बताया कि वो एक ऐसे गिरोह का हिस्सा हैं, जो परीक्षाओं में गड़बड़ी करता है। मामले की जांच आगे बढ़ी तो पेपर लीक माफिया राजीव नयन मिश्रा तक कड़ियां जुड़ीं। राजीव नयन मिश्रा को गिरफ्तार किया गया। एसटीएफ ने भोपाल में छापेमारी कर 6 लोगों की गिरफ्तारी की है। ये खबरें भी पढ़ें… यूपी में पेपर लीक किया तो उम्रकैद तक होगी:एक करोड़ का जुर्माना भी लगेगा; योगी कैबिनेट ने अध्यादेश को दी मंजूरी; 43 प्रस्ताव पास किए यूपी में पेपर लीक को लेकर योगी सरकार ने बड़ा फैसला किया है। कैबिनेट ने मंगलवार को पेपर लीक अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इसमें एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना और उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है।पूरी खबर पढ़ें… राजीव ने एक-दिन पहले गर्लफ्रेंड को भेजा RO/ARO का पेपर:दूसरी गर्लफ्रेंड पैसे का हिसाब देखती थी, ज्यादा कमाने के चक्कर में फंसा यूपी RO/ARO पेपर लीक मामले की 2 कड़ियां है। पहली- भोपाल के प्रिंटिंग प्रेस से पेपर पानी की बोतल में छिपाकर बाहर लाया गया और लीक हुआ। दूसरी- प्रयागराज के बिशप जॉनसन स्कूल से आउट हुआ। दोनों कड़ियां एक व्यक्ति मास्टरमाइंड राजीव नयन मिश्रा से जुड़ती हैं। उसने ही भोपाल और प्रयागराज से पेपर लीक कराया।पूरी खबर पढ़ें… उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की RO/ARO परीक्षा के पेपर फरवरी में हुए थे। परीक्षा के चार दिन बाद पेपर लीक का खुलासा होने से आयोग की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। दरअसल, पेपर उस प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ था, जहां इसे छ्पने के लिए भेजा गया था। परीक्षा की घोषणा से लेकर पेपर की सेटिंग, छपाई और आयोजित होने तक लोक सेवा आयोग का प्लान फुलप्रूफ होता है। इसके बावजूद पेपर लीक कैसे हो जाता है? दैनिक भास्कर ने इस मामले की पड़ताल की।
आइए सब कुछ सिलसिलेवार ढंग से जानते हैं… 12 समितियों के साथ बैठक में तय होती है रूपरेखा
यूपी सरकार लोकसेवा आयोग से खाली पदों पर भर्ती की मांग करती है। आयोग के चेयरमैन की तरफ से भर्ती के लिए परीक्षा नियंत्रक को निर्देश दिया जाता है। परीक्षा नियंत्रक आयोग की तकरीबन 12 समितियों के साथ बैठक कर पूरी रूपरेखा तैयार करते हैं। आयोग की 7 परीक्षा समितियों के साथ अलग से बैठक होती है, जिसमें परीक्षा की तारीख, पेपर की सेटिंग, छ्पाई और दूसरे कार्यों के लिए अलग-अलग समितियों को जिम्मेदारी दी जाती है। फिर इसी तय रूपरेखा के आधार पर परीक्षा कराई जाती है। परीक्षा की 6 समितियों की जिम्मेदारी सबसे अहम
लोक सेवा आयोग के विभागीय लोगों के मुताबिक सबसे अहम जिम्मेदारी परीक्षा समितियों की होती है। PCS ऑफिसर रैंक तक तकरीबन सभी पदों को भरने की जिम्मेदारी आयोग की होती है। इन्हीं समितियों में गोपनीय अनुभाग होता है। इस अनुभाग का काम पेपर की सेटिंग, छापने के लिए प्रिंटिंग प्रेस का चयन, परीक्षा कराना, कॉपियों की जांच और रिजल्ट बनाने से लेकर उसे प्रकाशित करने तक होता है। इन सब में गोपनीय अनुभाग को परीक्षा नियंत्रक की अनुमति लेनी होती है। प्रदेश से दूर प्रिंटिंग, विश्वसनीय प्रेस, फिर भी पेपर लीक क्यों
विभागीय सूत्रों की मानें तो लोक सेवा आयोग नियमावली के मुताबिक भर्ती का पेपर गोपनीय तरीके से तैयार किया जाता है। इसकी तैयारी इतनी फुलप्रूफ होती है कि पेपर लीक होने की संभावना न के बराबर रहती है। इसे तैयार करने वाले लोग भी परीक्षा समिति के गोपनीय अनुभाग की निगरानी में होते हैं। प्रिंटिंग के लिए भी आयोग की अलग नियमावली है। सूत्रों की मानें तो इसमें साफ तौर पर लिखा है कि पेपर छापने के लिए जिस प्रिंटिंग प्रेस को दिया जाए, पहले उसके इतिहास के बारे में पता कर लिया जाए। उसके पूरे करियर की जांच की जाए। सबसे अहम बात यह कि पेपर जहां भी छपे वो प्रिंटिंग प्रेस यूपी के बाहर हो। पड़ोसी प्रदेश में भी प्रिंट न कराया जाए। प्रिंटिंग प्रेस की जानकारी परीक्षा नियंत्रक, परीक्षा समिति के चेयरमैन और कमेटी में शामिल 2 मेंबरों के अलावा किसी को नहीं होती है। इसके अलावा प्रिंटिंग प्रेस और ट्रांसपोर्ट दोनों की विश्वसनीयता परखी जाती है। सूत्रों की मानें तो आयोग से पेपर लीक होने का कोई चांस नहीं है, क्योंकि आयोग ये कभी नहीं चाहेगा कि कोई पेपर लीक हो और उस पर सवाल उठे। हां आयोग में कुछ सख्त अफसरों की तैनाती जरूर होनी चाहिए। भर्ती पेपर छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस पर नकल माफियाओं की होती है नजर
सूत्रों की मानें तो नकल माफियाओं का नेटवर्क काफी मजबूत होता है। वो ये पता लगाने में कामयाब हो जाते हैं कि यूपी से बाहर अलग-अलग प्रदेशों के वो कौन से प्रिंटिंग प्रेस हैं, जो सरकारी भर्ती के पेपर छापने का काम करते हैं। इन सभी पर उनकी नजर होती है। पैसे का लालच देकर वो इनके कर्मचारियों को अपने साथ मिलाने की ताक में लगे रहते हैं। बिना इनके कर्मचारियों को मिलाए पेपर लीक कर पाना संभव नहीं है। यूपी RO/ARO भर्ती का पेपर ऐसे ही लीक हुआ था। इसमें आयोग की गलती रही कि पड़ोसी राज्य वाले नियम को दरकिनार कर लखनऊ से सिर्फ 600 किलोमीटर दूर भोपाल में पेपर प्रिंटिंग का ठेका दे दिया। ये तीन लूप होल्स, जिससे लीक होता है पेपर नाम न छापने की शर्त पर दैनिक भास्कर से बात करते हुए आयोग के एक पूर्व ऑफिसर ने उन तीन लूप होल्स की बात की, जिस वजह से पेपर लीक की संभावनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। 1- पेपर छापने के लिए प्रिंटिंग प्रेस के चयन का मजबूत पैरामीटर, प्रेस व ट्रांसपोर्ट में काम करने वालों की कुंडली आयोग और पुलिस ने पहले से न खंगाली हो। 2- छपाई से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक का काम पूरा होने तक गोपनीय विभाग के जिम्मेदार और सख्त ऑफिसरों की स्पेशल ड्यूटी न लगाया जाना। 3- उन एग्जाम सेंटर का चयन करना, जिनका इतिहास अच्छा न रहा हो। ये तीन काम होने पर पेपर लीक की संभावनाएं बेहद कम आयोग के पूर्व ऑफिसर के मुताबिक ये तीन काम करके पेपर लीक के मामलों को काफी हद तक रोका जा सकता है। 1- आयोग के पास पेपर छापने के लिए अपने खुद के एसेट्स होना। 2- हर परीक्षा केंद्र पर आयोग से चयनित किसी अधिकारी की ड्यूटी पेपर पहुंचाने से लेकर एग्जाम खत्म होने तक लगाना। 3- ऑनलाइन परीक्षाओं के हर सेगमेंट में फिंगर प्रिंट और फेस स्कैनर के बाद ही परीक्षा में बैठने के लिए एलिजबल होना। यहां से खुला था RO/ARO पेपर लीक प्रदेशभर में 11 फरवरी को परीक्षा हुई। RO और ARO की परीक्षा के लिए 10 लाख 69 हजार 725 कैंडिडेट्स ने पेपर दिया था। परीक्षा से आधे घंटे पहले ही पेपर वॉट्सऐप और टेलीग्राम पर वायरल हो गया। स्क्रीनशॉट्स और वीडियो वायरल हुए तो पुलिस और एसटीएफ एक्टिव हो गई। 15 फरवरी को परीक्षा से जुड़ा पहला मामला कौशांबी के मंझनपुर थाने में दर्ज हुआ। कौशांबी क्राइम ब्रांच ने यहां आयुष पांडेय, नवीन सिंह और पुनीत को गिरफ्तार किया। ये सभी RO/ARO परीक्षा में धांधली करने के आरोपी थे। इनके पास से 8.84 लाख रुपए और कई फर्जी दस्तावेज बरामद किए। इन तीनों ने पूछताछ में बताया कि वो एक ऐसे गिरोह का हिस्सा हैं, जो परीक्षाओं में गड़बड़ी करता है। मामले की जांच आगे बढ़ी तो पेपर लीक माफिया राजीव नयन मिश्रा तक कड़ियां जुड़ीं। राजीव नयन मिश्रा को गिरफ्तार किया गया। एसटीएफ ने भोपाल में छापेमारी कर 6 लोगों की गिरफ्तारी की है। ये खबरें भी पढ़ें… यूपी में पेपर लीक किया तो उम्रकैद तक होगी:एक करोड़ का जुर्माना भी लगेगा; योगी कैबिनेट ने अध्यादेश को दी मंजूरी; 43 प्रस्ताव पास किए यूपी में पेपर लीक को लेकर योगी सरकार ने बड़ा फैसला किया है। कैबिनेट ने मंगलवार को पेपर लीक अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इसमें एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना और उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है।पूरी खबर पढ़ें… राजीव ने एक-दिन पहले गर्लफ्रेंड को भेजा RO/ARO का पेपर:दूसरी गर्लफ्रेंड पैसे का हिसाब देखती थी, ज्यादा कमाने के चक्कर में फंसा यूपी RO/ARO पेपर लीक मामले की 2 कड़ियां है। पहली- भोपाल के प्रिंटिंग प्रेस से पेपर पानी की बोतल में छिपाकर बाहर लाया गया और लीक हुआ। दूसरी- प्रयागराज के बिशप जॉनसन स्कूल से आउट हुआ। दोनों कड़ियां एक व्यक्ति मास्टरमाइंड राजीव नयन मिश्रा से जुड़ती हैं। उसने ही भोपाल और प्रयागराज से पेपर लीक कराया।पूरी खबर पढ़ें…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर