लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर रहमानखेड़ा…जहां एक बार फिर बाघ की दहशत से तीन गांव के 3 हजार लोग डरे हुए हैं। अंधेरा होने से पहले घरों में चले जाते हैं। जंगल में ड्यूटी करने वाले कर्मचारी एक साथ टॉर्च जलाकर और हाका लगाकर पहरा दे रहे हैं। शुक्रवार (6 दिसंबर) को सबसे पहले केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के गार्ड ने दहाड़ सुनी। गुरुवार (12 दिसंबर) को शिकार करने के बाद जंगली जानवर के होने की पुष्टि हुई। हालांकि अभी ये कौन जानवर है, ये साफ नहीं हो पाया है। फिलहाल इलाके के लोगों को अलर्ट कर दिया गया है। जानवर को पकड़ने के लिए कैमरे व पिंजड़े लगा दिए गए हैं। दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची और वहां के हालात को जाना… चलिए पूरी घटना को शुरू से समझते हैं महिलाबाद के रहमानखेड़ा में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान है। जहां पर पेड़ों व फलों पर शोध किया जाता है। शोध के लिए करीब 132 हेक्टेयर की जमीन दी गई है। जहां पर आम, अमरूद व अन्य फलों की बागवानी होती है। जिसमें 8 हेक्टेयर का घना जंगल है। संस्थान के निदेशक टी दामोदरन ने बताया कि एक हफ्ते पहले फॉर्म में काम करने वाले लेबर ने बताया कि परिसर में किसी जानवर के फुट मार्क दिखे हैं। इसके बाद वन विभाग को सूचना दी गई। फॉरेस्ट ऑफिसर सोनम दीक्षित अपनी टीम के साथ पहुंचीं। फुट मार्क की रेंज चेक की गई तो बड़ी मिली। जिसके बाद ये तो क्लियर हो गया कि कोई जंगली जानवर है, लेकिन किसी ने देखा नहीं तो कुछ कह पाना मुश्किल है। सुरक्षा के लिए हसिया अपने साथ रख रहे मजदूर फार्म में करीब 150 लोग काम करते हैं। वहीं 40 लोग लेबर हैं। इसके अलावा आसपास सटे तीन गांव हैं। सुरक्षा कारणों से फार्म में काम करने वाले सभी लेबर को एक साथ काम करने के लिए बोला गया है। सभी अपने पास हसिया रखते हैं। अकेले में जंगल में बाथरूम भी जाने के लिए से मना किया गया है। असल में परिसर में जानवर के आने के बाद गुरुवार को पहला शिकार हुआ है। इसके बाद सुरक्षा और बढ़ा दी गई। सबको फार्म एक्टिविटी के काम से मना कर दिया गया। शुक्रवार को पहली बार सुनाई दी थी आवाज बुधवार को शाम के वक्त लेबर काम कर रहे थे। उन्हें अजीब सी आवाज सुनाई दी। असल में शनिवार और रविवार को सबकी छुट्टी रहती है। शनिवार परिसर में जांच करने आए सिक्योरिटी गार्ड ने बताया था कि शुक्रवार (6 दिसंबर) रात को कुछ दहाड़ने जैसी आवाज सुनाई दी है। दो लोगों से एक जैसी बात सुनने पर कुछ संदेह हुआ। इसलिए सुरक्षा जरूरी थी। फुटप्रिंट से लग रहा बड़ा जानवर वन विभाग के सब-डिविजनल ऑफिसर हरीलाल बताते हैं इस जगह पर ही करीब एक हफ्ते से हिंसक जानवर के होने की सूचना मिल रही थी। जिसके फुटप्रिंट मिलने के बाद बाड़ा लगाया गया था, लेकिन जानवर के हिसाब से वो छोटा था। इसलिए अब बदलकर बड़ा किया गया है। इलाके में करीब 3 कैमरे लगाए हैं। जिससे मूवमेंट कैप्चर हो सके। गुरुवार तड़के एक नील गाय का शिकार किया है। शिकार वाली जगह पर भी कैमरा लगाया है। वहां आते ही कैप्चर होगा। इससे ट्रैक करना आसान होगा। जानवर शिकार के बाद 5 दिन तक उसी जगह पर रहता है हरीलाल बताते हैं, असल में हिंसक जानवर जब शिकार करता है तो करीब 5 से 6 दिन तक उनका खाना वही होता है। इसलिए वो उसके आसपास ही रहते हैं या घूम कर फिर वापस वहीं आते हैं। भीड़भाड़ देखकर कई बार जानवर नहीं लौटते हैं। ऐसे में ये पता करना सबसे ज्यादा जरूरी है कि वास्तव में क्या है। 7 दिन से मूवमेंट एक ही जगह पर मिली है, तो कैप्चर हो जाना चाहिए। तभी तेंदुआ और टाइगर का कंफर्म हो पाएगा। बाघ से डरेंगे तो भूख से मर जाएंगे रामबिलास यादव की ड्यूटी जंगल की सुरक्षा में लगी है। उन्हें पूरे जंगल में घूमकर देखना होता है कि कोई गलत गतिविधि तो नहीं चल रही है। लेकिन जंगल में बाघ होने की सूचना के बाद काफी डरे हुए हैं। रामबिलास को जंगल में जाने के लिए महज एक लाठी और टॉर्च मिला है। जिससे वो खुद की और जंगल की सुरक्षा करते हैं। रामबिलास बताते हैं जंगल में बाघ के फुटप्रिंट मिले हैं, लेकिन अभी तक किसी ने देखा नहीं। सूचना भर से दहशत हो गई है। क्योंकि फुटप्रिंट मिले हैं, तो बाघ भी होगा। बड़े साहब कहते हैं ड्यूटी नहीं करोगो तो घर में बैठो। घर में बैठ गए तो खाएंगे क्या। भूख से मर जाएंगे। बीच जंगल में नहीं जाए लेकिन जंगल के किनारे तो जाना पड़ेगा। 230 रुपए की मिलती है मजदूरी शिवशंकर बताते हैं बाघ की सूचना के बाद से काफी डर लग रहा है। लेकिन पेट को लेकर कहां चले जाए। 6 लोगों का परिवार है, 230 रुपए मजदूरी मिलती है। एक दिन नहीं गए तो पैसा कट जाएगा। इसलिए काम भी करना है और खेत की रखवाली भी करनी है। सुरक्षा के लिए टॉर्च व डंडा मिला। दिन भर खेत में रहते हैं, इस दौरान कुछ नहीं दिखाई दिया। लेकिन जो टीम खोजने में लगी है। वो कहती है कि दिन में छुप जा रहा है, रात को शिकार पर निकलता है। गांव की स्थिति ये है कि चार लोग एक साथ निकल रहे हैं। हांका लगाते रहते हैं। टॉर्च डंडा सबके पास रहता है। खेत में पानी लगा रहे थे तो सामने से गुजरा था बाघ उलरापुर गांव के रहने वाले गजराज यादव बताते हैं उनका खेत जंगल से सटा हुआ है। बाघ के बारे में सुना है, लेकिन देखा नहीं। 12 साल पहले भी इलाके में बाघ आया था। हमारे गांव में कई जानवरों को शिकार बनाया था। उस दौरान गांव के पास के नाला से अपने बेटे के साथ पानी लेकर आ रहा था। बेटा सिंचाई के लिए पाइप पकड़े था और मोबाइल मुंह में दबाया था। तभी बाघ बगल से निकला। दहाड़ रहा था लेकिन किया कुछ नहीं। हमारा किसानी का काम है। खेत की रखवाली के लिए रात 12 बजे तक जागते हैं। ऐसे में डर का तो माहौल रहता है। फिलहाल जो होना है, वो होगा। जंगली जानवर के बाल से हुई पहचान दुगौली गांव के रहने वाले मोहन यादव बताते हैं नरेगा काम चल रहा था। तभी प्रधान जी के साथ फॉरेस्ट की टीम पहुंची। वहां पर मिले पग मार्क नापना शुरू किया। जिसकी लंबाई 15 इंच और चौड़ाई 14 इंच मिली। वहीं खेत के पास में एक ट्यूबवेल है, जहां सबसे ज्यादा पग मार्क थे। वहां पर जानवर के बाल भी मिले थे। वन विभाग की टीम उसके बाल भी रख लिए। इसके बाद बताया कि जंगली जानवर है, सब लोग सतर्क रहिए। इसके बाद से टीम मैंगो सेंटर में रुकी हुई है। खेत की रखवाली के लिए भी दिन में जाते हैं। रात को तो जाना बंद कर दिया। बाकी काम पर तो जाना ही है, वरना परिवार भूख से मर जाएगा। 20 से 25 मजदूर जिस जगह पर नरेगा का काम कर रहे हैं, उसी जगह पर पग मार्क मिला है। इसके पहले बाघ 2012 में आया था तब 105 दिन रुका था। लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर रहमानखेड़ा…जहां एक बार फिर बाघ की दहशत से तीन गांव के 3 हजार लोग डरे हुए हैं। अंधेरा होने से पहले घरों में चले जाते हैं। जंगल में ड्यूटी करने वाले कर्मचारी एक साथ टॉर्च जलाकर और हाका लगाकर पहरा दे रहे हैं। शुक्रवार (6 दिसंबर) को सबसे पहले केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के गार्ड ने दहाड़ सुनी। गुरुवार (12 दिसंबर) को शिकार करने के बाद जंगली जानवर के होने की पुष्टि हुई। हालांकि अभी ये कौन जानवर है, ये साफ नहीं हो पाया है। फिलहाल इलाके के लोगों को अलर्ट कर दिया गया है। जानवर को पकड़ने के लिए कैमरे व पिंजड़े लगा दिए गए हैं। दैनिक 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से मना किया गया है। असल में परिसर में जानवर के आने के बाद गुरुवार को पहला शिकार हुआ है। इसके बाद सुरक्षा और बढ़ा दी गई। सबको फार्म एक्टिविटी के काम से मना कर दिया गया। शुक्रवार को पहली बार सुनाई दी थी आवाज बुधवार को शाम के वक्त लेबर काम कर रहे थे। उन्हें अजीब सी आवाज सुनाई दी। असल में शनिवार और रविवार को सबकी छुट्टी रहती है। शनिवार परिसर में जांच करने आए सिक्योरिटी गार्ड ने बताया था कि शुक्रवार (6 दिसंबर) रात को कुछ दहाड़ने जैसी आवाज सुनाई दी है। दो लोगों से एक जैसी बात सुनने पर कुछ संदेह हुआ। इसलिए सुरक्षा जरूरी थी। फुटप्रिंट से लग रहा बड़ा जानवर वन विभाग के सब-डिविजनल ऑफिसर हरीलाल बताते हैं इस जगह पर ही करीब एक हफ्ते से हिंसक जानवर के होने की सूचना मिल रही थी। जिसके फुटप्रिंट मिलने के बाद बाड़ा लगाया गया था, लेकिन जानवर के हिसाब से वो छोटा था। इसलिए अब बदलकर बड़ा किया गया है। इलाके में करीब 3 कैमरे लगाए हैं। जिससे मूवमेंट कैप्चर हो सके। गुरुवार तड़के एक नील गाय का शिकार किया है। शिकार वाली जगह पर भी कैमरा लगाया है। वहां आते ही कैप्चर होगा। इससे ट्रैक करना आसान होगा। जानवर शिकार के बाद 5 दिन तक उसी जगह पर रहता है हरीलाल बताते हैं, असल में हिंसक जानवर जब शिकार करता है तो करीब 5 से 6 दिन तक उनका खाना वही होता है। इसलिए वो उसके आसपास ही रहते हैं या घूम कर फिर वापस वहीं आते हैं। भीड़भाड़ देखकर कई बार जानवर नहीं लौटते हैं। ऐसे में ये पता करना सबसे ज्यादा जरूरी है कि वास्तव में क्या है। 7 दिन से मूवमेंट एक ही जगह पर मिली है, तो कैप्चर हो जाना चाहिए। तभी तेंदुआ और टाइगर का कंफर्म हो पाएगा। बाघ से डरेंगे तो भूख से मर जाएंगे रामबिलास यादव की ड्यूटी जंगल की सुरक्षा में लगी है। उन्हें पूरे जंगल में घूमकर देखना होता है कि कोई गलत गतिविधि तो नहीं चल रही है। लेकिन जंगल में बाघ होने की सूचना के बाद काफी डरे हुए हैं। रामबिलास को जंगल में जाने के लिए महज एक लाठी और टॉर्च मिला है। जिससे वो खुद की और जंगल की सुरक्षा करते हैं। रामबिलास बताते हैं जंगल में बाघ के फुटप्रिंट मिले हैं, लेकिन अभी तक किसी ने देखा नहीं। सूचना भर से दहशत हो गई है। क्योंकि फुटप्रिंट मिले हैं, तो बाघ भी होगा। बड़े साहब कहते हैं ड्यूटी नहीं करोगो तो घर में बैठो। घर में बैठ गए तो खाएंगे क्या। भूख से मर जाएंगे। बीच जंगल में नहीं जाए लेकिन जंगल के किनारे तो जाना पड़ेगा। 230 रुपए की मिलती है मजदूरी शिवशंकर बताते हैं बाघ की सूचना के बाद से काफी डर लग रहा है। लेकिन पेट को लेकर कहां चले जाए। 6 लोगों का परिवार है, 230 रुपए मजदूरी मिलती है। एक दिन नहीं गए तो पैसा कट जाएगा। इसलिए काम भी करना है और खेत की रखवाली भी करनी है। सुरक्षा के लिए टॉर्च व डंडा मिला। दिन भर खेत में रहते हैं, इस दौरान कुछ नहीं दिखाई दिया। लेकिन जो टीम खोजने में लगी है। वो कहती है कि दिन में छुप जा रहा है, रात को शिकार पर निकलता है। गांव की स्थिति ये है कि चार लोग एक साथ निकल रहे हैं। हांका लगाते रहते हैं। टॉर्च डंडा सबके पास रहता है। खेत में पानी लगा रहे थे तो सामने से गुजरा था बाघ उलरापुर गांव के रहने वाले गजराज यादव बताते हैं उनका खेत जंगल से सटा हुआ है। बाघ के बारे में सुना है, लेकिन देखा नहीं। 12 साल पहले भी इलाके में बाघ आया था। हमारे गांव में कई जानवरों को शिकार बनाया था। उस दौरान गांव के पास के नाला से अपने बेटे के साथ पानी लेकर आ रहा था। बेटा सिंचाई के लिए पाइप पकड़े था और मोबाइल मुंह में दबाया था। तभी बाघ बगल से निकला। दहाड़ रहा था लेकिन किया कुछ नहीं। हमारा किसानी का काम है। खेत की रखवाली के लिए रात 12 बजे तक जागते हैं। ऐसे में डर का तो माहौल रहता है। फिलहाल जो होना है, वो होगा। जंगली जानवर के बाल से हुई पहचान दुगौली गांव के रहने वाले मोहन यादव बताते हैं नरेगा काम चल रहा था। तभी प्रधान जी के साथ फॉरेस्ट की टीम पहुंची। वहां पर मिले पग मार्क नापना शुरू किया। जिसकी लंबाई 15 इंच और चौड़ाई 14 इंच मिली। वहीं खेत के पास में एक ट्यूबवेल है, जहां सबसे ज्यादा पग मार्क थे। वहां पर जानवर के बाल भी मिले थे। वन विभाग की टीम उसके बाल भी रख लिए। इसके बाद बताया कि जंगली जानवर है, सब लोग सतर्क रहिए। इसके बाद से टीम मैंगो सेंटर में रुकी हुई है। खेत की रखवाली के लिए भी दिन में जाते हैं। रात को तो जाना बंद कर दिया। बाकी काम पर तो जाना ही है, वरना परिवार भूख से मर जाएगा। 20 से 25 मजदूर जिस जगह पर नरेगा का काम कर रहे हैं, उसी जगह पर पग मार्क मिला है। इसके पहले बाघ 2012 में आया था तब 105 दिन रुका था। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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दिल्ली में किससे है AAP की लड़ाई? संजय सिंह का बड़ा बयान, BJP पर लगा दिए ये आरोप <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Assembly Election 2025:</strong> दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत गरमाने लगी है. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बड़े पैमाने पर वोट कटवाए जा रहे हैं. जहां लोग घरों में मौजूद है, उसके बावजूद उनके नाम मतदाता सूची से काट दिए गए. आज मैं वोट कटवाने के मामले में बड़ा खुलासा करने जा रहा हूं. वो विधानसभा आर के पुरम है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>संजय सिंह ने कहा कि वोटर लिस्ट से नाम कटवाने के लिए 3800 प्रार्थना पत्र दिया गया. बीजेपी दिल्ली चुनाव घोटाला और वोट कटवा कर लड़ना चाहती है. आज उस आर के पुरम के मतदाता भी हमारे साथ हैं, जिनके नाम कटवाए गए हैं और ऐसे बूथ पर मतदाताओं के वोटर लिस्ट से नाम काटे गए हैं, जहां से आम आदमी पार्टी जीतती आ रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि बीजेपी सबसे पार्टी के साथ सबसे भ्रष्ट पार्टी भी है. चुनाव आयोग को इन मतदाताओं से माफी मांगी जानी चाहिए, क्योंकि उनके सामने इनके नाम काटने की एप्लिकेशन दी गई है. बीजेपी के लोग ये एप्लिकेशन दे रहे हैं. नाम कटवाने के लिए यहां दूसरे लोग थोड़ी न आएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आप नेता ने कहा कि हमारी तो सीधी लड़ाई बीजेपी से है. हमने 3800 में से 1800 लोगों तक जाकर उनसे बात की और ये सभी लोग वहां वर्षों से रह रहे हैं और इन सभी के नाम कटवाने के लिए फॉर्म 10 भरकर दिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं इंडिया गठबंधन के नेत के सवाल पर संजय सिंह ने कहा कि बैठक में सभी दलों के लोग इकट्ठा होंगे तो यह जानकारी में आएगा कि कौन नेता चुना जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसक अलावा अरविंद केजरीवाल के ‘शीशमहल’ के वीडियो और बीजेपी के आरोपों पर संजय सिंह ने कहा कि 11 हजार करोड़ के जहाज और दस लाख के सूट का वीडियो कब आएगा. वे लोग प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों के घरों का भी वीडियो जारी करें. अदाणी के दलालों को हम कब तक जवाब देंगे. उन्होंने कहा, “मैं कहना चाहता हूं सभी मंत्री और मुख्यमंत्री का वीडियो भी सार्वजनिक हो और बताया जाए कि कहां कितना खर्च हुआ?”</p>
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उत्तर प्रदेश में मनरेगा से ग्रामीण विकास को मिली नई रफ्तार, बस्ती रोजगार सृजन में रहा अव्वल <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttar Pradesh News Today:</strong> उत्तर प्रदेश में ग्रामीण परिवेश बीते कुछ सालों में तेजी के साथ विकास की राह पर आगे बढ़ा है. मनरेगा योजना के माध्यम से योगी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने, महिलाओं का सशक्तिकरण और बुनियादी सुविधाओं में सुधार लाने के लिए कई तरह के प्रयासों को मूर्तरुप दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में प्रदेश में 2024-25 के चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 60.17 लाख परिवारों को गांव में रोजगार से जोड़ा गया है. प्रदेश के बस्ती जिले ने मनरेगा के तहत रोजगार सृजन में प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रोजगार में बस्ती रहा अव्वल</strong><br />बस्ती में अब तक 1 लाख 95 हजार 717 मांगों के सापेक्ष 1 लाख 95 हजार 714 परिवारों को गांव में रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है. जिससे 79 लाख 40 हजार 929 मानव दिवस का सृजन हुआ है. इस प्रयास के लिए बस्ती को प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त हुआ है, जबकि आजमगढ़ को दूसरा और जौनपुर को तीसरा स्थान मिला हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> का स्पष्ट निर्देश है कि मनरेगा के तहत अधिक से अधिक मानव दिवस सृजित किए जाएं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अपने गांव में ही रोजगार मिल सके. ग्राम्य विकास आयुक्त जीएस प्रियदर्शी ने संबंधित अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं कि मनरेगा योजनाओं का क्रियान्वयन और बेहतर तरीके से हो ताकि ग्रामीण लोगों के लिए रोजगार के अवसर सुनिश्चित किए जा सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रोजगार से बुनियादी ढांचों में सुधार</strong><br />मनरेगा के तहत न केवल रोजगार बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. इनमें रोजगार के साथ-साथ आवास, पेयजल, महिला सशक्तिकरण, सिंचाई, सड़क निर्माण और पौधरोपण जैसी महत्वपूर्ण योजनाएं शामिल हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों की प्रगति और लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना है. योगी सरकार ने मनरेगा को ग्रामीण विकास का महत्वपूर्ण साधन बना दिया है. बीते कुछ सालों में उत्तर प्रदेश के गांवों में न केवल लोगों को रोजगार मिल रहा है बल्कि गांवों का ढांचा भी सशक्त हुआ है. रोजगार के साथ-साथ बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता और सशक्तिकरण की दिशा में हुए प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्र नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मनरेगा से महिला जीवन में सुधार</strong><br />प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी मनरेगा का विशेष योगदान रहा है. गांव की महिलाएं इस योजना के तहत न सिर्फ रोजगार हासिल कर रही हैं, बल्कि उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता भी मिल रही है. सरकार के जरिये महिलाओं को विशेष अवसर प्रदान किए जा रहे हैं ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें. मनरेगा के तहत महिलाओं को रोजगार मिलने से उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>100 दिन के रोजगार का लक्ष्य</strong><br />इस साल मनरेगा योजना के तहत एक लाख से अधिक परिवारों को सौ दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है. अब तक 1 लाख 371 ऐसे परिवार हैं, जिन्होंने 100 दिनों का रोजगार प्राप्त कर अपनी आजीविका को स्थिर बनाया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>योगी सरकार का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक परिवारों को 100 दिनों तक रोजगार मिले, जिससे उनके जीवन में आर्थिक सुरक्षा हो. योगी सरकार के इस ऐतिहासिक प्रयास से ग्रामीण लोगों का जीवन बदल रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मनरेगा योजना के प्रभावी क्रियान्वयन का लगातार निरीक्षण किया जा रहा है, जिससे इस योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके. मुख्यमंत्री के निर्देश पर सभी जिलों में अधिकारियों को इस योजना के सफल क्रियान्वयन का जिम्मा सौंपा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”यूपी के RTO ऑफिस में अब इन लोगों को नहीं लगानी पड़ेगी लाइन, तुरंत होंगे सारे काम, मिलेगी खास सुविधा” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-transport-offices-to-open-special-counters-for-journalists-senior-citizens-and-women-upsrtc-2819153″ target=”_blank” rel=”noopener”>यूपी के RTO ऑफिस में अब इन लोगों को नहीं लगानी पड़ेगी लाइन, तुरंत होंगे सारे काम, मिलेगी खास सुविधा</a></strong></p>