यूपी के मुजफ्फरनगर में पहलगाम हमले के विरोध में 2 मई को निकली जनाक्रोश रैली में भाकियू नेता राकेश टिकैत के खिलाफ हूटिंग हुई। सिर पर किसी ने एक झंडा मार दिया। धक्का-मुक्की में पगड़ी उछल गई। राकेश और नरेश टिकैत अब इसे इश्यू बना चुके हैं। पगड़ी को पूरे जाट समाज का सम्मान बताते हुए 3 मई को मुजफ्फरनगर के GIC ग्राउंड में किसानों की महापंचायत बुलाई। इस बहाने शक्ति प्रदर्शन करके संदेश दिया कि हमें कम न आंका जाए। हालांकि भीड़ के नाम पर सिर्फ 3-4 हजार किसान ही जुट पाए। विवाद की शुरुआत कैसे हुई? इस पूरे प्रकरण में दोनों पक्षों ने क्या-क्या कहा? इस विवाद के राजनीतिक मायने क्या हैं? इस रिपोर्ट में पढ़िए… पहले पूरा मामला समझिए
पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में पूरा मुजफ्फरनगर 2 मई को बंद रहा। तमाम हिंदू, सामाजिक, राजनीतिक, व्यापारिक संगठनों ने इसमें समर्थन दिया। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने जैसे ही संबोधन के लिए माइक संभाला तो भीड़ ने उनका विरोध कर दिया। मोदी-योगी के नारे लगाते हुए हूटिंग शुरू कर दी। भीड़ उन पर हमला करने पर अमादा थी। इस दौरान धक्का-मुक्की हुई और टिकैत की पगड़ी गिर गई। हालांकि, तत्काल ही पगड़ी उठाकर उन्हें पहना दी गई। इस दौरान एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें भगवे झंडे से लिपटा डंडा टिकैत के सिर पर मारते देखा जा रहा है। भाकियू जिलाध्यक्ष नवीन राठी ने थाना सिविल लाइन में अज्ञात के खिलाफ FIR कराई है। अब दोनों पक्षों की बात पढ़िए ‘टिकैत को हमने नहीं बुलाया, जो लेकर आया उसकी जांच हो’
सबसे पहले हमने हिंदू संघर्ष समिति के संयोजक नरेंद्र पंवार से बात की। नरेंद्र पंवार को ही सभी किसान संगठनों को 2 मई के प्रोटेस्ट में लाने का जिम्मा मिला था। उन्होंने बताया- एक सप्ताह पहले इस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने के लिए करीब 150 संगठनों की एक बैठक हुई। इसमें राकेश टिकैत गुट के प्रतिनिधि के तौर पर भाकियू जिलाध्यक्ष पहुंचे। उस बैठक के बाद ये बात सामने आई कि नरेश टिकैत ने पहलगाम हमले पर विवादास्पद बयान दिया है। इसलिए 2 मई की जनआक्रोश रैली में उन्हें शामिल न किया जाए। हमने इसके बाद टिकैत गुट को अपनी किसी बैठक में नहीं बुलाया। यहां तक कि वे जनआक्रोश रैली में भी नहीं बुलाए गए थे। उन्हें किसने बुलाया? ये हमें जानकारी नहीं है। टिकैत का अपमान करने का हमारा कोई मकसद नहीं था। ये जो घटना हुई, हम इसकी निंदा करते हैं। टिकैत किसानों के बड़े नेता हैं। उनके किसी बयान से अगर जनता में गुस्सा था, तो राकेश टिकैत को वहां नहीं पहुंचना था। कौन इन्हें लेकर आया, जांच होनी चाहिए। ‘जो पाकिस्तान के खिलाफ, वो उस कार्यक्रम में गया’
इस पूरे एपिसोड में बिट्टू सिखैड़ा का नाम सामने आ रहा है। कहा जा रहा कि वो टिकैत को लेकर टाउन हॉल में 2 मई की जनआक्रोश रैली में पहुंचे थे, उन्हें माइक दिलाया था। बिट्टू सिखैड़ा शिवसेना के जिला संयोजक हैं। हमने उनसे पूछा- क्या बिना न्योता दिए आप राकेश टिकैत को लेकर गए थे? इस पर वो कहते हैं- जनआक्रोश रैली थी। इसका मतलब जो भी व्यक्ति पाकिस्तान के खिलाफ है, वो उस रैली में गया था। जनपद मुजफ्फरनगर के हर एक व्यक्ति को उसका बुलावा था। राकेश टिकैत करीब आधा घंटे तक उस कार्यक्रम में रहे। राकेश टिकैत बोले- मेरे बयान से नाराजगी थी, वो तो मैं वापस ले चुका
हमने इस पूरे प्रकरण पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत से भी बात की। टिकैत ने बताया- जनआक्रोश रैली पहलगाम हमले के विरोध में बुलाई गई थी। सब कुछ ठीक चल रहा था। अचानक कुछ लोगों ने हूटिंग शुरू कर दी। हमें पता चला है कि वो लोग ड्रिंक किए थे। वो हमला करके माहौल बिगाड़ना चाहते थे। क्या पहलगाम हमले को लेकर आपके किसी बयान से कोई नाराजगी थी? इस पर टिकैत ने कहा- अगर कोई नाराजगी थी, तो हमने अपना बयान वापस ले लिया था। सब चीजों को भूलकर ही हम जनआक्रोश रैली में गए थे, क्योंकि वो देशहित से जुड़ा मुद्दा था। अगर किसी पार्टी का प्रोग्राम था तो हमें पहले बता दिया जाता, हम नहीं जाते। अब किसान महापंचायत बुलाने का उद्देश्य क्या था? इस सवाल के जवाब में राकेश टिकैत कहते हैं- कुछ लोग किसानों को कमजोर समझने की कोशिश कर रहे थे। उन्हें बताया है कि सबसे बड़े देशप्रेमी किसान हैं। उन्हें किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं। टिकैत ने खुद स्वीकारा कि जिसके हाथ से पगड़ी गिरी, वो अपना ही आदमी था और पगड़ी का अब कोई इश्यू नहीं। पुलिस ने क्या एक्शन लिया? जिसके हाथ से पगड़ी गिरी, वो बोला- मैं माफी मांगता हूं
भाकियू जिलाध्यक्ष नवीन राठी ने 2 मई की रात थाना सिविल लाइन में अज्ञात युवकों के खिलाफ राकेश टिकैत से हाथापाई, धक्कामुक्की करने, पगड़ी गिराने की FIR कराई थी। पुलिस ने 3 मई को किसान महापंचायत शुरू होने से पहले ही कृष्णापुरी में रहने वाले सौरभ वर्मा को हिरासत में ले लिया। पुलिस के हवाले से सौरभ का एक वीडियो भी जारी हुआ। इसमें वह कह रहा है- मैं 2 मई को जनआक्रोश रैली में गया था। वहां राकेश टिकैत भी आए हुए थे। भीड़ के दौरान धक्का-मुक्की में मेरा हाथ उनकी पगड़ी पर लग गया। उनकी पगड़ी मेरी हाथ पर आकर गिरी। मैंने ज्यों के त्यों उन्हें पगड़ी पहना दी। अगर किसी को इस वजह से ठेस पहुंची हो, तो मैं माफी मांगता हूं। मैं राकेश टिकैत का बहुत सम्मान करता हूं। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी दैनिक भास्कर से स्वीकार किया कि जिस व्यक्ति के हाथ से पगड़ी गिरी, वो अपना ही आदमी था। उसका अब कोई मैटर नहीं है। नरेश-राकेश टिकैत ने क्या बयान दिया था? ‘पानी रोकने का निर्णय सही नहीं’
सिंधु नदी जल समझौता रद्द करने पर भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा था- जो समझौता है, वो लागू रहना चाहिए। हम पानी रोकने के पक्ष में नहीं। किसान कहीं का भी हो, वो अगर पानी से प्रभावित होता है तो ये निर्णय हम सही नहीं मानते। पानी चलता रहना चाहिए। ‘इस घटना से जिसको लाभ, वही चोर है’
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने पहलगाम हमले पर बयान देते हुए कहा- ये जो घटना घटी है, इससे फायदा किसको हो रहा है, ये पता लगाने की जरूरत है। चोर आपके बीच में है। कश्मीर के लोग क्या अपने बीच में ऐसी घटना करके आबाद होंगे? जिसको भी इस घटना से फायदा है, सवाल उसके पेट में है। महापंचायत के बहाने भाकियू का शक्ति प्रदर्शन
2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी सपा से गठबंधन तोड़कर NDA में चले गए। अब वो केंद्र में मंत्री हैं। जयंत जिन मुद्दों पर सपा संग हुंकार भरते थे, NDA में जाकर शायद अब वो उतना उन मुद्दों पर बोल नहीं पा रहे। ऐसे में सपा अब वेस्ट यूपी में किसानों में पैठ बनाने में जुट गई है। मुद्दा मिला है, किसान नेता राकेश टिकैत के अपमान का। अखिलेश यादव ने 2 मई को ही X पर लंबी-चौड़ी पोस्ट डालकर टिकैत का खुलकर समर्थन किया। फिर ये देखने को भी मिला। 3 मई को मुजफ्फरनगर में टिकैत ने किसान महापंचायत बुलाई, तो उसमें सपा के 2 सांसद हरेंद्र मलिक और इकरा हसन सहित 3 विधायक अतुल प्रधान, मदन भैया और राजपाल बालियान पहुंचे। सपा के और भी तमाम नेता वहां मौजूद थे। सपा ने एकदम साफ संदेश दिया है कि किसान के साथ हम खड़े हैं। इधर, जनवरी-2022 में गाजीपुर बॉर्डर का किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद राकेश टिकैत भी नए मुद्दे की तलाश में थे। अपने खिलाफ हूटिंग और पगड़ी उछालने के मामले को अब उन्होंने मुद्दा बना लिया है। 3 मई को मुजफ्फरनगर में बुलाई गई किसान महापंचायत एक तरह से शक्ति प्रदर्शन थी। सपा के समर्थन के बाद भी भीड़ नहीं आई, इस पर सवाल
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मुजफ्फरनगर के इतिहास में भाकियू की इतनी कम भीड़ वाली पंचायत पहले कभी नहीं हुई। इधर, अखिलेश यादव के निर्देश पर सपा की पूरी फौज ने पहुंचकर टिकैत परिवार को खुला समर्थन दिया। अब इसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। पहला- जयंत चौधरी के NDA में जाने के बाद सपा, भाकियू संग मिलकर वेस्ट यूपी में जाट किसानों पर प्रभाव जमाने में जुटी है। दूसरा- 2021 के गाजीपुर बॉर्डर किसान आंदोलन के बाद अलग-थलग चल रहे राकेश टिकैत एकाएक लाइमलाइट में आ गए। ————————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी में नकली फिंगर प्रिंट बनवाओ, घर बैठे हाजिरी लगाओ, जालसाजों का दावा- कहीं भी इस्तेमाल करो, कोई मशीन पकड़ नहीं पाएगी गोरखपुर में खुलेआम फिंगर प्रिंट के क्लोन तैयार किए जा रहे हैं। फिंगर प्रिंट क्लोन का इस्तेमाल फर्जी बैंक ट्रांजैक्शन, सरकारी दस्तावेज बनवाने, राशन घोटाले और जमीनों की रजिस्ट्री में हो रहा है। इसकी कई शिकायतें भी सामने आ चुकी हैं। इसके खुलासे के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम ने उस नेटवर्क की तलाश शुरू की, जहां ये फिंगर प्रिंट क्लोन बन रहे हैं। कौन लोग हैं, जो इस क्लोन को बना रहे हैं? कैसे इसे तैयार किया जा रहा है? और कहां-कहां इनका इस्तेमाल हो रहा है। इन सवालों की तलाश में हमरा संपर्क एक एजेंट से हुआ। पढ़ें पूरी खबर यूपी के मुजफ्फरनगर में पहलगाम हमले के विरोध में 2 मई को निकली जनाक्रोश रैली में भाकियू नेता राकेश टिकैत के खिलाफ हूटिंग हुई। सिर पर किसी ने एक झंडा मार दिया। धक्का-मुक्की में पगड़ी उछल गई। राकेश और नरेश टिकैत अब इसे इश्यू बना चुके हैं। पगड़ी को पूरे जाट समाज का सम्मान बताते हुए 3 मई को मुजफ्फरनगर के GIC ग्राउंड में किसानों की महापंचायत बुलाई। इस बहाने शक्ति प्रदर्शन करके संदेश दिया कि हमें कम न आंका जाए। हालांकि भीड़ के नाम पर सिर्फ 3-4 हजार किसान ही जुट पाए। विवाद की शुरुआत कैसे हुई? इस पूरे प्रकरण में दोनों पक्षों ने क्या-क्या कहा? इस विवाद के राजनीतिक मायने क्या हैं? इस रिपोर्ट में पढ़िए… पहले पूरा मामला समझिए
पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में पूरा मुजफ्फरनगर 2 मई को बंद रहा। तमाम हिंदू, सामाजिक, राजनीतिक, व्यापारिक संगठनों ने इसमें समर्थन दिया। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने जैसे ही संबोधन के लिए माइक संभाला तो भीड़ ने उनका विरोध कर दिया। मोदी-योगी के नारे लगाते हुए हूटिंग शुरू कर दी। भीड़ उन पर हमला करने पर अमादा थी। इस दौरान धक्का-मुक्की हुई और टिकैत की पगड़ी गिर गई। हालांकि, तत्काल ही पगड़ी उठाकर उन्हें पहना दी गई। इस दौरान एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें भगवे झंडे से लिपटा डंडा टिकैत के सिर पर मारते देखा जा रहा है। भाकियू जिलाध्यक्ष नवीन राठी ने थाना सिविल लाइन में अज्ञात के खिलाफ FIR कराई है। अब दोनों पक्षों की बात पढ़िए ‘टिकैत को हमने नहीं बुलाया, जो लेकर आया उसकी जांच हो’
सबसे पहले हमने हिंदू संघर्ष समिति के संयोजक नरेंद्र पंवार से बात की। नरेंद्र पंवार को ही सभी किसान संगठनों को 2 मई के प्रोटेस्ट में लाने का जिम्मा मिला था। उन्होंने बताया- एक सप्ताह पहले इस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने के लिए करीब 150 संगठनों की एक बैठक हुई। इसमें राकेश टिकैत गुट के प्रतिनिधि के तौर पर भाकियू जिलाध्यक्ष पहुंचे। उस बैठक के बाद ये बात सामने आई कि नरेश टिकैत ने पहलगाम हमले पर विवादास्पद बयान दिया है। इसलिए 2 मई की जनआक्रोश रैली में उन्हें शामिल न किया जाए। हमने इसके बाद टिकैत गुट को अपनी किसी बैठक में नहीं बुलाया। यहां तक कि वे जनआक्रोश रैली में भी नहीं बुलाए गए थे। उन्हें किसने बुलाया? ये हमें जानकारी नहीं है। टिकैत का अपमान करने का हमारा कोई मकसद नहीं था। ये जो घटना हुई, हम इसकी निंदा करते हैं। टिकैत किसानों के बड़े नेता हैं। उनके किसी बयान से अगर जनता में गुस्सा था, तो राकेश टिकैत को वहां नहीं पहुंचना था। कौन इन्हें लेकर आया, जांच होनी चाहिए। ‘जो पाकिस्तान के खिलाफ, वो उस कार्यक्रम में गया’
इस पूरे एपिसोड में बिट्टू सिखैड़ा का नाम सामने आ रहा है। कहा जा रहा कि वो टिकैत को लेकर टाउन हॉल में 2 मई की जनआक्रोश रैली में पहुंचे थे, उन्हें माइक दिलाया था। बिट्टू सिखैड़ा शिवसेना के जिला संयोजक हैं। हमने उनसे पूछा- क्या बिना न्योता दिए आप राकेश टिकैत को लेकर गए थे? इस पर वो कहते हैं- जनआक्रोश रैली थी। इसका मतलब जो भी व्यक्ति पाकिस्तान के खिलाफ है, वो उस रैली में गया था। जनपद मुजफ्फरनगर के हर एक व्यक्ति को उसका बुलावा था। राकेश टिकैत करीब आधा घंटे तक उस कार्यक्रम में रहे। राकेश टिकैत बोले- मेरे बयान से नाराजगी थी, वो तो मैं वापस ले चुका
हमने इस पूरे प्रकरण पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत से भी बात की। टिकैत ने बताया- जनआक्रोश रैली पहलगाम हमले के विरोध में बुलाई गई थी। सब कुछ ठीक चल रहा था। अचानक कुछ लोगों ने हूटिंग शुरू कर दी। हमें पता चला है कि वो लोग ड्रिंक किए थे। वो हमला करके माहौल बिगाड़ना चाहते थे। क्या पहलगाम हमले को लेकर आपके किसी बयान से कोई नाराजगी थी? इस पर टिकैत ने कहा- अगर कोई नाराजगी थी, तो हमने अपना बयान वापस ले लिया था। सब चीजों को भूलकर ही हम जनआक्रोश रैली में गए थे, क्योंकि वो देशहित से जुड़ा मुद्दा था। अगर किसी पार्टी का प्रोग्राम था तो हमें पहले बता दिया जाता, हम नहीं जाते। अब किसान महापंचायत बुलाने का उद्देश्य क्या था? इस सवाल के जवाब में राकेश टिकैत कहते हैं- कुछ लोग किसानों को कमजोर समझने की कोशिश कर रहे थे। उन्हें बताया है कि सबसे बड़े देशप्रेमी किसान हैं। उन्हें किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं। टिकैत ने खुद स्वीकारा कि जिसके हाथ से पगड़ी गिरी, वो अपना ही आदमी था और पगड़ी का अब कोई इश्यू नहीं। पुलिस ने क्या एक्शन लिया? जिसके हाथ से पगड़ी गिरी, वो बोला- मैं माफी मांगता हूं
भाकियू जिलाध्यक्ष नवीन राठी ने 2 मई की रात थाना सिविल लाइन में अज्ञात युवकों के खिलाफ राकेश टिकैत से हाथापाई, धक्कामुक्की करने, पगड़ी गिराने की FIR कराई थी। पुलिस ने 3 मई को किसान महापंचायत शुरू होने से पहले ही कृष्णापुरी में रहने वाले सौरभ वर्मा को हिरासत में ले लिया। पुलिस के हवाले से सौरभ का एक वीडियो भी जारी हुआ। इसमें वह कह रहा है- मैं 2 मई को जनआक्रोश रैली में गया था। वहां राकेश टिकैत भी आए हुए थे। भीड़ के दौरान धक्का-मुक्की में मेरा हाथ उनकी पगड़ी पर लग गया। उनकी पगड़ी मेरी हाथ पर आकर गिरी। मैंने ज्यों के त्यों उन्हें पगड़ी पहना दी। अगर किसी को इस वजह से ठेस पहुंची हो, तो मैं माफी मांगता हूं। मैं राकेश टिकैत का बहुत सम्मान करता हूं। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी दैनिक भास्कर से स्वीकार किया कि जिस व्यक्ति के हाथ से पगड़ी गिरी, वो अपना ही आदमी था। उसका अब कोई मैटर नहीं है। नरेश-राकेश टिकैत ने क्या बयान दिया था? ‘पानी रोकने का निर्णय सही नहीं’
सिंधु नदी जल समझौता रद्द करने पर भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा था- जो समझौता है, वो लागू रहना चाहिए। हम पानी रोकने के पक्ष में नहीं। किसान कहीं का भी हो, वो अगर पानी से प्रभावित होता है तो ये निर्णय हम सही नहीं मानते। पानी चलता रहना चाहिए। ‘इस घटना से जिसको लाभ, वही चोर है’
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने पहलगाम हमले पर बयान देते हुए कहा- ये जो घटना घटी है, इससे फायदा किसको हो रहा है, ये पता लगाने की जरूरत है। चोर आपके बीच में है। कश्मीर के लोग क्या अपने बीच में ऐसी घटना करके आबाद होंगे? जिसको भी इस घटना से फायदा है, सवाल उसके पेट में है। महापंचायत के बहाने भाकियू का शक्ति प्रदर्शन
2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी सपा से गठबंधन तोड़कर NDA में चले गए। अब वो केंद्र में मंत्री हैं। जयंत जिन मुद्दों पर सपा संग हुंकार भरते थे, NDA में जाकर शायद अब वो उतना उन मुद्दों पर बोल नहीं पा रहे। ऐसे में सपा अब वेस्ट यूपी में किसानों में पैठ बनाने में जुट गई है। मुद्दा मिला है, किसान नेता राकेश टिकैत के अपमान का। अखिलेश यादव ने 2 मई को ही X पर लंबी-चौड़ी पोस्ट डालकर टिकैत का खुलकर समर्थन किया। फिर ये देखने को भी मिला। 3 मई को मुजफ्फरनगर में टिकैत ने किसान महापंचायत बुलाई, तो उसमें सपा के 2 सांसद हरेंद्र मलिक और इकरा हसन सहित 3 विधायक अतुल प्रधान, मदन भैया और राजपाल बालियान पहुंचे। सपा के और भी तमाम नेता वहां मौजूद थे। सपा ने एकदम साफ संदेश दिया है कि किसान के साथ हम खड़े हैं। इधर, जनवरी-2022 में गाजीपुर बॉर्डर का किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद राकेश टिकैत भी नए मुद्दे की तलाश में थे। अपने खिलाफ हूटिंग और पगड़ी उछालने के मामले को अब उन्होंने मुद्दा बना लिया है। 3 मई को मुजफ्फरनगर में बुलाई गई किसान महापंचायत एक तरह से शक्ति प्रदर्शन थी। सपा के समर्थन के बाद भी भीड़ नहीं आई, इस पर सवाल
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मुजफ्फरनगर के इतिहास में भाकियू की इतनी कम भीड़ वाली पंचायत पहले कभी नहीं हुई। इधर, अखिलेश यादव के निर्देश पर सपा की पूरी फौज ने पहुंचकर टिकैत परिवार को खुला समर्थन दिया। अब इसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। पहला- जयंत चौधरी के NDA में जाने के बाद सपा, भाकियू संग मिलकर वेस्ट यूपी में जाट किसानों पर प्रभाव जमाने में जुटी है। दूसरा- 2021 के गाजीपुर बॉर्डर किसान आंदोलन के बाद अलग-थलग चल रहे राकेश टिकैत एकाएक लाइमलाइट में आ गए। ————————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी में नकली फिंगर प्रिंट बनवाओ, घर बैठे हाजिरी लगाओ, जालसाजों का दावा- कहीं भी इस्तेमाल करो, कोई मशीन पकड़ नहीं पाएगी गोरखपुर में खुलेआम फिंगर प्रिंट के क्लोन तैयार किए जा रहे हैं। फिंगर प्रिंट क्लोन का इस्तेमाल फर्जी बैंक ट्रांजैक्शन, सरकारी दस्तावेज बनवाने, राशन घोटाले और जमीनों की रजिस्ट्री में हो रहा है। इसकी कई शिकायतें भी सामने आ चुकी हैं। इसके खुलासे के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम ने उस नेटवर्क की तलाश शुरू की, जहां ये फिंगर प्रिंट क्लोन बन रहे हैं। कौन लोग हैं, जो इस क्लोन को बना रहे हैं? कैसे इसे तैयार किया जा रहा है? और कहां-कहां इनका इस्तेमाल हो रहा है। इन सवालों की तलाश में हमरा संपर्क एक एजेंट से हुआ। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
राकेश टिकैत की पगड़ी उछालने वाला उन्हीं का आदमी:पहलगाम हमले पर बयान से विवाद; सपा टिकैत बंधुओं से पश्चिमी यूपी साध रही
