लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर रहमानखेड़ा…जहां एक बार फिर बाघ की दहशत से तीन गांव के 3 हजार लोग डरे हुए हैं। अंधेरा होने से पहले घरों में चले जाते हैं। जंगल में ड्यूटी करने वाले कर्मचारी एक साथ टॉर्च जलाकर और हाका लगाकर पहरा दे रहे हैं। शुक्रवार (6 दिसंबर) को सबसे पहले केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के गार्ड ने दहाड़ सुनी। गुरुवार (12 दिसंबर) को शिकार करने के बाद जंगली जानवर के होने की पुष्टि हुई। हालांकि अभी ये कौन जानवर है, ये साफ नहीं हो पाया है। फिलहाल इलाके के लोगों को अलर्ट कर दिया गया है। जानवर को पकड़ने के लिए कैमरे व पिंजड़े लगा दिए गए हैं। दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची और वहां के हालात को जाना… चलिए पूरी घटना को शुरू से समझते हैं महिलाबाद के रहमानखेड़ा में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान है। जहां पर पेड़ों व फलों पर शोध किया जाता है। शोध के लिए करीब 132 हेक्टेयर की जमीन दी गई है। जहां पर आम, अमरूद व अन्य फलों की बागवानी होती है। जिसमें 8 हेक्टेयर का घना जंगल है। संस्थान के निदेशक टी दामोदरन ने बताया कि एक हफ्ते पहले फॉर्म में काम करने वाले लेबर ने बताया कि परिसर में किसी जानवर के फुट मार्क दिखे हैं। इसके बाद वन विभाग को सूचना दी गई। फॉरेस्ट ऑफिसर सोनम दीक्षित अपनी टीम के साथ पहुंचीं। फुट मार्क की रेंज चेक की गई तो बड़ी मिली। जिसके बाद ये तो क्लियर हो गया कि कोई जंगली जानवर है, लेकिन किसी ने देखा नहीं तो कुछ कह पाना मुश्किल है। सुरक्षा के लिए हसिया अपने साथ रख रहे मजदूर फार्म में करीब 150 लोग काम करते हैं। वहीं 40 लोग लेबर हैं। इसके अलावा आसपास सटे तीन गांव हैं। सुरक्षा कारणों से फार्म में काम करने वाले सभी लेबर को एक साथ काम करने के लिए बोला गया है। सभी अपने पास हसिया रखते हैं। अकेले में जंगल में बाथरूम भी जाने के लिए से मना किया गया है। असल में परिसर में जानवर के आने के बाद गुरुवार को पहला शिकार हुआ है। इसके बाद सुरक्षा और बढ़ा दी गई। सबको फार्म एक्टिविटी के काम से मना कर दिया गया। शुक्रवार को पहली बार सुनाई दी थी आवाज बुधवार को शाम के वक्त लेबर काम कर रहे थे। उन्हें अजीब सी आवाज सुनाई दी। असल में शनिवार और रविवार को सबकी छुट्टी रहती है। शनिवार परिसर में जांच करने आए सिक्योरिटी गार्ड ने बताया था कि शुक्रवार (6 दिसंबर) रात को कुछ दहाड़ने जैसी आवाज सुनाई दी है। दो लोगों से एक जैसी बात सुनने पर कुछ संदेह हुआ। इसलिए सुरक्षा जरूरी थी। फुटप्रिंट से लग रहा बड़ा जानवर वन विभाग के सब-डिविजनल ऑफिसर हरीलाल बताते हैं इस जगह पर ही करीब एक हफ्ते से हिंसक जानवर के होने की सूचना मिल रही थी। जिसके फुटप्रिंट मिलने के बाद बाड़ा लगाया गया था, लेकिन जानवर के हिसाब से वो छोटा था। इसलिए अब बदलकर बड़ा किया गया है। इलाके में करीब 3 कैमरे लगाए हैं। जिससे मूवमेंट कैप्चर हो सके। गुरुवार तड़के एक नील गाय का शिकार किया है। शिकार वाली जगह पर भी कैमरा लगाया है। वहां आते ही कैप्चर होगा। इससे ट्रैक करना आसान होगा। जानवर शिकार के बाद 5 दिन तक उसी जगह पर रहता है हरीलाल बताते हैं, असल में हिंसक जानवर जब शिकार करता है तो करीब 5 से 6 दिन तक उनका खाना वही होता है। इसलिए वो उसके आसपास ही रहते हैं या घूम कर फिर वापस वहीं आते हैं। भीड़भाड़ देखकर कई बार जानवर नहीं लौटते हैं। ऐसे में ये पता करना सबसे ज्यादा जरूरी है कि वास्तव में क्या है। 7 दिन से मूवमेंट एक ही जगह पर मिली है, तो कैप्चर हो जाना चाहिए। तभी तेंदुआ और टाइगर का कंफर्म हो पाएगा। बाघ से डरेंगे तो भूख से मर जाएंगे रामबिलास यादव की ड्यूटी जंगल की सुरक्षा में लगी है। उन्हें पूरे जंगल में घूमकर देखना होता है कि कोई गलत गतिविधि तो नहीं चल रही है। लेकिन जंगल में बाघ होने की सूचना के बाद काफी डरे हुए हैं। रामबिलास को जंगल में जाने के लिए महज एक लाठी और टॉर्च मिला है। जिससे वो खुद की और जंगल की सुरक्षा करते हैं। रामबिलास बताते हैं जंगल में बाघ के फुटप्रिंट मिले हैं, लेकिन अभी तक किसी ने देखा नहीं। सूचना भर से दहशत हो गई है। क्योंकि फुटप्रिंट मिले हैं, तो बाघ भी होगा। बड़े साहब कहते हैं ड्यूटी नहीं करोगो तो घर में बैठो। घर में बैठ गए तो खाएंगे क्या। भूख से मर जाएंगे। बीच जंगल में नहीं जाए लेकिन जंगल के किनारे तो जाना पड़ेगा। 230 रुपए की मिलती है मजदूरी शिवशंकर बताते हैं बाघ की सूचना के बाद से काफी डर लग रहा है। लेकिन पेट को लेकर कहां चले जाए। 6 लोगों का परिवार है, 230 रुपए मजदूरी मिलती है। एक दिन नहीं गए तो पैसा कट जाएगा। इसलिए काम भी करना है और खेत की रखवाली भी करनी है। सुरक्षा के लिए टॉर्च व डंडा मिला। दिन भर खेत में रहते हैं, इस दौरान कुछ नहीं दिखाई दिया। लेकिन जो टीम खोजने में लगी है। वो कहती है कि दिन में छुप जा रहा है, रात को शिकार पर निकलता है। गांव की स्थिति ये है कि चार लोग एक साथ निकल रहे हैं। हांका लगाते रहते हैं। टॉर्च डंडा सबके पास रहता है। खेत में पानी लगा रहे थे तो सामने से गुजरा था बाघ उलरापुर गांव के रहने वाले गजराज यादव बताते हैं उनका खेत जंगल से सटा हुआ है। बाघ के बारे में सुना है, लेकिन देखा नहीं। 12 साल पहले भी इलाके में बाघ आया था। हमारे गांव में कई जानवरों को शिकार बनाया था। उस दौरान गांव के पास के नाला से अपने बेटे के साथ पानी लेकर आ रहा था। बेटा सिंचाई के लिए पाइप पकड़े था और मोबाइल मुंह में दबाया था। तभी बाघ बगल से निकला। दहाड़ रहा था लेकिन किया कुछ नहीं। हमारा किसानी का काम है। खेत की रखवाली के लिए रात 12 बजे तक जागते हैं। ऐसे में डर का तो माहौल रहता है। फिलहाल जो होना है, वो होगा। जंगली जानवर के बाल से हुई पहचान दुगौली गांव के रहने वाले मोहन यादव बताते हैं नरेगा काम चल रहा था। तभी प्रधान जी के साथ फॉरेस्ट की टीम पहुंची। वहां पर मिले पग मार्क नापना शुरू किया। जिसकी लंबाई 15 इंच और चौड़ाई 14 इंच मिली। वहीं खेत के पास में एक ट्यूबवेल है, जहां सबसे ज्यादा पग मार्क थे। वहां पर जानवर के बाल भी मिले थे। वन विभाग की टीम उसके बाल भी रख लिए। इसके बाद बताया कि जंगली जानवर है, सब लोग सतर्क रहिए। इसके बाद से टीम मैंगो सेंटर में रुकी हुई है। खेत की रखवाली के लिए भी दिन में जाते हैं। रात को तो जाना बंद कर दिया। बाकी काम पर तो जाना ही है, वरना परिवार भूख से मर जाएगा। 20 से 25 मजदूर जिस जगह पर नरेगा का काम कर रहे हैं, उसी जगह पर पग मार्क मिला है। इसके पहले बाघ 2012 में आया था तब 105 दिन रुका था। लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर रहमानखेड़ा…जहां एक बार फिर बाघ की दहशत से तीन गांव के 3 हजार लोग डरे हुए हैं। अंधेरा होने से पहले घरों में चले जाते हैं। जंगल में ड्यूटी करने वाले कर्मचारी एक साथ टॉर्च जलाकर और हाका लगाकर पहरा दे रहे हैं। शुक्रवार (6 दिसंबर) को सबसे पहले केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के गार्ड ने दहाड़ सुनी। गुरुवार (12 दिसंबर) को शिकार करने के बाद जंगली जानवर के होने की पुष्टि हुई। हालांकि अभी ये कौन जानवर है, ये साफ नहीं हो पाया है। फिलहाल इलाके के लोगों को अलर्ट कर दिया गया है। जानवर को पकड़ने के लिए कैमरे व पिंजड़े लगा दिए गए हैं। दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची और वहां के हालात को जाना… चलिए पूरी घटना को शुरू से समझते हैं महिलाबाद के रहमानखेड़ा में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान है। जहां पर पेड़ों व फलों पर शोध किया जाता है। शोध के लिए करीब 132 हेक्टेयर की जमीन दी गई है। जहां पर आम, अमरूद व अन्य फलों की बागवानी होती है। जिसमें 8 हेक्टेयर का घना जंगल है। संस्थान के निदेशक टी दामोदरन ने बताया कि एक हफ्ते पहले फॉर्म में काम करने वाले लेबर ने बताया कि परिसर में किसी जानवर के फुट मार्क दिखे हैं। इसके बाद वन विभाग को सूचना दी गई। फॉरेस्ट ऑफिसर सोनम दीक्षित अपनी टीम के साथ पहुंचीं। फुट मार्क की रेंज चेक की गई तो बड़ी मिली। जिसके बाद ये तो क्लियर हो गया कि कोई जंगली जानवर है, लेकिन किसी ने देखा नहीं तो कुछ कह पाना मुश्किल है। सुरक्षा के लिए हसिया अपने साथ रख रहे मजदूर फार्म में करीब 150 लोग काम करते हैं। वहीं 40 लोग लेबर हैं। इसके अलावा आसपास सटे तीन गांव हैं। सुरक्षा कारणों से फार्म में काम करने वाले सभी लेबर को एक साथ काम करने के लिए बोला गया है। सभी अपने पास हसिया रखते हैं। अकेले में जंगल में बाथरूम भी जाने के लिए से मना किया गया है। असल में परिसर में जानवर के आने के बाद गुरुवार को पहला शिकार हुआ है। इसके बाद सुरक्षा और बढ़ा दी गई। सबको फार्म एक्टिविटी के काम से मना कर दिया गया। शुक्रवार को पहली बार सुनाई दी थी आवाज बुधवार को शाम के वक्त लेबर काम कर रहे थे। उन्हें अजीब सी आवाज सुनाई दी। असल में शनिवार और रविवार को सबकी छुट्टी रहती है। शनिवार परिसर में जांच करने आए सिक्योरिटी गार्ड ने बताया था कि शुक्रवार (6 दिसंबर) रात को कुछ दहाड़ने जैसी आवाज सुनाई दी है। दो लोगों से एक जैसी बात सुनने पर कुछ संदेह हुआ। इसलिए सुरक्षा जरूरी थी। फुटप्रिंट से लग रहा बड़ा जानवर वन विभाग के सब-डिविजनल ऑफिसर हरीलाल बताते हैं इस जगह पर ही करीब एक हफ्ते से हिंसक जानवर के होने की सूचना मिल रही थी। जिसके फुटप्रिंट मिलने के बाद बाड़ा लगाया गया था, लेकिन जानवर के हिसाब से वो छोटा था। इसलिए अब बदलकर बड़ा किया गया है। इलाके में करीब 3 कैमरे लगाए हैं। जिससे मूवमेंट कैप्चर हो सके। गुरुवार तड़के एक नील गाय का शिकार किया है। शिकार वाली जगह पर भी कैमरा लगाया है। वहां आते ही कैप्चर होगा। इससे ट्रैक करना आसान होगा। जानवर शिकार के बाद 5 दिन तक उसी जगह पर रहता है हरीलाल बताते हैं, असल में हिंसक जानवर जब शिकार करता है तो करीब 5 से 6 दिन तक उनका खाना वही होता है। इसलिए वो उसके आसपास ही रहते हैं या घूम कर फिर वापस वहीं आते हैं। भीड़भाड़ देखकर कई बार जानवर नहीं लौटते हैं। ऐसे में ये पता करना सबसे ज्यादा जरूरी है कि वास्तव में क्या है। 7 दिन से मूवमेंट एक ही जगह पर मिली है, तो कैप्चर हो जाना चाहिए। तभी तेंदुआ और टाइगर का कंफर्म हो पाएगा। बाघ से डरेंगे तो भूख से मर जाएंगे रामबिलास यादव की ड्यूटी जंगल की सुरक्षा में लगी है। उन्हें पूरे जंगल में घूमकर देखना होता है कि कोई गलत गतिविधि तो नहीं चल रही है। लेकिन जंगल में बाघ होने की सूचना के बाद काफी डरे हुए हैं। रामबिलास को जंगल में जाने के लिए महज एक लाठी और टॉर्च मिला है। जिससे वो खुद की और जंगल की सुरक्षा करते हैं। रामबिलास बताते हैं जंगल में बाघ के फुटप्रिंट मिले हैं, लेकिन अभी तक किसी ने देखा नहीं। सूचना भर से दहशत हो गई है। क्योंकि फुटप्रिंट मिले हैं, तो बाघ भी होगा। बड़े साहब कहते हैं ड्यूटी नहीं करोगो तो घर में बैठो। घर में बैठ गए तो खाएंगे क्या। भूख से मर जाएंगे। बीच जंगल में नहीं जाए लेकिन जंगल के किनारे तो जाना पड़ेगा। 230 रुपए की मिलती है मजदूरी शिवशंकर बताते हैं बाघ की सूचना के बाद से काफी डर लग रहा है। लेकिन पेट को लेकर कहां चले जाए। 6 लोगों का परिवार है, 230 रुपए मजदूरी मिलती है। एक दिन नहीं गए तो पैसा कट जाएगा। इसलिए काम भी करना है और खेत की रखवाली भी करनी है। सुरक्षा के लिए टॉर्च व डंडा मिला। दिन भर खेत में रहते हैं, इस दौरान कुछ नहीं दिखाई दिया। लेकिन जो टीम खोजने में लगी है। वो कहती है कि दिन में छुप जा रहा है, रात को शिकार पर निकलता है। गांव की स्थिति ये है कि चार लोग एक साथ निकल रहे हैं। हांका लगाते रहते हैं। टॉर्च डंडा सबके पास रहता है। खेत में पानी लगा रहे थे तो सामने से गुजरा था बाघ उलरापुर गांव के रहने वाले गजराज यादव बताते हैं उनका खेत जंगल से सटा हुआ है। बाघ के बारे में सुना है, लेकिन देखा नहीं। 12 साल पहले भी इलाके में बाघ आया था। हमारे गांव में कई जानवरों को शिकार बनाया था। उस दौरान गांव के पास के नाला से अपने बेटे के साथ पानी लेकर आ रहा था। बेटा सिंचाई के लिए पाइप पकड़े था और मोबाइल मुंह में दबाया था। तभी बाघ बगल से निकला। दहाड़ रहा था लेकिन किया कुछ नहीं। हमारा किसानी का काम है। खेत की रखवाली के लिए रात 12 बजे तक जागते हैं। ऐसे में डर का तो माहौल रहता है। फिलहाल जो होना है, वो होगा। जंगली जानवर के बाल से हुई पहचान दुगौली गांव के रहने वाले मोहन यादव बताते हैं नरेगा काम चल रहा था। तभी प्रधान जी के साथ फॉरेस्ट की टीम पहुंची। वहां पर मिले पग मार्क नापना शुरू किया। जिसकी लंबाई 15 इंच और चौड़ाई 14 इंच मिली। वहीं खेत के पास में एक ट्यूबवेल है, जहां सबसे ज्यादा पग मार्क थे। वहां पर जानवर के बाल भी मिले थे। वन विभाग की टीम उसके बाल भी रख लिए। इसके बाद बताया कि जंगली जानवर है, सब लोग सतर्क रहिए। इसके बाद से टीम मैंगो सेंटर में रुकी हुई है। खेत की रखवाली के लिए भी दिन में जाते हैं। रात को तो जाना बंद कर दिया। बाकी काम पर तो जाना ही है, वरना परिवार भूख से मर जाएगा। 20 से 25 मजदूर जिस जगह पर नरेगा का काम कर रहे हैं, उसी जगह पर पग मार्क मिला है। इसके पहले बाघ 2012 में आया था तब 105 दिन रुका था। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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पानीपत में कंस्ट्रक्शन कर्मचारी की मौत:नाले की पुलिया पर रिफ्लेक्टर लगा रहा था, बाइक ने टक्कर मार दी; करनाल का रहने वाला हरियाणा के पानीपत में गांव बबैल के पास नाले की पुलिया पर रिफ्लेक्टर टेप लगा रहे कर्मचारी को तेज रफ्तार बाइक ने टक्कर मार दी। हादसे में कर्मचारी की मौत हो गई। वहीं हादसे के बाद आरोपी बाइक को मौके पर ही छोड़कर फरार हो गया। कर्मचारी नाले की पुलिया पर रिफ्लेक्टर टेप इसलिए लगा रहा था ताकि कोई हादसा न हो। हादसे की शिकायत पुलिस को दी गई। पुलिस ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया है। रस्सी और प्रोग्रेस बेल्ट तोड़ते हुए मारी टक्कर सेक्टर 13-17 थाने में दी शिकायत में सुनील ने बताया कि वह करनाल का रहने वाला है। वह सोमबीर कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करता है। उसके साथ इंदिरा कॉलोनी करनाल निवासी रतन लाल (53) के अलावा कई अन्य कर्मचारी काम करते हैं। यह कंपनी सिविल कंस्ट्रक्शन का काम करती है। शुक्रवार रात को वे सभी गांव बबैल के पास पीडब्ल्यूडी रोड पर कैटल लाइट लगा रहे थे। सभी ने अपनी सुरक्षा के लिए सेफ्टी रस्सी और प्रोग्रेस बेल्ट भी लगा रखी थी। शाम करीब 5 बजे जब वे काम कर रहे थे तो सनौली की तरफ से आ रही तेज रफ्तार बाइक ने रतनलाल को सीधी टक्कर मार दी, जिससे सभी रस्सियां और प्रोग्रेस बेल्ट टूट गई। जिससे रतनलाल मौके पर ही गिर गया और खून से लथपथ हो गया। एंबुलेंस की मदद से रतनलाल को सरकारी अस्पताल ले जाया गया। जहां चेकअप के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आरोपी बाइक छोड़कर मौके से फरार हो गए।
यूपी में 72 घण्टें चलेगा नॉनस्टॉप सफाई अभियान:ए के शर्मा का निर्देश – सफाई कार्यों की निगरानी और समीक्षा के लिए तैनात हों नोडल अधिकारी
यूपी में 72 घण्टें चलेगा नॉनस्टॉप सफाई अभियान:ए के शर्मा का निर्देश – सफाई कार्यों की निगरानी और समीक्षा के लिए तैनात हों नोडल अधिकारी उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री ए के शर्मा बुधवार को देर शाम अपने 14-कालिदास आवास से निकायों के सफाई कार्यों की वर्चुअल समीक्षा की और हकीकत जानी। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में शहरों में कहीं पर भी जलभराव की समस्या न हो, इसके लिए सभी बाढ़ पम्पिंग स्टेशनों और पम्पिंग सेट की जांच कर लें कि वे सभी चालू हालात में हैं, जहां कहीं पर भी पम्पिंग सेट की और अधिक आवश्यकता हो, वहां शीघ्र व्यवस्था कर ली जाए। ‘‘आग लगने पर कुआँ खोदने वाली प्रवृत्ति अब नहीं चलेगी’’ लोगों के घरों में गंदा पानी भरे, इससे पहले ही सम्पूर्ण तैयारी पूरी कर ली जाये। नाले और नालियों के सफाई के कामों में किसी भी स्तर की लापरवाही और शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जायेगी। मैनपावर और मशीन का अधिकतम प्रयोग कर सफाई कार्यों में गति लायें, जिससे कि बरसात में कहीं पर भी गंदगी, कीचड़ और जलभराव न दिखे। 72 घंटे लगातार चलेगा सफाई अभियान उत्तर प्रदेश के नगर विकास ए के शर्मा ने सभी निकायों में 72 घण्टें का अनवरत सफाई अभियान चलाकर सभी नाले व नालियों की सफाई कराने का निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि सफाई कार्यों की निगरानी और समीक्षा करने के लिए सभी निकायों में नोडल अधिकारी भी तैनात किये जायें, जिससे कि नालियों के सफाई के काम में किसी भी प्रकार की कमी व चूक न रह जाये, जहां आवश्यक हो वहां कार्यों की ड्रोन से निगरानी भी करायी जाये। संचारी रोगों के लिए फागिंग की व्यवस्था की जाए नगर विकास मंत्री ने कहा कि बरसात में जलभराव व गंदगी से संचारी रोगों डेंगू, चिकुनगुनियां और मच्छर से होने वाली बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है। इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक दवाइयों का प्रबन्ध और फॉगिंग की व्यवस्था हो। गंदे पानी की आपूर्ति न होने पाये। खाली प्लाटों में भी जलजमाव न हो, लोगों को भी जागरूक करें कि उनके घरों के छतों, गमलों या किसी भी पात्र में जलजमाव न होने पाये। बरसात में नियमित साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। कहीं पर भी कूड़े का ढेर न दिखे। जलकल विभाग से समन्वय कर सीवर सफाई की समुचित व्यवस्था करायें। टैक्स संग्रहण में पारदर्शिता लाने के निर्देश नगर विकास मंत्री ने सभी नगरीय निकायों को टैक्स संग्रहण में पारदर्शिता लाने के निर्देश दिए। प्रत्येक निकाय अपने क्षेत्र में कर संग्रहण की प्रक्रिया को अधिक संगठित और पारदर्शी बनाए। निकायों में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए। सभी निकायों को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्लास्टिक का उपयोग न हो और इसके स्थान पर वैकल्पिक सामग्रियों का उपयोग किया जाए। स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट फंड के लिए की जाए तैयारी बैठक में प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने जिले स्तर पर बैठक आयोजित कर स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट फंड के लिए तैयारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इसके लिए सभी जिलों में आपदा प्रबंधन की तैयारियों की समीक्षा की जाएगी और आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने सभी नगरीय निकायों को निर्देश दिए कि वे अपने क्षेत्र में जर्जर हो रही इमारतों और गैरकानूनी होर्डिंग्स को चिन्हित कर उन्हें हटाएं और उचित कार्रवाई करें। इससे शहर की सुरक्षा और सौंदर्य दोनों में सुधार होगा। प्रमुख सचिव ने सफाई अभियान को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि सफाई के दौरान सभी सुरक्षा मानकों का पालन किया जाए ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।