रोहतक जिले की 4 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस और भाजपा ने 3-3 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जबकि दोनों ही पार्टियों ने एक-एक सीट को होल्ड कर लिया है। भाजपा ने रोहतक तो कांग्रेस ने महम सीट पर किसी भी उम्मीदवार को नहीं उतारा। जबकि कांग्रेंस से महम सीट के लिए 28 दावेदारों ने टिकट की मांग रखी है। जिले की एक-एक सीट को होल्ड करना चर्चा का विषय बना हुआ है। इन सीटों पर टिकट का इंतजार करने वाले उम्मीदवारों की धड़कनें बढ़ी हैं। वहीं अपने आलाकमान से लगातार संपर्क में हैं। ताकि उनकी टिकट पक्की हो सके। हुड्डा के गढ़ में सेंधमारी भाजपा के लिए चुनौती पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ कहे जाने वाले रोहतक में अब भाजपा को सेंधमारी करना चुनौती बना हुआ है। इधर, कांग्रेस के लिए भी अपने गढ़ को सुरक्षित रखना चुनौती है। पिछली बार 2019 में 4 विधानसभाओं में से 3 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। दोनों पार्टियां सभी सीटों पर जीतने के प्रयास में दांव-पेंच अजमा रही हैं। कलानौर में सबसे ज्यादा सपने टूटे कांग्रेस ने उम्मीदवारों की घोषणा से पहले संभावित उम्मीदवारों ने आवेदन मांगे गए थे। रोहतक जिले की चारों विधानसभाओं में कुल 94 उम्मीदवारों ने इस उम्मीद से आवेदन किए थे कि उन्हें टिकट मिलेगा। सबसे ज्यादा कलानौर विधानसभा से 55 व सबसे कम गढ़ी-सांपला-किलोई से एक आवेदन आया था। कलानौर में एक को टिकट मिल गया और 54 आवेदकों के सपने अधुरे रह गए। कांग्रेसियों ने किए आवेदन कांग्रेस के उम्मीदवार भाजपा के उम्मीदवार रोहतक जिले की 4 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस और भाजपा ने 3-3 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जबकि दोनों ही पार्टियों ने एक-एक सीट को होल्ड कर लिया है। भाजपा ने रोहतक तो कांग्रेस ने महम सीट पर किसी भी उम्मीदवार को नहीं उतारा। जबकि कांग्रेंस से महम सीट के लिए 28 दावेदारों ने टिकट की मांग रखी है। जिले की एक-एक सीट को होल्ड करना चर्चा का विषय बना हुआ है। इन सीटों पर टिकट का इंतजार करने वाले उम्मीदवारों की धड़कनें बढ़ी हैं। वहीं अपने आलाकमान से लगातार संपर्क में हैं। ताकि उनकी टिकट पक्की हो सके। हुड्डा के गढ़ में सेंधमारी भाजपा के लिए चुनौती पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ कहे जाने वाले रोहतक में अब भाजपा को सेंधमारी करना चुनौती बना हुआ है। इधर, कांग्रेस के लिए भी अपने गढ़ को सुरक्षित रखना चुनौती है। पिछली बार 2019 में 4 विधानसभाओं में से 3 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। दोनों पार्टियां सभी सीटों पर जीतने के प्रयास में दांव-पेंच अजमा रही हैं। कलानौर में सबसे ज्यादा सपने टूटे कांग्रेस ने उम्मीदवारों की घोषणा से पहले संभावित उम्मीदवारों ने आवेदन मांगे गए थे। रोहतक जिले की चारों विधानसभाओं में कुल 94 उम्मीदवारों ने इस उम्मीद से आवेदन किए थे कि उन्हें टिकट मिलेगा। सबसे ज्यादा कलानौर विधानसभा से 55 व सबसे कम गढ़ी-सांपला-किलोई से एक आवेदन आया था। कलानौर में एक को टिकट मिल गया और 54 आवेदकों के सपने अधुरे रह गए। कांग्रेसियों ने किए आवेदन कांग्रेस के उम्मीदवार भाजपा के उम्मीदवार हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
आज घर बैठे रिटायर्ड हो जाएंगे हरियाणा के मुख्य सचिव:टीवीएसएन प्रसाद की भी संजीव कौशल की तरह होगी विदाई, छुट्टी वाले दिन रिटायरमेंट
आज घर बैठे रिटायर्ड हो जाएंगे हरियाणा के मुख्य सचिव:टीवीएसएन प्रसाद की भी संजीव कौशल की तरह होगी विदाई, छुट्टी वाले दिन रिटायरमेंट हरियाणा में 1988 बैच के IAS हरियाणा के मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद आज रिटायर्ड हो जाएंगे। आज (31 अक्टूबर) दिवाली पर वह सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके स्थान पर 1989 बैच के IAS ऑफिसर विवेक जोशी मुख्य सचिव बन सकते हैं। उनका नाम तय माना जा रहा है। जॉइनिंग दिवाली के बाद कभी भी हो सकती है। मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद उसी तरह रिटायर्ड हो रहे हैं जिस तरह IAS ऑफिसर संजीव कौशल रिटायर्ड हुए थे। वह भी छुट्टी वाले दिन घर बैठे-बैठे रिटायर्ड हो गए थे। इसके साथ ही केंद्र में प्रति नियुक्ति के आदेश होने के बाद ACS रैंक के अधिकारी IAS वी. उमाशंकर को रिलीफ कर दिया है। वह हरियाणा CM के प्रधान सचिव के पद पर थे। अब इस पद के लिए सबसे आगे अरूण गुप्ता का नाम चल रहा है। इनके अलावा विजयेंद्र सिंह के नाम की भी चर्चा है। नवंबर के शुरुआती दिनों में हरियाणा की अफसर शाही में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। विवेक जोशी का हरियाणा चीफ सेक्रेटरी बनना तय
हरियाणा सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की एंट्री हो रही है। केंद्र सरकार की तरफ से 1989 बैच के IAS ऑफिसर विवेक जोशी को केंद्र से स्टेट कैडर में भेजने के आदेश जारी हो गए हैं। यह आदेश करीब 4 दिन पहले तब जारी हुए हैं, जब शनिवार (26 अक्टूबर) को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई थी। मुलाकात के कुछ ही देर बाद विवेक जोशी को उनके पुराने कैडर में वापस भेज दिया गया था। विवेश जोशी का हरियाणा का चीफ सेक्रेटरी (CS) बनना तय माना जा रहा है। विवेक जोशी केंद्र में वित्त मंत्रालय में सेक्रेटरी भी रह चुके हैं। हरियाणा सरकार के साथ काम कर चुके
विवेक जोशी ने हरियाणा सरकार के साथ निगरानी और समन्वय के प्रमुख सचिव, गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण के CEO के रूप में भी काम किया है। 2014-2017 के दौरान उन्होंने भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया है। इस दौरान वह सार्वजनिक खरीद नीति तैयार करने में सरकार को सलाह देना का काम किया करते थे। उन्होंने भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (2010-2014) में संयुक्त सचिव के रूप में भी काम किया है। चुनाव में भीतरघात करने वाले अधिकारी रडार पर
विधानसभा चुनाव के दौरान नायब सैनी कह चुके हैं कि वह चुनावी मोड में होने के कारण संदिग्ध आचरण वाले प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं कर सके। लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में कुछ अधिकारियों द्वारा भीतरघात करने की शिकायत भी उनके पास पहुंची थी। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ अब कार्रवाई की जा रही है। दिवाली से एक दिन पहले बुधवार (30 अक्टूबर) को 36 IPS अधिकारियों के ट्रांसफर किए गए हैं। अभी कई जिलों के उपायुक्तों को भी इधर से उधर किया जा सकता है।
हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस में घमासान:सैलजा समर्थक बोले- हमें हराया गया; गोगी ने कहा- सैलजा के अपमान से दलितों ने वोट नहीं दिए
हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस में घमासान:सैलजा समर्थक बोले- हमें हराया गया; गोगी ने कहा- सैलजा के अपमान से दलितों ने वोट नहीं दिए हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। सैलजा के समर्थक नेताओं ने चुनाव में हार का ठीकरा भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सिर फोड़ा है। नेताओं का कहना है कि वे हारे नहीं हैं, उन्हें हराया गया है। आरोप लगाने वाले नेताओं में करनाल के असंध से शमशेर गोगी, कुरुक्षेत्र के जिला अध्यक्ष मधुसूदन बवेजा और अंबाला कैंट से कांग्रेस प्रत्याशी रहे परविंदर परी ने हुड्डा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गोगी ने यहां तक कहा कि सैलजा के अपमान के कारण दलितों ने हमें वोट भी नहीं दिया। सैलजा ने कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं ने पिछले 10 सालों में कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत कुछ सहा है, लेकिन अब हमें इन सब बातों से पीछे हटते हुए एक नए सिरे से आगे सोचना होगा। क्योंकि जैसे अभी चल रहा है वो ऐसे ही तो नहीं चलेगा। चुनाव हारने के बाद कांग्रेस नेता ने क्या कहा? गोगी बोले- हरियाणा में हुड्डा कांग्रेस की हार हुई
करनाल की असंध सीट से 2306 वोटों से हारे शमशेर गोगी ने कहा कि एक बिरादरी की सरकार नहीं बनती। सबको साथ लेकर चलना पड़ता है। अब हरियाणा कांग्रेस में बदलाव की जरूरत है। अगर शीर्ष नेतृत्व ने हार के कारणों की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई तो वह वहां सारी बातें रखेंगे। शमशेर गोगी ने कहा कि हरियाणा में हुड्डा कांग्रेस की हार हुई है, कांग्रेस की नहीं। गोगी ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कई अहम बातें कहीं। उन्होंने कहा कि करनाल में रैली के लिए मैंने सारे इंतजाम किए थे, लेकिन हुड्डा ने अपने भाषण में मेरा नाम तक नहीं लिया। जब गोगी से पूछा गया कि आप की हार कैसे हुई, तो उन्होंने कहा कि मीडिया और सभी एजेंसियां हमारे पक्ष में स्थिति दिखा रही थीं, लेकिन पिछले दो दिनों में भाजपा ने इसे हिंदू और सिखों का मुद्दा बना दिया। जो अंदर ही अंदर फैल गया। सैलजा पर दिए गए बयान और दलितों के अपमान पर उन्होंने कहा कि लोगों ने इसे प्रदेश स्तर तक पहुंचा दिया। हालांकि सैलजा के गुट से होने के बावजूद दलितों ने हमें वोट नहीं दिया। परविंदर परी बोले- कांग्रेस कैंडिडेट को हराने का काम किया
अंबाला कैंट से हारे परविंदर परी ने कहा कि एक ही छत के नीचे रहने वाले नेता, जो 6 बार चुनाव हारते हैं उसके बाद कांग्रेस पार्टी उन्हें टिकट देती है। बीडी गैंग, यानी भूपेंद्र-दीपेंद्र हुड्डा गैंग ने कई सीटों पर बागी प्रत्याशियों को उतार कांग्रेस कैंडिडेट को हराने का काम किया। चुनाव हारना और चुनाव हराना दोनों में फर्क होता है। पार्टी ने ही बागी उम्मीदवार को कैंडिडेट उतार कर हमें अपनी पूरी मंशा के तहत हराया है। हमें लगता है कि कहीं न कहीं सैलजा जी सही टाइम पर आतीं तो आज चुनाव के नतीजे कुछ और होते। सैलजा बोलीं- तालमेल नहीं रखा गया
कुमारी सैलजा ने कहा कि पार्टी को किस तरह से राज्य में सींचा नहीं गया, तालमेल नहीं रखा गया, कौन से लोग थे जो सबको साथ लेकर चलने के जिम्मेदार थे। ये भी बातें हैं। राज्य में क्या संदेश गया है। किसलिए लोग कांग्रेस की सरकार बनाते हुए पीछे हट गए? ये सब बातें देखनी पड़ेंगी। बवेजा बोले- केवल एक नेता की बातों में आया हाईकमान
कुरुक्षेत्र शहरी से कांग्रेस जिला अध्यक्ष मधुसूदन बवेजा ने पूर्व सीएम हुड्डा का नाम लिए बगैर हाईकमान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हाईकमान केवल एक नेता की बातों में आया। दूसरे किसी भी कुशल नेता की बात नहीं मानी। जिसका खामियाजा आम जन मानस को भुगतना पड़ा और पार्टी को भी बहुत नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व जातीय समीकरण व हरियाणा के दिग्गज नेतागण राज्य सभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला, सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा की रणनीति को ध्यान में रखते, तो ये जो नौबत आज हुई है, वो ना होती। उन्होंने आगे कहा कि यदि अब भी हरियाणा की कमान सही हाथों में नहीं सौंपी और संगठन न बनाया गया, तो आने वाले अन्य प्रदेशों के चुनाव में भी हार का मुंह कांग्रेस पार्टी को देखना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर के हरियाणा कांग्रेस का गठन तुरंत प्रभाव से किया जाए। बवेजा ने कहा कि हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस को कभी बहुमत नहीं मिला है।
रेवाडी में आज पहुंचेंगे केन्द्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह:डहीना में धन्यवाद सम्मेलन में लेंगे भाग; आरती राव भी रहेंगी साथ
रेवाडी में आज पहुंचेंगे केन्द्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह:डहीना में धन्यवाद सम्मेलन में लेंगे भाग; आरती राव भी रहेंगी साथ गुरुग्राम से सांसद और केंद्र सरकार में स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह लगातार हरियाणा के अलग-अलग जिलों में धन्यवाद सम्मेलन कर रहे हैं। हिसार और महेंद्रगढ़ जिलों के बाद अब राव इंद्रजीत सिंह ने अपने गृह जिले रेवाड़ी में धन्यवाद सम्मेलन करना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को राव इंद्रजीत सिंह डहीना कस्बे में धन्यवाद सम्मेलन करने पहुंचेंगे। सुबह साढ़े दस बजे होने वाले इस सम्मेलन में उनकी बेटी आरती राव भी उनके साथ रहेंगी। इसके बाद राव इंद्रजीत 28 जुलाई को कोसली कस्बे में धन्यवाद सम्मेलन करेंगे। आपको बता दें कि राव इंद्रजीत सिंह इस बार छठी बार लोकसभा चुनाव जीते हैं। चौधरी धर्मबीर सिंह लगातार तीसरी बार भिवानी-महेंद्रगढ़ से जीते हैं। धर्मबीर की जीत में महेंद्रगढ़ जिले की अहम भूमिका चौधरी धर्मबीर सिंह की जीत में महेंद्रगढ़ जिले ने अहम भूमिका निभाई। जहां राव इंद्रजीत सिंह ने चौधरी धर्मबीर सिंह के समर्थन में जनसभाएं कीं। दरअसल, अहीरवाल बेल्ट की 11 सीटें तीन अलग-अलग लोकसभा सीटों को कवर करती हैं। इनमें रोहतक, गुरुग्राम और भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर राव इंद्रजीत सिंह के परिवार का लंबे समय से दबदबा रहा है।