रोहतक कोर्ट में पेशी के लिए आए युवक पर न्यायालय के बाहर आधा दर्जन युवकों ने जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले में घायल को उपचार के लिए रोहतक पीजीआई में भर्ती करवाया गया। वहीं यह विवाद जेल में शुरू हुआ था। जेल में हुए झगड़े की रंजिश रखते हुए आरोपियों ने हमला किया है। वहीं घायल के पिता ने मामले की शिकायत पुलिस को दे दी। सोनीपत के गांव बरोदा ठुठान निवासी जगदीश ने आर्य नगर पुलिस थाने में शिकायत दी। जिसमें बताया कि उसके पास दो लड़के (बड़ा लड़का अमित व छोटा लड़का संजय) हैं। 23 अगस्त को वे रोहतक कोर्ट में पेशी थी। इसलिए वे रोहतक कोर्ट में आए थे। कोर्ट के बाहर चौक पर रोहतक की एकता कॉलोनी निवासी अमित अपने करीब 6-7 साथियों के साथ आ गया। जगदीश ने बताया कि आरोपियों ने उसके बेटे अमित के साथ झगड़ा शुरू कर दिया। वहीं आरोपियों ने उसके बेटे को लात-घूसों से बेरहमी से मारपीट की। जान से मारने की दी धमकी जगदीश ने कहा कि इस झगड़े में उसका बड़ा बेटा अमित घायल हो गया। वहीं आरोपियों ने मारपीट करके जान से मारने की धमकी दी। इस दौरान उसका छोटा बेटा संजय डरता हुआ दूर खड़ा था। वहीं उसका छोटा बेटा घायल अमित को लेकर घर चला गया। जहां पर घरेलू इलाज करवाया। लेकिन हालत ज्यादा खराब होने के कारण 25 अगस्त को उसे रोहतक पीजीआई के ट्रामा सेंटर में भर्ती करवाया गया। जिसके बाद मामले की शिकायत पुलिस को दे दी। आर्य नगर थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी। जेल में हुए झगड़े की रंजिश में किया हमला जगदीश ने बताया कि उसका बेटा करीब एक-डेढ़ साल पहले जेल गया था। वहां पर आरोपी के साथ झगड़ा हुआ। आरोपी ने उसके बेटे के साथ जेल में भी मारपीट की थी। जिसके बाद उसके बेटे अमित ने आरोपी की शिकायत जेल में मौजूद पुलिस को दे दी। जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की। उस विवाद की रंजिश रखते हुए आरोपी ने झगड़ा किया है। रोहतक कोर्ट में पेशी के लिए आए युवक पर न्यायालय के बाहर आधा दर्जन युवकों ने जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले में घायल को उपचार के लिए रोहतक पीजीआई में भर्ती करवाया गया। वहीं यह विवाद जेल में शुरू हुआ था। जेल में हुए झगड़े की रंजिश रखते हुए आरोपियों ने हमला किया है। वहीं घायल के पिता ने मामले की शिकायत पुलिस को दे दी। सोनीपत के गांव बरोदा ठुठान निवासी जगदीश ने आर्य नगर पुलिस थाने में शिकायत दी। जिसमें बताया कि उसके पास दो लड़के (बड़ा लड़का अमित व छोटा लड़का संजय) हैं। 23 अगस्त को वे रोहतक कोर्ट में पेशी थी। इसलिए वे रोहतक कोर्ट में आए थे। कोर्ट के बाहर चौक पर रोहतक की एकता कॉलोनी निवासी अमित अपने करीब 6-7 साथियों के साथ आ गया। जगदीश ने बताया कि आरोपियों ने उसके बेटे अमित के साथ झगड़ा शुरू कर दिया। वहीं आरोपियों ने उसके बेटे को लात-घूसों से बेरहमी से मारपीट की। जान से मारने की दी धमकी जगदीश ने कहा कि इस झगड़े में उसका बड़ा बेटा अमित घायल हो गया। वहीं आरोपियों ने मारपीट करके जान से मारने की धमकी दी। इस दौरान उसका छोटा बेटा संजय डरता हुआ दूर खड़ा था। वहीं उसका छोटा बेटा घायल अमित को लेकर घर चला गया। जहां पर घरेलू इलाज करवाया। लेकिन हालत ज्यादा खराब होने के कारण 25 अगस्त को उसे रोहतक पीजीआई के ट्रामा सेंटर में भर्ती करवाया गया। जिसके बाद मामले की शिकायत पुलिस को दे दी। आर्य नगर थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी। जेल में हुए झगड़े की रंजिश में किया हमला जगदीश ने बताया कि उसका बेटा करीब एक-डेढ़ साल पहले जेल गया था। वहां पर आरोपी के साथ झगड़ा हुआ। आरोपी ने उसके बेटे के साथ जेल में भी मारपीट की थी। जिसके बाद उसके बेटे अमित ने आरोपी की शिकायत जेल में मौजूद पुलिस को दे दी। जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की। उस विवाद की रंजिश रखते हुए आरोपी ने झगड़ा किया है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा के पूर्व मंत्री ने BJP छोड़ी:इस्तीफे में लिखा- पार्टी में अब गद्दारों को तवज्जो, कल पार्टी में आने वालों को टिकटें बांटी हरियाणा के पूर्व मंत्री कर्ण देव कांबोज ने बीजेपी छोड़ते हुए पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इंद्री विधानसभा से 2014 में विधायक और हरियाणा के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले एवं वन विभाग के पूर्व राज्यमंत्री कर्णदेव कांबोज ने इंद्री से टिकट न मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वर्तमान में वह भाजपा ओबीसी मोर्चा हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष थे, लेकिन उन्होंने अपने पद के साथ-साथ भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा में गद्दारों को तवज्जो मिलने का आरोप
कर्ण देव कांबोज ने अपने इस्तीफे में पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी वाली भाजपा नहीं रही। उन्होंने कहा कि अब पार्टी में नुकसान पहुंचाने वाले गद्दारों को तवज्जो दी जा रही है, जबकि वफादार कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। कांबोज ने कहा कि उन्होंने और उनके परिवार ने वर्षों तक भाजपा की सेवा की, लेकिन पार्टी ने उनके योगदान को नजरअंदाज किया। संगठन में किए गए काम को नजरअंदाज किया गया
कांबोज ने इस्तीफे में उल्लेख किया कि पिछले पांच सालों में उन्होंने ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में पूरे हरियाणा में काम किया और 150 सामाजिक टोलियों का गठन किया। इसके बावजूद पार्टी ने उनकी सेवाओं को नजरअंदाज किया और उन्हें टिकट नहीं दिया। कांबोज ने आरोप लगाया कि पार्टी ने वफादार कार्यकर्ताओं के बजाय उन लोगों को टिकट दिया है जो हाल ही में पार्टी में शामिल हुए हैं। कृष्ण देव कांबोज के इस्तीफे की कॉपी… कांग्रेस और भाजपा में अब कोई फर्क नहीं
कांबोज ने भाजपा के फैसलों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी अब कांग्रेस की तरह हो गई है। उन्होंने कहा, “जब पार्टी में पुराने और वफादार कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर नए चेहरों को प्राथमिकता दी जा रही है, तो कांग्रेस और भाजपा में क्या फर्क रह गया है?” उनका यह बयान सीधे तौर पर भाजपा की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है और पार्टी के अंदर गहरे असंतोष को दर्शाता है। आगे का राजनीतिक सफर चुनाव लड़ने के संकेत
कर्ण देव कांबोज ने अपने इस्तीफे में यह भी कहा कि उनका आगामी फैसला उनके समर्थकों के निर्णय पर निर्भर करेगा। उन्होंने संकेत दिया कि वह अपने समर्थकों के निर्णय का सम्मान करते हुए अगला कदम उठाएंगे। कांबोज ने यह भी इशारा किया कि उनके समर्थक तय करेंगे कि वह आगामी चुनाव लड़ेंगे या नहीं। इससे यह स्पष्ट होता है कि वह चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं और बीजेपी के खिलाफ एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लड़ सकते हैं या किसी अन्य पार्टी से हाथ मिला सकते हैं। राजनीतिक परिदृश्य में असर
कर्ण देव कांबोज का इस्तीफा खासकर इंद्री विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। कांबोज ने 2014 में इंद्री से जीत हासिल की थी और खाद्य विभाग के मंत्री बने थे। हालांकि, 2019 में पार्टी ने उन्हें इंद्री की बजाय रादौर से चुनाव लड़ने भेजा, जहां वह हार गए। अब 2024 के चुनाव में कांबोज का अलग मैदान में उतरना भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
CM की सीट पर खट्टर समर्थकों का पेंच:नायब सैनी करनाल से ही लड़ने के इच्छुक; केंद्रीय मंत्री के करीबी लाडवा भेजने के पक्ष में
CM की सीट पर खट्टर समर्थकों का पेंच:नायब सैनी करनाल से ही लड़ने के इच्छुक; केंद्रीय मंत्री के करीबी लाडवा भेजने के पक्ष में हरियाणा के विधानसभा चुनाव में अभी तक न कांग्रेस और न ही BJP उम्मीदवारों का ऐलान कर पाई है। दोनों पार्टियों में मीटिंगों का दौर जारी है। हर बार की तरह इस बार भी करनाल सीट पर सबकी नजरें हैं। इसका कारण ये है कि करनाल सीट 10 सालों से सीएम सिटी है। पहले मनोहर लाल खट्टर तो फिर नायब सैनी यहां से चुनाव जीते, लेकिन इस बार के चुनाव में खट्टर खेमा एक्टिव हो गया है और चाह रहा है कि नायब सैनी करनाल से ना लड़कर लाडवा से चुनाव लड़ें, जबकि नायब सैनी करनाल से ही चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। यहां हलचल सीएम नायब सैनी के बयान के बाद शुरू हुई है। उन्होंने बीते शुक्रवार को करनाल में रोड शो के दौरान कहा कि मैं करनाल से ही चुनाव लड़ना चाहता हूं। जिसके बाद से ही खट्टर खेमा कह रहा है कि नायब सैनी लाडवा से ही लड़ेंगे और यह फैसला भाजपा संगठन कर चुका है। खट्टर खेमा करनाल सीट पर एक लोकल उम्मीदवार को उतारने के पक्ष में है और इसके लिए लगातार लॉबिंग कर रहा है। वहीं पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने करनाल सीट पर एक सर्वे भी कराया है। जिसमें करनाल सीट को सैनी के लिए सुरक्षित नहीं माना गया। सैनी के लिए लाडवा सीट सेफ मानी जा रही है, जहां सैनी समाज और ओबीसी वोटरों की संख्या है। करनाल सीट छोड़ने के पीछे के 3 कारण…. 1. बाहरी उम्मीदवार होने से चुनौती
करनाल विधानसभा सीट पर पिछले 10 सालों से भाजपा का कब्जा है, लेकिन यहां से विधायक हमेशा बाहरी ही रहा है। पहले मनोहर लाल खट्टर और फिर नायब सैनी, दोनों ही मुख्यमंत्री रहे, जिसके चलते वे आम जनता के बीच ज्यादा समय नहीं बिता पाए। इस बार जनता को उम्मीद है कि उन्हें एक ऐसा स्थानीय विधायक मिलेगा, जो उनकी समस्याओं को समझेगा और उनके बीच रहेगा। लोकल नेताओं की अनदेखी होने के कारण इस सीट पर सैनी के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। 2. पंजाबी वोटर ज्यादा, OBC कम
करनाल में करीब 63 हजार पंजाबी समाज के वोट हैं। जिनके आधार पर मनोहर लाल खट्टर यहां से दो बार विधायक बने। नायब सैनी सैनी समाज से आते हैं। जिनका करनाल में वोट बैंक मात्र 5800 के करीब है। जातीय समीकरण भी इस सीट पर सैनी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। इसी वजह से खट्टर खेमा सैनी को लाडवा से चुनाव लड़ने के लिए दबाव बना रहा है। 3. बाहरी विधायक पर नाराजगी
पिछले 10 सालों से बाहरी विधायक बनता आ रहा है, जिससे स्थानीय नेताओं में नाराजगी है। यह नाराजगी लोकसभा चुनाव के दौरान खुलकर सामने आई थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक सुखीजा और शमशेर नैन ने खुलकर विरोध किया। शमशेर नैन ने उपचुनाव में नायब सैनी के खिलाफ नामांकन दाखिल किया था, हालांकि बाद में सैनी ने उन्हें मना लिया। स्थानीय नेताओं में बाहरी उम्मीदवारों के प्रति असंतोष अब भी कायम है, जो सैनी के लिए चुनौती साबित हो सकता है। नायब सैनी के लिए क्यों सेफ सीट लाडवा
लाडवा विधानसभा को नायब सैनी के लिए सुरक्षित सीट के रूप में देखा जा रहा है। इस विधानसभा में 1 लाख 95 हजार से ज्यादा वोट हैं। जिसमें 50 हजार वोट जाट समाज की हैं। इसके अलावा सैनी समाज के 47 हजार से ज्यादा वोट हैं। 90 हजार से ज्यादा OBC वर्ग के वोट हैं। OBC वर्ग और खास तौर पर सैनी समुदाय के वोट बैंक की वजह से यह सीएम के लिए फेवरेट सीट मानी जा रही है। भाजपा नेतृत्व भी चाहता है कि सैनी लाडवा से ही चुनाव लड़ें, ताकि पार्टी को किसी तरह का नुकसान न हो। करनाल सीट के प्रमुख दावेदार खट्टर खेमा की रणनीति
करनाल सीट पर खट्टर खेमा के कुछ प्रमुख दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं। जिनमें पूर्व मेयर रेणु बाला गुप्ता, अशोक सुखीजा, मुकेश अरोड़ा, और जगमोहन आनंद शामिल हैं। खट्टर खेमा इनमें से किसी एक को टिकट दिलवाकर इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है। खट्टर खेमे का मानना है कि एक स्थानीय उम्मीदवार से जनता की अपेक्षाएं पूरी होंगी और पार्टी को मजबूती मिलेगी। राजनीतिक विशेषज्ञ क्या बोले…
राजनीतिक विशेषज्ञ व DAV कॉलेज के प्रिंसिपल आरपी सैनी का मानना है कि करनाल में भाजपा के भीतर मची खींचतान पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। इससे असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है। अब देखना यह होगा कि पार्टी इस चुनौती से कैसे निपटती है।
भाजपा नेता रणजीत चौटाला के बगावती तेवर:समर्थकों की बुलाई बड़ी बैठक, हलोपा के रानियां से उम्मीदवार उतारने पर हैं नाराज
भाजपा नेता रणजीत चौटाला के बगावती तेवर:समर्थकों की बुलाई बड़ी बैठक, हलोपा के रानियां से उम्मीदवार उतारने पर हैं नाराज हरियाणा में भाजपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने वाले रणजीत चौटाला ने बगावती तेवर अपना लिए हैं। रणजीत चौटाला गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा की ओर से
रानियां विधानसभा से उम्मीदवार उतारने से नाराज हैं। गोपाल कांडा ने अपने भतीजे गोबिंद कांडा के बेटे धवल कांडा को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। इससे नाराज रणजीत चौटाला ने आज समर्थकों की मीटिंग रानियां के गाबा रिजॉर्ट में बुलाई है।
भाजपा नेता एवं ऊर्जा मंत्री के इस कार्यक्रम से भाजपा जिला अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष व भाजपा कार्यकर्ताओं ने दूरी बनाई हुई है। जिलाध्यक्ष शीशपाल कम्बोज का भी कहना है कि रणजीत चौटाला के कार्यक्रम की उनके पास कोई सूचना नहीं है। वहीं रणजीत चौटाला ने अपने समर्थकों को ही इस बैठक का निमंत्रण दिया है। रणजीत चौटाला इस बैठक में समर्थकों से राय मशवरा कर सकते हैं। कांडा की शिकायत कर चुके हैं रणजीत
हलोपा की ओर से रानियां विधानसभा से उम्मीदवार उतारने पर रणजीत चौटाला इसकी शिकायत पार्टी आलाकमान को भी की है मगर ज्यादा रिस्पांस रणजीत चौटाला को नहीं मिला। इसके अलावा कुछ समय पहले तक प्रधानमंत्री तक पहुंच होने का दावा रखने वाले रणजीत चौटाला के हिसार लोकसभा चुनाव से हारते ही परिस्थतियां पार्टी में बदल गई है। जहां हिसार और सिरसा विधानसभा में पार्टी को लीड करने की बात कहने वाले रणजीत चौटाला के लिए अपनी ही विधानसभा के लिए दावेदारी कमजोर पड़ती नजर आ रही है। बताया जा रहा है कि भाजपा भी हलोपा के साथ गठबंधन की घोषणा जल्द कर सकती है। ऐसे में रणजीत चौटाला ने भाजपा पर दवाब बनाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। रानियां छोड़कर हिसार से लोकसभा चुनाव लड़े, जनता नाराज
बताया जा रहा है कि रणजीत चौटाला रानियां विधानसभा में लोग रणजीत चौटाला से नाराज है। भाजपा और संघ के ग्रांउड सर्वे में रणजीत चौटाला की स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में पार्टी रानियां में रिस्क नहीं लेना चाहेगी। वहीं आजाद उम्मीदवार के तौड़ पर लड़े रणजीत चौटाला भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा के खिलाफ रणजीत चौटाला को वोट देने वाले लोग इसलिए भी नाराज हैं। वहीं रणजीत के रानियां विधानसभा छोड़कर हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ने पर भी लोगों में नाराजगी है। 63,381 वोटों से हारे थे रणजीत
बता दें कि हिसार लोकसभा में जयप्रकाश जेपी ने रणजीत चौटाला को 63,381 वोटों से हराया था। जयप्रकाश को 48.58 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि रणजीत चौटाला को सिर्फ 43.19 प्रतिशत वोट मिले थे। पिछली बार के मुकाबले भाजपा का वोट प्रतिशत 7.81 प्रतिशत कम हुआ है। 2019 में भाजपा को 51.13 प्रतिशत वोट मिले थे।
वहीं कांग्रेस को 2019 में 15.63 प्रतिशत वोट मिले थे जो बढ़कर 48.58 प्रतिशत हो गए। हिसार लोकसभा की 9 में से 6 सीटों पर जयप्रकाश जेपी ने जीत दर्ज की थी जबकि रणजीत चौटाला सिर्फ 3 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाए।