सुप्रीम कोर्ट अब बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सज़ा पर 18 मार्च को सुनवाई करेगा। राजोआना ने “असाधारण” और “अनुचित देरी” के आधार पर अपनी मौत की सज़ा माफ़ करने की अपील की है। याचिका में तर्क दिया गया है कि भारत सरकार ने उसकी दया याचिका पर फ़ैसला करने में काफ़ी समय लगाया है। वह लगभग 29 साल से जेल में है। कोर्ट रूम से लाइव सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि राजोआना की मौत की सजा का मामला तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे के कार्यकाल से लंबित है। उन्होंने कहा कि राजोआना 15 साल से मौत की सजा का सामना कर रहे हैं और पिछले 29 वर्षों से जेल में बंद हैं। उन्होंने तर्क दिया कि अब उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। जस्टिस बी.आर. गवई – या तो आप निर्णय लें, अन्यथा हम इस मामले की मेरिट पर सुनवाई करेंगे। लेकिन हर मामला एक जैसा नहीं होता। कैद-ताउम्र की सजा का विकल्प भी होता है। रोहतगी – भुल्लर मामले में मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था। जस्टिस गवई – इस मामले की सुनवाई 18 मार्च, 2025 को करेंगे। रोहतगी – मेडिकल रिपोर्ट पेश करने की अनुमति दी जाए।” जस्टिस गवई – इसका ध्यान रखा जाएगा।” सुप्रीम कोर्ट का आदेश- हम इस मामले की मेरिट पर 18 मार्च को सुनवाई करेंगे। अगर तब तक निर्णय लिया जा सके, तो अच्छा होगा। जानें इससे पहले क्या हुआ जस्टिस बी.आर. गवई, प्रशांत कुमार मिश्रा और केवी विश्वनाथन की पीठ इस मामले की सुनवाई की। 18 नवंबर को कोर्ट ने अनुरोध किया था कि राष्ट्रपति के पास लंबित दया याचिका पर दो सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर निर्धारित समय सीमा में दया याचिका पर विचार नहीं किया गया, तो वह अंतरिम राहत देने के लिए याचिका पर विचार करेगा। हालांकि, ओपन कोर्ट में आदेश पारित करने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तत्काल अपील की। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे में “संवेदनशीलता” शामिल है और अनुरोध किया कि आदेश को हस्ताक्षरित और अपलोड न किया जाए। कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए आदेश को अंतिम रूप देने और अपलोड करने से परहेज किया। अदालत में यह दलीलें रखी गई वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी (राजोआना के लिए) ने दया याचिका पर फैसला करने में देरी को “चौंकाने वाला” बताया। उन्होंने कहा कि यह व्यक्ति आज तक 29 वर्षों से लगातार हिरासत में है। मूल रूप से उसे 1996 में बम विस्फोट के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था। रोहतगी की बात पूरी होने से पहले, न्यायमूर्ति गवई ने पंजाब के वकील से पूछा कि क्या जारी किए गए नोटिस के खिलाफ कोई जवाब दाखिल किया गया है। वकील ने जवाब दिया कि वे छुट्टी के कारण रिपोर्ट दाखिल नहीं कर सकते। इस पर गवई ने कहा कि न्यायालय पंजाब राज्य को जवाब दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय देने को तैयार है। 6 महीने में रिहा करने का दिया तर्क इसके बाद रोहतगी ने अंतरिम राहत के लिए दबाव डाला। उन्होंने कहा कि 29 साल बीत से जेल में है। उसकी दया याचिका निपटारा नहीं किया है, जबकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अन्य लोगों को आजीवन कारावास में बदल दिया है। उसकी याचिका मई 2023 में पीठ द्वारा यह कहते हुए निपटा दी गई थी कि वे (संबंधित अधिकारी) नीयत समय में दया याचिका पर कार्रवाई करेंगे। डेढ़ साल बीत चुके हैं। एक आदमी जो अब 29 साल जेल में है, उसे 6 महीने या 3 महीने के लिए रिहा कर दिया जाए। वह एक समाप्त व्यक्ति है। कम से कम, उसे यह देखने दें कि बाहर क्या है….आप उसके अनुच्छेद 21 का पूर्ण उल्लंघन नहीं कर सकते। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राजोआना को किसी भी अंतरिम राहत का पुरजोर विरोध किया। याचिका में इस आधार पर उसकी रिहाई की भी मांग की गई है कि उसने अब तक कुल 28 वर्ष और 08 महीने की सजा काट ली है, जिसमें से 17 वर्ष उसने 8” x 10” की मृत्यु दंड सेल में मृत्यु दंड के दोषी के रूप में काटे हैं, जिसमें 2.5 वर्ष एकांत कारावास में काटे गए हैं। बेअंत सिंह कत्ल का आरोपी राजोआना पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का कत्ल 31 अगस्त 1995 को कर दिया गया था। बलवंत सिंह राजोआना के बयान के अनुसार, उसने और पंजाब पुलिस मुलाजिम दिलावर सिंह ने बेअंत सिंह को ह्यूमन बम से उड़ा दिया था। दिलावर सिंह ने ह्यूमन बम बनकर बेअंत सिंह पर हमला किया था। साजिश इस तरह रची गई थी कि अगर दिलावर फेल हो जाता तो राजोआना की तरफ से हमला किया जाना था। कोर्ट ने राजोआना को फांसी की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट अब बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सज़ा पर 18 मार्च को सुनवाई करेगा। राजोआना ने “असाधारण” और “अनुचित देरी” के आधार पर अपनी मौत की सज़ा माफ़ करने की अपील की है। याचिका में तर्क दिया गया है कि भारत सरकार ने उसकी दया याचिका पर फ़ैसला करने में काफ़ी समय लगाया है। वह लगभग 29 साल से जेल में है। कोर्ट रूम से लाइव सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि राजोआना की मौत की सजा का मामला तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे के कार्यकाल से लंबित है। उन्होंने कहा कि राजोआना 15 साल से मौत की सजा का सामना कर रहे हैं और पिछले 29 वर्षों से जेल में बंद हैं। उन्होंने तर्क दिया कि अब उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। जस्टिस बी.आर. गवई – या तो आप निर्णय लें, अन्यथा हम इस मामले की मेरिट पर सुनवाई करेंगे। लेकिन हर मामला एक जैसा नहीं होता। कैद-ताउम्र की सजा का विकल्प भी होता है। रोहतगी – भुल्लर मामले में मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था। जस्टिस गवई – इस मामले की सुनवाई 18 मार्च, 2025 को करेंगे। रोहतगी – मेडिकल रिपोर्ट पेश करने की अनुमति दी जाए।” जस्टिस गवई – इसका ध्यान रखा जाएगा।” सुप्रीम कोर्ट का आदेश- हम इस मामले की मेरिट पर 18 मार्च को सुनवाई करेंगे। अगर तब तक निर्णय लिया जा सके, तो अच्छा होगा। जानें इससे पहले क्या हुआ जस्टिस बी.आर. गवई, प्रशांत कुमार मिश्रा और केवी विश्वनाथन की पीठ इस मामले की सुनवाई की। 18 नवंबर को कोर्ट ने अनुरोध किया था कि राष्ट्रपति के पास लंबित दया याचिका पर दो सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर निर्धारित समय सीमा में दया याचिका पर विचार नहीं किया गया, तो वह अंतरिम राहत देने के लिए याचिका पर विचार करेगा। हालांकि, ओपन कोर्ट में आदेश पारित करने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तत्काल अपील की। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे में “संवेदनशीलता” शामिल है और अनुरोध किया कि आदेश को हस्ताक्षरित और अपलोड न किया जाए। कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए आदेश को अंतिम रूप देने और अपलोड करने से परहेज किया। अदालत में यह दलीलें रखी गई वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी (राजोआना के लिए) ने दया याचिका पर फैसला करने में देरी को “चौंकाने वाला” बताया। उन्होंने कहा कि यह व्यक्ति आज तक 29 वर्षों से लगातार हिरासत में है। मूल रूप से उसे 1996 में बम विस्फोट के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था। रोहतगी की बात पूरी होने से पहले, न्यायमूर्ति गवई ने पंजाब के वकील से पूछा कि क्या जारी किए गए नोटिस के खिलाफ कोई जवाब दाखिल किया गया है। वकील ने जवाब दिया कि वे छुट्टी के कारण रिपोर्ट दाखिल नहीं कर सकते। इस पर गवई ने कहा कि न्यायालय पंजाब राज्य को जवाब दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय देने को तैयार है। 6 महीने में रिहा करने का दिया तर्क इसके बाद रोहतगी ने अंतरिम राहत के लिए दबाव डाला। उन्होंने कहा कि 29 साल बीत से जेल में है। उसकी दया याचिका निपटारा नहीं किया है, जबकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अन्य लोगों को आजीवन कारावास में बदल दिया है। उसकी याचिका मई 2023 में पीठ द्वारा यह कहते हुए निपटा दी गई थी कि वे (संबंधित अधिकारी) नीयत समय में दया याचिका पर कार्रवाई करेंगे। डेढ़ साल बीत चुके हैं। एक आदमी जो अब 29 साल जेल में है, उसे 6 महीने या 3 महीने के लिए रिहा कर दिया जाए। वह एक समाप्त व्यक्ति है। कम से कम, उसे यह देखने दें कि बाहर क्या है….आप उसके अनुच्छेद 21 का पूर्ण उल्लंघन नहीं कर सकते। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राजोआना को किसी भी अंतरिम राहत का पुरजोर विरोध किया। याचिका में इस आधार पर उसकी रिहाई की भी मांग की गई है कि उसने अब तक कुल 28 वर्ष और 08 महीने की सजा काट ली है, जिसमें से 17 वर्ष उसने 8” x 10” की मृत्यु दंड सेल में मृत्यु दंड के दोषी के रूप में काटे हैं, जिसमें 2.5 वर्ष एकांत कारावास में काटे गए हैं। बेअंत सिंह कत्ल का आरोपी राजोआना पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का कत्ल 31 अगस्त 1995 को कर दिया गया था। बलवंत सिंह राजोआना के बयान के अनुसार, उसने और पंजाब पुलिस मुलाजिम दिलावर सिंह ने बेअंत सिंह को ह्यूमन बम से उड़ा दिया था। दिलावर सिंह ने ह्यूमन बम बनकर बेअंत सिंह पर हमला किया था। साजिश इस तरह रची गई थी कि अगर दिलावर फेल हो जाता तो राजोआना की तरफ से हमला किया जाना था। कोर्ट ने राजोआना को फांसी की सजा सुनाई थी। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
संसद में आज उठेगा बेअदबी का मुद्दा:AAP सांसद कंग ने दिया नोटिस, कहा- ऐसे मामलों में होनी चाहिए सख्त सजा
संसद में आज उठेगा बेअदबी का मुद्दा:AAP सांसद कंग ने दिया नोटिस, कहा- ऐसे मामलों में होनी चाहिए सख्त सजा संसद के शीतकालीन सत्र में आज (27 नवंबर) बेअदबी का मुद्दा उठाया जाएगा। पंजाब के श्री आनंदपुर साहिब से आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद मलविंदर सिंह कंग की ओर से स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया गया है। उन्होंने बेअदबी मामले को लेकर संसद में पंजाब सरकार की ओर से पारित प्रस्ताव पर चर्चा की मांग की है। उनका कहना है कि इस संबंध में सर्वसम्मति से पारित कानून को कानूनी मान्यता दी जानी चाहिए। कंग का कहना है कि बेअदबी का मुद्दा गंभीर है। इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि इस मुद्दे पर चर्चा हो। इसलिए उन्होंने प्रस्ताव भेजा है। कंग ने कहा कि 28 अगस्त 2018 को पंजाब रजिस्ट्रेशन असेंबली ने भारतीय दंड संहिता (पीसी) और सिविल प्रक्रिया विधेयक 2018 पारित किया था। इसमें आजीवन कारावास का प्रावधान है। वहीं, पंजाब सरकार लगातार इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठा रही है। सीएम भगवंत मान ने इस संबंध में गृह मंत्री को पत्र भी लिखा था। राघव चड्ढा भी उठा चुके हैं यह मामला आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा भी इस मामले को 2015 में राज्यसभा में उठा चुके हैं। उन्होंने उस समय 2015 बेअदबी बरगाड़ी और लुधियाना में श्री मदभगवत गीता की बेअदबी का मामला उठाया था। उन्होंने भी कहा था कि इस मामले में कठोर सजा दी जानी चाहिए।
जालंधर में पूर्व सांसद केपी की पत्नी का निधन:काफी समय से बीमार चल रही थी सुमन, दो दिन पहले पीजीआई से घर लाए थे
जालंधर में पूर्व सांसद केपी की पत्नी का निधन:काफी समय से बीमार चल रही थी सुमन, दो दिन पहले पीजीआई से घर लाए थे जालंधर में रहने वाले पूर्व सांसद और लोकसभा चुनाव में अकाली दल के उम्मीदवार रहे मोहिंदर सिंह केपी की पत्नी सुमन केपी का आज निधन हो गया। 68 वर्षीय सुमन पिछले काफी समय से बीमार चल रही थी और उनका पीजीआई चंडीगढ़ में इलाज चल रहा था। दो दिन पहले पीजीआई में डॉक्टरों द्वारा उन्हें जवाब दे दिया गया था, जिसके बाद सुमन को घर लाया गया था। आज दोपहर करीब डेढ़ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। सुमन केपी पिछले कुछ समय से कैंसर से पीड़ित थीं। 2012 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर पश्चिमी सीट से विधायक पद के लिए चुनाव लड़ा था। जिसमें बीजेपी के भगत चुन्नी लाल विजेता रहे। चंडीगढ़ पीजीआई में चल रहा था इलाज सुमन केपी का पीजीआई चंडीगढ़ में भी इलाज चल रहा था। बताया जा रहा है कि दो दिन पहले उन्हें पीजीआई से जवाब मिला था। उनके अंतिम संस्कार की तारीख और समय बाद में तय किया जाएगा।
फाजिल्का में आवारा पशु ने बाइक में मारी टक्कर:हादसे में होमगार्ड जवान की मौत, ड्यूटी लौट रहा था घर
फाजिल्का में आवारा पशु ने बाइक में मारी टक्कर:हादसे में होमगार्ड जवान की मौत, ड्यूटी लौट रहा था घर फाजिल्का जिले के जलालाबाद में हुए एक सड़क हादसे में एक होम गार्ड के जवान की मौत हो गई। जिसके बाद उसके परिजन उसके शव का पोस्टमार्टम करवाने के लिए सिविल अस्पताल फाजिल्का पहुंचे। आवारा पशु के टकराने से हुआ हादसा इस दौरान मृतक के परिजन ओम प्रकाश ने बताया कि मृतक जसवंत सिंह थाना सदर जलालाबाद में पंजाब होम गार्ड में तैनात था। बीती शाम जब वे अपनी ड्यूटी से घर जा रहा था कि अचानक एक आवारा पशु से उसकी बाइक टकरा गई। जिसके बाद उसे सिविल अस्पताल जलालाबाद में ले जाया गया। जहां से उसकी हालत नाजुक देखते मेडिकल कॉलेज फरीदकोट में रेफर कर दिया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत गई। जिसके बाद उसका पोस्टमार्टम करवाया जा रहा है। इलाज के दौरान हुई मौत अस्पताल पहुंचे पुलिस कर्मचारी दर्शन सिंह ने बताया कि मृतक होमगार्ड जसवंत सिंह को हादसे के बाद सिविल अस्पताल जलालाबाद ले जाया गया। जहां से गंभीर हालत के चलते डॉक्टरों ने उसे इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज फरीदकोट रेफर कर दिया। जहां पर आज सुबह उसकी मौत हो गई। जिसके बाद उसके शव को पोस्टमार्टम करवाने के लिए सिविल अस्पताल फाजिल्का में लाया गया है।