हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला में पुलिस ने नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। रामपुर पुलिस ने झाकड़ी-समीज पुल पर गश्त के दौरान एक मारुति कार से 45 ग्राम चरस बरामद की है। पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार, शनिवार की रात हेड कांस्टेबल संजीव कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम गश्त पर थी। इस दौरान एक संदिग्ध मारुति कार को रोका गया। कार में सवार व्यक्तियों के व्यवहार में संदेह होने पर तलाशी ली गई। तलाशी में बिशम गुप्ता, जितेंद्र सिंह, पीयूष और यशवंत गुप्ता के कब्जे से 45 ग्राम चरस बरामद हुई। डीएसपी नरेश शर्मा ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि सभी आरोपियों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 20 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है। हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला में पुलिस ने नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। रामपुर पुलिस ने झाकड़ी-समीज पुल पर गश्त के दौरान एक मारुति कार से 45 ग्राम चरस बरामद की है। पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार, शनिवार की रात हेड कांस्टेबल संजीव कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम गश्त पर थी। इस दौरान एक संदिग्ध मारुति कार को रोका गया। कार में सवार व्यक्तियों के व्यवहार में संदेह होने पर तलाशी ली गई। तलाशी में बिशम गुप्ता, जितेंद्र सिंह, पीयूष और यशवंत गुप्ता के कब्जे से 45 ग्राम चरस बरामद हुई। डीएसपी नरेश शर्मा ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि सभी आरोपियों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 20 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल के बिजली बोर्ड इंजीनियर-कर्मचारी भड़के:शिमला में बोर्ड मुख्यालय के बाहर किया प्रदर्शन; आउटसोर्स ड्राइवरों को नौकरी से हटाने से नाराज हिमाचल बिजली बोर्ड प्रबंधन द्वारा 81 आउटसोर्स ड्राइवरों को नौकरी से हटाए जाने पर बिजली कर्मचारी भड़क उठे हैं। प्रदेशभर से शिमला पहुंचे बिजली कर्मचारियों ने सोमवार को बोर्ड मुख्यालय परिसर में प्रदर्शन कर प्रबंधन को उनकी सेवाएं बहाल करने की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि यदि इनकी सेवाएं बहाल नहीं की गई तो बिजली बोर्ड इंजीनियर और कर्मचारियों की ज्वाइंट एक्शन कमेटी इसके खिलाफ उग्र आंदोलन करेगी। दरअसल, बिजली बोर्ड प्रबंधन ने एक दिसंबर से आउटसोर्स पर रखे 81 ड्राइवरों को नौकरी से हटा दिया था। इसके बाद इनके समर्थन में बिजली बोर्ड के इंजीनियर और कर्मचारी उतर आए हैं। आज भी प्रदेशभर के बिजली बोर्ड के इंजीनियर और कर्मचारी शिमला पहुंचे। बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने बोर्ड प्रबंधन को जल्द ड्राइवरों की सेवाएं बहाल करने की चेतावनी दी है। ज्वाइंट एक्शन कमेटी के संयोजक हीरा लाल वर्मा ने बताया कि बोर्ड प्रबंधन से आउटसोर्स ड्राइवरों की सेवाएं बहाल नहीं करता तो आने वाले दिनों में भी बोर्ड मुख्यालय में इस तरह के प्रदर्शन जारी रहेंगे। बिजली बोर्ड कर्मचारी आंदोलन को मजबूर किए जा रहे हीरा लाल वर्मा ने बताया कि आउटसोर्स ड्राइवरों की बहाली के अवाला बिजली कर्मचारी दो साल से ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली की भी मांग कर रहे है। मगर सरकार ने अब तक उनकी इस मांग को पूरा नहीं किया। इसे लेकर अधिकारियों से वार्ता जारी है। उन्होंने बताया कि यदि बोर्ड कर्मचारियों की पेंशन जल्द बहाल नहीं की जाती तो इसके खिलाफ भी मजबूरन आंदोलन लड़ना पड़ेगा। 12 से 15 सालों से दे रहे थे सेवाएं: राजेश आउटसोर्स यूनियन के राजेश चौहान ने बताया वह 12 से 15 सालों से सेवाएं दे रहे हैं। अब उन्हें घर पर बिठा दिया गया है। उन्होंने बताया कि पहले ही आउटसोर्स ड्राइवरों को नाम मात्र मानदेय उन्हें दिया जा रहा था। फिर भी उन्हें नौकरी से बाहर किया जा रहा है।
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धर्मशाला में कचरे से बन रही बिजली:हर घंटे 1.25 किलोवाट का उत्पादन, बायोगैस और बायोमीथेन भी बनाई जा रही हिमाचल के धर्मशाला में गीले कचरे को रिसाइकिल कर बिजली और जैविक खाद का उत्पादन किया जा रहा है। एक टन कचरे से 35 से 40 क्यूबिक मीटर बायोगैस/बायोमीथेन और एक टन कचरे से 1.25 किलोवाट प्रति घंटा बिजली उत्पादित हो रही है। पिछले एक महीने में 300 किलोवाट बिजली उत्पादित हुई है। धर्मशाला स्मार्ट सिटी से एकत्रित होने वाले गीले कचरे को रिसाइकिल कर बिजली और जैविक खाद का उत्पादन किया जा रहा है। इससे जहां हर माह इस प्रोजेक्ट को संचालित करने के लिए बिजली मिल रही है, वहीं जैविक खाद का उत्पादन हो रहा है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 2.15 करोड़ रुपए से प्री-सेग्रिगेट एमएसडब्ल्यू फीड स्टॉक आधारित बायोगैस प्लांट लगाया गया है। इसमें धर्मशाला शहर के गीले कूड़े-कचरे का निष्पादन होने के साथ ही बिजली व खाद भी तैयार हो रही है। बस स्टैंड के पास बनाई डंपिंग साइट इस तरह का हिमाचल में पहला प्लांट बताया जा रहा है। इससे पहले 60 हजार के लगभग आबादी वाले नगर निगम धर्मशाला, जो कि पर्यटन सीजन में लाखों पर्यटकों का जिम्मा भी संभालता है, और उतने ही बड़े स्तर पर होटलों, रेस्तरां व पर्यटक स्थलों से कूड़ा-कचरा भी निकालता है, लेकिन इससे पहले धर्मशाला बस स्टैंड के पास सुधेड़ में ही एक मात्र डंपिंग साइट है। जिसमें सभी प्रकार का गीला व सूखा कचरा एक साथ ही एकत्रित किया जाता था। जिसके कारण कूड़ा-कचरा सही प्रकार से सेग्रिगेट नहीं हो पाता था, जिससे शहर का वातावरण भी प्रदूषित होता था। स्मार्ट सिटी धर्मशाला के तहत बायोगैस प्लांट लगने से गीले कचरे को एक ही स्थान पर सग्रिग्रेशन किया जा रहा है। धर्मशाला के स्टेडियम के साथ दाड़ी आईटीआई रोड चरान खड्ड में प्री-सेग्रिगेट एमएसडब्ल्यू फीड स्टॉक आधारित बायोगैस प्लांट बनाया गया है। प्लांट के बनने से गीले कचरे से बिजली तैयार की जा रही है जिसे प्लांट में प्रयोग करने के साथ-साथ ही नगर निगम धर्मशाला के क्षेत्रों में भी प्रयोग में लाया जा सकेगा। प्रतिदिन 5 मैट्रिक टन कूड़े का निष्पादन नगर निगम धर्मशाला में गीला और सूखा कूड़ा-कचरा घर-घर से एकत्रित किया जा रहा है। नगर निगम धर्मशाला के आयुक्त एवं स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ एवं एमडी ज़फर इकबाल ने बताया कि 2.15 करोड़ से प्री-सेग्रिगेटेड एमएसडब्ल्यू फीड स्टॉक आधारित बायोगैस प्लांट तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्लांट की मदद से प्रतिदिन 5 मैट्रिक टन कूड़े का निष्पादन किया जाएगा। जहां इससे बायोगैस/बायोमीथेन और बिजली तैयार की जा रही है। वहीं, ठोस कचरे से खाद बनाई जा रही है जिससे कि पर्यावरण के साथ-साथ जल को भी स्वच्छ रखा जा सकेगा। एक महीने में 300 किलोवाट बिजली उत्पादन स्मार्ट सिटी के इंजीनियर रोबिन महाजन ने बताया कि संयंत्र में दो से 2.5 टन गीले कचरे को रोजाना रिसाइकिल करने की क्षमता है। एक टन कचरे से 35 से 40 क्यूबिक मीटर बायोगैस/बायोमीथेन और एक टन कचरे से 1.25 किलोवाट प्रति घंटा बिजली उत्पादित हो रही है। पिछले एक महीने में 300 किलोवाट बिजली उत्पादित हुई है। प्लांट में गीले कचरे की मशीन से कटिंग की जाती है। फिर मिक्सर की मदद से घोल तैयार किया जाता है। घोल को डाइजेस्टर टैंक में डाला जाता है। जिससे बनी 250-350 क्यूबिक बायोगैस को जनरेटर की मदद से बिजली में बदला जाता है। वहीं लिक्विड (तरल) खाद निकलती है, जिसका उपयोग फसल और सब्जी उत्पादन में किया जा सकता है।