<p style=”text-align: justify;”><strong>Lucknow News:</strong> उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जल संकट को भविष्य की सबसे बड़ी चुनौती मानते हुए बूंद-बूंद पानी को बचाने की गंभीर तैयारी में जुट गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इस अभियान में विशेष रुचि ले रहे हैं. यही कारण है कि खेत तालाब योजना, अमृत सरोवर योजना, गंगा तालाब योजना और सूखी पड़ी नदियों को फिर से जिंदा करने जैसी कई योजनाएं प्रदेश में तेज़ी से चलाई जा रही हैं. राज्य सरकार का उद्देश्य है कि बारिश का एक-एक कतरा जमीन में समा जाए और भूजल स्तर को बेहतर बनाया जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”>भारतीय मौसम विभाग का अनुमान है कि इस साल मानसून सामान्य से बेहतर रहेगा. जुलाई से सितंबर तक होने वाली बारिश देश में 70 से 80 प्रतिशत पानी देती है, लेकिन जल संकट का असली कारण बारिश की कमी नहीं, बल्कि उसके प्रबंधन की कमी है. इस बात को केंद्र सरकार के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी स्वीकार किया है. उन्होंने कहा था कि देश में जल संकट पानी की कमी से नहीं बल्कि उसके सही इस्तेमाल ना होने की वजह से है. इसी सोच के साथ ‘कैच द रेन’ और अटल भूजल योजना शुरू की गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नए मकान की अनुमति के लिए माननी होगी यह शर्त</strong><br />उत्तर प्रदेश सरकार ने गांवों और शहरों में जल संरक्षण को अनिवार्य कर दिया है. नए मकानों की अनुमति अब तभी मिलेगी जब उसमें वर्षा जल संचयन की व्यवस्था होगी. तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार में यूपी को पहला स्थान मिलना इस बात का प्रमाण है कि राज्य इस दिशा में कितनी तेजी से काम कर रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>खास बात यह है कि खेत तालाब योजना के तहत सरकार ने 8,500 तालाब बनाने का लक्ष्य रखा है, जिससे धान और मक्का की पैदावार में करीब 12% की बढ़ोतरी की उम्मीद है. इसी तरह अमृत सरोवर योजना के तहत हर जिले में 75 तालाब बनाए जा रहे हैं, और इसमें भी उत्तर प्रदेश देश में अव्वल है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बुंदेलखंड से शुरू हुई थी खेत तालाब योजना</strong><br />बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में जहां पिछले 77 सालों में औसत बारिश में 320 मिमी की कमी आई है, वहां जल संरक्षण को लेकर सरकार विशेष सक्रिय है. खेत तालाब योजना की शुरुआत भी यहीं से हुई थी. सरकार ने यहां सिंचाई के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> का खुद जल संरक्षण में गहरा लगाव है. उनके गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर परिसर में वर्षा जल संचयन की उन्नत तकनीक से टैंक बनाए गए हैं, जहां पानी को साफ कर जमीन में भेजा जाता है ताकि भूजल स्तर सुधरे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जल संरक्षण का सबसे बड़ा लाभ यह है कि भूजल स्तर बेहतर होगा, सिंचाई के लिए पानी मिलेगा, पशुओं को पीने के लिए पानी रहेगा और पेयजल की समस्या कम होगी. मौसम की अनिश्चितता और लगातार बदलते बारिश के पैटर्न को देखते हुए यह समय की सबसे बड़ी ज़रूरत बन चुकी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/uttarakhand-health-department-alert-increasing-cases-of-covid-19-gave-guidelines-to-all-hospitals-ann-2949165″><strong>कोविड 19 के बढ़ते केस को लेकर उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, सभी अस्पतालों को दिए जरूरी दिशा-निर्देश</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Lucknow News:</strong> उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जल संकट को भविष्य की सबसे बड़ी चुनौती मानते हुए बूंद-बूंद पानी को बचाने की गंभीर तैयारी में जुट गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इस अभियान में विशेष रुचि ले रहे हैं. यही कारण है कि खेत तालाब योजना, अमृत सरोवर योजना, गंगा तालाब योजना और सूखी पड़ी नदियों को फिर से जिंदा करने जैसी कई योजनाएं प्रदेश में तेज़ी से चलाई जा रही हैं. राज्य सरकार का उद्देश्य है कि बारिश का एक-एक कतरा जमीन में समा जाए और भूजल स्तर को बेहतर बनाया जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”>भारतीय मौसम विभाग का अनुमान है कि इस साल मानसून सामान्य से बेहतर रहेगा. जुलाई से सितंबर तक होने वाली बारिश देश में 70 से 80 प्रतिशत पानी देती है, लेकिन जल संकट का असली कारण बारिश की कमी नहीं, बल्कि उसके प्रबंधन की कमी है. इस बात को केंद्र सरकार के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी स्वीकार किया है. उन्होंने कहा था कि देश में जल संकट पानी की कमी से नहीं बल्कि उसके सही इस्तेमाल ना होने की वजह से है. इसी सोच के साथ ‘कैच द रेन’ और अटल भूजल योजना शुरू की गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नए मकान की अनुमति के लिए माननी होगी यह शर्त</strong><br />उत्तर प्रदेश सरकार ने गांवों और शहरों में जल संरक्षण को अनिवार्य कर दिया है. नए मकानों की अनुमति अब तभी मिलेगी जब उसमें वर्षा जल संचयन की व्यवस्था होगी. तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार में यूपी को पहला स्थान मिलना इस बात का प्रमाण है कि राज्य इस दिशा में कितनी तेजी से काम कर रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>खास बात यह है कि खेत तालाब योजना के तहत सरकार ने 8,500 तालाब बनाने का लक्ष्य रखा है, जिससे धान और मक्का की पैदावार में करीब 12% की बढ़ोतरी की उम्मीद है. इसी तरह अमृत सरोवर योजना के तहत हर जिले में 75 तालाब बनाए जा रहे हैं, और इसमें भी उत्तर प्रदेश देश में अव्वल है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बुंदेलखंड से शुरू हुई थी खेत तालाब योजना</strong><br />बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में जहां पिछले 77 सालों में औसत बारिश में 320 मिमी की कमी आई है, वहां जल संरक्षण को लेकर सरकार विशेष सक्रिय है. खेत तालाब योजना की शुरुआत भी यहीं से हुई थी. सरकार ने यहां सिंचाई के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> का खुद जल संरक्षण में गहरा लगाव है. उनके गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर परिसर में वर्षा जल संचयन की उन्नत तकनीक से टैंक बनाए गए हैं, जहां पानी को साफ कर जमीन में भेजा जाता है ताकि भूजल स्तर सुधरे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जल संरक्षण का सबसे बड़ा लाभ यह है कि भूजल स्तर बेहतर होगा, सिंचाई के लिए पानी मिलेगा, पशुओं को पीने के लिए पानी रहेगा और पेयजल की समस्या कम होगी. मौसम की अनिश्चितता और लगातार बदलते बारिश के पैटर्न को देखते हुए यह समय की सबसे बड़ी ज़रूरत बन चुकी है.</p>
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