यूपी में लोकसभा चुनाव में सपा का परिवारवाद 100 फीसदी सफल रहा। यादव परिवार से उतरे सपा के सभी 5 प्रत्याशी चुनाव जीत कर संसद पहुंच गए। यही परिवारवाद पूरे चुनाव में भाजपा के प्रचार का सबसे बड़ा मुद्दा रहा। वहीं, भाजपा और उसके सहयोगी दलों के राजनीतिक परिवार के ज्यादातर सदस्य चुनाव हार गए। कभी भाजपा का स्तंभ कहे जाने वाले वाले कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह और केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी भी अपने पिता की विरासत नहीं बचा पाए। भाजपा से सिर्फ करण भूषण ही अपनी सीट जीत पाए। राजनीतिक परिवारों की 2 बेटियां इकरा हसन और प्रिया सरोज पहली बार लोकसभा चुनाव जीती हैं। बेटों में करण भूषण, चंदन सिंह चौहान, उज्ज्वल रमण सिंह, जियाउर्रहमान बर्क और पुष्पेंद्र सरोज अपने पिता की विरासत संभालेंगे। यादव परिवार पर पूरे चुनाव में हमलावर रहे पीएम मोदी
यूपी में परिवारवाद का सबसे ज्यादा आरोप अखिलेश यादव के परिवार पर ही लगता रहा। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अपने भाषणों में पीएम मोदी अखिलेश यादव के परिवार के सदस्यों के राजनीति में होने को लेकर खूब हमलावर रहे। इसके अलावा भी तमाम सभाओं में भाजपा के कई नेता लगातार परिवारवाद पर निशाना साधते रहे। इसके बावजूद यादव परिवार का इस चुनाव में सक्सेस रेट 100% रहा। इस स्टोरी में हम आपको यूपी के राजनीतिक परिवारों से आने वाले 2024 लोकसभा प्रत्याशियों की सक्सेस के बारे में बताएंगे। आइए सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं… भाजपा में राजनीतिक परिवार के ज्यादातर प्रत्याशी हारे
भाजपा में भी ऐसे प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, जो बड़े राजनीतिक घरानों से आते हैं। उनमें से सिर्फ करण भूषण सिंह ही चुनाव जीत सके। उनके अलावा सभी प्रत्याशी चुनाव हार गए। इनमें पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर, पूर्व राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी, कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह का भी नाम शामिल है। भाजपा के सहयोगी दलों के भी प्रत्याशी हारे
NDA में शामिल भाजपा के सहयोगी दलों के ज्यादातर प्रत्याशी भी चुनाव हार गए। बिजनौर से रालोद के चंदन सिंह चौहान और अपना दल से अनुप्रिया पटेल को छोड़कर राजनीतिक परिवार से संबंध रखने वाले अन्य प्रत्याशी बुरी तरह से चुनाव हार गए। इनमें योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर के बेटे अरविंद राजभर, मंत्री संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद भी शामिल हैं। यादव परिवार से आने वाले सभी 5 प्रत्याशी जीते
अखिलेश यादव और राहुल गांधी के इंडी गठबंधन ने कई राजनीतिक परिवार से आने वाले प्रत्याशियों को मैदान मे उतारा था। इसमें अकेले मुलायम सिंह यादव के परिवार से 5 प्रत्याशी थे। कन्नौज से अखिलेश यादव, मैनपुरी से डिंपल यादव, आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव, बदायूं से आदित्य यादव और फिरोजाबाद से अक्षय यादव चुनाव जीत गए। शिवपाल यादव के बेटे आदित्य तो पहली बार चुनाव मैदान में उतरे थे। इंडी गठबंधन के दूसरे प्रत्याशी भी जीते
इनके अलावा इंडी गठबंधन ने कई राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रत्याशियों को भी मैदान में उतारा था। इनमें कैराना से इकरा हसन, संभल से जियाउर्रहमान बर्क, मछलीशहर से प्रिया सरोज, कौशांबी से पुष्पेंद्र सरोज, प्रयागराज से उज्ज्वल रमण सिंह चुनाव जीत गए। अब पढ़िए क्यों हारे NDA के राजनीतिक घरानों से आने वाले प्रत्याशी लंदन से पढ़ कर आईं इकरा ने भाजपा को दी शिकस्त
कैराना लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी को हराने वाली इकरा हसन पूर्व सांसद तबस्सुम हसन की बेटी हैं। इकरा 9 साल से क्षेत्र में सक्रिय हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन और लंदन से कानून की पढ़ाई पूरी करने वाली इकरा ने सपा के टिकट पर जीत दर्ज की। संभल लोकसभा सीट से जीते सपा के विधायक जियाउर्रहमान बर्क पूर्व सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क के पोते हैं। बिजनौर से रालोद के टिकट पर जीतने वाले चंदन सिंह चौहान, चौधरी नारायण सिंह के पोते और रालोद के नेता संजय सिंह चौहान के बेटे हैं। दादा चौधरी नारायण सिंह यूपी में उपमुख्यमंत्री रहे थे। पिता संजय सिंह चौहान बिजनौर सीट से ही 15वीं लोकसभा में सांसद थे। यूपी के तीन सबसे युवा सांसद भी राजनीतिक परिवार से
कौशांबी लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे पुष्पेंद्र सरोज सबसे कम उम्र के सांसद हैं। सपा सांसद पुष्पेंद्र की उम्र 25 साल 3 महीने है। पुष्पेंद्र ने यहां से लगातार दो बार सांसद रहे भाजपा के विनोद सोनकर को करारी शिकस्त दी। पुष्पेंद्र के पिता इंद्रजीत सरोज लगातार 4 बार मंझनपुर आरक्षित सीट से विधायक और 3 बार यूपी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इसी तरह से जौनपुर की किराकत सीट से विधायक और पूर्व सांसद तूफानी सरोज की बेटी प्रिया सरोज भी मछलीशहर सीट से जीत कर संसद पहुंची हैं। सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वाली प्रिया सरोज सिर्फ 26 साल की हैं। उन्हें यह सीट सपा ने उनके पिता की विरासत के रूप में सौंपी। 2014 में यहां से उनके पिता तूफानी सरोज चुनाव लड़े, लेकिन हार गए थे। कैसरगंज से सांसद रहे बृजभूषण शरण का टिकट महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगने के बाद काट दिया गया। भाजपा ने उनके छोटे बेटे करणभूषण सिंह को प्रत्याशी बनाया। 33 साल के करण भूषण बड़े अंतर से जीतकर लोकसभा पहुंचे। यूपी में लोकसभा चुनाव में सपा का परिवारवाद 100 फीसदी सफल रहा। यादव परिवार से उतरे सपा के सभी 5 प्रत्याशी चुनाव जीत कर संसद पहुंच गए। यही परिवारवाद पूरे चुनाव में भाजपा के प्रचार का सबसे बड़ा मुद्दा रहा। वहीं, भाजपा और उसके सहयोगी दलों के राजनीतिक परिवार के ज्यादातर सदस्य चुनाव हार गए। कभी भाजपा का स्तंभ कहे जाने वाले वाले कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह और केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी भी अपने पिता की विरासत नहीं बचा पाए। भाजपा से सिर्फ करण भूषण ही अपनी सीट जीत पाए। राजनीतिक परिवारों की 2 बेटियां इकरा हसन और प्रिया सरोज पहली बार लोकसभा चुनाव जीती हैं। बेटों में करण भूषण, चंदन सिंह चौहान, उज्ज्वल रमण सिंह, जियाउर्रहमान बर्क और पुष्पेंद्र सरोज अपने पिता की विरासत संभालेंगे। यादव परिवार पर पूरे चुनाव में हमलावर रहे पीएम मोदी
यूपी में परिवारवाद का सबसे ज्यादा आरोप अखिलेश यादव के परिवार पर ही लगता रहा। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अपने भाषणों में पीएम मोदी अखिलेश यादव के परिवार के सदस्यों के राजनीति में होने को लेकर खूब हमलावर रहे। इसके अलावा भी तमाम सभाओं में भाजपा के कई नेता लगातार परिवारवाद पर निशाना साधते रहे। इसके बावजूद यादव परिवार का इस चुनाव में सक्सेस रेट 100% रहा। इस स्टोरी में हम आपको यूपी के राजनीतिक परिवारों से आने वाले 2024 लोकसभा प्रत्याशियों की सक्सेस के बारे में बताएंगे। आइए सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं… भाजपा में राजनीतिक परिवार के ज्यादातर प्रत्याशी हारे
भाजपा में भी ऐसे प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, जो बड़े राजनीतिक घरानों से आते हैं। उनमें से सिर्फ करण भूषण सिंह ही चुनाव जीत सके। उनके अलावा सभी प्रत्याशी चुनाव हार गए। इनमें पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर, पूर्व राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी, कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह का भी नाम शामिल है। भाजपा के सहयोगी दलों के भी प्रत्याशी हारे
NDA में शामिल भाजपा के सहयोगी दलों के ज्यादातर प्रत्याशी भी चुनाव हार गए। बिजनौर से रालोद के चंदन सिंह चौहान और अपना दल से अनुप्रिया पटेल को छोड़कर राजनीतिक परिवार से संबंध रखने वाले अन्य प्रत्याशी बुरी तरह से चुनाव हार गए। इनमें योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर के बेटे अरविंद राजभर, मंत्री संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद भी शामिल हैं। यादव परिवार से आने वाले सभी 5 प्रत्याशी जीते
अखिलेश यादव और राहुल गांधी के इंडी गठबंधन ने कई राजनीतिक परिवार से आने वाले प्रत्याशियों को मैदान मे उतारा था। इसमें अकेले मुलायम सिंह यादव के परिवार से 5 प्रत्याशी थे। कन्नौज से अखिलेश यादव, मैनपुरी से डिंपल यादव, आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव, बदायूं से आदित्य यादव और फिरोजाबाद से अक्षय यादव चुनाव जीत गए। शिवपाल यादव के बेटे आदित्य तो पहली बार चुनाव मैदान में उतरे थे। इंडी गठबंधन के दूसरे प्रत्याशी भी जीते
इनके अलावा इंडी गठबंधन ने कई राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रत्याशियों को भी मैदान में उतारा था। इनमें कैराना से इकरा हसन, संभल से जियाउर्रहमान बर्क, मछलीशहर से प्रिया सरोज, कौशांबी से पुष्पेंद्र सरोज, प्रयागराज से उज्ज्वल रमण सिंह चुनाव जीत गए। अब पढ़िए क्यों हारे NDA के राजनीतिक घरानों से आने वाले प्रत्याशी लंदन से पढ़ कर आईं इकरा ने भाजपा को दी शिकस्त
कैराना लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी को हराने वाली इकरा हसन पूर्व सांसद तबस्सुम हसन की बेटी हैं। इकरा 9 साल से क्षेत्र में सक्रिय हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन और लंदन से कानून की पढ़ाई पूरी करने वाली इकरा ने सपा के टिकट पर जीत दर्ज की। संभल लोकसभा सीट से जीते सपा के विधायक जियाउर्रहमान बर्क पूर्व सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क के पोते हैं। बिजनौर से रालोद के टिकट पर जीतने वाले चंदन सिंह चौहान, चौधरी नारायण सिंह के पोते और रालोद के नेता संजय सिंह चौहान के बेटे हैं। दादा चौधरी नारायण सिंह यूपी में उपमुख्यमंत्री रहे थे। पिता संजय सिंह चौहान बिजनौर सीट से ही 15वीं लोकसभा में सांसद थे। यूपी के तीन सबसे युवा सांसद भी राजनीतिक परिवार से
कौशांबी लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे पुष्पेंद्र सरोज सबसे कम उम्र के सांसद हैं। सपा सांसद पुष्पेंद्र की उम्र 25 साल 3 महीने है। पुष्पेंद्र ने यहां से लगातार दो बार सांसद रहे भाजपा के विनोद सोनकर को करारी शिकस्त दी। पुष्पेंद्र के पिता इंद्रजीत सरोज लगातार 4 बार मंझनपुर आरक्षित सीट से विधायक और 3 बार यूपी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इसी तरह से जौनपुर की किराकत सीट से विधायक और पूर्व सांसद तूफानी सरोज की बेटी प्रिया सरोज भी मछलीशहर सीट से जीत कर संसद पहुंची हैं। सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वाली प्रिया सरोज सिर्फ 26 साल की हैं। उन्हें यह सीट सपा ने उनके पिता की विरासत के रूप में सौंपी। 2014 में यहां से उनके पिता तूफानी सरोज चुनाव लड़े, लेकिन हार गए थे। कैसरगंज से सांसद रहे बृजभूषण शरण का टिकट महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगने के बाद काट दिया गया। भाजपा ने उनके छोटे बेटे करणभूषण सिंह को प्रत्याशी बनाया। 33 साल के करण भूषण बड़े अंतर से जीतकर लोकसभा पहुंचे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर