लखनऊ के चारबाग जंक्शन पर ड्रग्स की बड़ी खेप पकड़ी गई है। यह पार्सल के जरिए बिहार से भेजी गई है। पार्सल में ड्रग्स के कुल 43 पैकेट थे। तस्कर ने 5 पैकेट निकाल लिया था। बचे हुए 38 पैकेट को खपाने के प्लान में था। इससे पहले GRP ने जब्त कर लिया। पकड़े गए ड्रग्स की कुल कीमत 1.93 करोड़ रुपए है। ड्रग्स की यह खेप ट्रेन नंबर 15053 लखनऊ-छपरा एक्सप्रेस से भेजी गई है। इसे पूरे यूपी में खपाने की तैयारी थी। GRP निरीक्षक मुकेश कुमार सिंह का कहना है कि मुखबिर से सूचना मिली थी कि बिहार से एक पार्टी ने पांच पैकेट ऑक्सीटोसिन लेकर गई है। इसी के बाद हमने चेंकिग शुरू किया। इस दौरान एक संदिग्ध पार्सल मिला। इसे कोई लेने भी नहीं आया था। मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। आरोपियों की तलाश की जा रही है। कागज में हुई डिलीवरी, रिसीवर कोई नहीं आया
छपरा से यह पार्सल संतोष सिंह तेलपा द्वारा राम लोटन के नाम से एसटीएन रोड लखनऊ जंक्शन भेजा गया था। पार्सल की 11 बजकर 27 मिनट पर सुपुर्दगी कागजों में दिखाई गई है। ऑन पेपर डिलीवरी हो चुकी है। लेकिन इसे कोई रिसीव नहीं किया। पार्सल छपरा के पते से आया है। 24 घंटे तक गोदाम में पड़ा रहा पार्सल, आईडी फेक
15 नवंबर को यह पार्सल लखनऊ पहुंचा था। 24 घंटे बाद भी माल गोदाम में ही पड़ा रहा। रिसीव नहीं होने के कारण शक हुआ। GRP ने शनिवार शाम 5 बजे तक संबंधित व्यक्ति का इंतजार किया, लेकिन वह पार्सल लेने नहीं आया। पार्सल आईडी चेक करने पर पता चला कि यह डिलीवरी राम लोटन निवासी लहरपुर सीतापुर की है। हालांकि ID फेक लग रही है। सैंपलिंग और सीलिंग की प्रक्रिया
औषधि विभाग ने मौके पर ही पार्सल से दो सैंपल लिए और उन्हें जांच के लिए लैब भेज दिया। बाकी खेप को सील कर सुरक्षित रखा गया। इस दौरान पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई गई। आरपीएफ और औषधि विभाग का मानना है कि यह खेप किसी बड़े गिरोह का हिस्सा है, जो रेलवे पार्सल के जरिए प्रतिबंधित दवाओं की तस्करी करता है। 17.82 रुपए प्रति एमएल है कीमत
आक्सीटोसिन की कीमत 17.82 रुपए प्रति एमएल है। ऐसे में माना जा रहा है कि 10,87,200 एमएल आक्सीटोसिन बरामद की गई है। इसकी बाजार में 1 करोड़ 93 लाख 73 हजार 904 रुपए है। इसे सिर्फ सिंगल यूनिट के रूप में बेचा जाता है। इसका सैंपल भी औषधि नियंत्रण विभाग ने लिया है। इसमें बड़े गिरोह के शामिल होने की बात सामने आ रही है। जीआरपी सीओ विकास पांडेय ने बताया कि मामले में आरपीएफ की मुकदमा दर्ज किया गया है। इसकी जांच की जा रही है। आरपीएफ के क्राइम ब्रांच ने की कार्रवाई
पूवोत्तर रेलवे के आरपीएफ क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि मामले में मुखबिर से सूचना मिलने के बाद कार्रवाई की गई है। इसकी जांच अब जीआरपी की टीम कर रही है। कार्रवाई करने वालों में एसआई प्रशांत सिंह यादव, सुनीत कुमार श्रीवास्तव, करुणेश कुमार मिश्रा, हेड कांसटेबल राजेंद्र कुमार,आलोक विजय, राज नारायण राय सहित अन्य ने मामले में कार्रवाई की है। क्यों प्रतिबंधित है ऑक्सीटोसिन?
ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल आमतौर पर पशुओं के दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जाता है। लेकिन इसका दुरुपयोग इंसानों और जानवरों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। सरकार ने 2001 में इसे सिंगल यूनिट ब्लिस्टर पैक में बेचने का आदेश दिया था, लेकिन यहां भारी मात्रा में बिना अनुमति इसे भेजा जा रहा था। लखनऊ के चारबाग जंक्शन पर ड्रग्स की बड़ी खेप पकड़ी गई है। यह पार्सल के जरिए बिहार से भेजी गई है। पार्सल में ड्रग्स के कुल 43 पैकेट थे। तस्कर ने 5 पैकेट निकाल लिया था। बचे हुए 38 पैकेट को खपाने के प्लान में था। इससे पहले GRP ने जब्त कर लिया। पकड़े गए ड्रग्स की कुल कीमत 1.93 करोड़ रुपए है। ड्रग्स की यह खेप ट्रेन नंबर 15053 लखनऊ-छपरा एक्सप्रेस से भेजी गई है। इसे पूरे यूपी में खपाने की तैयारी थी। GRP निरीक्षक मुकेश कुमार सिंह का कहना है कि मुखबिर से सूचना मिली थी कि बिहार से एक पार्टी ने पांच पैकेट ऑक्सीटोसिन लेकर गई है। इसी के बाद हमने चेंकिग शुरू किया। इस दौरान एक संदिग्ध पार्सल मिला। इसे कोई लेने भी नहीं आया था। मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। आरोपियों की तलाश की जा रही है। कागज में हुई डिलीवरी, रिसीवर कोई नहीं आया
छपरा से यह पार्सल संतोष सिंह तेलपा द्वारा राम लोटन के नाम से एसटीएन रोड लखनऊ जंक्शन भेजा गया था। पार्सल की 11 बजकर 27 मिनट पर सुपुर्दगी कागजों में दिखाई गई है। ऑन पेपर डिलीवरी हो चुकी है। लेकिन इसे कोई रिसीव नहीं किया। पार्सल छपरा के पते से आया है। 24 घंटे तक गोदाम में पड़ा रहा पार्सल, आईडी फेक
15 नवंबर को यह पार्सल लखनऊ पहुंचा था। 24 घंटे बाद भी माल गोदाम में ही पड़ा रहा। रिसीव नहीं होने के कारण शक हुआ। GRP ने शनिवार शाम 5 बजे तक संबंधित व्यक्ति का इंतजार किया, लेकिन वह पार्सल लेने नहीं आया। पार्सल आईडी चेक करने पर पता चला कि यह डिलीवरी राम लोटन निवासी लहरपुर सीतापुर की है। हालांकि ID फेक लग रही है। सैंपलिंग और सीलिंग की प्रक्रिया
औषधि विभाग ने मौके पर ही पार्सल से दो सैंपल लिए और उन्हें जांच के लिए लैब भेज दिया। बाकी खेप को सील कर सुरक्षित रखा गया। इस दौरान पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई गई। आरपीएफ और औषधि विभाग का मानना है कि यह खेप किसी बड़े गिरोह का हिस्सा है, जो रेलवे पार्सल के जरिए प्रतिबंधित दवाओं की तस्करी करता है। 17.82 रुपए प्रति एमएल है कीमत
आक्सीटोसिन की कीमत 17.82 रुपए प्रति एमएल है। ऐसे में माना जा रहा है कि 10,87,200 एमएल आक्सीटोसिन बरामद की गई है। इसकी बाजार में 1 करोड़ 93 लाख 73 हजार 904 रुपए है। इसे सिर्फ सिंगल यूनिट के रूप में बेचा जाता है। इसका सैंपल भी औषधि नियंत्रण विभाग ने लिया है। इसमें बड़े गिरोह के शामिल होने की बात सामने आ रही है। जीआरपी सीओ विकास पांडेय ने बताया कि मामले में आरपीएफ की मुकदमा दर्ज किया गया है। इसकी जांच की जा रही है। आरपीएफ के क्राइम ब्रांच ने की कार्रवाई
पूवोत्तर रेलवे के आरपीएफ क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि मामले में मुखबिर से सूचना मिलने के बाद कार्रवाई की गई है। इसकी जांच अब जीआरपी की टीम कर रही है। कार्रवाई करने वालों में एसआई प्रशांत सिंह यादव, सुनीत कुमार श्रीवास्तव, करुणेश कुमार मिश्रा, हेड कांसटेबल राजेंद्र कुमार,आलोक विजय, राज नारायण राय सहित अन्य ने मामले में कार्रवाई की है। क्यों प्रतिबंधित है ऑक्सीटोसिन?
ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल आमतौर पर पशुओं के दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जाता है। लेकिन इसका दुरुपयोग इंसानों और जानवरों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। सरकार ने 2001 में इसे सिंगल यूनिट ब्लिस्टर पैक में बेचने का आदेश दिया था, लेकिन यहां भारी मात्रा में बिना अनुमति इसे भेजा जा रहा था। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर