यूपी में 8 दिनों में 17 डीएम बदले, बड़ा मैसेज:सरकार की छवि से समझौता नहीं, सहयोगी दलों को सुनना होगा; आगे भी बदलाव

यूपी में 8 दिनों में 17 डीएम बदले, बड़ा मैसेज:सरकार की छवि से समझौता नहीं, सहयोगी दलों को सुनना होगा; आगे भी बदलाव

यूपी में चल रही सियासी हलचल के बीच ब्यूरोक्रेसी में बदलाव शुरू हो गए हैं। योगी सरकार ने 8 दिन में 51 IAS के ट्रांसफर किए, इनमें 17 जिलों के DM भी हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय में भी अफसर बदले गए। इसके अलावा तीन दिन में 26 IPS अफसरों के तबादले किए गए हैं, इनमें 7 जिलों के पुलिस कप्तान भी शामिल हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व मिशन 2027 में कोई चूक नहीं चाहता है। ऐसे में कोई भी अफसर यदि सरकार की छवि और कामकाज में बाधक बनेगा तो उस पर कार्रवाई होगी। यूपी के प्रशासनिक अमले में जिलाधिकारियों से लेकर पंचम तल तक आगामी दिनों में और भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। 21 अप्रैल की देर रात इनके ट्रांसफर किए गए थे 15 अप्रैल को इन अफसरों के ट्रांसफर हुए थे अफसरों के ट्रांसफर की 3 वजहें 1- करप्शन के आरोप: सियासी जानकारों का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं है कि कानून व्यवस्था और केंद्र-प्रदेश सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने से यूपी में बड़ा बदलाव हुआ है। लेकिन थाना-तहसील से लेकर शासन तक जनता और जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नहीं होने की शिकायत आम है। सपा की ओर से जहां सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। वहीं, भाजपा के विधायक नंद किशोर गुर्जर सहित पूर्व मंत्री, अन्य विधायक भी खुलेआम करप्शन के आरोप लगा रहे हैं। इससे सरकार की छवि खराब हो रही है, लिहाजा केंद्र और प्रदेश नेतृत्व ने अब शासन के अफसरों को मथने का दौर शुरू कर दिया है। 2- छवि की चिंता: शासन के सूत्रों के मुताबिक बीते दिनों हुए फेरबदल के पीछे इन्वेस्ट यूपी के पूर्व सीईओ और निलंबित आईएएस अभिषेक प्रकाश इफेक्ट भी है। अभिषेक प्रकाश प्रकरण से सरकार की छवि को नुकसान हुआ। उसके बाद से केंद्रीय नेतृत्व और सीएम योगी खुद शासन के अफसरों की कार्यशैली को लेकर चिंतित हैं। जिन अफसरों पर जरा भी आरोप लग रहा है, उन्हें साइड लाइन करने में देरी नहीं की जा रही है। 3- अखिलेश इफेक्ट भी नजर आया: शासन के सूत्रों के मुताबिक तबादला सूची मेंं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इफेक्ट भी नजर आया है। अखिलेश ने दो दिन पहले अफसरों की पोस्टिंग में ‘सिंह साब’ का आरोप लगाया था। अखिलेश ने साफ कहा कि यूपी में ठाकुर अफसर ज्यादा हैं। आईएएस की तबादला सूची में ब्राह्मण अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टिंग दी गई है। सत्येंद्र कुमार को वाराणसी का डीएम बनाया गया है। अभिषेक पांडेय को डीएम हापुड़, गजल भारद्वाज को डीएम महोबा और अनुपम शुक्ला को डीएम अंबेडकर नगर नियुक्त किया गया है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री कार्यालय में भी जातीय संतुलन के लिए विशाल भारद्वाज को विशेष सचिव सीएम के पद पर तैनात किया है। उधर, पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार को खुद बयान जारी कर सपा अध्यक्ष के आरोपों पर जवाब देना पड़ा। इतना ही नहीं कई जिलों में एसएसपी और पुलिस कमिश्नर ने उनके जिलों में तैनात थानाध्यक्ष के आंकड़े तक जारी किए। ट्रांसफर में 3 बातों का ध्यान रखा गया 1- दलित और पिछड़े वर्ग को भी साध रही सरकार सियासी जानकारों का मानना है कि पिछड़े और दलित वर्ग में यह नरेटिव बनाया जा रहा था कि सरकार में जिलाधिकारियों और एसएसपी में ठाकुर और ब्राह्मण को ही सबसे अधिक मौका दिया जा रहा है। लेकिन, बीते सात दिन में जारी दो तबादला सूची में पिछड़े और दलित वर्ग के अफसरों को भी अच्छी पोस्टिंग देकर संदेश देने की कोशिश की गई है। समीर वर्मा को महानिरीक्षक निबंधन, हीरालाल को आयुक्त एवं निबंधक सहकारी समितियां नियुक्त किया गया है। इसके अलावा तीन साल से साइडलाइन किए गए अभिषेक यादव को फील्ड पोस्टिंग देकर पीलीभीत का एसपी बनाया गया है। 2- सहयोगी दलों की भी भूमिका शासन और प्रशासन में हुए फेरबदल में सरकार के सहयोगी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी की भी भूमिका रही है। अपना दल एस के आशीष पटेल ने सूचना विभाग के निदेशक शिशिर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाए थे। उनकी पत्नी और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी एनडीए के शीर्ष नेताओं से शिकायत की थी। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने भी संत कबीरनगर के डीएम सहित अन्य अफसरों के खिलाफ शिकायत की थी। सूचना निदेशक और संत कबीरनगर के डीएम को भी बदला गया है। 3- केंद्र की पसंद को ध्यान में रखा शासन के सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री के सचिव कौशल राज शर्मा और सूचना निदेशक विशाल सिंह की पोस्टिंग केंद्र की पसंद से हुई है। कौशल राज शर्मा 2019 से पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी हैं। वहीं विशाल सिंह भी अयोध्या के नगर आयुक्त रहे हैं। उनकी भी आरएसएस और पीएमओ में अच्छी छवि है। पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन का मानना है कि कौशलराज शर्मा को केंद्र सरकार का करीबी माना जाता है। ऐसा लगता है कि केंद्र के कहने पर ही उन्हें सीएम का सचिव बनाया है। वहीं, अभिषेक प्रकाश के प्रकरण के बाद से सरकार ब्यूरोक्रेसी में सुधार करने और लगाम कसने में जुटी है। अब आगे क्या… आगामी दिनों में और भी बदलाव होगा कृषि उत्पादन आयुक्त मोनिका एस गर्ग भी 30 अप्रैल को रिटायर हो रही हैं। उनकी जगह एसीएस वित्त दीपक कुमार को एसीपी नियुक्त किया जा सकता है। दीपक कुमार के पास से माध्यमिक और बेसिक शिक्षा विभाग का कार्यभार किसी अन्य अफसर को दिया जाएगा। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव जितेंद्र कुमार भी जून में रिटायर हो रहे हैं। सीएम दफ्तर में और भी बदलाव संभव शासन के सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री कार्यालय में आगामी दिनों में कुछ और बदलाव हो सकता है। कुछ सचिव और विशेष सचिव के साथ विशेष कार्याधिकारी भी नए आ सकते हैं। सीएम के एसपीएस एसपी गोयल और प्रमुख सचिव संजय प्रसाद को छोड़कर कई अफसर बदले जा सकते हैं। ——————— ये खबर भी पढ़ें… हमेशा सेकेंड डिवीजन पास हुए, पहले प्रयास में IPS बने:बैलेट बॉक्स लूटने वालों पर गोली चलाने का आदेश दिया, कांग्रेस सांसद को अरेस्ट किया एक ऐसे IPS अधिकारी की कहानी, जो 36 साल की पुलिस सर्विस में हमेशा एनकाउंटर के खिलाफ रहे। लेकिन, अपने फैसलों को लेकर चर्चाओं में भी रहे। कई मौके ऐसे भी आए, जब चुनाव आयोग ने 90 के दशक में निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए उन्हें महत्वपूर्ण जिलों में पुलिस कप्तान बनाया। तब उन्होंने बैलेट बॉक्स लूटने वालों पर गोली चलाने का आदेश दिया। पढ़ें पूरी खबर यूपी में चल रही सियासी हलचल के बीच ब्यूरोक्रेसी में बदलाव शुरू हो गए हैं। योगी सरकार ने 8 दिन में 51 IAS के ट्रांसफर किए, इनमें 17 जिलों के DM भी हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय में भी अफसर बदले गए। इसके अलावा तीन दिन में 26 IPS अफसरों के तबादले किए गए हैं, इनमें 7 जिलों के पुलिस कप्तान भी शामिल हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व मिशन 2027 में कोई चूक नहीं चाहता है। ऐसे में कोई भी अफसर यदि सरकार की छवि और कामकाज में बाधक बनेगा तो उस पर कार्रवाई होगी। यूपी के प्रशासनिक अमले में जिलाधिकारियों से लेकर पंचम तल तक आगामी दिनों में और भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। 21 अप्रैल की देर रात इनके ट्रांसफर किए गए थे 15 अप्रैल को इन अफसरों के ट्रांसफर हुए थे अफसरों के ट्रांसफर की 3 वजहें 1- करप्शन के आरोप: सियासी जानकारों का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं है कि कानून व्यवस्था और केंद्र-प्रदेश सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने से यूपी में बड़ा बदलाव हुआ है। लेकिन थाना-तहसील से लेकर शासन तक जनता और जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नहीं होने की शिकायत आम है। सपा की ओर से जहां सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। वहीं, भाजपा के विधायक नंद किशोर गुर्जर सहित पूर्व मंत्री, अन्य विधायक भी खुलेआम करप्शन के आरोप लगा रहे हैं। इससे सरकार की छवि खराब हो रही है, लिहाजा केंद्र और प्रदेश नेतृत्व ने अब शासन के अफसरों को मथने का दौर शुरू कर दिया है। 2- छवि की चिंता: शासन के सूत्रों के मुताबिक बीते दिनों हुए फेरबदल के पीछे इन्वेस्ट यूपी के पूर्व सीईओ और निलंबित आईएएस अभिषेक प्रकाश इफेक्ट भी है। अभिषेक प्रकाश प्रकरण से सरकार की छवि को नुकसान हुआ। उसके बाद से केंद्रीय नेतृत्व और सीएम योगी खुद शासन के अफसरों की कार्यशैली को लेकर चिंतित हैं। जिन अफसरों पर जरा भी आरोप लग रहा है, उन्हें साइड लाइन करने में देरी नहीं की जा रही है। 3- अखिलेश इफेक्ट भी नजर आया: शासन के सूत्रों के मुताबिक तबादला सूची मेंं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इफेक्ट भी नजर आया है। अखिलेश ने दो दिन पहले अफसरों की पोस्टिंग में ‘सिंह साब’ का आरोप लगाया था। अखिलेश ने साफ कहा कि यूपी में ठाकुर अफसर ज्यादा हैं। आईएएस की तबादला सूची में ब्राह्मण अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टिंग दी गई है। सत्येंद्र कुमार को वाराणसी का डीएम बनाया गया है। अभिषेक पांडेय को डीएम हापुड़, गजल भारद्वाज को डीएम महोबा और अनुपम शुक्ला को डीएम अंबेडकर नगर नियुक्त किया गया है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री कार्यालय में भी जातीय संतुलन के लिए विशाल भारद्वाज को विशेष सचिव सीएम के पद पर तैनात किया है। उधर, पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार को खुद बयान जारी कर सपा अध्यक्ष के आरोपों पर जवाब देना पड़ा। इतना ही नहीं कई जिलों में एसएसपी और पुलिस कमिश्नर ने उनके जिलों में तैनात थानाध्यक्ष के आंकड़े तक जारी किए। ट्रांसफर में 3 बातों का ध्यान रखा गया 1- दलित और पिछड़े वर्ग को भी साध रही सरकार सियासी जानकारों का मानना है कि पिछड़े और दलित वर्ग में यह नरेटिव बनाया जा रहा था कि सरकार में जिलाधिकारियों और एसएसपी में ठाकुर और ब्राह्मण को ही सबसे अधिक मौका दिया जा रहा है। लेकिन, बीते सात दिन में जारी दो तबादला सूची में पिछड़े और दलित वर्ग के अफसरों को भी अच्छी पोस्टिंग देकर संदेश देने की कोशिश की गई है। समीर वर्मा को महानिरीक्षक निबंधन, हीरालाल को आयुक्त एवं निबंधक सहकारी समितियां नियुक्त किया गया है। इसके अलावा तीन साल से साइडलाइन किए गए अभिषेक यादव को फील्ड पोस्टिंग देकर पीलीभीत का एसपी बनाया गया है। 2- सहयोगी दलों की भी भूमिका शासन और प्रशासन में हुए फेरबदल में सरकार के सहयोगी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी की भी भूमिका रही है। अपना दल एस के आशीष पटेल ने सूचना विभाग के निदेशक शिशिर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाए थे। उनकी पत्नी और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी एनडीए के शीर्ष नेताओं से शिकायत की थी। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने भी संत कबीरनगर के डीएम सहित अन्य अफसरों के खिलाफ शिकायत की थी। सूचना निदेशक और संत कबीरनगर के डीएम को भी बदला गया है। 3- केंद्र की पसंद को ध्यान में रखा शासन के सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री के सचिव कौशल राज शर्मा और सूचना निदेशक विशाल सिंह की पोस्टिंग केंद्र की पसंद से हुई है। कौशल राज शर्मा 2019 से पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी हैं। वहीं विशाल सिंह भी अयोध्या के नगर आयुक्त रहे हैं। उनकी भी आरएसएस और पीएमओ में अच्छी छवि है। पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन का मानना है कि कौशलराज शर्मा को केंद्र सरकार का करीबी माना जाता है। ऐसा लगता है कि केंद्र के कहने पर ही उन्हें सीएम का सचिव बनाया है। वहीं, अभिषेक प्रकाश के प्रकरण के बाद से सरकार ब्यूरोक्रेसी में सुधार करने और लगाम कसने में जुटी है। अब आगे क्या… आगामी दिनों में और भी बदलाव होगा कृषि उत्पादन आयुक्त मोनिका एस गर्ग भी 30 अप्रैल को रिटायर हो रही हैं। उनकी जगह एसीएस वित्त दीपक कुमार को एसीपी नियुक्त किया जा सकता है। दीपक कुमार के पास से माध्यमिक और बेसिक शिक्षा विभाग का कार्यभार किसी अन्य अफसर को दिया जाएगा। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव जितेंद्र कुमार भी जून में रिटायर हो रहे हैं। सीएम दफ्तर में और भी बदलाव संभव शासन के सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री कार्यालय में आगामी दिनों में कुछ और बदलाव हो सकता है। कुछ सचिव और विशेष सचिव के साथ विशेष कार्याधिकारी भी नए आ सकते हैं। सीएम के एसपीएस एसपी गोयल और प्रमुख सचिव संजय प्रसाद को छोड़कर कई अफसर बदले जा सकते हैं। ——————— ये खबर भी पढ़ें… हमेशा सेकेंड डिवीजन पास हुए, पहले प्रयास में IPS बने:बैलेट बॉक्स लूटने वालों पर गोली चलाने का आदेश दिया, कांग्रेस सांसद को अरेस्ट किया एक ऐसे IPS अधिकारी की कहानी, जो 36 साल की पुलिस सर्विस में हमेशा एनकाउंटर के खिलाफ रहे। लेकिन, अपने फैसलों को लेकर चर्चाओं में भी रहे। कई मौके ऐसे भी आए, जब चुनाव आयोग ने 90 के दशक में निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए उन्हें महत्वपूर्ण जिलों में पुलिस कप्तान बनाया। तब उन्होंने बैलेट बॉक्स लूटने वालों पर गोली चलाने का आदेश दिया। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर